जयपुर। विधि एवं संसदीय कार्य मंत्री शान्ति कुमार धारीवाल ने गुरूवार को विधानसभा में कहा कि टोंक जिले के उनियारा में एडीजे कोर्ट की स्थापना उच्च न्यायालय द्वारा निर्धारित् मानदण्ड पूरे होने पर की जा सकेगी।
धारीवाल प्रश्नकाल में विधायकों द्वारा इस संबंध में पूछे गये पूरक प्रश्नों का जवाब दे रहे थे। उन्होंने कहा कि उच्च न्यायालय के जो मापदण्ड बने हुए उनके अनुसार जिला अपर न्यायाधीश न्यायालय एक हजार से 1200 प्रकरणों पर एवं वरिष्ठ सिविल न्यायाधीश न्यायालय 1200 से 1500 प्रकरणों पर तथा सिविल न्यायाधीश न्यायालय 1700 से 2000 तक प्रकरण होने पर खोलने का प्रावधान है। इन मानदण्डों में छूट देने के लिए सरकार द्वारा दो बार उच्च न्यायालय को लिखा जा चुका है। उच्च न्यायालय द्वारा इस संबंध में सहमति मिलने के पश्चात ही नये न्यायालय खोलने पर विचार किया जा सकेगा।
इससे पहले विधायक हरीश चन्द्र मीना के मूूल प्रश्न के जवाब में धारीवाल ने बताया कि उनियारा जिला टोंक में ए.डी.जे कोर्ट की स्थापना हेतु अभिभाषक संघ, उनियारा द्वारा वर्ष 2007 में ज्ञापन प्रस्तुत किया गया था। वर्तमान में उनियारा क्षेत्र के अपर जिला न्यायाधीश न्यायालय स्तर के सुनवाई योग्य लंबित प्रकरणों की संख्या 402 है।
धारीवाल ने बताया कि किसी स्थान पर नवीन अपर जिला न्यायाधीश न्यायालय (ए.डी.जे न्यायालय) की स्थापना माननीय उच्च न्यायालय से परामर्श/प्रस्ताव प्राप्त होने पर, निर्धारित मानदण्ड के अनुसार 1000-1200 प्रकरण लम्बित होने पर तथा वित्तीय संसाधन की उपलब्धता होने पर ही की जा सकती है। उन्होंने बताया कि पूर्व में रजिस्ट्रार जनरल, माननीय उच्च न्यायालय ने उनके पत्र के द्वारा अवगत् कराया है कि उनियारा जिला टोंक के ए.डी.जे न्यायालय स्तर के सुनवाई योग्य लम्बित प्रकरणों की न्यूनता के कारण उनियारा में ए.डी.जे न्यायालय की स्थापना का औचित्य नहीं माना है।
उन्होंने बताया कि लंबित प्रकरणों की संख्या को देखते हुए उनियारा में ए.डी.जे न्यायालय सृजन का प्रस्ताव उच्च न्यायालय की कमेटी द्वारा 4 फरवरी, 2015 को खारिज कर दिया गया है और राज्य सरकार उच्च न्यायालय द्वारा निर्धारित् मानदण्ड पूरे होने पर एवं वित्तीय संसाधन की उपलब्धता होने पर ही किसी भी न्यायालय को क्रमोन्नत् करने पर विचार कर सकेगी।

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