प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार (27 मई, 2018) को एक बार फिर लोगों के साथ आकाशवाणी (ऑल इंडिया रेडियो) पर अपने ‘मन की बात’ साझा की. उन्होंने खेल और एडवेंचर के साथ-साथ पर्यावरण, स्वास्थ्य और बचपन से जुड़े विषयों पर बात की. उन्होंने विश्व पर्यावरण दिवस और विश्व योग दिवस पर भी विस्तार से चर्चा की. उन्होंने देशवासियों से अपील की कि वे योग की अपनी विरासत को आगे बढ़ायें और एक स्वस्थ, खुशहाल और सद्भावपूर्ण राष्ट्र का निर्माण करें.
-कई बार चाय बेचने वाले के बेटा के रूप में अपना परिचय देने वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ओड़िशा के कटक शहर में चाय बेचकर पिछड़े लोगों के जीवन में बदलाव लाने वाले डी प्रकाश राव की भी चर्चा की. पीएम ने कहा कि कुछ लोग अपने कार्यों से, अपनी मेहनत और लगन से बदलाव लाने की दिशा में आगे बढ़ते हैं, उसे हकीकत का रूप देते हैं. ऐसी ही कहानी ओड़िशा के कटक शहर के डी प्रकाश राव की है.
-पीएम ने देश को बताया कि डी प्रकाश राव पांच दशक से शहर में चाय बेच रहे हैं. 70 से अधिक बच्चों के जीवन में शिक्षा का उजियारा भर रहे हैं. उन्होंने झुग्गी-बस्तियों में रहने वाले बच्चों के लिए ‘आशा आश्वासन’ नामक स्कूल चलाते हैं. राव अपनी आय का 50 फीसदी धन उस स्कूल में पढ़ रहे बच्चों की शिक्षा पर खर्च करते हैं. स्कूल में आने वाले सभी बच्चों को शिक्षा, स्वास्थ्य और भोजन की पूरी व्यवस्था श्री राव करते हैं.
-प्रधानमंत्री ने देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू और वीर सावरकर को एक साथ याद किया. उन्होंने कहा : आज 27 मई है. भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू जी की पुण्यतिथि है. मैं पंडित जी को प्रणाम करता हूं. इस मई महीने की याद एक और बात से भी जुड़ी है. वो है वीर सावरकर.’ पीएम ने कहा कि वीर सावरकर ने 1857 में जो कुछ भी हुआ, उसके बारे में पूरी मजबूती के साथ लिखा. उन्होंने कहा कि 1857 में जो कुछ भी हुआ, वो विद्रोह नहीं था, बल्कि आजादी की पहली लड़ाई की शुरुआत थी.
-मोदी ने इस अवसर पर बताया कि देश के पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी ने एक बार अपने भाषण में वीर सावरकर को इस तरह से संबोधित किया था : सावरकर मतलब प्रतिभा, सावरकर मतलब त्याग, सावरकर मतलब तपस्वी, सावरकर मतलब तर्क, सावरकर मतलब युवा, सावरकर मतलब तीर, सावरकर मतलब तलवार.
-राजस्थान के सीकर की बस्तियों की उन बेटियों की भी चर्चा पीएम ने मन की बात में की, जो आत्मनिर्भर बन गयी हैं. उन्होंने कहा कि सिलाई का काम सीखने के साथ-साथ कौशल विकास का कोर्स भी ये बेटियां कर रही हैं. पीएम ने आशा और विश्वास से भरी इन बेटियों को उनके उज्ज्वल भविष्य की शुभकामनाएं दीं.
-पीएम ने योग दिवस की भी चर्चा की. उन्होंने कहा कि संपूर्ण विश्व के लिए 21 जून अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के रूप में मनाया जाता है. ये सर्व-स्वीकृत हो चुका है. महीनों पहले इसकी तैयारियां शुरू हो जाती हैं. योगा फॉर यूनिटी और हार्मोनियस सोसाइटी का ये वो संदेश है, जो विश्व ने पिछले कुछ वर्षों से बार-बार अनुभव किया है. संस्कृत के महान कवि भर्तृहरि ने सदियों पहले अपने शतकत्रयम् में लिखा था.
-विश्व पर्यावरण दिवस की चर्चा करते हुए नरेंद्र मोदी ने कहा कि 5 जून को भारत आधिकारिक तौर पर वर्ल्ड एनवायरनमेंट डे को होस्ट करेगा. यह दर्शाता है कि जलवायु परिवर्तन से निबटने में विश्व में भारत के बढ़ते नेतृत्व को स्वीकृति मिल रही है. इस बार की थीम ‘बीट प्लास्टिक पॉल्यूशन’ है. उन्होंने कहा कि इस अभियान को सफल बनाने के लिए लोग वर्ल्ड एनवायरनमेंट डे की वेबसाइट wed-india2018 पर जरूर जायें. वहां ढेर सारे सुझाव बड़े ही रोचक ढंग से दिये गये हैं. उसके बारे में जानें और उन्हें रोजमर्रा के जीवन में उतारने का प्रयास करें.
-पर्यावरण के प्रति भारत की संवेदना के बारे में प्रधानमंत्री ने कहा, ‘हमारी संस्कृति, हमारी परंपरा ने हमें प्रकृति के साथ संघर्ष करना नहीं सिखाया. हमें प्रकृति के साथ सद्भाव से रहना है, प्रकृति के साथ जुड़के रहना है. गांधी जी ने तो जीवन भर हर कदम इस बात की वकालत की थी.’
-छवि यादव ने फोन कर पारंपरिक खेलों के खत्म होने पर चिंता जतायी. इस पर पीएम ने कहा, ‘कई खेल हमें समाज, पर्यावरण आदि के बारे में भी जागरूक करते हैं. कभी-कभी चिंता होती है कि कहीं ये खेल खो न जाएं. और तब सिर्फ खेल ही नहीं खो जायेगा, बचपन ही कहीं खो जायेगा और फिर उस कविताओं को हम सुनते रहेंगे. इस गीत को हम सुनते रहेंगे : ये दौलत भी ले लो, ये शोहरत भी ले लो, भले छीन लो मुझसे मेरी जवानी, मगर मुझको लौटा दो बचपन के वो दिन, वो कागज की कश्ती वो बारिश का पानी.
-जीवन में खेल और फिटनेस के महत्व के बारे में भी प्रधानमंत्री ने बात की. उन्होंने कहा कि हम जितना खेलेंगे, उतना ही देश खेलेगा. आज सोशल मीडिया पर लोग फिटनेस चैलेंज के वीडियो शेयर कर रहे हैं. उसमें एक-दूसरे को टैग कर उन्हें चुनौती पेश कर रहे हैं. पीएम ने कहा कि आज हर कोई फिट इंडिया अभियान से जुड़ रहा है. उन्होंने कहा कि फिल्म से जुड़े लोग हों, स्पोर्ट्स से जुड़े लोग हों या देश के आम-जन. सेना के जवान हों, स्कूल के टीचर हों, चारों तरफ से एक ही गूंज सुनाई दे रही है : ‘हम फिट, तो इंडिया फिट’.
-प्रधानमंत्री ने अपने मन की बात की शुरुआत भारत की 6 बेटियों के साहसिक अभियान से की. उन्होंने कहा कि 6 बेटियां 250 से भी ज्यादा दिन ‘नाविका सागर परिक्रमा’ को INSV तारिणी में पूरी दुनिया की सैर कर 21 मई को भारत लौटीं. उन्होंने बेटियों के एडवेंचर के प्रति लगाव और उनके साहस के लिए उन्हें सलाम किया. उन्होंने कहा कि इन बेटियों ने साबित किया कि भारत और भारतीय नौसेना का गौरव दुनिया भर में बढ़ाने में भारत की बेटियां भी पीछे नहीं हैं.
-प्रधानमंत्री ने महाराष्ट्र के चंद्रपुर स्थित आश्रम स्कूल के 5 आदिवासी छात्रों द्वारा हिमालय की चढ़ाई करने के लिए उनकी प्रशंसा की. पीएम ने कहा कि सदियों से एवरेस्ट की चोटियां मानव जाति को चुनौती दे रही थी. लेकिन, साहसी लोगों ने एवरेस्ट की चुनौती को स्वीकार किया और उसके शिखर तक की चढ़ाई की. प्रधानमंत्री ने चंद्रपुर के इन पांच बच्चों मनीषा धुर्वे, प्रमेश आले, उमाकांत माधवी, कविदास कोटमोडे और विकास सोयम को दुनिया की सबसे ऊंची चोटी की चढ़ाई पूरी करने के लिए बधाई दी.
-प्रधानमंत्री ने कहा कि कुछ कर गुजरने का इरादा, लीक से हटकर कुछ अतिविशिष्ट करने की बात करने वाले लोग भले ही कम हों, लेकिन ऐसे लोग प्रेरणास्रोत होते हैं. उन्होंने कहा कि पिछले दिनों ‘स्वच्छ गंगा अभियान’ के तहत सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के एक ग्रुप ने ऐवरेस्ट की चढ़ाई की और वहां से ढ़ेर सारा कूड़ा अपने साथ नीचे लायी. यह कार्य प्रशंसनीय तो है ही, स्वच्छता के प्रति, पर्यावरण के प्रति उनकी प्रतिबद्धता को भी दर्शाता है.
-कई बार चाय बेचने वाले के बेटा के रूप में अपना परिचय देने वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ओड़िशा के कटक शहर में चाय बेचकर पिछड़े लोगों के जीवन में बदलाव लाने वाले डी प्रकाश राव की भी चर्चा की. पीएम ने कहा कि कुछ लोग अपने कार्यों से, अपनी मेहनत और लगन से बदलाव लाने की दिशा में आगे बढ़ते हैं, उसे हकीकत का रूप देते हैं. ऐसी ही कहानी ओड़िशा के कटक शहर के डी प्रकाश राव की है.
-पीएम ने देश को बताया कि डी प्रकाश राव पांच दशक से शहर में चाय बेच रहे हैं. 70 से अधिक बच्चों के जीवन में शिक्षा का उजियारा भर रहे हैं. उन्होंने झुग्गी-बस्तियों में रहने वाले बच्चों के लिए ‘आशा आश्वासन’ नामक स्कूल चलाते हैं. राव अपनी आय का 50 फीसदी धन उस स्कूल में पढ़ रहे बच्चों की शिक्षा पर खर्च करते हैं. स्कूल में आने वाले सभी बच्चों को शिक्षा, स्वास्थ्य और भोजन की पूरी व्यवस्था श्री राव करते हैं.
-प्रधानमंत्री ने देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू और वीर सावरकर को एक साथ याद किया. उन्होंने कहा : आज 27 मई है. भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू जी की पुण्यतिथि है. मैं पंडित जी को प्रणाम करता हूं. इस मई महीने की याद एक और बात से भी जुड़ी है. वो है वीर सावरकर.’ पीएम ने कहा कि वीर सावरकर ने 1857 में जो कुछ भी हुआ, उसके बारे में पूरी मजबूती के साथ लिखा. उन्होंने कहा कि 1857 में जो कुछ भी हुआ, वो विद्रोह नहीं था, बल्कि आजादी की पहली लड़ाई की शुरुआत थी.
-मोदी ने इस अवसर पर बताया कि देश के पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी ने एक बार अपने भाषण में वीर सावरकर को इस तरह से संबोधित किया था : सावरकर मतलब प्रतिभा, सावरकर मतलब त्याग, सावरकर मतलब तपस्वी, सावरकर मतलब तर्क, सावरकर मतलब युवा, सावरकर मतलब तीर, सावरकर मतलब तलवार.
-राजस्थान के सीकर की बस्तियों की उन बेटियों की भी चर्चा पीएम ने मन की बात में की, जो आत्मनिर्भर बन गयी हैं. उन्होंने कहा कि सिलाई का काम सीखने के साथ-साथ कौशल विकास का कोर्स भी ये बेटियां कर रही हैं. पीएम ने आशा और विश्वास से भरी इन बेटियों को उनके उज्ज्वल भविष्य की शुभकामनाएं दीं.
-पीएम ने योग दिवस की भी चर्चा की. उन्होंने कहा कि संपूर्ण विश्व के लिए 21 जून अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के रूप में मनाया जाता है. ये सर्व-स्वीकृत हो चुका है. महीनों पहले इसकी तैयारियां शुरू हो जाती हैं. योगा फॉर यूनिटी और हार्मोनियस सोसाइटी का ये वो संदेश है, जो विश्व ने पिछले कुछ वर्षों से बार-बार अनुभव किया है. संस्कृत के महान कवि भर्तृहरि ने सदियों पहले अपने शतकत्रयम् में लिखा था.
-विश्व पर्यावरण दिवस की चर्चा करते हुए नरेंद्र मोदी ने कहा कि 5 जून को भारत आधिकारिक तौर पर वर्ल्ड एनवायरनमेंट डे को होस्ट करेगा. यह दर्शाता है कि जलवायु परिवर्तन से निबटने में विश्व में भारत के बढ़ते नेतृत्व को स्वीकृति मिल रही है. इस बार की थीम ‘बीट प्लास्टिक पॉल्यूशन’ है. उन्होंने कहा कि इस अभियान को सफल बनाने के लिए लोग वर्ल्ड एनवायरनमेंट डे की वेबसाइट wed-india2018 पर जरूर जायें. वहां ढेर सारे सुझाव बड़े ही रोचक ढंग से दिये गये हैं. उसके बारे में जानें और उन्हें रोजमर्रा के जीवन में उतारने का प्रयास करें.
-पर्यावरण के प्रति भारत की संवेदना के बारे में प्रधानमंत्री ने कहा, ‘हमारी संस्कृति, हमारी परंपरा ने हमें प्रकृति के साथ संघर्ष करना नहीं सिखाया. हमें प्रकृति के साथ सद्भाव से रहना है, प्रकृति के साथ जुड़के रहना है. गांधी जी ने तो जीवन भर हर कदम इस बात की वकालत की थी.’
-छवि यादव ने फोन कर पारंपरिक खेलों के खत्म होने पर चिंता जतायी. इस पर पीएम ने कहा, ‘कई खेल हमें समाज, पर्यावरण आदि के बारे में भी जागरूक करते हैं. कभी-कभी चिंता होती है कि कहीं ये खेल खो न जाएं. और तब सिर्फ खेल ही नहीं खो जायेगा, बचपन ही कहीं खो जायेगा और फिर उस कविताओं को हम सुनते रहेंगे. इस गीत को हम सुनते रहेंगे : ये दौलत भी ले लो, ये शोहरत भी ले लो, भले छीन लो मुझसे मेरी जवानी, मगर मुझको लौटा दो बचपन के वो दिन, वो कागज की कश्ती वो बारिश का पानी.
-जीवन में खेल और फिटनेस के महत्व के बारे में भी प्रधानमंत्री ने बात की. उन्होंने कहा कि हम जितना खेलेंगे, उतना ही देश खेलेगा. आज सोशल मीडिया पर लोग फिटनेस चैलेंज के वीडियो शेयर कर रहे हैं. उसमें एक-दूसरे को टैग कर उन्हें चुनौती पेश कर रहे हैं. पीएम ने कहा कि आज हर कोई फिट इंडिया अभियान से जुड़ रहा है. उन्होंने कहा कि फिल्म से जुड़े लोग हों, स्पोर्ट्स से जुड़े लोग हों या देश के आम-जन. सेना के जवान हों, स्कूल के टीचर हों, चारों तरफ से एक ही गूंज सुनाई दे रही है : ‘हम फिट, तो इंडिया फिट’.
-प्रधानमंत्री ने अपने मन की बात की शुरुआत भारत की 6 बेटियों के साहसिक अभियान से की. उन्होंने कहा कि 6 बेटियां 250 से भी ज्यादा दिन ‘नाविका सागर परिक्रमा’ को INSV तारिणी में पूरी दुनिया की सैर कर 21 मई को भारत लौटीं. उन्होंने बेटियों के एडवेंचर के प्रति लगाव और उनके साहस के लिए उन्हें सलाम किया. उन्होंने कहा कि इन बेटियों ने साबित किया कि भारत और भारतीय नौसेना का गौरव दुनिया भर में बढ़ाने में भारत की बेटियां भी पीछे नहीं हैं.
-प्रधानमंत्री ने महाराष्ट्र के चंद्रपुर स्थित आश्रम स्कूल के 5 आदिवासी छात्रों द्वारा हिमालय की चढ़ाई करने के लिए उनकी प्रशंसा की. पीएम ने कहा कि सदियों से एवरेस्ट की चोटियां मानव जाति को चुनौती दे रही थी. लेकिन, साहसी लोगों ने एवरेस्ट की चुनौती को स्वीकार किया और उसके शिखर तक की चढ़ाई की. प्रधानमंत्री ने चंद्रपुर के इन पांच बच्चों मनीषा धुर्वे, प्रमेश आले, उमाकांत माधवी, कविदास कोटमोडे और विकास सोयम को दुनिया की सबसे ऊंची चोटी की चढ़ाई पूरी करने के लिए बधाई दी.
-प्रधानमंत्री ने कहा कि कुछ कर गुजरने का इरादा, लीक से हटकर कुछ अतिविशिष्ट करने की बात करने वाले लोग भले ही कम हों, लेकिन ऐसे लोग प्रेरणास्रोत होते हैं. उन्होंने कहा कि पिछले दिनों ‘स्वच्छ गंगा अभियान’ के तहत सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के एक ग्रुप ने ऐवरेस्ट की चढ़ाई की और वहां से ढ़ेर सारा कूड़ा अपने साथ नीचे लायी. यह कार्य प्रशंसनीय तो है ही, स्वच्छता के प्रति, पर्यावरण के प्रति उनकी प्रतिबद्धता को भी दर्शाता है.
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