भाजपा इन दिनों आपसी गुटबाजी और खींचतान की दौर से गुजर रही है। भाजपा प्रदेशाध्यक्ष को लेकर अमित शाह और वसुंधरा के बीच सियासत जारी है। वहीं अब पार्टी के विधायकों के बीच ठन रहे नए विवाद के बाद पार्टी मुश्किलों का सामना कर रही है...।
जयपुर । राज्य में विधानसभा चुनाव इस साल के अंत में हैं और पार्टी आपसी गुटबाजी और खींचतान की दौर से गुजर रही है। भाजपा प्रदेशाध्यक्ष के मामले में पार्टी अध्यक्ष अमित शाह और प्रदेश की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के बीच सियासती तनातनी से पूरे संगठन में पहले खलबली मची पड़ी है। वहीं, अब पार्टी के दूसरे कई विधायकों के बीच खड़े हो रहे विवाद पार्टी को नई मुसीबत में डालते जा रहे हैं।
भाजपा प्रदेशाध्यक्ष को लेकर शाह और वसुंधरा के बीच चल रही खेमेबंदी की राजनीति से पार्टी के कामकाज और रणनीति पर तो असर पड़ ही रहा है, साथ ही पार्टी की छवि पर भी असर पड़ रहा है। प्रदेशाध्यक्ष को लेकर अब तक हुई वार्ता अंतिम क्षण में अड़ा-अड़ी पर ही आकर खत्म हो जा रही है। प्रदेशाध्यक्ष के मामले में शाह और वसुंधरा अपनी पसंद से कम पर समझौता करने को तैयार नहीं हो रहे हैं। जानकारों का कहना है कि इसका असर आगामी चुनाव पर भी पड़ सकता है। वहीं, पार्टी के अन्य कई नेता भी आपस में उलझने से गुरेज नहीं कर रहे हैं।
पहले एक कार्यक्रम के दौरान कोटा में विधायक प्रहलाद गुंजल और चंद्रकांता के बीच विवाद सामने आया था. वहीं अब किरोड़ी लाल मीणा और ओमप्रकाश हुड़ला के बीच का विवाद पार्टी आलाकमान के पास पहुंच गया है। एक के बाद एक विधायकों के आपसी विवाद सामने आने से पार्टी को मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। जानकारों का कहना है कि आए दिन सार्वजनिक मंच पर विधायकों के आरोप-प्रत्यारोप होने से पार्टी को नुकसान उठाना पड़ सकता है। वहीं, भाजपा के इस कलह को कांग्रेस मुद्दा बनाकर उसे कैश करने की जुगत में है।
मंच पर हुई टिप्पणी से बढ़ा विवाद
कोटा में 12 मई को कलेक्ट्रेट में विकास कार्यों को लेकर चर्चा हो रही थी। तभी विधायक भवानी सिंह राजावत ने कहा कि बंधा धर्मपुरा में एनएच 76 के पास अंडरपास की उपयोगिता नहीं है। इस पर विधायक गुंजल ने कहा कि जब मुख्यमंत्री की बजट घोषणा का ही क्रियान्वयन नहीं तो फिर घोषणा का क्या मतलब। इसी बीच विधायक चंद्रकांता मेघवाल ने कहा कि मोड़क में अंडरपास की जरूरत है। जहां जरूरत है वहां नहीं बन रहा जहां नहीं है वहां बन रहा। इस पर गुंजल भड़क गए और दोनों में बहस होगी। बात इतनी बढ़ गई कि गुंजल ने विधायक चंद्रकांता को दो कौड़ी का विधायक तक बोल दिया। इसके बाद विधायक चंद्रकांता ने वरिष्ठ पदाधिकारियों के ईमेल भेजकर घटना की जानकारी दी थी।
अब किरोड़ी और हुड़ला में ठनी
किरोड़ी लाल मीणा के भाजपा में वापस आने के बाद से उनके और ओमप्रकाश हुड़ला के बीच का विवाद फिर गरमा गया है। दोनो के बीच प्रभुत्व की लड़ाई 4 साल पहले शुरू हुई थी। जो पिछले दिनों किरोड़ी के भाजपा में आने के बाद और तेज हो गई। वर्ष 2013 के चुनाव में हुड़ला भाजपा से विधायक बने थे। वहीं पार्टी ने उन्हें संसदीय सचिव बनाया था। उस समय किरोड़ी अलग पार्टी बनाकर चुनाव लड़ रहे थे। इस दौरान दोनों की लड़ाई खुलकर सामने आ गई थी। अब किरोड़ी के भाजपा में आ जाने से हुड़ला कैम्प बैचेन नजर आ रहा है। हुड़ला द्वारा की जा रही बयानबाजी से पार्टी नेता परेशान हैं। तो वहीं किरोड़ी ने भी खुद पर की गई असहज टिप्पणियों के चलते हुड़ला की शिकायत आलाकमान से कर दी है। इससे पहले वह सीएम राजे को भी मामला बता चुके है।
जयपुर । राज्य में विधानसभा चुनाव इस साल के अंत में हैं और पार्टी आपसी गुटबाजी और खींचतान की दौर से गुजर रही है। भाजपा प्रदेशाध्यक्ष के मामले में पार्टी अध्यक्ष अमित शाह और प्रदेश की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के बीच सियासती तनातनी से पूरे संगठन में पहले खलबली मची पड़ी है। वहीं, अब पार्टी के दूसरे कई विधायकों के बीच खड़े हो रहे विवाद पार्टी को नई मुसीबत में डालते जा रहे हैं।
भाजपा प्रदेशाध्यक्ष को लेकर शाह और वसुंधरा के बीच चल रही खेमेबंदी की राजनीति से पार्टी के कामकाज और रणनीति पर तो असर पड़ ही रहा है, साथ ही पार्टी की छवि पर भी असर पड़ रहा है। प्रदेशाध्यक्ष को लेकर अब तक हुई वार्ता अंतिम क्षण में अड़ा-अड़ी पर ही आकर खत्म हो जा रही है। प्रदेशाध्यक्ष के मामले में शाह और वसुंधरा अपनी पसंद से कम पर समझौता करने को तैयार नहीं हो रहे हैं। जानकारों का कहना है कि इसका असर आगामी चुनाव पर भी पड़ सकता है। वहीं, पार्टी के अन्य कई नेता भी आपस में उलझने से गुरेज नहीं कर रहे हैं।
पहले एक कार्यक्रम के दौरान कोटा में विधायक प्रहलाद गुंजल और चंद्रकांता के बीच विवाद सामने आया था. वहीं अब किरोड़ी लाल मीणा और ओमप्रकाश हुड़ला के बीच का विवाद पार्टी आलाकमान के पास पहुंच गया है। एक के बाद एक विधायकों के आपसी विवाद सामने आने से पार्टी को मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। जानकारों का कहना है कि आए दिन सार्वजनिक मंच पर विधायकों के आरोप-प्रत्यारोप होने से पार्टी को नुकसान उठाना पड़ सकता है। वहीं, भाजपा के इस कलह को कांग्रेस मुद्दा बनाकर उसे कैश करने की जुगत में है।
मंच पर हुई टिप्पणी से बढ़ा विवाद
कोटा में 12 मई को कलेक्ट्रेट में विकास कार्यों को लेकर चर्चा हो रही थी। तभी विधायक भवानी सिंह राजावत ने कहा कि बंधा धर्मपुरा में एनएच 76 के पास अंडरपास की उपयोगिता नहीं है। इस पर विधायक गुंजल ने कहा कि जब मुख्यमंत्री की बजट घोषणा का ही क्रियान्वयन नहीं तो फिर घोषणा का क्या मतलब। इसी बीच विधायक चंद्रकांता मेघवाल ने कहा कि मोड़क में अंडरपास की जरूरत है। जहां जरूरत है वहां नहीं बन रहा जहां नहीं है वहां बन रहा। इस पर गुंजल भड़क गए और दोनों में बहस होगी। बात इतनी बढ़ गई कि गुंजल ने विधायक चंद्रकांता को दो कौड़ी का विधायक तक बोल दिया। इसके बाद विधायक चंद्रकांता ने वरिष्ठ पदाधिकारियों के ईमेल भेजकर घटना की जानकारी दी थी।
अब किरोड़ी और हुड़ला में ठनी
किरोड़ी लाल मीणा के भाजपा में वापस आने के बाद से उनके और ओमप्रकाश हुड़ला के बीच का विवाद फिर गरमा गया है। दोनो के बीच प्रभुत्व की लड़ाई 4 साल पहले शुरू हुई थी। जो पिछले दिनों किरोड़ी के भाजपा में आने के बाद और तेज हो गई। वर्ष 2013 के चुनाव में हुड़ला भाजपा से विधायक बने थे। वहीं पार्टी ने उन्हें संसदीय सचिव बनाया था। उस समय किरोड़ी अलग पार्टी बनाकर चुनाव लड़ रहे थे। इस दौरान दोनों की लड़ाई खुलकर सामने आ गई थी। अब किरोड़ी के भाजपा में आ जाने से हुड़ला कैम्प बैचेन नजर आ रहा है। हुड़ला द्वारा की जा रही बयानबाजी से पार्टी नेता परेशान हैं। तो वहीं किरोड़ी ने भी खुद पर की गई असहज टिप्पणियों के चलते हुड़ला की शिकायत आलाकमान से कर दी है। इससे पहले वह सीएम राजे को भी मामला बता चुके है।

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