शुक्रवार, 25 मई 2018

मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे का कर्जा माफी बनी फांस

पिछले साल सितंबर में राजस्थान की वसुंधरा राजे सरकार ने बजट में किसानों का कर्जा माफ करने की घोषणा की थी। तब राज्य में किसान आंदोलन उफान पर था। उससे निपटने के लिए मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने वो एलान किया। बाद में मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने 12 फरवरी को अपनी सरकार के अंतिम बजट में किसानों का 50 हजार रुपये तक का कर्ज माफ करने की घोषणा की। लेकिन इस पर अमल करने में अब सरकार को भारी मुश्किल हो रही है। वजह यह है कि सरकार ये अमल करने के लिए 8 हजार करोड़ रुपये चाहिए। पहले से ही तंगहाली से जूझ रहे इस राज्य की सरकार के लिए इतनी बड़ी रकम जुटाना टेढ़ी खीर साबित हो रहा है। खबरों के मुताबिक वित्त विभाग ने बमुश्किल दो हजार करोड़ रुपये का भार उठाने की हामी भरी है।

सरकार बाकी छह हजार करोड़ रुपये का इंतजाम अपेक्स बैंक (प्रदेश के बड़े कोऑपरेटिव बैंक) के जरिए करने की जद्दोजहद कर रही है। लेकिन खुद उसकी माली हालत खस्ता है। बैंक के पास न तो इतनी जमा पूंजी है और न ही उसे कहीं से कर्ज मिल रहा है। सरकार को पहले उम्मीद थी कि अपेक्स बैंक को राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) और राष्ट्रीय सहकारी विकास निगम (एनसीडीसी) आसानी से कर्ज मिल जाएगा। लेकिन मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक किसानों की कर्ज माफी के लिए ये दोनों उधार देने को तैयार नहीं हैं। सरकार की मुश्किल यह है कि वह किसानों को एक जून से कर्ज माफी के प्रमाण-पत्र बांटने का एलान कर चुकी है।

इसके लिए सरकार की गांवों में जलसे आयोजित करने की मंशा है। क्या किसानों की कर्ज माफी के लिए जरूरी रकम अब सरकार इतनी कम अवधि में जुटा पाएगी? गौरतलब है कि राष्ट्रीयकृत बैंक भी किसानों की कर्ज माफी की मद में कर्ज देने के लिए तैयार नहीं हैं। पर्यवेक्षकों का कहना है कि अपेक्स बैंक को कर्ज मिल भी गया तो उसका बुरा असर होगा। उससे बैंक का आर्थिक ढांचा चरमरा जाएगा। उसे खुद पिछले साल की रबी फसल के लिए नाबार्ड से लिए गए छह हजार करोड़ रुपये के कर्ज को इस जून तक चुकाना है। फिर खरीफ की बुआई के लिए किसानों को लगभग 10 हजार करोड़ रुपये का कर्ज भी बांटना है। बहरहाल, किसी राज्य के लिए इससे ज्यादा खराब स्थिति और क्या होगी कि उसके गारंटी देने के बाद भी कोई उसे कर्ज ना दे रहा हो। 

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