बुधवार, 9 मई 2018

अब पूर्व प्रधानमंत्रियों का क्या होगा ?

उत्तर प्रदेश में करीब 20 साल पहले कानून बना था कि पूर्व मुख्यमंत्रियों को जीवन भर सरकार बंगला मिलेगा। इसे सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया है। सर्वोच्च अदालत ने कहा है कि पद से हटने के बाद मुख्यमंत्री सामान्य नागरिक होते हैं इसलिए उन्हें विशेष सुविधा नहीं दी जा सकती है। सो, सवाल है कि प्रधानमंत्री अपने पद से हटने के बाद सामान्य व्यक्ति होते हैं या नहीं? अगर मुख्यमंत्री की तरह प्रधानमंत्री भी पद से हटने के बाद सामान्य व्यक्ति हो जाते हैं तो उन्हें क्यों दिल्ली में आजीवन सरकारी बंगला मिलेगा?

पूर्व प्रधानमंत्रियों, पूर्व राष्ट्रपतियों और पूर्व उप राष्ट्रपतियों को रिटायर होने के बाद जीवन भर सरकारी बंगला, सुरक्षा और डायरेक्टर स्तर का एक अधिकारी निजी सहायक के तौर पर देने का कानून है। इतना ही नहीं उनके निधन के बाद अगर उनके जीवनसाथी को भी यह सुविधा मिलेगी। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी, मनमोहन सिंह और एचडी देवगौड़ा को इस कानून के तहत कैबिनेट मंत्री वाली लगभग सारी सुविधाएं मिली हुई हैं। सोनिया गांधी को पूर्व प्रधानमंत्री की पत्नी के नाते पूर्व प्रधानमंत्री वाला समूचा प्रोटोकॉल मिलता है। हालांकि वीपी सिंह की पत्नी सीता सिंह ने अपने लिए ऐसा सुविधा नहीं ली है।

पूर्व राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल ने दिल्ली की बजाय अपने लिए महाराष्ट्र में ही बंगला लिया। पूर्व उप राष्ट्रपति के नाते हामिद अंसारी को यह सुविधा मिली है तो पूर्व उप राष्ट्रपति दिवंगत कृष्णकांत की पत्नी को भी यह सुविधा मिली हुई है। तभी यह सवाल उठता है कि क्या राष्ट्रपति, उप राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री रिटायर होने के बाद आम नागरिक नहीं रह जाते हैं? या इनको इस वजह से अलग रखा जाएगा कि इनकी संख्या कम होती है और पूर्व मुख्यमंत्रियों की संख्या ज्यादा होती है? वैसे हर राज्य में पूर्व मुख्यमंत्रियों की संख्या आधा दर्जन से ज्यादा नहीं होती है। बहरहाल, आने वाले दिनों में इस पर भी निश्चित रूप से बहस होगी। 

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