गुरुवार, 24 मई 2018

कुमारस्वामी के शपथ ग्रहण समारोह में विपक्ष की एकजुटता का शक्ति प्रदर्शन

जी. परमेश्वर ने ली उपमुख्यमंत्री पद की शपथ. शपथ ग्रहण समारोह में विपक्ष के कई नेता और कई राज्यों के मुख्यमंत्री भी शामिल हुए.

बेंगलुरु: कर्नाटक में बुधवार को जेडीएस और कांग्रेस गठबंधन के नेता एचडी कुमारस्वामी ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली. राज्यपाल वजुभाई वाला ने बेंगलुरु स्थित विधान सौध परिसर में एक भव्य समारोह में कुमारस्वामी को पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलाई.  कांग्रेस के जी. परमेश्वर ने भी उपमुख्यमंत्री पद की शपथ ली.

25 मई को कुमारस्वामी सरकार के विश्वासमत जीतने के बाद मंत्रिपरिषद में अन्य सदस्य शामिल किए जाएंगे. पारंपरिक धोती और सफेद कमीज़ पहने कुमारस्वामी ने ईश्वर और ‘कन्नड़ नाडू’ के लोगों के नाम पर शपथ ली.

कर्नाटक विधानसभा में हुए शपथ ग्रहण समारोह के दौरान मंच पर विपक्षी एकजुटता की झलक भी दिखी. मंच पर संप्रग प्रमुख सोनिया गांधी, कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी, पूर्व प्रधानमंत्री और एचडी कुमारस्वामी के पिता एचडी देवेगौड़ा, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, केरल के मुख्यमंत्री पिनारई विजयन, आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन. चंद्रबाबू नायडू, उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव, माकपा नेता सीताराम येचुरी और बसपा प्रमुख मायवती भी दिखीं.

इनके अलावा बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव, रालोद प्रमुख अजीत सिंह, आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू, भाकपा के डी. राजा, समाजवादी नेता शरद यादव और राकांपा प्रमुख शरद पवार भी नजर आए.


कुमारस्वामी के शपथ ग्रहण समारोह में कई विपक्षी नेताओं और मुख्यमंत्रियों की उपस्थिति को ऐसे घटनाक्रम के रूप में देखा जा रहा है जो अगले लोकसभा चुनावों से पहले भाजपा विरोधी मंच की बुनियाद रख सकता है.

बहरहाल, कुमारस्वामी एक हफ्ते के अंदर कर्नाटक में शपथ लेने वाले दूसरे मुख्यमंत्री हैं. दरअसल, भाजपा के प्रदेश प्रमुख बीएस येदियुरप्पा ने 19 मई को शक्ति परीक्षण का सामना किए बगैर इस्तीफा दे दिया था.

भाजपा ने शपथग्रहण समारोह का बहिष्कार किया और ‘काला दिवस’ मनाया. इस दौरान नए गठबंधन के खिलाफ राज्यव्यापी प्रदर्शन किए गए जिसे पार्टी ने ‘अपवित्र’ बताया है.

कुमारस्वामी का यह दूसरा कार्यकाल है. इससे पहले उन्होंने फरवरी 2006 से अक्टूबर 2007 के बीच 20 महीनों तक जेडीएस-भाजपा गठबंधन सरकार का नेतृत्व किया था. कुमारस्वामी ने स्वीकार किया है कि अगले पांच साल कांग्रेस-जेडीएस गठबंधन की सरकार चलाना उनके लिए ‘बड़ी चुनौती’ रहेगी.

गौरतलब है कि 224 सदस्यीय विधानसभा की प्रभावी क्षमता फिलहाल 221 सदस्यों की है. विधानसभा चुनाव में भाजपा 104 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी थी.

बीजद शपथ ग्रहण में नहीं हुई शामिल
भुवनेश्वर: बीजू जनता दल के एक नेता ने कहा कि ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक आज कर्नाटक में एचडी कुमारस्वामी के मुख्यमंत्री पद के शपथग्रहण समारोह में शामिल नहीं हुए क्योंकि पार्टी कांग्रेस और भाजपा दोनों से ही समान दूरी बनाए हुए है.

बीजद के महासचिव अरुण कुमार साहू ने कहा, ‘यह साफ है कि बीजद पूरी तरह से क्षेत्रीय दल है जिसका कांग्रेस और भाजपा जैसे राष्ट्रीय दलों से कोई लेना देना नहीं है.’

साहू ने पटनायक के समारोह में शामिन ना होने पर कहा, ‘पिछले 18 सालों से मुख्यमंत्री किसी भी दूसरे राज्य में शपथ ग्रहण समारोह में शामिल नहीं हुए हैं. वह बीजद द्वारा शुरू किए गए ‘महानदी बचाओ’ अभियान के दूसरे चरण और साथ ही राज्य सरकार के ‘अमा गांव अमा विकास’ कार्यक्रम में व्यस्त हैं.’

साहू ने उन सवालों का जवाब नहीं दिया कि पार्टी के किसी प्रतिनिधि को शपथ ग्रहण समारोह में भेजा गया या नहीं.

बीजद सूत्रों ने कहा कि पटनायक के पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवगौड़ा के परिवार के साथ ‘काफी अच्छे संबंध’ हैं, लेकिन उन्होंने शपथ ग्रहण समारोह में ना जाने को तरजीह दी ताकि वह कांग्रेस नेताओं सोनिया गांधी एवं राहुल गांधी के साथ ना दिखें.

गठबंधन सरकार में सीमाएं होंगी: कुमारस्वामी
कर्नाटक के मुख्यमत्री पद की शपथ लेने से पहले एचडी कुमारस्वामी ने कहा कि गठबंधन सरकार में कुछ सीमाएं होंगी और उन्हें अपने गठबंधन घटक कांग्रेस की सहमति लेनी होगी.

जेडीएस नेता ने दोहराया कि राज्य की अर्थव्यवस्था सुधरने के बाद वह कृषि ऋण माफ कर देंगे.

चामुंडा हिल पर देवी चामुंडेश्वरी की पूजा-अर्चना करने के उपरांत मैसुरु में उन्होंने संवाददाताओं से कहा, ‘गठबंधन सरकार के मुखिया के नाते मेरी सीमाएं हैं. मुझे अपने गठबंधन घटकों को विश्वास में लेना होगा.’


उन्होंने कहा, ‘अपने चुनाव घोषणापत्र में कांग्रेस के अपने भी कार्यक्रम हैं. हमें दोनों दलों के कार्यक्रम तैयार करने हैं और राज्य की अर्थव्यवस्था सुधरने के बाद हम कृषि ऋण माफ कर देंगे. मेरे पीछे हटने का सवाल ही नहीं है.’

उन्होंने कहा कि यह सच नहीं है कि नई सरकार किसानों का ऋण माफ करने पर पलट गई है. पार्टी के घोषणापत्र में किए गए वादों में कोई बदलाव नहीं किया गया है.

कुमारस्वामी ने यह कहते हुए लोगों से जाति के प्रति आसक्ति त्यागने की अपील की कि ‘मेरा केवल किसी एक जाति से नहीं बल्कि राज्य के 6.5 करोड़ लोगों से संबंध है.’

दलित चेहरे परमेश्वर बने उपमुख्यमंत्री
कर्नाटक में कांग्रेस के दलित चेहरे और प्रदेश इकाई के प्रमुख जी. परमेश्वर को आखिरकार उपमुख्यमंत्री का पद मिल गया जिसके वह लंबे समय से दावेदार थे. अक्टूबर 2010 से कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष के रूप में सबसे लंबे समय से सेवारत परमेश्वर कांग्रेस से जुड़ने के समय से ही पार्टी के प्रति हमेशा वफादार रहे हैं.

संपन्न परिवार में जन्मे शिक्षाविद, स्पष्टवादी, मृदुभाषी और शिष्ट छवि वाले परमेश्वर ने राजनीति में प्रसिद्धि पाने से पहले विभिन्न क्षेत्रों में काम किया.

वैटे एग्रीकल्चर रिसर्च सेंटर ऑफ यूनिवर्सिटी ऑफ एडिलेड से पादप क्रियाविज्ञान में पीएचडी करने वाले परमेश्वर श्री सिद्धार्थ प्रौद्योगिकी संस्थान में प्रशासनिक अधिकारी बने. यह उनके परिवार द्वारा बनाई गई संस्थाओं के समूह से संबद्ध है.

उन्होंने बेंगलुरु स्थित कृषि विज्ञान विश्वविद्यालय से कृषि में बीएससी और एमएससी की पढ़ाई की.

राजीव गांधी के साथ 1989 में हुई मुलाकात ने उनकी किस्मत बदल दी. राजीव गांधी ने परमेश्वर के भीतर संभावना देखी थी और उन्हें राजनीति में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया था. इसके बाद परमेश्वर उनसे मिलने दिल्ली गए थे.

उन्हें तब कर्नाटक प्रदेश कांग्रेस का संयुक्त सचिव बनाया गया था. परमेश्वर कांग्रेस के प्रति वफादारी के मामले में हमेशा अडिग रहे, यहां तक कि तब भी जब पार्टी खराब समय से गुजर रही थी.


वर्ष 1989 में ही उन्होंने चुनावी राजनीति में किस्मत आज़माई और मधुगिरि में जनता दल के अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी को हरा दिया. परमेश्वर ने वर्ष 1999 के विधानसभा चुनाव में मधुगिरि से अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी को 55,802 मतों के बड़े अंतर से हराया था.

वर्ष 1999 में वह पहली बार मंत्री बने और एसएम कृष्णा सरकार में उन्हें उच्च शिक्षा तथा विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) का पद मिला.

तीन साल बाद उन्हें पदोन्नत कर कैबिनेट मंत्री बना दिया गया. दिसंबर 2003 में वह सूचना एवं प्रचार मंत्री बने. वर्ष 2008 में उन्होंने अपना निर्वाचन क्षेत्र बदल लिया और तुमकुरु जिले में कोरटागेरे से चुनाव लड़ा.

पांच बार विधायक रहे परमेश्वर 2013 में तब विधानसभा चुनाव हार गए जब वह कर्नाटक प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष थे. तब वह मुख्यमंत्री पद के दावेदार थे. चुनाव हारने के बावजूद उन्हें विधान परिषद सदस्य बनाया गया और सिद्धरमैया सरकार में मंत्री पद भी दिया गया.
हालिया विधानसभा चुनाव में वह कोरटागेरे से फिर चुनाव जीत गए.

राज्य में जेडीएस-कांग्रेस गठबंधन होने के बीच परमेश्वर ने कहा कि गठबंधन के लिए आगे समय कठिन है, लेकिन भाजपा को दक्षिणी राज्य में सरकार बनाने से रोकने की आवश्यकता है.

उन्होंने कहा था कि वह उन लोगों की भावनाओं को समझते हैं जो कांग्रेस-जेडीएस गठबंधन के खिलाफ हैं, लेकिन कांग्रेस ने सांप्रदायिक ताकतों को सत्ता से दूर रखने के लिए जेडीएस को समर्थन दिया है.

ममता-नायडू ने सभी क्षेत्रीय दलों से एक साथ आने का आह्वान किया
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और आंध्र प्रदेश के उनके समकक्ष चंद्रबाबू नायडू ने बुधवार को सभी क्षेत्रीय दलों से देश में संघीय ढांचे के विकास के लिए एक साथ आने का आह्वान किया.

एचडी कुमारस्वामी नीत कांग्रेस-जेडीएस गठबंधन सरकार के शपथ ग्रहण समारेाह में शामिल होने बेंगलुरु आए दोनों नेताओं ने कहा कि वे क्षेत्रीय दलों को बढावा और उन्हें मजबूती देना चाहते हैं.

ममता और नायडू ने कहा कि वे खुश हैं कि किसी क्षेत्रीय दल के नेता ने मुख्यमंत्री का पद संभाला और जेडीएस के साथ एकजुटता दिखाने के लिए यहां आए हैं.

ममता ने संवाददाताओं से कहा, ‘हम यहां कुमारस्वामी तथा उनकी सरकार का समर्थन करने के लिए उपस्थित हुए हैं और हमें सर्वश्रेष्ठ की आशा है.’

उन्होंने कहा, ‘हम सभी क्षेत्रीय दलों के साथ संपर्क बनाकर रखेंगे ताकि हम राष्ट्र के विकास, जनता के विकास और संघीय ढांचे के विकास के लिए भी काम कर सकें.’

ममता ने कहा कि अगर राज्य मजबूत होंगे तो केंद्र भी मजबूत होगा.

ममता की टिप्पणियों के दौरान उनके साथ खड़े रहे नायडू ने क्षेत्रीय दल के नेता के कर्नाटक के मुख्यमंत्री बनने पर खुशी ज़ाहिर की.

यह पूछे जाने पर कि क्या यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी या भाजपा के खिलाफ मोर्चे के लिए एकजुट होना है, नायडू ने कहा, ‘हम और क्षेत्रीय दलों को बढावा देना चाहते हैं. हम (क्षेत्रीय दलों को) मज़बूत करना चाहते हैं. यह ममता जी और हमारी पार्टी का मिशन है तथा हम ऐसे ही काम कर रहे हैं.’


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