सोमवार, 21 मई 2018

येदियुरप्पा के इस्तीफे के पीछे साजिश

बीएस येदियुरप्पा क्या अपनी जबरदस्ती में मुख्यमंत्री बने थे और क्या नरेंद्र मोदी व अमित शाह नहीं चाहते थे कि वे बहुमत साबित करें? भाजपा के कई नेता यह थीसिस दे रहे हैं और इसके जवाब में कांग्रेस का कहना है कि सत्ता मिली नहीं इसलिए भाजपा नेता कह रहे हैं कि अंगूर खट्टे हैं! यह भी कहा जा रहा है कि मोदी और शाह को शर्मिंदगी से बचाने के लिए यह थीसिस गढ़ी गई है। भाजपा का समर्थन करने वाले कई चैनलों ने भी यह विश्लेषण चलाया कि येदियुरप्पा का बलिदान भाजपा को 2019 में जीत दिलाएगा।

तभी भाजपा के कई जानकार नेता खम ठोक कर रहे हैं कि मोदी और शाह नहीं चाह रहे थे कि सरकार बहुमत साबित करे इसलिए येदियुरप्पा ने इस्तीफा दिया। अगर ये दोनों नेता चाहते तो हर कीमत पर बहुमत का जुगाड़ होता। इसके पीछे कई तर्क दिए जा रहे हैं। कहा जा रहा है कि मोदी और शाह ने एक तीर से कई शिकार किए हैं। इस दांव से येदियुरप्पा निपट गए। अब केंद्र या राज्य की राजनीति में उनका करियर खत्म हो गया। संभव है कि वे अगला चुनाव नहीं लड़ पाएं क्योंकि उस समय तक उनकी उम्र 80 साल हो जाएगी।

वे अभी 75 साल की अघोषित उम्र सीमा पार कर चुके हैं। लिंगायत वोट की मजबूरी में भाजपा ने उनकी पार्टी का विलय कराया था और उनको मुख्यमंत्री पद का दावेदार बना दिया था। अब पार्टी को भरोसा हो गया है कि लिंगायत भाजपा को छोड़ कर किसी को वोट नहीं देंगे। कांग्रेस और जेडीएस के साथ रहने पर तो लिंगायत का सौ फीसदी वोट भाजपा को मिलेगा। सो, लिंगायत वोट के लिए येदियुरप्पा की जरूरत नहीं रह गई है। इसलिए कहा जा रहा है कि भाजपा नेतृत्व ने उनको अपने ही जाल में उलझ कर निपटने दिया। अब ये यह नहीं कह सकते हैं कि पार्टी नेतृत्व ने उनको साथ धोखा किया। कहा जा रहा है कि इसी के जवाब में उन्होंने और श्रीरामुलू ने लोकसभा से इस्तीफा दिया है। वे राज्य की राजनीति में अपना आधार मजबूत करेंगे ताकि उनको किनारे नहीं किया जा सके। 

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