सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्रियों को जीवन भर बंगला देने के कानून को निरस्त कर दिया है और साथ ही यह भी कहा है कि दूसरे राज्यों पर भी इसका असर होगा। इस फैसले के बाद दूसरे जिन राज्यों में ऐसा कानून है उसे चुनौती दी जा सकती है। इससे राजस्थान, बिहार, झारखंड में असर होगा। इन राज्यों में भी पूर्व मुख्यमंत्रियों को जीवन भर सरकारी बंगला देने का कानून है।
सुप्रीम कोर्ट के फैसले का तत्काल असर उत्तर प्रदेश में होगा, जहां छह पूर्व मुख्यमंत्रियों को बंगला खाली करना पड़ेगा। केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह, राजस्थान के राज्यपाल कल्याण सिंह, दो राज्यों उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के मुख्यमंत्री रहे नारायण दत्त तिवारी, सपा के संस्थापक मुलायम सिंह यादव और पिछले दो मुख्यमंत्री मायावती और अखिलेश यादव को राजधानी लखनऊ में मिला बड़ा बंगला खाली करना होगा।
राजस्थान में अशोक गहलोत और जगन्नाथ पहाड़िया को सरकारी बंगला मिला हुआ है। अगर इसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी जाती है तो वहां का कानून भी निरस्त होगा और उन्हें बंगला खाली करना होगा। झारखंड में चार पूर्व मुख्यमंत्रियों को बड़े बंगले मिले हुए हैं। पहले मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी से लेकर अर्जुन मुंडा, मधु कोड़ा और हेमंत सोरेन सरकारी बंगले में रहते हैं। इसे भी चुनौती दी जा सकती है।
इसी तरह बिहार के कानून के मुताबिक चार पूर्व मुख्यमंत्रियों को यह सुविधा है। उनमें से डॉक्टर जगन्नाथ मिश्रा ने बंगला नहीं लिया है। बिहार के कानून में नीतीश कुमार ने अपने धुर विरोधी लालू प्रसाद और राबड़ी देवी को ध्यान में रख कर यह प्रावधान किया कि अगर पति-पत्नी दोनों मुख्यमंत्री रहे हैं तो दोनों को एक ही बंगला मिलेगा। इस लिहाज से राबड़ी देवी को एक बंगला मिला हुआ है। इनके अलावा जीतन राम मांझी को एक बंगला है। अगर कानून को चुनौती दी जाती है तो उन्हें बंगला खाली करना होगा।
सुप्रीम कोर्ट ने दो साल पहले भी इस बारे में फैसला दिया था और उसके बाद मध्य प्रदेश में पूर्व मोतीलाल वोरा को बंगला खाली करना पड़ा था। हालांकि दूसरे पूर्व मुख्यमंत्री सरकारी बंगलों में ही रह रहे थे। इसी तरह उत्तराखंड में तीन पूर्व मुख्यमंत्री सरकारी बंगलों में रहते हैं और उन्होंने किराया देने से भी इनकार कर दिया था। सुप्रीम कोर्ट के ताजा आदेश के बाद हो सकता है कि इस दिशा में सख्ती हो।
सुप्रीम कोर्ट के फैसले का तत्काल असर उत्तर प्रदेश में होगा, जहां छह पूर्व मुख्यमंत्रियों को बंगला खाली करना पड़ेगा। केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह, राजस्थान के राज्यपाल कल्याण सिंह, दो राज्यों उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के मुख्यमंत्री रहे नारायण दत्त तिवारी, सपा के संस्थापक मुलायम सिंह यादव और पिछले दो मुख्यमंत्री मायावती और अखिलेश यादव को राजधानी लखनऊ में मिला बड़ा बंगला खाली करना होगा।
राजस्थान में अशोक गहलोत और जगन्नाथ पहाड़िया को सरकारी बंगला मिला हुआ है। अगर इसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी जाती है तो वहां का कानून भी निरस्त होगा और उन्हें बंगला खाली करना होगा। झारखंड में चार पूर्व मुख्यमंत्रियों को बड़े बंगले मिले हुए हैं। पहले मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी से लेकर अर्जुन मुंडा, मधु कोड़ा और हेमंत सोरेन सरकारी बंगले में रहते हैं। इसे भी चुनौती दी जा सकती है।
इसी तरह बिहार के कानून के मुताबिक चार पूर्व मुख्यमंत्रियों को यह सुविधा है। उनमें से डॉक्टर जगन्नाथ मिश्रा ने बंगला नहीं लिया है। बिहार के कानून में नीतीश कुमार ने अपने धुर विरोधी लालू प्रसाद और राबड़ी देवी को ध्यान में रख कर यह प्रावधान किया कि अगर पति-पत्नी दोनों मुख्यमंत्री रहे हैं तो दोनों को एक ही बंगला मिलेगा। इस लिहाज से राबड़ी देवी को एक बंगला मिला हुआ है। इनके अलावा जीतन राम मांझी को एक बंगला है। अगर कानून को चुनौती दी जाती है तो उन्हें बंगला खाली करना होगा।
सुप्रीम कोर्ट ने दो साल पहले भी इस बारे में फैसला दिया था और उसके बाद मध्य प्रदेश में पूर्व मोतीलाल वोरा को बंगला खाली करना पड़ा था। हालांकि दूसरे पूर्व मुख्यमंत्री सरकारी बंगलों में ही रह रहे थे। इसी तरह उत्तराखंड में तीन पूर्व मुख्यमंत्री सरकारी बंगलों में रहते हैं और उन्होंने किराया देने से भी इनकार कर दिया था। सुप्रीम कोर्ट के ताजा आदेश के बाद हो सकता है कि इस दिशा में सख्ती हो।

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