सोमवार, 14 मई 2018

बैंकों की बिगड़ती हालत , क्या सरकार को इसकी चिंता है?

चौथी तिमाही में सार्वजनिक क्षेत्र कुछ बैंकों के जो नतीजे सामने आए हैं, जो इन बैंकों की ख़राब हालत की ओर इशारा करता है। इस तिमाही में इन बैंकों को अच्छा-खासा नुकसान हुआ। मसलन, इलाहाबाद बैंक को वित्त वर्ष 2017-18 की 31 मार्च 2018 को समाप्त तिमाही में 3,509.63 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है, वहीं यूको बैंक का घाटा बढ़कर 2,134.36 करोड़ रुपये हो गया। केनरा बैंक को 4,860 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ, तो देना बैंक को इसी अवधि में 1,225.42 करोड़ रुपये घाटा हुआ। ये आंकड़े बताते हैं कि बैंकों की हालत सुधारने की सरकार की कोशिशें सफल नहीं हो रही हैं। साथ ही ये आंकड़े अर्थव्यवस्था की खराब हालत की तरफ भी इंगित करते हैं। बैंकों के मुनाफे का आम अर्थव्यवस्था से सीधा संबंध होता है।

ध्यानार्थ है कि इलाहाबाद बैंक को गैर-निष्पादित परिसंपत्तियों (एनपीए) के मद में तीन गुना इज़ाफ़ा हुआ। यह भी ध्यानार्थ है कि वित्त वर्ष 2016-17 की समान तिमाही में उसे 111.16 करोड़ रुपये का शुद्ध मुनाफा हुआ था। इससे पहले दिसंबर तिमाही में भी बैंक को 1,263.79 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ था। इस तिमाही के दौरान बैंक की आय 5,105.07 करोड़ रुपये से कम होकर 4,259.88 करोड़ रुपये रह गई है। बाकी तीन बैंकों के साथ भी लगभग इलाहाबाद बैंक वाली कहानी ही दोहराई गई है। मसलन, सार्वजनिक क्षेत्र के यूको बैंक का शुद्ध घाटा 31 मार्च 2018 को समाप्त तिमाही में चार गुना बढ़कर 2,134.36 करोड़ रुपये हो गया, जबकि 2016-17 की चौथी तिमाही में उसे 588.19 करोड़ रुपये का घाटा हुआ था। पिछले वित्त वर्ष की दिसंबर तिमाही में भी उसे 116.43 करोड़ रुपये का घाटा हुआ था। इस दौरान यूको बैंक की आय 18,440.29 करोड़ रुपये से कम होकर 15,141.13 करोड़ रुपये पर आ गई।

इसका नतीजा है कि बैंक ने कहा कि निदेशक मंडल ने कोई लाभांश नहीं देने की सिफ़ारिश की है। इस तिमाही के दौरान बैंक का समग्र एनपीए 17.12 प्रतिशत से बढ़कर 24.64 प्रतिशत हो गया। केनरा बैंक को वित्त वर्ष 2016-17 की चौथी तिमाही में उसे 214.18 करोड़ रुपये का शुद्ध मुनाफा हुआ था। मगर इस बार उसका एनपीए 200 प्रतिशत बढ़ाकर 2,924.08 करोड़ रुपये की तुलना में 8,762.57 करोड़ रुपये हो गया है। देना बैंक का एनपीए लगातार तीसरे साल बढ़ा है। चौथी तिमाही में देना बैंक की कुल आय घटकर 2,390.68 करोड़ रुपये रही। ये आंकड़े लगातार बढ़ रहे वित्तीय संकट का प्रमाण हैं। क्या सरकार को इसकी चिंता है?

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें