शनिवार, 29 फ़रवरी 2020

दिल्ली झांकी, देश बाकी!

आजाद भारत अब दंगों से आगे बढ़ गया है। देश के गृह मंत्री अमित शाह बार-बार पानीपत की लड़ाई का जो चुनावी आह्वान किया करते थे और चुनावी गृहयुद्ध की आबोहवा में जैसे चुनाव लड़ा करते थे उसमें दिल्ली की हिंसा निर्णायक मोड़ है। दिल्ली में अरविंद केजरीवाल ने धूर्तता दिखाई जो अपने को हनुमानजी का भक्त बता कर हिंदू -मुस्लिम नहीं होने दिया और चुनाव जीत लिया। ऐसा बिहार में, पश्चिम बंगाल में, उत्तर प्रदेश में याकि उत्तर भारत के प्रदेशों मंं नहीं हो सकता। राहुल, तेजस्वी, अखिलेश, ममता बनर्जी आदि के लिए हनुमान या दुर्गा भक्त बन कर अरविंद केजरीवाल की तरह मोदी-शाह को रोक सकना संभव नहीं होगा। 

फिर सबसे बड़ी बात असली लड़ाई दिल्ली के तख्त याकि 2024 के लोकसभा चुनाव की है। तभी दिल्ली हिंसा एक प्रयोग है। अपना सन् 2002 में भी मानना था और 2020 के मौजूदा वक्त में 22-23 फरवरी की रात-सुबह की घटनाओं की प्रारंभिक जानकारी से भी मानना है कि तब भी मुसलमानों ने गलती की और अब भी गलती की। सेकुलरों ने तब भी गलती की अब भी गलती की। गोधरा ट्रेन को जलाने की चिंगारी हिंदू उन्माद पैदा करने वाली थी तो 22-23 फरवरी को कपिल मिश्रा के प्रदर्शन पर मुस्लिम बस्ती से प्रतिक्रिया भी हिंदू उन्माद की जनक थी। गोधरा से पहले सेकुलर जमात ने हिंदू कारसेवकों का नैरेटिव बनाया तो इस बार शाहीन बाग पर नैरेटिव यह जानते-समझते हुए भी बनाया कि ऐसे प्रदर्शन-धरने से मोदी-शाह के कान पर जूं नहीं रेंगने वाली।

अपनी जगह तर्क सही है कि लोकतंत्र में क्या धरना-प्रदर्शन भी नहीं होगा? पर मुस्लिम जमात, सेकुलर नेताओं और विरोधी पार्टियों को क्यों यह नहीं समझा हुआ होना चाहिए कि मोदी-शाह की राजनीति तब खिलती ही है जब हिंदू बनाम मुस्लिम का विभाजक नैरेटिव का ज्वार बनता जाए। इस बात को जान लिया जाए कि मुसलमान के लिए फिलहाल दुनिया में या इस देश में यह सहानुभूति नहीं बनेगी कि उनके साथ अन्याय हो रहा है। इस्लाम को, मुस्लिम नेताओं को, सेकुलर राष्ट्रवादियों सभी को समझना होगा कि जैसे दुनिया चाहती है, बहुसंख्या चाहती है वैसे मुसलमान को रहना होगा। नागरिकता संशोधन कानून या एनआरसी को, तीन तलाक, जम्मू-कश्मीर या अयोध्या में मंदिर आदि यदि बहुसंख्यक आबादी के लोकतांत्रिक अधिकार में बना एजेंडा है तो उसे धरना-प्रदर्शन-संविधान के हवाले बदलवाया नहीं जा सकता।

इसलिए वारिस पठान हों या शाहीन बाग, दोनों मोदी-शाह के लिए राजनीतिक औजार है। सोचें, यदि मुसलमान समझदारी दिखाते हुए दिल्ली में विधानसभा चुनाव से पहले शाहीन बाग धरने को खत्म कर देते और केजरीवाल जीत जाते तो न अमित शाह, कपिल मिश्रा के लिए एजेंडा बचता और न भाजपा की जीत हुई दिखती। पर केजरीवाल की जीत से मुस्लिम धरने और बढ़े तो सेकुलर हल्ला भी बढ़ा। नतीजतन वह मौका बना, जिसमें दिल्ली से पूरे देश के लिए झांकी बन गई।

तय मानें कि बिहार का चुनाव इसी झांकी अनुसार लड़ा जाएगा। दिल्ली की हिंसा सीएए कानून पर ठप्पा है। आगे एनआरसी के लिए मोदी-शाह को प्रोत्साहन है। अपने को आश्चर्य नहीं होगा जो ससंद के मॉनसून सत्र में एनआरसी आदि को ले कर सरकार दो टूक फैसला ले। कानून बना दे। बिहार विधानसभा और नीतीश कुमार चाहे जो पैंतरा चलें अमित शाह के लिए चुटकी में सब कुछ बदलने के अवसर है।

भला क्यों? इसलिए कि नरेंद्र मोदी-अमित शाह जानते हैं कि आर्थिकी से, सामाजिक समीकरण, सबका साथ-सबका विकास से 2024 तक वोट नहीं पके रहने वाले। वोट का शर्तिया और इकलौता तरीका हिंदू बनाम मुस्लिम, एनआरसी, अयोध्या में मंदिर के बाद काशी में मंदिर, पीओके जैसे मुद्दों से ही वोट पकते जाने हैं। मुसलमान-दलित के गठजोड़ ने भी हिंदू राजनीति में ‘उनकी’ ठुकाई की थीसिस को जातियों की एकजुटता का पुख्ता फार्मूला बनाया है। हां, दिल्ली की हिंसा में भी पिछड़ी जातियों-फारवर्ड की एकजुटता की जो चर्चा है वह बिहार के लिए हिट है तो उत्तर प्रदेश में भी जीत की गारंटी है।

सचमुच दिल्ली हिंसा ने मोदी-शाह के एजेंडे का वह रास्ता बनवाया है, जिसमें मुसलमान को अनिवार्यतः या तो मौन रहना होगा या दिल्ली जैसी हिंसा के लिए तैयार रहना होगा। इस सबसे भारत राष्ट्र-राज्य का क्या बनेगा, यह सवाल अपनी जगह अलग है!

शुक्रवार, 28 फ़रवरी 2020

कनाडा की डिप्टी हाई कमिश्नर ने की महिला एवं बाल विकास राज्यमंत्री से मुलाकात

जयपुर । भारत में कनाडा की डिप्टी हाई कमिश्नर श्रीमती डियट्रे केंट ने शुक्रवार को महिला एवं बाल विकास राज्यमंत्री श्रीमती ममता भूपेश से उनके सचिवालय स्थित कार्यालय में मुलाकात की। श्रीमती डियट्रे ने राज्य में संचालित महिला एवं बाल विकास के विभिन्न र्कायक्रमों पर श्रीमती ममता भूपेश से विस्तार से चर्चा की । श्रीमती केंट ने राज्य सरकार द्वारा संचालित  कार्यक्रमों एवं उनके माध्यम से महिलाओं एवं बच्चों के जीवन में आ रहे परिवर्तनो की सराहना की। उन्होंने विभाग की गतिविधियां और महिला एवं बाल विकास विभाग के माध्यम से संचालित केंद्रीय एवं राज्य सरकार की योजनाओं के बारे में फीडबैक लेते हुए आम महिलाओं की जिंदगी में आए हुए बदलाव एवं र्आथिक रूप से आत्मर्निभर व सशक्तिकरण की जानकारी ली। 

महिला एवं बाल विकास राज्यमंत्री श्रीमती भूपेश ने श्रीमती केंट को बताया कि राज्य सरकार महिलाओं एवं बच्चों के लिए राज्य में प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना संचालित कर रही है इसमें महिलाओं को गर्भधारण से लेकर शिशु के 6 माह पूर्ण होने तक पोषाहार के लिए र्आथिक मदद करने के साथ ही शिशु के संपूर्ण टीकाकरण र्कायक्रम को भी संचालित कर रही है । 

उन्होंने बताया कि अमृता हाट योजना में महिलाओं को र्आथिक रूप से सशक्त बनाने के लिए स्वयं सहायता समूह का गठन कर उन्हें आत्मर्निभर बनाया जा रहा है उनके द्वारा बनाए जा रहे उत्पादों का विपणन देश-विदेश में किया जाता है। इंदिरा महिला शक्ति उद्यम प्रोत्साहन योजना के तहत महिलाओं को आत्मर्निभर बनाने के लिए र्आथिक सहायता प्रदान की जाती है । इसी प्रकार राज्य सरकार द्वारा संचालित आंगनबाड़ी केंद्रों में उत्तम गुणवत्ता का पोषाहार प्रदान किया जाता है इससे बच्चों में कुपोषण को को दूर किया जा रहा है । उन्होंने श्रीमती ममता भूपेश को डायरी भेंट करते हुए उनके नेतृत्व समर्पण एवं लैंगिक समानता के क्षेत्र में किए जा रहे प्रयासों की सराहना की।

इस अवसर पर महिला एवं बाल विकास विभाग के शासन सचिव श्री के के पाठक एवं विशिष्ट सहायक श्री सीएल वर्मा भी उपस्थित थे।

पीवीसी रॉयल 20 ने मैच जीता


जयपुर,खेल संवाददाता । पिंकसिटी प्रेस क्लब की ओर से आयोजित प्रेस प्रीमियर लीग-2020 में शुक्रवार को प्रातः 8.30 बजे संस्कार एकेडमी में प्रेस क्लब टाइगर बनाम पीवीसी रॉयल 20सुपर के बीच मैच खेला गया।

प्रेस क्लब कोषाध्यक्ष रघुवीर जांगिड़ ने बताया कि पीवीसी रॉयल ने प्रेस प्रीमियर लीग में अपनी पहली जीत दर्ज की। उन्होंने पंजाब केसरी को 6 विकेट से हराया। पंजाब केसरी ने पहले बल्लेबाजी करते हुए 163 रन बनाए। जिसमें अमित शर्मा ने सर्वाधिक 43 रन बनाए। लेकिन पीवीसी रॉयल के राजू चौधरी की घातक गेंदबाजी के सामने पंजाब केसरी का खिलाड़ी नही टिक पाया। कप्तान दिनेश सैनी की रणनीति से पंजाब केसरी की पूरी टीम जल्दी ही ढेर हो गईं ।

 पीवीसी की ब्रिगेड में राजू चौधरी की रही सही कसर विशाल भटनागर ने 2 विकेट लेकर निकाल दी। इसके बाद बल्लेबाजी करते हुए पीवीसी रॉयल के विपिन कुमार शुक्ला 27 और दुर्गेश के 50 रनों की बदौलत 19 वें ओवर में पीवीसी ने अपनी पहली जीत दर्ज की।

29 फरवरी को दोपहर 12.30 बजे पीवीसी रॉयल-20 बनाम महानगर टाइम्स के बीच संस्कार एकेडमी ग्राउण्ड पर मैच खेला जाएगा। 



राज्य सरकार की नीतियों और योजनाओं को जनसम्पर्क अधिकारीे प्रभावी रूप से आमजन तक पहुंचाएं -सूचना एंव जनसम्पर्क आयुक्त


जयपुर। सूचना एंव जनसम्पर्क आयुक्त  महेन्द्र सोनी ने शुक्रवार को विभिन्न विभागों में कार्यरत सूचना एवं जनसम्पर्क सेवा के अधिकारियों के साथ अपने कक्ष में आयोजित बैठक में कहा कि सभी अधिकारी राज्य सरकार की नीतियों, उपलिंब्धयों, जन कल्याणकारी योजनाओं, विकासात्मक गतिविधियों को मीडिया के सहयोग से आमजन तक प्रभावी रूप से पहुंचाएं। 

सूचना एंव जनसम्पर्क आयुक्त ने विभाग के अतिरिक्त निदेशक प्रशासन  राजपाल सिंह यादव, अतिरिक्त निदेशक सूजस  पे्रम प्रकाश तिर््पाठी, अतिरिक्त निदेशक क्षेतर्् प्रचार श्रीमती अलका सक्सेना, संयुक्त निदेशक  गोविन्द पारीक तथा  शिवचन्द मीणा की उपस्थिति में जनसम्पर्क अधिकारियों को सकारात्मक सोच के साथ कार्य करने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने विभागीय अधिकारियों को आश्वस्त किया की विभिन्न विभागों में उनके लिए राजकार्य सम्पादित करने हेतु आवश्यक साधन सुविधाओं को उपलब्ध करवाने में कोई कमी नहीं रखी जायेगी। 

इसके लिए विभाग की ओर से विभिन्न विभागों को पतर्् लिखकर निर्देशित किये जाने की कार्रवाही भी की जाएगी।  सोनी ने अधिकारियों को सोशल मीडिया का अधिकाधिक उपयोग करने का सुझाव दिया। उन्होंने कहा कि जनसम्पर्क अधिकारी योजनाओं का प्रभावी प्रचार प्रसार करे जिससे इन राज्य सरकार की लोक कल्याणकारी योजनाओं का अधिकतम लाभ आमजन तक पहुंचना सुनिश्चित हो सके। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार की नीतियों, लोक कल्याणकारी योजनाओं एवं विकासात्मक कार्यों पर आमजन की ओर से फीडबैक भी मिल सके तो वह और भी बेहतर होगा। उन्होंने बैठक में सभी अधिकारियो को सकारात्मक सोच के साथ प्रभावी कार्य करने के लिए प्रोत्साहित किया।  

राज्य स्तरीय विज्ञान कार्यशाला का शिक्षा राज्य मंत्री ने किया उद्घाटन



जयपुर। शिक्षा राज्य मंत्री  गोविन्द सिंह डोटासरा ने कहा है कि शिक्षा सरकार की सर्वाेच्च प्राथमिकता है। उन्होंने कहा की राज्य में कोई भी सीधे उन्हें शिक्षा में सुधार, गुणवत्ता वृद्धि, नवाचार के लिये मिलकर या ऑनलाइन सुझाव भेज सकता है। सभी को साथ लेकर, सभी की राय से प्रदेश में शिक्षा का सर्वांगीण विकास ही सरकार का ध्येय है।

 डोटासरा ने कहा कि राज्य सरकार विद्यालयों में विज्ञान एवं तकनीकी नवाचारों को प्रोत्साहित करने के साथ ही नवीन खोज एवं अनुसंधान करने वाले विद्यार्थियों-शिक्षकों को पुरस्कृत करेगी। उन्होंने कहा कि वैश्विकरण के इस दौर में विज्ञान के अधिकाधिक प्रसार से ही विकास का व्यवहारिक लाभ सभी क्षेत्रों में मिल सकेगा। उन्होंने हिंदी में विज्ञान प्रसार के लिये भी विशेष कार्य किये जाने पर जोर दिया।

 डोटासरा ने आज यहां बियानी कॉलेज में राजस्थान समग्र शिक्षा अभियान द्वारा आयोजित राज्य स्तरीय विज्ञान कार्यशाला का उद्घाटन किया। उन्होंने इस मौके पर कहा कि विज्ञान अनुशासन की सिख देता है। वैज्ञानिक दृष्टिकोण से यदि जीवन के सभी कार्य किये जायें तो किसी क्षेत्र में असफलता नहीं मिलेगी। उन्होंने शिक्षकों का आह्वान किया कि वे विद्यार्थियों में विज्ञान और गणित विषयों के प्रति भय दूर करते इनके प्रति रुचि जागृत करें।

शिक्षा राज्य मंत्री  डोटासरा ने कहा कि राजस्थान में शिक्षा को सर्वाेच्च प्राथमिकता में रखते हुए राज्य सरकार कार्य कर रही है। प्रदेश में विद्यालयों में आधारभूत सुविधाओं के विकास के लिये पहली बार 1581 करोड़ रुपये का रिकॉर्ड प्रावधान किया गया है वहीं अंग्रेजी माध्यम के महात्मा गांधी विद्यालयों के खोले जाने की भी पहल की है। जल्द ही राज्य के 167 ब्लॉकों में ऎसे विद्यालय प्रारम्भ किये जायेंगे। इससे सुदूर गावों के बच्चों को भी अंग्रेजी माध्यम से शिक्षा मिल सकेगी। उन्होंने कहा कि शिक्षा ही सर्वांगीण विकास का आधार है। इसे ध्यान में रखते हुए ही प्रदेश में सभी स्तरों पर शिक्षा के प्रभावी प्रयास किये जा रहे हैं।

 डोटासरा ने कहा कि राजकीय के साथ निजी क्षेत्र में जो संस्थान शिक्षा प्रसार में बेहतरीन कार्य करते हैं, सरकार उन्हें प्रोत्साहित करेगी। उन्होंने कहा कि शिक्षा का दान सबसे बड़ा दान है, निजी संस्थान न लाभ न हानि की सोच रखते शिक्षा प्रसार में अपनी भूमिका निभाएं। यह समाज को उनका बड़ा योगदान होगा।

इस मौके पर समग्र शिक्षा अभियान की अतिरिक्त आयुक्त डॉ. रश्मि शर्मा ने कहा कि समग्र शिक्षा के तहत विज्ञान प्रोत्साहन के लिए जिला स्तर पर कार्यशालाएं आयोजित किये जाने की पहल की गई है। उपायुक्त डॉ. अनुराधा गोगिया ने बताया कि राज्य स्तरीय विज्ञान कार्यशाला में राज्य के सभी 33 जिलों से 165 व्याख्याता, वरिस्ठ अध्यापक भाग ले रहे हैं। विज्ञान नवाचार और तकनीकी के प्रसार के यह प्रतिभागी मुख्य संदर्भ अधिकारी बतौर बाद में सेवाएं देंगे।

बियानी कॉलेज के डायरेक्टर  संजय बियानी ने बताया कि विज्ञान प्रसार के साथ ही शिक्षा के समुचित प्रसार में बियानी शिक्षा संस्थान भी राज्य सरकार के साथ हर संभव सहयोग करेगा। इस अवसर पर मुख्य जिला शिक्षा अधिकारी  रतन सिंह यादव ने कार्यशाला के विभिन्न सत्रों के बारे में जानकारी दी।

निजी अस्पताल द्वारा सड़क दुर्घटना में घायल व्यक्ति का इलाज करना अनिवार्य - परिवहन मंत्री



जयपुर। परिवहन मंत्री  प्रताप सिंह खाचरियावास ने शुक्रवार को विधानसभा में कहा कि मुख्यमंत्री ने इस वर्ष बजट में यह घोषणा की है कि प्रदेश में सड़क दुर्घटना में घायल व्यक्ति को किसी भी निजी अस्पताल में ले जाने पर अस्पताल द्वारा उसका उपचार करना अनिवार्य है, अगर अस्पताल मना करता है तो राज्य सरकार उस पर कार्रवाई करेगा। 

 खाचरियावास प्रश्नकाल में विधायकों द्वारा इस संबंध में पूछे गये पूरक प्रश्नों का जवाब दे रहे थे। उन्होंने कहा कि यह सही बात है कि प्रतिवर्ष 10 हजार 500 मृत्यु सड़क दुर्घटना के कारण होती है। इन दुर्घटनाओं में 30 प्रतिशत की कमी लाने के लिए राज्य सरकार तमिलनाडु मॉडल पर कार्य कर रही है। उन्होंने कहा कि सड़क दुर्घटना में कमी लाने के लिए मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में समिति का गठन किया गया है। यह समिति वर्ष में दो बार बैठक कर सड़क सुरक्षा की स्थिति की समीक्षा करेगी, समिति में विभिन्न विभागों के मंत्री ,मुख्य सचिव, डीजीपी, अतिरिक्त डीजीपी (यातायात) एवं संबधित विभागों के प्रशासनिक सचिव शामिल है। 

उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा सड़क दुर्घटना की रोकथाम के लिए समर्पित सड़क सुरक्षा कोष भी बनाया गया है जिसमें 100 करोड़ रुपये की राशि उपलब्ध करवाई जाएगी। उन्होंने बताया कि समर्पित सुरक्षा कोष से राज्य के 40 सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र को प्राइमरी ट्रोमा के रुप में विकसित किया जाएगा जिसमें 10 करोड़ रुपये का व्यय प्रस्तावित है।     

परिवहन मंत्री ने बताया कि यह भी प्रावधान है कि प्रर्वतन द्वारा 25 प्रतिशत राशि सड़क सुरक्षा के लिए दी जाती है। उन्होंने बताया कि सड़क सुरक्षा के प्रति लोगाें को जागरूक करने के लिए प्रत्येक जिले में ट्रैफिक पार्क भी बनाया जाएगा जिसमें 16 करोड़ 50 लाख रुपये व्यय किए जाएंगे। उन्होंने बताया कि सड़क दुर्घटना की रोकथाम के लिए कार्य करने वाले सर्वश्रेष्ठ जिलों को 25 लाख, 15 लाख तथा 10 लाख रुपये का मुख्यमंत्री सड़क सुरक्षा पुरस्कार भी प्रदान किया जाएगा। 

 खाचरियावास ने बताया कि एक अप्रैल से राज्य में ऑटोमोबाइल कंपनी के लिए अनिवार्य कर दिया गया है कि प्रत्येक दुपहिया वाहन की खरीद पर उपभोक्ता को एक हैलमेट फ्री दिया जाए। उन्होंने बताया कि सड़क दुर्घटना को रोकने के लिए राज्य में ब्लैक स्पॉट चिन्हित किए गए हैं तथा राज्य में 50 हजार पंचायतों पर सड़क सुरक्षा अग्रदूत बनाए गए हैं। 

इससे पहले विधायक  बलवान पूनियां के मूल प्रश्न के लिखित जवाब में  खाचरियावास ने सड़क दुर्घटनाओं पर रोक लगाने हेतु सरकार द्वारा किये गये प्रयासों का विवरण एवं राजस्थान राज्य पथ परिवहन निगम स्तर पर किये गये प्रयासों का विवरण सदन के पटल पर रखा। उन्होंने बताया कि सरकार द्वारा लोक परिवहन सेवा को बंद कर ग्रामीण बस सेवा प्रारंभ करने की घोषणा नहीं की गई थी।

अवैध बजरी खनन को लेकर सरकार लाचार, आठ हजार से अधिक मामले हो चुके हैं दर्ज

जयपुर। प्रदेश में बजरी के अवैध खनन को लेकर घमासान मचा हुआ है। सड़क से लेकर विधानसभा तथा प्रशासनिक गलियारों में अवैध खनन, बजरी माफिया की ही गूंज है। मुख्य सचिव डीबी गुप्ता शुक्रवार वीडियो कांफ्रेंस के जरिए जिला कलेक्टर्स से रूबरू हुए और उन्हें सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की पालना करने के निर्देश दिए। इस दौरान जिला कलेक्टर ने अवैध बजरी खनन, परिवहन और भंडारण की जुर्माना राशि बढ़ाने की मांग की। सरकार बजरी माफिया में डर बैठाने के लिए भी कठोर कार्रवाई करेगी।

राजस्थान में बजरी के अवैध खनन की समस्या काफी गहरा गई है। प्रदेश में 16 नवम्बर 2017 तक 82 एलओआई होल्डर के पास बजरी खनन के वैध पटटे थे। कोर्ट में चैंलेज होने से और कोर्ट की रोक की वजह सरकार ने बजरी खनन लीज के पट्टे देने बंद कर दिए। ऐसे में साढ़े तीन साल में बजरी के अवैध खनन, परिवहन और भंडारण की समस्या प्रदेश के लिए नासूर बन गई। सुप्रीम कोर्ट में पिछले दिनों हुई सुनवाई में सरकार ने अपना पक्ष रखा। सरकार ने कोर्ट से कहा कि जल्द ही कोई निर्णय नहीं किया गया तो प्रदेश में बजरी माइनिंग पर अंकुश लगाना दुश्कर साबित हो सकता है।

प्रदेश में अवैध बजरी खनन रोकने के लिए खान, पुलिस और परिवहन विभाग की संयुक्त टास्क फोर्स गठित कर रखी है। टॉस्क फोर्स ने साढ़े तीन साल में कार्रवाई भी की है, लेकिन फिर भी अवैध बजरी खनन नहीं रुक पा रहा है। सुप्रीम कोर्ट के भी बजरी के अवैध खनन पर प्रभावी कार्रवाई के लिए जिला कलेक्टर-एसपी को निर्देश देने को कहा था। ऐसे में वीडियो कांफ्रेंस के जरिए उन्हें कोर्ट के निर्देशों की जानकारी दी गई। इधर 5 मार्च को सुप्रीम कोर्ट की ओर से गठित सीईसी की बैठक है। बैठक में अवैध बजरी खनन को लेकर सरकार, एनजीओ, लीज होल्डर सभी का पक्ष जाना जाएगा। मुख्य सचिव ने कलेक्टर्स से कहा कि वो अपनी समस्याएं लिखकर खान विभाग अधिकारियों को दें ताकि सीईसी में उन्हें रखा जा सके। 

कोर्ट ने 16 नवम्बर 2017 को बजरी खनन पर लगाई रोक थी। 17 नवंबर 2017 से 31 मार्च 2018 तक 4216 केस दर्ज हुए हैं। वर्ष 2018-19 में 14475 केस दर्ज हुए हैं। वर्ष 2019-20 में 25 फरवरी तक 93298 के हुए। कुल मिलाकर अवैध बजरी खनन, परिवहन और भंडारण पर प्रदेश में 28 हजार से ज्यादा के दर्ज हो चुके हैं। जुर्माना राशि कम होने से माफिया में डर नहीं है। कलेक्टर्स बोले, जुर्माना राशि बढ़ाई जाए।

राज्य में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से लेकर प्रशासन तंत्र से सबकी मंशा है कि वैध रूप से लीज आवंटित की जाए ताकि लोगों को राहत मिले। कोर्ट से भी यही मांग की जा रही है। वैकल्पिक उपाय किए जा रहे हैं। कुछ जगह खातेदारी में लीज दी गई है। इनसे कुछ नहीं हो रहा, क्योंकि इनकी तुलना में मांग बहुत ज्यादा है। वर्ष 2013-14 में 69.37 मिलीयन टन उत्पादन है, जो घटता घटना 10.86 मिलीयन टन आ गया. डिमांड के आधार पर पचास से साठ मिलीयन टन बजरी की जरूरत है, जो अवैध रूप से परिवहन हो रही है।

दलित युवक की मौत पर विधानसभा में हंगामा, CBI जांच कराने की मांग

जयपुर। बाड़मेर में गुरुवार को पुलिस हिरासत में हुई दलित युवक की मौत के मामले में शुक्रवार को विधानसभा में खूब हंगामा हुआ। नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया और संसदीय कार्यमंत्री शांति धारीवाल के बीच इस दौरान जमकर तू-तू, मैं-मैं हुई। मामला बढ़ा तो विधानसभाध्यक्ष डॉक्टर सीपी जोशी ने अगले हफ्ते इस मुद्दे पर विशेष चर्चा कराने की बात कहकर दोनों पक्षों को शान्त कराया, लेकिन सीपी जोशी ने बड़ा सवाल उठाते हुए कहा कि हिरासत के मौत के मामले में पीड़ित परिवार को गुजारे के लिए प्रावधान तय किये जाने चाहिए। 

जोशी ने कहा कि जो हुआ वह गलत हुआ, लेकिन इस मामले पर सरकार को प्रस्ताव तैयार करना चाहिए और विधानसभा के सदस्यों को इसमें अपने सुझाव भी देने चाहिए।

विधानसभा में शुक्रवार को खूब हंगामा हुआ। पूरा मामला बाड़मेर में गुरूवार को पुलिस हिरासत में हुई मौत के मामले से जुड़ा था। दरअसल, शून्यकाल के बाद यह मामला उठा और संसदीय कार्यमंत्री शांति धारीवाल ने अपना वक्तव्य दिया। धारीवाल ने बताय कि एसपी को एपीओ कर दिया गया है।

धारीवाल के जवाब पर प्रतिपक्ष के उपनेता राजेन्द्र राठौड़ ने कहा कि एफआईआर को पढ़कर सुनाए। मृतक ने मरने से पहले अपने भाई को बताया था कि पुलिस उसे मार देगी। राठौड़ ने इस मामले की सीबीआई जांच कराने की मांग की। साथ ही मांग रखी कि मृतक के परिजनों को एक करोड़ रुपए का मुआवजा और परिवारजन को सरकारी नौकरी दी जाए।

विधायक जोगेश्वर गर्ग ने इस मामले में पुलिस पर झूठ बोलने का आरोप लगाया। गर्ग ने कहा कि पुलिस हिरासत में मरने वाले जितेन्द्र की तो सुबह ही तबीयत खराब हो गई थी। गर्ग ने हर पुलिस थाने में सीसीटीवी लगाने की मांग की।

इस दौरान चर्चा में प्रतिपक्ष के नेता गुलाबचंद कटारिया ने कहा कि चोरी की रिपोर्ट 27 तारीख को दर्ज हुई और पुलिस ने जितेन्द्र को 26 तारीख को ही उठा लिया। पुलिस ने उसे बुरी तरह मारा और इससे उसकी मौत हो गई। ये सरकार की भी जिम्मेदारी है कि किसी निर्दोष को क्यों मारा गया? कटारिया ने कहा कि मामले की जांच सीबीआई से कराई जाए और फास्टट्रैक में केस की सुनवाई हो। उन्होंने दोषी पुलिसकर्मियों को नौकरी से हटाने की मांग भी की।


इस मामले में बीजेपी के कुछ अन्य विधायक भी बोलना चाहते थे, लेकिन स्पीकर ने इसकी इजाज़त नहीं दी। विधायक नहीं माने तो स्पीकर ने चर्चा को खत्म कर दिया। इससे नाराज़ बीजेपी विधायक सदन के वेल में आ गए और नारेबाजी की। नारेबाजी के बीच ही बीेजेपी के दो विधायकों ने अपने तयशुदा ध्यानाकर्षण प्रस्ताव भी रखे और मन्त्रियों ने इस पर जवाब भी दिए।

गुरुवार, 27 फ़रवरी 2020

सदन में मुख्यमंत्री गहलोत का बजट पर जवाब, कहा- भाजपा की नौटंकी देख रहा पूरा देश

मुख्यमंत्री  अशोक गहलोत ने गुरूवार को राज्य विधानसभा में बजट पर चर्चा के उपरान्त अपने वक्तव्य के दौरान रवीन्द्र नाथ टैगोर की राष्ट्रवाद पर लिखी कविता पढ़ी और अपने वक्तव्य का समापन मशहूर शायर अहमद फराज के शेर के साथ किया।

मेरा कलम नहीं किरदार उस मुहाफिज का 
जो अपने शहर को महसूर कर के नाज करे

मेरा कलम तो अमानत है मेरे लोगों की
मेरा कलम तो अदालत है मेरे जमीर की

कविता की प्रमुख पंक्तियों का हिन्दी सारांश इस प्रकार है - 

भारत एक ऎसी भूमि है, जहां आर्य, गैर आर्य, द्रविड़, 
शक, हुण, पठान तथा मुगल इस भूमि पर एक शरीर की तरह रह रहे हैं।
भारत भूमि के दरवाजे पश्चिम के लिए खुले हैं,
भारत भूमि पर आने वाले लोग अपने साथ अपनी संस्कृति का उपहार लेकर आते हैं।
वह यहां आकर एक-दूसरे के साथ समाहित हो जाते हैं,
फिर इस भूमि को छोड़कर कहीं नहीं जाते हैं।
भारतीय मानवता के समुद्र तट पर हे आर्यों! हे हिन्दुओं! हे मुसलमानों!
आप सभी आओ और यहां रहो,
अंग्रेजों, इसाईयों तुम भी आज यहां आओ, आओ यहां रहो।
ब्राह्मणों तुम भी यहां आओ और सभी का हाथ थामों, सभी की सोच को पवित्रा करो, 
हारे हुए राजाओं, तुम भी यहां आओ ताकि तुम अपमान को भूल सको............
जयपुर। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने गुरुवार को बजट को लेकर सदन में रिप्लाई दिया। 1 घंटे के संबोधन के दौरान मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर वसुंधरा राजे और गुलाबचंद कटारिया से लेकर राजेंद्र राठौड़ पर निशाना साधा। अशोक गहलोत ने कहा कि उनके बजट को लेकर भले ही भाजपा नेता आंकड़ों को गिनाने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन पहली बार ऐसा हुआ है जब प्रदेश की जनता ने बजट का खुल कर स्वागत किया है। 

उन्होंने कहा कि जनता ने माना है कि आर्थिक संकट के बावजूद कांग्रेस सरकार ने शानदार बजट पेश किया है। मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधते हुए कहा कि देश नहीं मिटने दूंगा देश नहीं झुकने दूंगा जैसी बातें करने वाले आज देश की कंपनियों को बेच रहे हैं। अशोक गहलोत ने नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया पर निशाना साधते हुए कहा की राजस्थान के शांति मार्च पर निशाना साधने वाले दिल्ली और यूपी हिंसा की बात नहीं करते हैं। राजस्थान की जनता ने पूरे देश को शांति मार्च के जरिए एक संदेश दिया था। 

अशोक गहलोत ने कहा सदन में कई नेताओं ने बजरी खनन को लेकर सवाल उठाए हैं। गहलोत ने माना कि पिछले 1 साल में वह अगर किसी चीज से सबसे ज्यादा दुखी है तो वह बजरी खनन है, लेकिन भाजपा सरकार में क्यों बजरी का खनन बंद हुआ इस बात का भी जवाब देना चाहिए। क्यों अवैध बजरी खनन के जरिए 5000 करोड़ रुपए की कमाई प्रतिमाह सत्ता तक भिजवाई जाती रही इसका सवाल भी जनता जानना चाहती है। 


मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने अपने संबोधन के दौरान विवेकानंद के शिकागो में दिए बयान से लेकर रविंद्र नाथ टैगोर की गीतांजलि कविता के जरिए भाजपा से सवाल किया कि आजकल महात्मा गांधी को मानने की नौटंकी की जा रही है, लेकिन यह कैसे संभव हो सकता है कि गांधी और गोडसे को एक ही तराजू में रखा जाए. साध्वी प्रज्ञा गोडसे का मंदिर बनाने की बात कहती है, लेकिन भाजपा के शीर्ष नेता इसे लेकर चुप रहते हैं। पूरा देश भाजपा की नौटंकी देख रहा है। 

अशोक गहलोत ने कहा भाजपा ने राजस्थान में अपराधिक आंकड़ों के बढ़ने का मुद्दा उठाया, लेकिन हमें आंकड़ों की चिंता नहीं है। हमने प्रदेश में FIR की अनिवार्यता कर दी है। भले ही एनसीआरबी राजस्थान में बढ़े हुए आंकड़ों को दिखाएं, लेकिन हम जनता को न्याय और इंसाफ देना चाहते हैं।

मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने अपने संबोधन के दौरान केंद्र सरकार की हर घर जल योजना में राजस्थान की हिस्सेदारी 10 फ़ीसदी करने की मांग की। वहीं, गहलोत में भामाशाह कार्ड योजना में करप्शन का मुद्दा एक बार फिर से उठाते हुए कहा हमने राजस्थान में भामाशाह और आयुष्मान योजना को मर्ज कर दिया है. इसका लाभ प्रदेश की जनता को मिल रहा है। 


अशोक गहलोत ने अपने संबोधन में किसानों को 5 साल तक बिना दर बढ़ाए बिजली की सुविधा देने ऑर्गेनिक खेती पर सब्सिडी बढ़ाने खेत के पास फ़ूड प्लांट लगाने पर सहायता देने जैसी बजट घोषणाओं को दोहराया। वहीं, सरकार की भिक्षावृत्ति को रोकने और उनकी पुनर्स्थापना को लेकर भाजपा के उठाए सवालों का भी जवाब दिया। 

मुख्यमंत्री ने अपने संबोधन में •प्रदेश में बामणवास-सवाईमाधोपुर, लालगढ़ जाटान-श्रीगंगानगर एवं उच्चैन- भरतपुर में नगरपालिकाओं का गठन किया जायेगा।

•राजकीय नाहटा चिकित्सालय, बालोतरा में CCU व  ICU खोले जायेंगे। 

•राजकीय चिकित्सालय, हिन्डौन सिटी में 50 बेड की बढ़ोतरी की जायेगी।

•सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र, सैपऊ में 30 बेड से बढ़ाकर 50 बैड किए जाएंगे। 

•सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र लोसल में 30 बेड से बढ़ाकर 50 बैड किए जाएंगे।

•सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र कुशलगढ़, बांसवाड़ा में 50 बैड की बढ़ोतरी की जायेगी।

•सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र, मनोहरपुरा-जयपुर में 30 बैड से बढ़ाकर 50 बैड किए जाएंगे। 

•सीकरी-भरतपुर, टिब्बी-हनुमानगढ़, सुल्तानपुर-कोटा, खतौली-कोटा, मांगरोल-बारां, कवाई-बारां, कापरेन-बूंदी, पिलानी-झुंझुनूं एवं लालगढ़ जाटान-श्रीगंगानगर में स्वतंत्रा मंडी बनायी जायेंगी। 

•सिरोही जिले के तीन कस्बों सिरोही, स्वरूपगंज एवं पिंडवाड़ा तथा 33 गांवों और 20 ढाणियों को बत्तीसा नाला बांध द्वारा पेयजल से लाभान्वित करने के लिए परियोजना की DPR बनायी जायेगी।

•राजकीय महाविद्यालय, नवलगढ़ में स्नातक स्तर पर वाणिज्य व विज्ञान संकाय खोला जायेगा।  

•राजकीय महाविद्यालय, जमवारामगढ़ में नवीन विषय समाज शास्त्र, दर्शन शास्त्र, संस्कृत एवं मनोविज्ञान खोला जायेगा। 

•राजकीय महाविद्यालय, राजगढ़ (अलवर) में भूगोल व हिन्दी विषय में स्नातकोत्तर कक्षायें प्रारंभ की जायेगी।  

•मनसा माता कंजर्वेशन रिजर्व को Leopard Conservation Area के रूप में विकसित किया जायेगा।  

•पंचायत समिति अराई के राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय में जीव विज्ञान संकाय और हिंगोटा, रसीदपुर, बालाहेड़ी के राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय में नवीन विज्ञान संकाय खोले जायेंगे। 

•फागी में बालिका उच्च माध्यमिक विद्यालय को अंग्रेजी माध्यम के महात्मा गांधी राजकीय विद्यालय में परिवर्तित किया जायेगा। 

•पुलिस टे्रनिंग स्कूल किशनगढ़ को राजस्थान पुलिस प्रशिक्षण केन्द्र में क्रमोन्नत किया जायेगा।

•चाकसू-जयपुर एवं नदबई-भरतपुर में औद्योगिक क्षेत्रा विकसित किये जाएंगे। 

•ब्रजपुरा किशनपुरा-जयपुर, ग्राम पंचायत बागथर बसेड़ी-धौलपुर, अयानी उपखंड ईटावा-कोटा में 33 केवी जीएसएस स्थापित किए जायेंगे।

•इस बजट में चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग में 4 हजार 369 पदों पर भर्ती की घोषणा की गयी है। उक्त घोषणा के तहत चिकित्सा अधिकारियों के 2000 नये पद सृजित किये जायेंगे।
  
•राज्य के दो जिलों-जयपुर एवं जोधपुर के परकोटे के क्षेत्रा के लिए बाईक एम्बुलेंस ;ठपाम उइनसंदबमद्ध हेतु पायलेट प्रोजेक्ट चलाया जायेगा।

•राज्य के संभाग मुख्यालयों पर स्थित मेडिकल कॉलेजों से संबंधित मुख्य चिकित्सालयों में गर्भस्थ शिशु के स्वास्थ्य परीक्षण के लिए 4डी सोनोग्राफी मशीन की स्थापना की जायेगी। 

•राज्य के समस्त मेडिकल कॉलेजों से संबद्ध चिकित्सालयों में उपलब्ध उपकरणों के वार्षिक रख-रखाव की केन्द्रीकृत ऑनलाइन व्यवस्था की जायेगी। 

•भरतपुर में स्टार्ट-अप इन्क्यूबेशन सेंटर की स्थापना की जायेगी। 

•जोधपुर में सिटी इनोवेशन क्लस्टर की स्थापना में राज्य सरकार का पूर्ण सहयोग रहेगा। 

•जयसमंद झील से उदयपुर शहर हेतु पानी की वर्तमान उपलब्धता को बढ़ाने के लिए पेयजल योजना पर 215 करोड़ रुपये का व्यय किया जायेगा। वर्ष 2020-21 में इस हेतु 30 करोड़ रुपये का प्रावधान किया जा रहा है।

•जल योजना राजगढ़ जिला चूरू में उपभोक्ताओं को पर्याप्त दवाब से पेयजल उपलब्ध कराने हेतु 46 करोड़ 85 लाख रुपये की पुनर्गठन योजना बनाई गई है। वर्ष 2020-21 में 10 करोड़ रुपये का प्रावधान किया जा रहा है।

•बीकानेर जिले की तहसील नोखा व बीकानेर के कुल 146 गांवों व 2 शहर (नोखा व देशनोक) को नहरी जल से लाभान्वित करने हेतु परियोजना की नई डीपीआर बनाई जायेगी।

•परवन वृहद बहुउद्देश्यीय सिंचाई परियोजना से 2.01 लाख हैक्टेयर में 55 लिफ्टों के माध्यम से फव्वारा पद्धति से सिंचाई व कोटा, बारां व झालावाड़ जिले के 1821 गांवों में पेयजल सुविधा उपलब्ध होगी। वर्ष 2020-21 हेतु 866 करोड़ रुपये का प्रावधान रखा गया है।

•राजस्थानी भाषा की फिल्मों को अनुदान देने के लिए नई नीति लाई जायेगी।सहित कई अहम घोषणाएं की।









जयपुर कलेक्टर ने तेल कंपनियों से सात बिंदुओं पर किए सवाल

जयपुर। तेल एवं गैस कंपनियों की लापरवाही से शहर के घरों में पहुंच रहे लीकेज सिलेंडर और आए दिन हो रहे हादसों के मामले को आखिरकार जिला प्रशासन ने गंभीरता से ले लिया है। कलेक्टर डॉ. जोगराम ने तेल कंपनियों के प्रतिनिधियों को तलब किया। कलेक्टर ने प्रतिनिधियों से सात बिंदुओं पर रिपोर्ट मांगी। 

इतना ही नहीं जिला कलेक्टर जोगाराम ने कंपनियों के प्रतिनिधियों से उपभोक्ताओं की सुरक्षा और सहायता संबंधी सवाल किए। इसका कंपनी प्रतिनिधियों ने जवाब भी दिया। कलेक्टर ने कहा कि प्लांटों की जांच डीएसओ के साथ तेल कंपनियों की संयुक्त दल गठित कर कार्रवाई जाए। रिपोर्ट कलेक्टर को भेजी जाएगी। 

उन्होंने कंपनियों की ओर से अभी तक की गई जांच और लापरवाही पर कर्मचारियों पर की गई कार्यवाही का भी ब्यौरा पेश करने के निर्देश दिए हैं। इसके अलावा टोल फ्री नंबरों का प्रचार-प्रसार करने के निर्देश दिए। कलेक्टर ने पूछा की प्लांट से उपभोक्ता तक क्षतिग्रस्त या लीक सिलेंडर पहुंचे तो किस अधिकारी की जिम्मेदारी होगी? प्लांट से सिलेंडर की जांच मानकों के अनुसार किस अधिकारी ने की है और खराब पाए जाने पर कार्रवाई की जाती है या नहीं। गैस डिस्ट्रीब्यूटर की ओर से सप्लाई डंपिग प्वाइंट के क्या नियम है, इसकी पालना किस अधिकारी से कराई जा रही है। 


उन्होंने जानकारी मांगी कि गैस कंपनियों के अधिकारियों की ओर से डिस्ट्रीब्यूटर्स के यहां सिलेंडर भंडारण, सप्लाई आदि का कब-कब निरीक्षण किया जाता है। गैस सिलेंडर उपभोक्ता का दुर्घटना बीमा कितनी राशि का होता है। उसंबंधित दस्तावेज उपभोक्ता को किस तरह उपलब्ध कराते हो। उपभोक्ताओं की शिकायत सुनने और समाधान के लिए विभाग के स्तर पर क्या व्यवस्था है। घरेलू गैस सिलेंडरों का व्यवसायिक उपयोग पाए जाने पर गैस कंपनी के स्तर पर क्या कार्रवाई की जाती है। गत माह में कितने प्रकरणों में कार्यवाही की गई।

विधानसभा में बीजेपी ने उठाया महिला सुरक्षा का सवाल

जयपुर। राजस्थान विधानसभा में बीजेपी विधायक कालीचरण सराफ की ओर से जयपुर कमिश्नरेट में महिलाओं के अपहरण को लेकर सवाल पूछा गया। जिस पर सरकार की ओर से बताया गया कि नाबालिगों के अपहरण के 673 प्रकरण दर्ज हुए। जिनमें से 576 प्रकरणों में जांच कर निस्तारण कर दिया गया। 97 प्रकरणों में अनुसंधान किया जा रहा है।

महिलाओं के अपहरण के 152 मामले दर्ज हुए। जिनमें से 138 प्रकरणों में अनुसंधान कर निस्‍तारण की कार्यवाही की गई एवं 14 प्रकरणों में अनुसंधान किया जा रहा है। नाबालिगों के यौनाचार के 232 प्रकरण दर्ज हुए। जिनमें से 211 प्रकरणों में जांच कर उनका निस्तारण कर दिया गया। 21 प्रकरणों में जांच की जा रही है।

वहीं, सरकार के मुताबिक, महिलाओं के यौनाचार के कुल 376 प्रकरण दर्ज हुए। जिनमें से 332 प्रकरणों में अनुसंधान कर निस्‍तारण की कार्यवाही की गई। 44 प्रकरणों में अनुसंधान किया जा रहा है। 


पुलिस कमिश्‍नरेट जयपुर में नाबालिगों एवं महिलाओं के अपहरण यौनाचार में 563 आरोपियों को गिरफ्तारी कर चालान पेश न्‍यायालय में कर दिया गया है। 176 प्रकरणों में अनुसंधान किया जा रहा है।

राज्यसभा में 2022 तक तक बढ़ेगा कांग्रेस का दबदबा, घटेंगी बीजेपी की सीटे

जयपुर। राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में अब भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की सरकार नहीं है। ऐसे में राज्यसभा में भी बीजेपी की ताकत घटने के आसार हैं। इन तीनों राज्यों में विद्यायकों के अंकगणित के हिसाब से आगे आने वाले समय में बीजेपी को काफी नुकसान होने वाला है। फिलहाल, तीनों राज्यों की 26 सीटों में से बीजेपी के पास अभी 21 सीटें हैं। लेकिन 2022 के राज्यसभा चुनाव में बीजेपी इन तीनों राज्य में 12 या 13 सीटों पर सिमट सकती है। 

राज्यसभा के लिए 26 मार्च को हो रहे चुनाव में मध्य प्रदेश की तीन सीटों के लिए चुनाव होगा। अभी इसमें बीजेपी के पास दो और कांग्रेस के पास एक सीट है। इसमें कांग्रेस को दो सीटें आसानी से मिल जाएंगी, जबकि बीजेपी के खाते में एक सीट जाएगी। इसी तरह वर्ष 2022 में तीन सीटों के लिए चुनाव होगा। उस चुनाव में कांग्रेस के खाते में दो और बीजेपी के खाते में एक सीट जाएगी। इस तरह 2022 तक मध्यप्रदेश में बीजेपी के पास 11 में से छह सीटें होंगी।

राज्यसभा में इस समय कांग्रेस की सदस्य संख्या जीरो है, लेकिन नई विधानसभा में विधायकों की संख्या के हिसाब से इस साल 26 मार्च को हो रहे चुनाव में इसके दो सदस्य राज्यसभा में होंगे। बीजेपी को राजस्थान से 2020 में केवल एक सीट मिलेगी। राजस्थान में 2020 में तीन सीटें खाली हो रही हैं। इनमें विधायकों की संख्या बल के हिसाब से कांग्रेस को दो और बीजेपी को एक सीट मिल सकती है। हालांकि, कांग्रेस को दूसरी सीट के लिए निर्दलीय और सहयोगी दलों का सहारा लेना होगा।


इसी तरह से 2022 में राज्य में चार सीटें खाली हो रही हैं। इसमें कांग्रेस को दो सीटें आसानी से मिल जाएंगी, जबकि तीसरी सीट के लिए मुकाबला होगा। वहीं, बीजेपी को एक सीट मिलेगी और दूसरी सीट के लिए उसे सात और विधायकों की जरूरत पड़ेगी। ऐसी स्थिति में राज्य में चौथी सीट के लिए मुकाबला दिलचस्प हो सकता है। इस तरह राजस्थान में 2022 तक कांग्रेस शून्य से बढ़कर चार से पांच राज्यसभा सांसद वाली पार्टी हो जाएगी।

बीजेपी को छत्तीसगढ़ में सीधे तौर पर भारी नुकसान हो रहा है। मार्च में राज्य में दो सीटों के लिए चुनाव हो रहा है। कांग्रेस और बीजेपी के पास वर्तमान में एक-एक सीट है। लेकिन ये दोनों सीटें कांग्रेस के खाते में चली जाएंगी। इसी तरह 2022 में होने वाले चुनाव में दो सीटें कांग्रेस के खाते में चली जाएंगी।

गौरतलब है की, मध्यप्रदेश में 11, राजस्थान में 10 और छत्तीसगढ़ में पांच राज्यसभा सदस्य हैं। वर्तमान राज्यसभा में राजस्थान की दसों सीट पर बीजेपी का कब्जा है। मध्यप्रदेश में बीजेपी के पास आठ और कांग्रेस के पास तीन हैं। वहीं, छत्तीसगढ़ में बीजेपी के तीन और कांग्रेस के दो राज्यसभा सांसद हैं इन तीन राज्यों की 26 सीटों में से 21 सीटें बीजेपी के पास हैं और सिर्फ पांच सीटों पर कांग्रेस है, लेकिन 2022 तक बीजेपी 12 या 13 सीटों पर सिमट जाएगी।

2021 की जनगणना के कारण नये जिलों के गठन पर रोक - राजस्व मंत्री

जयपुर। राजस्व मंत्री  हरीश चौधरी ने गुरूवार को विधानसभा में बताया कि केन्द्र सरकार द्वारा 2021 की जनगणना का कार्य होने तक नये जिलों के गठन पर रोक लगाई गयी है। इसलिए वर्तमान में राज्य सरकार द्वारा सांभर को नया जिला बनाने की कार्यवाही करना संभव नहीं है। 

 चौधरी ने प्रश्नकाल में विधायकों द्वारा इस संबंध में पूछे गये पूरक प्रश्नों का जवाब देते हुए कहा कि 2021 की जनगणना का कार्य पूरा होने तक केन्द्र सरकार द्वारा सीमा परिवर्तन पर रोक लगाने के कारण राज्य सरकार द्वारा प्रदेश में किसी भी नये जिले के गठन की कार्यवाही नहीं की जा सकती है। उन्होंने बताया कि प्रति 10 वर्ष बाद केन्द्र द्वारा जनगणना का काम किया जाता है। 

इससे पहले  चौधरी ने विधायक श्री निर्मल कुमावत के मूल प्रश्न के लिखित जवाब में बताया कि राज्य सरकार द्वारा प्राप्त ज्ञापन का परीक्षण कर राज्य सरकार की नीति, प्रशासनिक आवश्यकताओं एवं वित्तीय संसाधनों की उपलब्धताओं के आधार पर नये जिले के गठन के संबंध में यथोचित निर्णय लिया जाता है। 

उन्होंने बताया कि वर्तमान में नवीन जिला बनाने का प्रस्ताव राज्य सरकार के में नहीं है। राज्य सरकार active consideration के परिपत्र क्रमांक प. 5(64) सीओआई-सम, डीईएस-2019-पार्ट-1-1160 दिनांक 15 अक्टूबर, 2019 के अन्तर्गत दिनांक 31 दिसंबर, 2019 के पश्चात राज्य में जिलों तहसीलों, कस्बों एवं ग्रामों के प्रशासनिक क्षेत्राधिकार सीमाओं में किसी भी प्रकार का परिवर्तन नहीं किया जायेगा जब तक कि 2021 की जनगणना का कार्य पूर्ण नहीं हो जाता।

कम्प्यूटर शिक्षा की अनिवार्यता के मद्देनजर कम्प्यूटर शिक्षक का अलग संवर्ग सृजित: गोविन्द सिंह डोटासरा

जयपुर। शिक्षा राज्य मंत्री गोविन्द सिंह डोटासरा ने गुरुवार को विधानसभा में बताया कि स्कूली बच्चों के लिए कम्प्यूटर शिक्षा की अनिवार्यता को देखते हुए राज्य सरकार द्वारा इस वर्ष की बजट घोषणा के तहत कम्प्यूटर शिक्षक का अलग से संवर्ग सृजित किया गया है। उन्होंने बताया कि प्रदेश में अब तक कम्प्यूटर शिक्षक का कोई संवर्ग नहीं होने से यह विषय अन्य प्रशिक्षित अध्यापकों द्वारा पढ़ाया जाता है।

डोटासरा प्रश्नकाल में विधायकों द्वारा इस संबंध में पूछे गये पूरक प्रश्नों का जवाब देते हुए कहा कि 11वीं कक्षा में किसी भी संकाय के विद्यार्थी कम्प्यूटर विषय ले सकते हैं, लेकिन कम्प्यूटर शिक्षक का कोई संवर्ग नहीं होने के कारण यह संभव नहीं था। अब बजट घोषणा के तहत कम्प्यूटर शिक्षक का नया संवर्ग सृजित होने के बाद 11वीं के विद्यार्थी भी कम्प्यूटर विषय ले सकेंगे।

उन्होंने बताया कि स्वपोषित क्लिक योजना के तहत विद्यालय विकास प्रबंध समिति से प्रस्ताव के माध्यम से आर.के सी.एल से शिक्षक लेकर छठी से दसवीं कक्षा के विद्यार्थियों के लिए कम्प्यूटर शिक्षा का प्रावधान किया गया था, लेकिन बच्चों से पैसे लेने के कारण यह ज्यादा प्रभावी नहीं हो सकी। उन्होंने कहा कि चूरू जिले के 31 विद्यालयों में अक्रियाशील कम्प्यूटर लैब को फिर से शुरू किया जाएगा। इसके लिए विद्यालय विकास प्रबंध समिति के फण्ड से नये कम्प्यूटर खरीदे जाएंगे तथा पुराने व खराब कम्प्यूटर को भी ठीक करवाया जाएगा। उन्होंने जानकारी दी की वर्तमान में 9वीं और 10 वीं कक्षा में कम्प्यूटर विषय पढ़ाया जाता है जिसके प्राप्तांक प्रतिशत श्रेणी में नहीं जुड़ते हैं।

इससे पहले डोटासरा ने विधायक राजेन्द्र राठौड़ के मूल प्रश्न के लिखित जवाब में बताया कि प्रदेश में माध्यमिक शिक्षा विभाग के अधीन संचालित 3 हजार 464 माध्यमिक एवं 11 हजार 137 उच्च माध्यमिक विद्यालयों में कक्षा-9 व कक्षा-10 में कम्प्यूटर विज्ञान विषय पढ़ाया जा रहा है। वर्तमान में कम्प्यूटर विज्ञान विषय विद्यालय में कार्यरत गणित अथवा विज्ञान के कम्प्यूटर में विभागीय स्तर पर प्रशिक्षण प्राप्त शिक्षक या आरकेसीएल, आरएससीआईटी प्रमाण पत्र प्राप्त शिक्षकों के द्वारा पढ़ाया जा रहा है, क्योंकि शिक्षक सेवा भर्ती में कम्प्यूटर शिक्षक पदनाम संवर्गित नहीं है।

डोटासरा ने बताया कि वर्ष 2020-21 की बजट घोषणा संख्या 99 द्वारा राज्य के माध्यमिक एवं उच्च माध्यमिक विद्यालयों में कम्प्यूटर शिक्षा के लिए कम्प्यूटर शिक्षक का केडर सृजन करने की घोषणा की गई है। जिला चूरू में कुल 492 माध्यमिक व उच्च माध्यमिक विद्यालयों में कम्प्यूटर लैब स्थापित है, जिनमें से 461 माध्यमिक व उच्च माध्यमिक विद्यालयों में कम्प्यूटर लैब संचालित हैं एवं 31 विद्यालयों में कम्प्यूटर लैब अक्रियाशील है, जिसको विद्यालय स्तर पर दुरस्त करवाकर संचालन किया जायेगा। विभाग में कम्प्यूटर शिक्षक पद नाम संवर्गित नहीं है, अतः कम्प्यूटर शिक्षक का कोई भी पद रिक्त नहीं है।

बिहार विधानसभा में जाति आधारित जनगणना कराने का प्रस्ताव पारित

बिहार विधानसभा के बजट सत्र के चौथे दिन गुरुवार को जाति आधारित जनगणना कराने के पक्ष में सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित कर दिया गया। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार प्रारंभ से ही जाति आधारित जनगणना कराने की वकालत करते रहे हैं। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने मंगलवार को विधानसभा में जाति आधारित जनगणना का प्रस्ताव रखा था, जिसे गुरुवार को सर्वसम्मति से पारित कर दिया गया। इसकी घोषणा विधानसभा अध्यक्ष विजय कुमार चौधरी ने सदन में की।

इस प्रस्ताव में केंद्र सरकार से मांग की गई है कि 2021 में जनगणना जाति आधारित हो। मुख्यमंत्री लंबे समय से जाति आधारित जनगणना की मांग करते रहे हैं।

बिहार विधानसभा के बाहर पत्रकारों से चर्चा करते हुए पथ निर्माण मंत्री नंदकिशोर यादव ने कहा कि इससे पहले भी विधानसभा से ऐसा प्रस्ताव पारित किया जा चुका है। अब इसे केंद्र सरकार को भेजा जाएगा।

इधर, राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के विधायक भाई वीरेंद्र ने कहा, "पार्टी अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव शुरू से ही जतिगत जनगणना की मांग करते रहे हैं, आज बिहार विधानसभा में विपक्ष की मांग के सामने सत्ता पक्ष को झुकना पड़ा और इस मुद्दे पर उन्हें प्रस्ताव पास करना पड़ा।"

उल्लेखनीय है कि इससे पहले मंगलवार को बिहार विधानसभा में राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) लागू नहीं करने तथा राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) में एक संशोधन के साथ वर्ष 2010 के प्रारूप में ही लागू करने का प्रस्ताव सर्वसम्मति से पारित किया गया था।

पत्रकारों की केशलेस मेडिक्लेम बीमा पॉलिसी का किया गया नवीनीकरण 1140 पत्रकारों का हुआ बीमा

जयपुर। राज्य के अधिस्वीेकृत पत्रकारों के लिए लागू केशलेस मेडिक्लेम बीमा पॉलिसी का आगामी वर्ष के लिए नवीनीकरण किया गया। 
 सूचना एवं जनसम्पर्क विभाग के आयुक्त  महेन्द्र सोनी ने राज्य के अधिस्वीकृत पत्रकारों के लिए लागु केशलेस मेडिक्लेम बीमा पॉलिसी का नवीनीकरण करने के लिए यूनाइटेड इण्डिया इन्श्योरेन्श कम्पनी लिमिटेड को वित्तीय वर्ष 2020-21 के लिए 1 करोड़ 26 लाख रूपये का चैक गुरूवार को सौपा। 

 सोनी ने बताया कि केशलेस मेडिकल बीमा पॉलिसी के अन्तर्गत 1140 अधिस्वीकृत पत्रकारों को पूर्व में जारी बीमा पॉलिसी का नवीनीकरण किया गया है। इस मेडिक्लेम पॉलिसी में पत्रकार एवं उनके पति/पत्नी, माता/पिता व 2 अव्यस्क बच्चों का बीमा कवर है। 

उन्होंने यूनाइटेड इण्डिया इन्श्योरेन्श कम्पनी लिमिटेड के वरिष्ठ मण्डल प्रबंधक  पी.के. खत्री को इस अवसर पर निर्देश दिए कि वह जल्द से जल्द केशलेस मेडिक्लेम कार्ड विभाग को उपलब्ध कराये जिससे आगामी 15 दिनों में सभी जिलों के जिला जनसम्पर्क अधिकारी के माध्यम से ये कार्ड संबंधित पत्रकारों में वितरित किये जा सके।

सूचना एवं जनसम्पर्क विभाग के आयुक्त ने बताया कि जिन 1140 अधिस्वीकृत पत्रकारों का बीमा पूर्व में किया जा चुका है उन्हें केवल आवेदन प्रपत्र भरना है। केशलेस मेडिक्लेम के लिए (यदि किसी अधिस्वीकृत पत्रकार का गत वर्ष बीमा नहीं था) नवीन आवेदन करने वाले अधिस्वीकृत पत्रकारों को आवेदन पत्र के साथ नवीनतन अधिस्वीकृत कार्ड की स्वप्रमाणित छाया प्रति, संबंधित पत्रकार द्वारा आश्रितों की जन्म तिथि संबंधित प्रमाण पत्र की स्वप्रमाणित छाया प्रति, वर्तमान/स्थायी पते संबंधी आईडी की स्वप्रमाणित छाया प्रति, स्वं का वार्षिक आय प्रमाण पत्र, बीमारी की स्थिति में संबंधित डॉक्टर का प्रमाण पत्र संलग्न करना आवश्यक हैं। उन्होंने कहा कि अधिस्वीकृत पत्रकार आवेदन पत्र संबंधित जिला सूचना जनसम्पर्क अधिकारी के यहां जमा करावें।


इस अवसर पर सूचना एवं जनसम्पर्क विभाग के अतिरिक्त निदेशक (प्रशासन)  राजपाल सिंह यादव, विभाग के वित्तिय सलाहकार श्रीमती अनुपमा शर्मा, विभाग के अतिरिक्त निदेशक (पीआरबी)  प्रेम प्रकाश त्रिपाठी, अतिरिक्त निदेशक (एफपी) श्रीमती अल्का सक्सेना, संयुक्त निदेशक  अरूण जोशी एवं अन्य अधिकारीगण मौजूद थे। 

देवस्थान की जमीन पर कांग्रेस जयपुर शहर अध्यक्ष का कब्जा



जयपुर। राजस्थान विधानसभा में प्रश्नकाल के दौरान प्रदेश के देवस्थान के मंदिरों और दुकानों से प्राप्त आय का मामला गूंजा। विधायक अशोक लाहोटी के सवाल पर पर्यटन मंत्री विश्वेंद्र सिंह ने कहा कि विभाग की कई संपत्तियों पर अनाधिकृत रूप सी कब्जे हैं। जिन्हें छुड़ाने की कार्रवाई की जा रही है। विभाग की ओर से नई पॉलिसी कैबिनेट में मंजूर हो चुकी है। जल्द ही इसे लागू किया जाएगा।

अशोक लाहोटी ने कहा कि जयपुर शहर कांग्रेस अध्यक्ष का भी कब्जा है, क्या उन्हें बेदखल किया जाएगा। मंत्री ने जवाब दिया कि कांग्रेस जयपुर शहर अध्यक्ष, जिला कांग्रेस कमेटी ने अवैध रूप से 28 जून 2011 से देवस्थान विभाग की संपत्ति पर कब्जा कर रखा है। बेदखल करने के लिए सम्पदाधिकारी न्यायालय में मामला दायर किया गया है। साथ ही किराया जमा कराने के लिए जयपुर शहर अध्यक्ष, जिला कांग्रेस कमेटी को खत लिखा गया है। 

प्रश्न के जवाब में यह भी बताया गया है कि वित्‍तीय वर्ष 2018-19 में आठ करोड चौवन लाख पच्‍चीस हजार दो सौ इक्‍कीस रूपये और वर्तमान वित्‍तीय वर्ष 2019-20 में दिनांक 31 जनवरी 2020 तक नौ करोड चौसठ लाख दो हजार तीन सौ उन्‍नीस रूपये किरायेदारों पर बकाया है। मंत्री विश्वेंद्र सिहं ने कहा कि इस बकाया राशि की वसूली के लिए सक्षम न्‍यायालय में वाद दायर किये गये हैं तथा शीघ्र वसूली के लिए समय- समय पर संबधित को निदेर्शित किया जाता रहा है । उन्होंने कहा कि विभाग ने  प्रदेश के देवस्‍थान मंदिरों के अधीन दुकानों, आवासीय व व्‍यावसायिक परिसर किराये पर दिये हुये हैं।

बुधवार, 26 फ़रवरी 2020

प्रशांत किशोर राजनीति के टेंट!

इस देश में कुछ लोगों का व्यक्तित्व इंसान की तरह नहीं बल्कि टेंट की तरह होता है। उन्हें वे कहीं भी कभी भी ,किसी भी आयोजन में इस्तेमालकर लिया जाता है। वे शादी से लेकर मरने के बाद चौथे तक के कार् में टेंट की तरह सीना तान कर खड़े हो जाते हैं व उस आयोजन की शोभा बढ़ाते हैं।

भारतीय राजनीति के नए रणनीतिकार कहे जाने वाले प्रशांत किशोर के बारे में अपनी यही राय है। उन्होंने एक टेंट की तरह भाजपा से लेकर कांग्रेस तक के अंगने में छाने व उसके कार्यक्रमों को सफल बनाने का काम किया। उन्होंने पहली बार 2011 में नरेंद्र मोदी के संपर्क में आकर उन्हें 2012 में होने वाले गुजरात विधानसभा चुनाव को जिताने का काम किया था। तीसरी बार मुख्यमंत्री बनने के बाद मोदी उनसे इतना ज्यादा खुश हुए कि उन्होंने उन्हें 2014 में लोकसभा चुनाव की सारी जिम्मेदारी सौंप दी व उन्हें इसमें पूर्ण बहुमत हासिल हुआ व प्रशांत किशोर तो मानो विजय के देवरहा बाबा व आसाराम की तरह हो गए।  

मतलब वे धर्म, जाति, पार्टी से ऊपर उठकर एक सेलफोन कंपनी की तरह हर पार्टी व नेता को अपनी सेवाएं देने लगे व उनसे संपर्क स्थापित किया। 2016 में पंजाब विधानसभा चुनाव अभियान की रणनीति तैयार करने के लिए कांग्रेस ने उनसे सेवाएं ली मगर कैप्टन अमरेंद्र सिंह ने उन्हें ज्यादा अहमियत नहीं दी। इस चुनाव में लगातार दो बार हारी कांग्रेस पार्टी जीत गई व रणदीपसिंह सुरजेवाला व शंकर सिंह वाघेला ने उन्हें जीत का श्रेय दिया। उनकी सफलता को देखते हुए वाईएस जगनमोहन रेड्डी ने मई 2017 में प्रशांत किशोर को अपना राजनीतिक सलाहकार नियुक्त किया। उनके संगठन ने उनके लिए समराला संवरवरम, अन्ना पिलुपु और प्रजा संकल्प यात्रा सरीखे चुनाव अभियान तैयार किए व उन्होंने 175 में से 151 सीटों पर जीत हासिल की।

मगर उससे पहले का रिकार्ड भी है। साल 2017 में होने वाले उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में कांग्रेस द्वारा प्रशांत किशोर को अपना रणनीतिकार बनाए जाने के बावजूद वहां भाजपा ने 300 से ज्यादा सीटे जीती जबकि कांग्रेस महज सात सीटो पर सिमट कर रह गई। तब एक वरिष्ठ पत्रकार ने यह खुलासा किया था कि वास्तव में कांग्रेस पार्टी कभी उन्हें अपना रणनीतिकार नहीं बनाना चाहती थी। मगर कांग्रेस नेतृत्व ने प्रशांत किशोर को उन पर थोप दिया।

अब यह कहा जा रहा है कि हाल में दिल्ली विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी ने उन्हें अपना सलाहकार बनाया था व तमिलनाडु में द्रमुक प्रमुख एमके स्टालिन ने 2021 में होने वाले विधानसभा चुनावो के लिए उनकी सेवाएं ली हैं। इससे पहले 2015 के विधानसभा चुनाव में प्रशांत किशोर ने नीतिश कुमार के साथ मिलकर उन्हें तीसरी बार मुख्यमंत्री बनाने में मदद की थी। चुनाव जीतने के बाद नीतिश कुमार ने उन्हें कार्यक्रम नियोजन पर अपना सलाहकार बना दिया।

उनका विरोध होने के बावजूद नीतिश कुमार ने उन्हें बहुत अहमियत दी व उनको पार्टी का उपाध्यक्ष बना दिया। इससे पार्टी के कई वरिष्ठ नेता उन्हें नापसंद करने लगे। मुख्यमंत्री ने उन्हें कैबिनेट मंत्री का दर्जा दे दिया मगर पिछले कुछ महीनो से उनके व नीतिश के संबंध खराब होने लगे। नागरिकता संशोधन विधेयक पर यह अंतर्विरोध खुलकर सामने आया। जहां जनता दल (यू) ने संसद के दोनों सदनों में इस विधेयक का समर्थन किया वहीं पीके ने खुलकर इसका विरोध किया। पीके ने नीतिश पर हमला करते हुए कहा कि 2005 के बाद बिहार का जरा भी विकास नहीं हुआ। मालूम हो कि 2005 में ही नीतिश ने सत्ता संभाली थी।

ध्यान रहे कि बिहार के विधानसभा चुनाव के पहले पीके के कहने पर ही नीतिश महागठबंधन में शामिल हुए थे व उन्होंने ही उनके कहने पर राजद-कांग्रेस व गठबंधन सहयोगी दलों के साथ सीटों का बंटवारा किया। तब लालू यादव ने पीके को नीतिश कुमार का दिमाग बताया था। पहले पीके कहते थे कि नीतिश कुमार की विचारधारा जेपी, राम मनोहर लोहिया व कर्पूरी ठाकुर की विचारधारा से मिलती है। मगर जब दोनों के संबंध खराब हो गए तो वे कहने लगे कि जो व्यक्ति नाथूराम गोडसे की पार्टी (भाजपा) के नेताओं के साथ गठबंधन कर रहा हो उसका उन लोगों की विचारधारा से क्या लेना-देना। जब टकराव और ज्यादा बढ़ा तो नीतिश कुमार ने कहा कि उन्होंने तो अमित शाह के कहने पर पीके को पार्टी में लिया था।

उधर पश्चिम बंगाल में भी पीके का टेंट लगा है। बंगालमें भाजपा अपने पैर जमाने की कोशिश कर रही है?  उसने पिछले लोकसभा चुनाव में 18 सीटें हासिल की थी। जब हाल में पीके पुनः ममता बनर्जी की मदद करने लगे तो भाजपा की उनसे नाराजगी बढ़ी। ध्यान रहे कि बिहार में भाजपा व जद(यू) मिलकर सरकार चला रहे हैं। उत्तर प्रदेश चुनाव में उनका जादू न चलने के बाद नीतिश कुमार पर उनका जादू उतर गया। वह मानते थे कि पंजाब में कांग्रेस की जीत की वजह कैप्टन अमरिंद्र सिंह थे व कांग्रेस को पीके का कुछ असर नहीं था। ध्यान रहे कि पश्चिम बंगाल में2021 में विधानसभा चुनाव होने हैं व बिहार के निकट आ रहे विधानसभा चुनावों को देखते हुए पीके ने मोदी विरोधी दलों व नेताओं को एकजुट करना शुरू कर दिया है।

लगता है कि दूसरे दलों को सत्ता में लाने के प्रयोग के सफल होने के कारण पीके के मुंह में भी खुद सत्ता में आने का स्वाद लग गया है। उन्होंने बिहार की बात संगठन के जरिए इस अभियान की शुरुआत की है। वे चाहते हैं कि बिहार में आठ महीने बाद होने वाले विधानसभा चुनाव में वे भाजपा-जद(यू) गठबंधन को विपक्ष के जरिए कड़ी चुनौती दे। इसके लिए वे जेएनयू के पूर्व छात्र संघ अध्यक्ष कन्हैया कुमार की मदद लेना चाहते हैं। हालांकि लालू यादव की राजद ने उन्हें ज्यादा अहमियत नहीं दी है।

मेरा शुरू से मानना रहा है कि भाड़े के सैनिको की किसी के प्रति आस्था नहीं होती है। पीके तो सैनिक नहीं कमांडर है। मुझे तो कई बार वे उस बंदर की तरह लगते हैं जिससे प्रसन्न होकर उसके मालिक राजा ने उसे अपना अंगरक्षक तैनात करते हुए उसके हाथ में तलवार थमा दी थी व एक दिन उस बंदर ने राजा के सोते समय उन्हें परेशान कर रही मक्खी को मारने के लिए उनकी गर्दन पर तलवार चला दी थी जब वह उनकी गर्दन पर जा बैठी थी।
जयपुर। बूंदी जिले में बुधवार की सुबह एक निजी बस के नदी में गिरने से 25 लोगों की मौत हो गई और चार अन्य घायल हो गए। बस में बारात के लोग सवार थे। यह दुर्घटना बूंदी में कोटा-दौसा राजमार्ग पर सुबह 9 बजे के आसपास हुई। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिडला ने इस घटना को लेकर शोक जताया है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने हादसे पर दुख प्रकट करते हुए मृतक के परिजनों को दो-दो लाख रुपए देने की घोषणा की है। ये सहायता मुख्यमंत्री सहायता कोष से दी जाएगी।

इस हादसे में बचे लोगों का कहना है कि बस के पुल को पार करने के दौरान चालक ने बस पर नियंत्रण खो दिया, जिससे यह हादसा हुआ।

पुलिस अधिकारी ने बताया कि बस कोटा से सवाई माधोपुर को जा रही थी, जब पपडी गांव के निकट पुल से गुजरने के दौरान यह बेकाबू हो गई और पुल पर रेलिंग नहीं होने से मेज नदी में गिर गई। नागौर के सांसद हनुमान बेनीवाल ने हादसे पर दुख जताया और कहा कि मेज नदी में बस के गिरने से लोगों के निधन की खबर से दुखी हूं। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने भी घटना को लेकर ट्वीट किया।

मुख्यमंत्री गहलोत ने बताया कि मुझे बूंदी में हुए हादसे के बारे में जानकर गहरा दुख हुआ है जिसमें बस के मेज नदी में गिर जाने से करीब 25 लोगों की जान चली गई है। शोक संतप्त परिवारों के प्रति मेरी हार्दिक संवेदना है, जिन्होंने इस हादसे में अपने प्रियजनों को खो दिया है। मैं सभी घायलों के जल्द से जल्द स्वस्थ होने की कामना करता हूं।

इस बीच पुलिस अधिकारियों ने पुष्टि की कि 13 लोगों की मौके पर ही मौत हो गई, जबकि अन्य की मौत अस्पताल ले जाने के दौरान हुई। मृतकों में 11 पुरुष, 10 महिलाएं और चार बच्चे शामिल हैं। 

पुलिस अधिकारियों ने कहा कि पांच गंभीर रूप से घायलों को कोटा के सरकारी अस्पताल में रेफर किया गया है।मृतकों में ज्यादातर एक ही परिवार से हैं, जो कोटा से हैं। उन्होंने कहा कि स्थानीय ग्रामीणों ने शवों व घायलों को निकालने में मदद की।

सामूहिक विवाह अनुदान योजना के लंबित प्रकरणों में वित्तीय प्रबंधन होते ही दी जाएगी अनुदान राशि - महिला एवं बाल विकास राज्य मंत्री

जयपुर। महिला एवं बाल विकास राज्य मंत्री श्रीमती ममता भूपेश ने बुधवार को विधानसभा में कहा कि प्रदेश में सामूहिक विवाह अनुदान योजना के तहत लंबित प्रकरणों को वित्तीय प्रबंधन होते ही तुरन्त अनुदान राशि स्वीकृत कर दी जायेगी। 

श्रीमती भूपेश प्रश्नकाल में विधायकों द्वारा इस संबंध में पूछे गये पूरक प्रश्नों का जवाब दे रहे थी। उन्होंने कहा कि योजना के तहत 309 संस्थाओं द्वारा आवेदन किया गया था, जिसमें से 214 संस्थाओं को अनुदान हेतु मान्य माना गया। अब तक 50 संस्थाओं को अनुदान राशि प्रदान की जा चुकी है तथा शेष 159 आवेदनों को अनुदान राशि दिये जाने की कार्यवाही प्रक्रियाधीन है।

उन्होंने बताया कि गत सरकार द्वारा राजस्थान सामूहिक विवाह एवं अनुदान नियम 2018 के तहत जोड़ों को 15 दिवस में पंजीयन कराना आवश्यक कर प्रक्रिया को जटिल बनाया गया, जिसके कारण संस्थाएं और जोड़े पंजीयन नहीं करवा पाएं। अब हम पुनः योजना सरलीकरण कर प्रक्रिया को ऑनलाइन कर 15 दिवस की बाध्यता को खत्म कर 60 दिवस करने जा रहे है।  

श्रीमती ममता भूपेश ने बताया कि गत सरकार द्वारा वर्ष 2018-19 में 5 करोड़ 84 लाख रुपये बकाया छोड़े गये थे। उन्होंने बताया कि सरकार द्वारा वर्तमान में योजना के तहत साढे़ 6 करोड़ रुपये की अनुदान राशि दी जा चुकी है। उन्होंने कहा कि गत सरकार द्वारा यदि बकाया राशि नहीं छोड़ी जाती तो अब तक शेष रहे 159 आवेदनों को भी अनुदान राशि स्वीकृत की जा चुकी होती।  

इससे पहले विधायक श्रीमती अनिता भदेल के मूूल प्रश्न के जवाब में श्रीमती भूपेश ने बताया कि विवाह समारोह में फिजूलखर्ची को रोकने के लिए सामूहिक विवाह को प्रोत्साहन देने के लिए राज्य सरकार द्वारा राजस्थान सामूहिक विवाह एवं अनुदान नियम 2018 के अन्तर्गत सामूहिक विवाहों के लिए अनुदान योजना संचालित है। जिसके अन्तर्गत संस्था को प्रति जोड़ा अनुदान राशि 18,000 रुपये है। जिसमें से 15000 रुपये वधू को व 3000 संस्था को अनुदान देय है।

उन्होंने बताया कि वित्तीय संसाधनों की उपलब्धता के अनुसार आगामी वर्षो में सामूहिक विवाह अनुदान योजना को बढ़ावा देते हुए दी जाने वाली अनुदान राशि में वृद्धि की जायेगी।

श्रीमती भूपेश ने सामूहिक विवाह योजना के तहत पिछले एक वर्ष 2019 में 309 संस्थाओं द्वारा जिन तिथियों पर अनुदान हेतु आवेदनों की सूचना,  214 संस्थाओं के स्वीकृत आवेदनों में से 159 आवेदन लम्बित है, उनके लम्बित होने के कारणों की जिलेवार सूची तथा 50 संस्थाओं को अनुदान की राशि प्राप्त हुयी है। इनका सम्पूर्ण विवरण सदन के पटल पर रखा।

आंगनबाड़ी केन्द्रों का निर्माण व्यापारिक सीएसआर के तहत - महिला एवं बाल विकास राज्य मंत्री

जयपुर। महिला एवं बाल विकास राज्य मंत्री श्रीमती ममता भूपेश ने बुधवार को विधानसभा में कहा कि व्यापारिक क्षेत्र में लोग सीएसआर के माध्यम से आंगनबाड़ी केन्द्र का निर्माण करवाएं जिससे प्रदेश में आंगनबाड़ी केन्द्रों की संख्या में इजाफा हो सके।

   श्रीमती भूपेश प्रश्नकाल में विधायकों द्वारा इस संबंध में पूछे गये पूरक प्रश्नों का जवाब दे रही थी। उन्होंने कहा कि आंगनबाड़ी केन्द्र के लिए ग्रामीण क्षेत्र में 10 गुना 14 का कमरा किचन व बरामदा तथा 200 गज जमीन तथा शहरी क्षेत्र में एक कमरा तथा बरामदा की आवश्यकता होती है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में विभिन्न संस्थाएं सीएसआर के माध्यम से आंगनबाड़ी केन्द्रों का निर्माण करवा रही है। उन्होंने कहा कि किशनगढ़ विधानसभा क्षेत्र व्यापारिक रुप से बहुत समृद्ध है, उन्होंने आग्रह किया कि वहां व्यापारिक लोग सीएसआर फंड के माध्यम से आंगनबाड़ी केन्द्र बनाएं जिससे किशनगढ़ पूरे प्रदेश में आगनबाड़ी केन्द्रों के लिहाज से आदर्श क्षेत्र बन सकें।

श्रीमती भूपेश ने बताया कि आंगनबाड़ी केन्द्र के भवन निर्माण में 7 लाख रुपये की लगत लगती है जिसमे 5 लाख रुपये नरेगा तथा दो लाख रुपये विभाग द्वारा व्यय किया जाता है। उन्होंने बताया कि आंगनबाड़ी केन्द्र के भवन निर्माण में केन्द्र एवं राज्य सरकार का 60ः40 का अनुपात होता है। उन्होंने बताया कि  अगर केन्द्र 60 के अनुपात में राशि दे देती है तो राज्य सरकार तुरन्त ही 40 प्रतिशत राशि आंगनबाड़ी के भवन निर्माण में दे देगी।

इससे पहले विधायक श्री सुरेश टाक के मूल प्रश्न के लिखित जवाब में श्रीमती भूपेश ने बताया कि विधानसभा क्षेत्र किशनगढ़ के अन्तर्गत तीन परियोजनाएं क्रमशः किशनगढ़ शहर, किशनगढ़ ग्रामीण, अराई संचालित है। उन्होंने संचालन की स्थिति का विवरण सदन के पटल पर रखा। श्रीमती भूपेश ने आंगनबाड़ी केन्द्राें का विवरण भी सदन के पटल पर रखा। उन्होंने बताया कि आंगनबाड़ी केन्द्रों के भवन निर्माण का कार्य पंचायतीराज निकाय/ स्थानीय निकाय/ राजस्व विभाग से भूमि आवंटन हो जाने पर विभाग द्वारा वित्तीय संसाधन की उपलब्धता के आधार पर विभागीय योजना के तहत करवाया जाता है।

राजस्थान विधानसभा में घिरे सरकार के 2 मंत्री

जयपुर। अधूरी तैयारी के साथ विधानसभा में आने पर बुधवार को सरकार के दो मंत्री अर्जुन बामणिया व सालेह मोहम्मद विपक्ष से बुरी तरह घिर गए। नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया ने तो यहां तक कह दिया कि यह सदन है, कोई मजाक नहीं जो बिना तैयारी चले आते है। बजट सत्र में ऐसा कई बार हो चुका है जब अधूरी तैयारी के कारण मंत्री विपक्ष के निशाने पर रहे।

विधानसभा के प्रश्नकाल में बुधवार को फिर सरकार के मंत्रियों की पोल खुल गयी जब अधूरी तैयारी के कारण सदन में आने पर विपक्ष ने जनजातीय विकास मंत्री अर्जुन बामणिया व अल्पसंख्यक मामलात मंत्री सालेह मोहम्मद को घेरा। सालेह मोहम्मद तो अपनी ही पार्टी के विधायक चेतन डूडी के सवालों का जवाब नहीं दे सके। रेवदर विधायक जगसीराम ने विधानसभा क्षेत्र के जनजाति छात्रों को प्रतियोगी परीक्षा पूर्व प्रशिक्षण व खेल प्रतिभाओं के विकास की योजना में लाभान्वित नहीं करने का मामला उठाया। मंत्री अर्जुन सिंह बामनिया ने अधूरा जवाब दिया। नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया ने कहा की मंत्री को सदन की मेज पर विवरण रखना था, लेकिन यह विवरण मेज पर नहीं रखा गया। आखिर यह विवरण कहां पर है?

वहीं, स्पीकर सीपी जोशी ने भी मंत्री से कहा कि सीधे सवाल का सीधा जवाब दिया जाए। लेकिन फिर भी मंत्री पूरा जवाब नहीं दे सके। इस पर गुलाबचंद कटारिया ने कहा कि इस सदन है कोई मजाक नहीं है। बिना तैयारी के आ जाते है मंत्री। न पढ़कर सदन में आते है न उत्तर बताते है। इसके बाद सदन में हंगामे की स्थिति बन गई। इसके बाद मंत्री रघु शर्मा व अशोक चांदना ने कटारिया पर पलटवार किया और कहा कि नेता प्रतिपक्ष के बोलने का यह कोई तरीका नहीं है।


इससे पहले अल्पसंख्यक मामलात मंत्री सालेह मोहम्मद भी अपने ही पार्टी के विधायक चेतन डूडी से घिर गए। चेतन ने डीडवाना विधानसभा क्षेत्र में हुआ संपत्तियों पर अतिक्रमण के बारे में सवाल पूछा था सवाल के जवाब में मंत्री ने स्थानीय निवासियों द्वारा अतिक्रमण की बात कही, लेकिन अतिक्रमणकारियों के नाम नहीं बता सके। विधायक चेतन ने बार-बार अतिक्रमणकारियों के नाम पूछे तो मंत्री ने कहा कि मैं विधायक को इस मामले की अलग से जानकारी दे दूंगा।

खास बात यह है कि अतिक्रमणकारी के नाम महज दो थे लेकिन मंत्री इसकी भी सूचना सदन में लेकर नहीं आए। बजट सत्र में मंत्रियों के प्रदर्शन के देखते हुए कहा जा सकता है कि कई मंत्री पूरी तरह से अधिकारियों के लिखे गए जवाबों पर निर्भर है और खुद अपने स्तर पर तैयारी करके नहीं आते। मंत्रियों की अधूरी तैयारी के कारण विधानसभा में सरकार की किरकिरी हो रही है।

राजस्थान विधानसभा में गहलोत सरकार का फ्लोर मैनेजमेंट फेल

जयपुर। राजस्थान विधानसभा में बुधवार को सरकार का फ्लोर मैनेजमेंट तब फेल नजर आया जब सदन में विधायकों की कम संख्या को देखते हुए विपक्ष ने राजस्थान विनियोग विधेयक पर मत विभाजन की मांग कर डाली। सभापति के इस मांग को ठुकराए जाने पर सदन में जोरदार हंगामा हुआ और बीजेपी विधायकों ने बायकाट कर अपना विरोध जताया। हालांकि, संसदीय कार्य मंत्री शांति धारीवाल का दावा था कि सदन में कांग्रेस के विधायकों की संख्या बीजेपी के विधायकों की संख्या से दोगुनी थी।

विधानसभा की कार्यवाही के दौरान विधायकों का सदन से बाहर रहना सरकार को महंगा पड़ जाता लेकिन सभापति के फैसले के कारण संकट टल गया। दरअसल, राजस्थान विनियोग विधेयक को पारित करते समय विपक्ष ने मत विभाजन की मांग कर ली। उपनेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने कहा कि यह वित्त विधेयक है और सदन में सरकार अल्पमत में आ गई है इसलिए इसको भंग किया जाए। 

राठौर ने विधानसभा में चिल्लाते हुए कहा कि सदन के सभी दरवाजे तुरंत बंद कराया जाए और विधायकों की संख्या कि नहीं जाए। आसन पर मौजूद सभापति राजेंद्र पारीक भी कुछ देर के लिए असहज नजर आए और वह विधेयक को पारित कराने के लिए बार-बार हां और ना बुलाते रहे। इसी बीच कांग्रेसी विधायकों में अफरा-तफरी नजर आई और वे विधानसभा के कमरों से भागकर सदन में पहुंचे।


इस बीच संसदीय कार्य मंत्री शांति धारीवाल ने सत्ता पक्ष की तरफ से मोर्चा संभाला उन्होंने कहा कि सदन में हमारे विधायकों की संख्या विपक्ष के विधायकों की संख्या से दोगुनी है और चाहे तो वोटिंग करा लें। इस बीच बीजेपी की विधायक वेल में पहुंच गए और नारेबाजी करते हुए मत विभाजन की मांग करते रहे। लेकिन सभापति राजेंद्र पारीक ने उनकी मांग नहीं मानी। इसी बीच शांति धारीवाल ने फिर कहा कि बीजेपी के विधायक मुट्ठी भर है और फिलहाल इनकी संख्या 28 है। हमारे कांग्रेस के विधायक 56 मौजूद है। धारीवाल ने यह भी टिप्पणी की कि बीजेपी के कैलाश मेघवाल भी हमारे साथ है। इस बीच सभापति ने ध्वनिमत से विधायक को पारित करा दिया तो बीजेपी के विधायकों ने नारेबाजी करते हुए विधानसभा से बायकॉट कर दिया। 

वित्त विधेयक पर यदि मतदान हो जाता है और उस दौरान सदन में सत्तापक्ष की संख्या कम होती है तो सरकार अल्पमत में आ जाती है, उसे इस्तीफा देना पड़ता है। पिछले कई दिनों से देखा जा रहा है कि सदन की कार्यवाही के दौरान अधिकांश विधायक नदारद रहते हैं। कई बार तो स्थिति ऐसी होती है कि 12 मंत्री ही सदन में नजर आते विपक्ष पहले भी कई मुद्दों पर मत विभाजन की मांग कर चुका है, लेकिन उनकी मांग ठुकरा दी गई। 

बुधवार को भी सदन में विधायकों की कम संख्या देखकर उप नेता प्रतिपक्ष ने रणनीति के तहत मत विभाजन की मांग उठा ली। आज के इस वाकये के बाद एक बार फिर सदन में फ्लोर मैनेजमेंट की कलई खुल गई। मुख्य सचेतक और उप मुख्य सचेतक के बार-बार कहने के बावजूद कांग्रेसी विधायक सदन में मौजूद नहीं रहते। अब देखना यह है कि आज के इस घटनाक्रम के बाद सत्ता पक्ष सदन में भविष्य के लिए क्या रणनीति बनाता है।

सांसद-विधायक कोष में कमीशन खोरी पर सियासत गरमाई

जयपुर। बीजेपी विधायक मदन दिलावर के सांसद-विधायक कोष निधि में कमीशन खोरी के मामले से प्रदेश की सियासत गर्मा गई है। मंगलवार को विधानसभा में मुद्दा उठाने के बाद बुधवार को भी मदन दिलावर ने इस मामले को लेकर बयान दिया है। उन्होंने कहा है जिस तरीके से उन्हें 40% कमीशन का ऑफर हुआ है, उससे लगता है कि मामला बहुत गंभीर है। यह खेल बहुत बड़ा है. मदन दिलावर ने मुख्यमंत्री से पिछले 10 सालों के विधायक और सांसद निधि कोष से हुए कामों की जांच कराने की मांग की है।

विधायक सांसद निधि कोष से काम कराने के बदले कमीशन के मामले को लेकर बीजेपी विधायक मदन दिलावर ने बुधवार को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत फिर जांच की मांग की। कल विधानसभा में इस मुद्दे को उठाने के बाद विधानसभा में मीडिया से बात करते हुए मदन दिलावर ने कहा जिस तरीके से मुझे कमीशन का ऑफर हुआ लगता है, मामला बहुत बड़ा है। इस मामले की जांच होनी चाहिए मुख्यमंत्री को इस प्रकरण की एसीबी से जांच करवानी चाहिए। दिलावर ने कहा है मुख्यमंत्री को पिछले 10 साल से प्रदेश में सांसद और विधायक कोष से हुए कामों की जांच करवानी चाहिए।

गौरतलब है कि बीजेपी विधायक मदन दिलावर ने कल सदन में कहा था कि विधायक-सांसद निधि से काम कराने के बदले 40% कमीशन दिया जा रहा है। दिलावर ने कहा कि ठेकेदार सुहेल खान ने उन्हें भी 40 प्रतिशत कमीशन का ऑफर देते हुए कहा कि वह कई विधायकों और सांसदों के साथ प्रदेश में काम कर चुका है। 


साथ ही दिलावर ने कहा कि मोक्षधाम सहित कई जगहों पर काम कराने के लिए सुहेल ने यह ऑफर दिया। उसने कहा कि राजफेड के जरिए टेंडर निकालकर काम कराया जाएगा।  विधायक निधि कोष के लिए साल में विधायक को सवा दो करोड रुपए की राशि मिलती है। वहीं, सांसद के लिए साल में यह रकम 5 करोड़ है।   

मंगलवार, 25 फ़रवरी 2020

बस स्टैण्ड बूंदी को अन्यत्र स्थानांतरित करने का विचार नहीं - परिवहन मंत्री

जयपुर। परिवहन मंत्री  प्रतापसिंह खाचरियावास ने मंगलवार को विधान सभा में बताया कि बूंदी जिला मुख्यालय बस स्टैण्ड कचहरी तथा कलेक्ट्रेट के नजदीक स्थित है। लोगों की सुविधा को देखते हुए इसे अन्यत्र स्थानांतरित करने का कोई विचार नहीं है।

 खाचरियावास ने प्रश्नकाल के दौरान विधायकों की ओर से इस सम्बन्ध में पूछे गए पूरक प्रश्नों का जवाब देते हुए बताया कि जिले के मास्टर प्लान में बस स्टैण्ड के लिए यही स्थान तय किया गया है। अतः इसे स्थानान्तरित नहीं किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि बस स्टैण्ड बूंदी को आधुनिक सुविधायुक्त बनाने का काम विधायक फण्ड से किया जा सकता है।

इससे पहले परिवहन मंत्री ने विधायक  अशोक डोगरा के मूल प्रश्न का जवाब देते हुए बताया कि यात्रियों को बेहतर सुविधा प्रदान करने के उद्देश्य  से राजस्थान राज्य पथ परिवहन निगम, बून्दी में आधुनिक सुविधायुक्त बस स्टैण्ड का निर्माण करवाना चाहती है, किन्तु निगम की वर्तमान वित्तीय स्थिति को देखते हुए निगम के वित्तीय स्त्रोतों से निर्माण कार्य वर्तमान में सम्पादित करवाया जाना सम्भव नहीं है ।

उन्होंने बताया कि रोकड़ तरलता एवं वित्तीय साध्यता होने पर निगम के जिला मुख्यालय, बून्दी के बस स्टैण्ड पर सुव्यवस्थित तरीके से निर्माण कार्य करवाये जा सकेंगे। बून्दी बस स्टैण्ड को वर्तमान स्थान से अन्यत्र स्थानान्तरित करने का प्रस्ताव विचाराधीन नहीं है।

राजस्थान परिवहन मंत्री का भाजपा ने फूंका पुतला, मांगा इस्तीफा

राजधानी जयपुर जिले में मंगलवार को भाजपा ने परिवहन मंत्रालय में भ्रष्टाचार का विरोध जताते हुए जयपुर शहर के विभिन्न इलाकों में मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास का पुतला फूंका और इस्तीफे के मांग करते हुए मुर्दाबाद के नारे लगाए। बता दें कि इस पूरे विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व प्रदेश भाजपा ने किया जिसमें भाजपा के नेताओं और कार्यकर्ताओं को जयपुर शहर में विरोध प्रदर्शन करने की जिम्मेदारी सौंपी गई। जिसमें सिविल लाइन, शास्त्री नगर, गुर्जर की थड़ी इत्यादि जगहों पर आज परिवहन मंत्री का पुतला फूंका गया।

जयपुर शहर अध्यक्ष सुनील कोठारी ने कांवटिया सर्किल पर पुतला फूंका, तो पूर्व मंत्री अरुण चतुर्वेदी ने सिविल लाइन विधानसभा क्षेत्र के रामनगर हवा सड़क और जयपुर सांसद रामचरण बोहरा ने गुर्जर की थड़ी इलाके में फूंका पुतला। पूर्व विधायक मोहनलाल गुप्ता ने सोडाला स्थित चार नम्बर डिस्पेंसरी तिराहे पर अपने कार्यकर्ताओं के साथ प्रताप सिंह खाचरियावास का पुतला फूंका और इस्तीफे की मांग की।

बता दें कि कुछ दिन पूर्व राजस्थान परिवहन मंत्रालय में भ्रष्टाचार को लेकर एसीबी ने कार्रवाई की थी जिसमें 8 अधिकारियों और 7 दलालों से करीब 1.20 करोड़ रुपये नकद और प्रॉपर्टी के दस्तावेज बरामद किए थे और उसके बाद से ही प्रदेश की राजनीति में हलचल मची हुई है। इसी मुद्दे को लेकर भाजपा परिवहन मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास को मंत्रिमंडल से बर्खास्त करने की मांग कर रही हैं।

तो वहीं कांग्रेस सरकार में परिवहन मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास ने एसीबी द्वारा की गई कार्रवाई को लेकर कहा था कि मुझे किसी को कोई सफाई देने या सर्टिफिकेट लेने की जरूरत नहीं है। उन्होंने कहा था कि एसीबी अगर कोई कार्रवाई करती है तो सरकार की इच्छा पर करती है। एसीबी सरकार के अंडर में है और निर्दोष को डरने की जरूरत नहीं है। तो वहीं मामले के पांय दिन बाद भाजपा के 7 वरिष्ठ नेताओं ने एक साथ प्रेसवार्ता कर कहा था परिवहन विभाग में भ्रष्टाचार ऊपर से नीचे तक फैला हुआ है और नैतिकता के आधार पर मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास को अपने मंत्री पद से इस्तीफा दे देना चाहिए।

सिविल लाइन क्षेत्र में किए गए प्रदर्शन का नेतृत्व कर रहे पूर्व मंत्री अरुण चतुर्वेदी ने कहा कि परिवहन विभाग में संगठित रूप से और सरकार में परिवहन मंत्री की सरपस्थिति में जो भ्रष्टाचार का मामला सामने आया है जो कि राजस्थान में पहली बार सरकार के संरक्षण में इस प्रकार का सं​गठित रूप से भ्रष्टाचार का मामला उजागर हुआ है। चतुर्वेदी ने कहा कि एसीबी के अधिकारियों को धमकी देने का काम किया कि निर्दोशों पर कार्रवाई ना करें यह प्रश्न चिन्ह लगाता है। जहां एसीबी भ्रष्टाचार को खत्म करना चाहती है वहां परिवहन मंत्री भ्रष्टाचार में पूरी तरह से लिप्त है। पूर्व मंत्री चतुर्वेदी ने मीडिया से वार्ता के दौरान कहा कि जश्वंत दलाल के परिवहन मंत्री से क्या संबंध है इसके बारे में जतना जानना चाहती है।