मंगलवार, 9 जुलाई 2019

कामराज प्लान पर चलने को तैयार नहीं कांग्रेसी

राहुल के त्यागपत्र का असर नहीं, कामराज प्लान भी धरा रह गया
कांग्रेस पार्टी में अध्यक्ष पद को लेकर चल रही तरह तरह की चर्चाओं का दौर अब जल्द खत्म हो जाएगा। आला नेतृत्व को यह अहसास हो गया है कि इससे पार्टी की फजीहत हो रही है। पार्टी में युवा और बुजुर्ग चेहरों के बीच बनी खाई को जल्द से जल्द पाटने की योजना पर काम शुरू हो गया है। 

70 साल से ऊपर के नेताओं को कहा गया था कि वे 1963 के कामराज प्लान का अनुसरण करें, लेकिन किसी भी नेता ने यह बात नहीं मानी। इसके तहत सभी वरिष्ठ नेताओं को अपने पदों से त्यागपत्र देना था। दूसरी ओर, राहुल टीम के करीब 195 पदाधिकारी अपना पद छोड़ चुके हैं। सूत्र बताते हैं कि 70 साल के पार जा चुके नेताओं को अब धीरे से जोर का झटका देने की तैयारी की जा रही है।

कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता कर्ण सिंह ने सोमवार को एक बयान जारी कर कहा था कि कांग्रेस वर्किंग कमेटी (सीडब्ल्यूसी) की बैठक जल्द बुलाई जाए। पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह की अध्यक्षता में यह बैठक हो और इसी में पार्टी के नए अध्यक्ष के नाम पर फैसला किया जाए। 

उन्होंने कहा था, राहुल गांधी ने इस्तीफा देकर एक बड़ा निर्णय लिया है। पार्टी को इस फैसले का सम्मान करते हुए तुरंत प्रभाव से नए अध्यक्ष का चयन करना चाहिए था। कर्ण सिंह ने अंतरिम पार्टी अध्यक्ष बनाने का सुझाव भी दिया है। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि जब तक कोई पूर्णकालिक अध्यक्ष नामित नहीं होता है, तब तक उत्तर, दक्षिण, पूर्व और पश्चिम के लिए चार कार्यकारी अध्यक्ष नामित कर दिए जाएं।

इसके अगले ही दिन यानी मंगलवार को कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय महासचिव रहे जनार्दन द्विवेदी ने इस मामले को हवा दे दी। द्विवेदी ने कहा, तकनीकी रूप से राहुल गांधी अभी भी कांग्रेस अध्यक्ष हैं। उन्हें इस्तीफा देने से पहले अपने उत्तराधिकारी का नाम सुझाने के लिए एक समिति का गठन करना चाहिए था। हालांकि उन्होंने राहुल गांधी के इस्तीफे को अन्य कांग्रेसी नेताओं के लिए एक आदर्श बताया।

जनार्दन द्विवेदी ने भी जल्द से जल्द सीडब्ल्यूसी की बैठक बुलाने की बात कही है। उनकी यह बात कि पार्टी की हार का कारण भीतर है, बाहर नहीं, कई वरिष्ठ नेताओं को चुभन का अहसास दे गई। बता दें कि द्विवेदी ने ही पार्टी में यह मांग उठाई थी कि राजनीति में 70 की उम्र के बाद लोगों को सक्रिय पदों से हटा दिया जाना चाहिए।

राहुल के पत्र का असर नहीं, कामराज प्लान भी धरा रह गया

राहुल गांधी ने जब अपना त्यागपत्र दिया तो उन्होंने इसके साथ एक पत्र भी सार्वजनिक किया था। इसमें अन्य बातों के अलावा पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के लिए अप्रत्यक्ष तौर पर बहुत कुछ कहा गया। राहुल की बातों का यही मतलब निकल रहा था कि पार्टी की हार की जिम्मेदारी सभी को समान रूप से लेनी चाहिए। मैं हार की जिम्मेदारी लेता हूं और त्यागपत्र दे रहा हूं, उनकी इस बात का अनुसरण 195 नेताओं ने किया। 

खास बात है कि त्यागपत्र देने वाले नेताओं में अधिकांश युवा हैं। 70 साल से ऊपर के किसी भी नेता ने पद नहीं छोड़ा। ये नेता अपना पद बरकरार रखने के लिए केवल एक ही रट लगाए हैं कि राहुल ही पार्टी को संभालें। बता दें कि 1963 में भी कांग्रेस पार्टी में कुछ ऐसा ही संकट खड़ा हो गया था। उस वक्त पार्टी संगठन में बड़े स्तर पर बदलाव करने के लिए वरिष्ठ नेताओं से त्यागपत्र देने का आग्रह किया गया।  सभी वरिष्ठ नेताओं ने कामराज प्लान का अनुसरण किया और त्यागपत्र दे दिए। 

बता दें कि कामराज तमिलनाडु के सीएम थे और उन्होंने दो अक्तूबर 1963 को त्यागपत्र दे दिया था। यहां तक कि जवाहर लाल नेहरू ने भी त्यागपत्र दिया, लेकिन पार्टी ने उनका त्यागपत्र स्वीकार नहीं किया। अब उसी तरह पार्टी में 70 साल से ज्यादा आयु के नेताओं से पद छोड़ने के लिए कहा गया, लेकिन किसी ने यह बात नहीं मानी। इसी वजह से अब पार्टी नेतृत्व धीरे-धीरे इन नेताओं को भाजपा के मार्गदर्शक मंडल की तरह पदमुक्त करेगा।

पार्टी के ज्यादातर वरिष्ठ नेता 70 का पड़ाव पार कर चुके हैं

मोतीलाल वोरा, एके एंटनी, गुलाम नबी आजाद, डॉ. मनमोहन सिंह, अंबिका सोनी, मल्लिकार्जुन खड़गे, के सिद्धारमैया, दिग्विजय सिंह, कमलनाथ, तरुण गोगोई, हरीश रावत और ओमान चांडी आदि नेता सत्तर के पार हो चुके हैं। अशोक गहलोत भी इस सीमा के करीब हैं। कांग्रेस के दूसरे बड़े नेता जैसे भूपेंद्र सिंह हुड्डा, कैप्टन अमरेंद्र सिंह, सुशील कुमार शिंदे, पी चिदंबरम और कपिल सिब्बल भी सत्तर साल या उससे उपर जा चुके हैं।

दूसरी ओर राहुल गांधी ने इन नेताओं को धीरे से जोर का झटका देने की योजना पर काम शुरू कर दिया है। हाल ही में ज्योतिरादित्य सिंधिया और मिलिंद देवड़ा का इस्तीफा इसी तरफ इशारा कर रहा है। इन नेताओं ने इस्तीफा देने से पहले राहुल गांधी से बातचीत की थी। इस्तीफा देने के बाद मिलिंद का यह कहना कि अब वे केंद्र की राजनीति में काम करना चाहते हैं, उसी रणनीति का ही एक हिस्सा है।

अब धीरे-धीरे सभी राज्यों में कांग्रेस संगठन को दोबारा से खड़ा किया जाएगा। पार्टी को जो नया अध्यक्ष मिलेगा, उसकी आयु भी पचास के आसपास रहेगी। कांग्रेस के एक नेता का कहना है, अभी कोई भी वरिष्ठ नेता खुद से त्यागपत्र देने को तैयार नहीं है। कई नेता पार्टी में विद्रोह जैसी बात कर रहे हैं। राहुल गांधी इन सब बातों को ध्यान में रखकर ही अपने प्लान को आगे बढ़ा रहे हैं।

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