मैंने अपनी इस पीडा को आनंदकुमार से सामने मीडियाकर्मी होने के नाते रख भी दिया । मैंने आनंदकुमार से कहा कि कोचिंग संस्थान में नौकरी लगते ही आप अपनी रियल जिंदगी में भटक गये थे, क्या अब आप ग्लैमर के कारण दुबारा तो नहीं भटक रहे हो ? मैंने महसूस किया कि इसके बाद आनंदकुमार थोडा सहम से गये ।
सुपर 30 के असल हीरो आनंद कुमार सोमवार 29.7.2019 को पिंकसिटी प्रेस क्लब जयपुर आये। मन खुश भी था, उदास भी।
मन खुश इसलिये था कि इस व्यक्ति ने जीवन में लीक से अलग हटकर कुछ किया है। राजा का बेटा राजा नहीं बनेगा, अब राजा वही बनेगा जो असल में हकदार होगा, और 30 हकदारों को उनका हक दिला दिया आनंद कुमार ने । मन उदास इसलिये था कि अपने पिता के आदर्शों पर चलकर जो कामयाबी का सेहरा आज आनंद कुमार के माथे पर बंधा है, वह सेहरा बनने से पहले आनंद कुमार अपने पथ से भटक गये थे । फिल्म में दिखाया कि गले में सोने की जंजीर है, साईकिल से मोटरसाईकिल आ गई, कोचिंग संस्थान में नौकरी लगते ही नोटों की गड्डियां, होटल में नाच गाना और राग रंग ।
मुझे महसूस हुआ कि जिस कामयाबी के सेहरे के कारण आनंदकुमार हीरो बनें, अब आनंदकुमार उस पथ से भटक कर फिर वहीं पहुंच गये है, जहां से वह चले थे, और ऐसा हुआ तो यह एक प्रतिभा का अंत हो जायेगा।
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| राजेन्द्र सिंह गहलोत |
मैंने अपनी इस पीडा को आनंदकुमार से सामने मीडियाकर्मी होने के नाते रख भी दिया । मैंने आनंदकुमार से कहा कि कोचिंग संस्थान में नौकरी लगते ही आप अपनी रियल जिंदगी में भटक गये थे, क्या अब आप ग्लैमर के कारण दुबारा तो नहीं भटक रहे हो ? आनंद कुमार ने इस पर सफाई देते हुए कहा कि ऐसा नहीं है, मैं अभी फिल्म रीलीज हुई है इसलिये एक महिने का ब्रेक लेकर आया हूं, मैं भटका नहीं हूं।
लेकिन मैंने महसूस किया कि इसके बाद आनंदकुमार थोडा सहम से गये । आदमी भले हैं, इसलिये मन कह रहा था कि यह आदमी सफलता के नशे में चूर होकर अपनी जडों से कटना नहीं चाहिये, इसलिये मेरा प्रयास फिल्म के उस रिक्शे वाले की तरह था जिसकी बातें सुनकर उसे अपने पिता की याद आती है और आवाज कानों में गूंजती है कि अब राजा का बेटा राजा नहीं बनेगा, राजा वही बनेगा जो उसका असल हकदार होगा।
काश आनंदकमार ने मेरी बात का सही जवाब दिया हो कि मैं भटका नहीं हूंं । लेकिन पता नहीं क्यों एक प्रतिभा की मौत का विलाप मेरे कानों में गूंज रहा था।


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