बुधवार, 17 जुलाई 2019

राज्यसभा में विपक्ष का अलग रवैया

कांग्रेस और दूसरी विपक्षी पार्टियां लोकसभा में जिस तरह काम कर रही हैं उससे बिल्कुल अलग अंदाज में राज्यसभा में काम कर रही हैं। विपक्षी पार्टियां लोकसभा में जिन विधेयकों का समर्थन कर रही हैं, राज्यसभा में उनका भी विरोध कर दे रही हैं। तभी सरकार को दोनों सदनों के लिए अलग किस्म से रणनीति बनाने पर विचार करना पड़ रहा है। बताया जा रहा है कि पिछले दिनों लोकसभा में जितने विधेयक पास हुए हैं, विपक्ष राज्यसभा में उनका विरोध कर सकती है या उन्हें स्थायी समिति या प्रवर समिति में भेजने की मांग कर सकती है। कुछ संशोधन भी सुझाए जा सकते हैं। ध्यान रहे विपक्ष के सारे संशोधन लोकसभा में खारिज हो जाते हैं। 

बताया जा रहा है कि सोमवार को कांग्रेस और दूसरी विपक्षी पार्टियों ने राष्ट्रीय जांच एजेंसी, एनआईए को ज्यादा अधिकार देने वाले जो विधेयक ध्वनिमत से पास कराया उसमें राज्यसभा में फच्चर डाला जा सकता है। पार्टियां इसे संसद की स्थायी समिति के पास भेजने की मांग  कर सकती हैं। यहीं स्थिति यूएपीए बिल के साथ भी हो सकती है। तीन तलाक बिल का तो लोकसभा में भी विरोध हुआ था और राज्यसभा में भी होगा। ऐसे कुछ और विधेयक हैं, जो लोकसभा विपक्ष के समर्थन से पास हुए पर राज्यसभा में विपक्ष इसका विरोध करेगा। ध्यान रहे राज्यसभा में भाजपा की संख्या बढ़ी है पर एनडीए अब भी बहुमत से पीछे है। पर अगले साल मार्च के दोवार्षिक चुनाव के बाद स्थिति बदल सकती है। पर तब तक भाजपा को विपक्ष से निपटने का कुछ उपाय करना होगा। 

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें