शनिवार, 20 जुलाई 2019

बिना धुरी के लावारिस कांग्रेस!

कांग्रेस पार्टी इन दिनों कंफ्यूजन पार्टी को हो गई है। उसका कंफ्यूजन देखिए कि राहुल गांधी की इस्तीफे की पेशकश के बाद एक महीने तक तो पार्टी के संगठन महासचिव पदाधिकारियों की नियुक्ति आदि के बयान एआईसीसी की ओर से जारी करते रहे और जब राहुल ने औपचारिक रूप से पद छोड़ दिया तो कांग्रेस अध्यक्ष के नाम से बयान जारी होने लगे। हकीकत यह है कि 25 मई के बाद कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक नहीं हुई है और आधिकारिक रूप से राहुल गांधी का इस्तीफा मंजूर नहीं हुआ है। 

राहुल गांधी ने 25 मई की कार्यसमिति की बैठक में कह दिया कि उनकी बहन को कांग्रेस अध्यक्ष पद की होड़ से बाहर रखा जाए। सो, कांग्रेस में राजनीतिक फैसले करने वाले दो चेहरे- राहुल और प्रियंका दोनों आउट हैं। सो, कायदे से सोनिया गांधी को फैसला कराना चाहिए पर सेहत और दूसरे कारणों से उनकी भी सीमा है। तभी सारे नेता अपने अपने हिसाब से फैसले कर रहे हैं और बयान जारी कर रहे हैं। कर्नाटक के मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर पार्टी की प्रतिक्रिया इसकी मिसाल है। पार्टी के वरिष्ठ प्रवक्ता और जाने माने वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने विस्तार से बयान जारी करके फैसले की तारीफ की तो पार्टी के मीडिया प्रभारी रणदीप सुरजेवाला ने फैसले की जम कर आलोचना की। पार्टी दो दिन बाद तक इस पर एक राय नहीं बना पाई। पार्टी में राष्ट्रीय स्तर पर कंफ्यूजन का नतीजा यह हुआ है कि कर्नाटक, महाराष्ट्र, तेलंगाना, गुजरात आदि सभी राज्यों में कांग्रेस के नेता पार्टी छोड़ कर भाग रहे हैं। 

जब राहुल गांधी ने औपचारिक रूप से पद छोड़ा तो कहा गया है कि सबसे वरिष्ठ महासचिव के नाते मोतीलाल वोरा अंतरिम अध्यक्ष होंगे। पर तत्काल कई नेता कांग्रेस का संविधान निकाल कर बैठ गए। उन्होंने कहा कि वोरा की उम्र भले सबसे ज्यादा है पर वे तो सबसे जूनियर महासचिव हैं क्योंकि उनको सबसे बाद में महासचिव बनाया गया है। वे पहले कोषाध्यक्ष थे। संविधान के मुताबिक यह कहा गया कि जो सबसे ज्यादा समय से महासचिव है वह अंतरिम अध्यक्ष बनेगा। इस लिहाज से सबसे पुराने महासचिव मुकुल वासनिक हैं। वे सोनिया गांधी के अध्यक्ष बनते ही महासचिव बन गए थे। पर उनको भी अंतरिम अध्यक्ष नहीं बनाया गया। 

इसके बाद कहा गया कि कांग्रेस में एक समन्वय समिति फैसले करेगी। इस समन्वय समिति की कथित तौर पर एक बैठक भी हुई। पर इसके तुरंत बाद कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जनार्दन द्विवेदी ने कहा कि अध्यक्ष पद से इस्तीफा देते हुए राहुल गांधी ने तो कोई समन्वय समिति बनाई नहीं तो यह समिति कहां से अस्तित्व में आ गई। फिर अचानक इस समिति की चर्चा बंद हो गई। अब फिर संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल कांग्रेस अध्यक्ष के नाम से बयान जारी कर रहे हैं। महाराष्ट्र में बाला साहेब थोराट को प्रदेश अध्यक्ष बनाने के फैसले की जानकारी देने वाले बयान में कहा गया कि कांग्रेस अध्यक्ष ने उनकी नियुक्ति को मंजूरी दे दी है। इसका मतलब है कि कांग्रेस अध्यक्ष और उनका कार्यालय अस्तित्व में है। फिर राहुल खुल कर काम क्यों नहीं कर रहे हैं? वे तो अमेरिका चले गए।

उघर संसदीय राजनीति में सब कुछ अधीर रंजन चौधरी पर छोड़ा हुआ है। वे पिछले दिनों एनआईए बिल पर उलझ गए थे। उन्हें समझ में नहीं आ रहा था कि बिल का विरोध करना है या सवाल उठाते हुए समर्थन करना है। इसी तरह सरकार संसद सत्र आगे बढ़ाने पर विचार कर रही है पर कांग्रेस में इसे लेकर स्थिति स्पष्ट नहीं है। अभी तीन राज्यों में चुनाव होने वाले हैं पर उनके बारे में कोई फैसला नहीं हो पा रहा है। 

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें