शनिवार, 20 जुलाई 2019

कांग्रेस की वरिष्ठ नेता और दिल्ली की तीन बार मुख्यमंत्री रहीं शीला दीक्षित का निधन

कांग्रेस की वरिष्ठ नेता और दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित का आज दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया है।  उनके निधन की सूचना दोपहर बाद लगभग चार बजे आयी, वे 81 वर्ष की थीं।  पिछले कुछ दिनों से शीला दीक्षित बीमार चल रही थीं और सुबह ही अस्पताल में भरती हुईं थीं।  प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनके निधन पर ट्‌वीट करके शोक जताया है।  पीएम मोदी ने शीला दीक्षित के साथ अपनी तसवीर ट्‌वीट की है।  कांग्रेस के अधिकारिक ट्‌विटर हैंडिल से भी उनके निधन पर शोक जताया गया है।  कांग्रेस की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि हम शीला दीक्षित के निधन पर शोक व्यक्त करते हैं , वे आजीवन कांग्रेस की सदस्य और तीन बार दिल्ली की मुख्यमंत्री रहीं।  उन्होंने दिल्ली के चेहरे को बदलकर रख दिया।  हम इस दुख की घड़ी में उनके परिवार और दोस्तों के प्रति संवेदना व्यक्त करते हैं।  उम्मीद है वे इस दुख की घड़ी में हिम्मत से काम लेंगे। 


राहुल गांधी ने भी शीला दीक्षित के निधन पर ट्‌वीट करके शोक जताया है।  राहुल गांधी ने लिखा मैं शीला दीक्षित के निधन से दुखी हूं, वे कांग्रेस पार्टी की प्रिय बेटी थीं और मेरे उनके साथ व्यक्तिगत संबंध थे।  मैं दुख की इस घड़ी में उनके परिवार और दिल्लीवासियों के प्रति संवेदना जताता हूं।  कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने भी शीला दीक्षित के निधन पर शोक जताया है, वे अभी उत्तर प्रदेश में हैं।  प्रियंका ने कहा वे हमसे बहुत प्यार से मिलती थीं, हमें गले लगाती थीं, यह सब हमेशा याद रहेगा। 


राजनीति में आने से पहले शीला दीक्षित कई संगठनों से जुड़ी रहीं। 1984 से 89 तक वे कन्नौज (उत्तर प्रदेश) से सांसद रहीं। इस दौरान वे लोकसभा की समितियों में रहने के साथ-साथ संयुक्त राष्ट्र में महिलाओं के आयोग में भारत की प्रतिनिधि रहीं। वह बाद में केंद्रीय मंत्री भी रहीं। उन्होंने दिल्ली शहर की महापौर से लेकर मुख्‍यमंत्री तक की जिम्मेवारी संभाली।

साल 2010 में दिल्ली में हुए कॉमनवेल्थ गेम्स की तैयारियों के दौरान उन पर सरकारी धन के दुरुपयोग के आरोप लगे थे। इसके अलावा, दिल्ली की सीएम रहते टैंकर स्कैम में भी उनका नाम आया।

वहीं, जेसिका लाल हत्याकांड के मुख्य आरोपी मनु शर्मा को पैरोल पर रिहा करने के भी उन पर आरोप लगे हैं। दिल्ली में 16 दिसम्बर, 2012 की रात को चलती बस में गैंगरेप मामले को लेकर भी उनकी सरकार और पुलिस व्यवस्था की कड़ी आलोचना हुई।


2013 के विधानसभा चुनाव में अरविंद केजरीवाल ने शीला दीक्षित को मुख्यमंत्री की कुर्सी से बेदखल कर दिया। हार के बाद शीला दीक्षित की राजनीति से विदाई हो गयी। उन्हें केरल का राज्यपाल बना दिया गया। 2014 में मोदी सरकार के सत्ता में आने के बाद शीला दीक्षित ने राज्यपाल का पद त्याग दिया और वापस दिल्ली आ गयीं।

तीन बार रहीं थीं दिल्ली की मुख्यमंत्री 

दीक्षित 15 साल तक दिल्ली की मुख्यमंत्री रहीं थीं और वे एक तेज तर्रार नेता मानी जाती थीं।  उन्होंने 1998 से 2013 तक दिल्ली के मुख्यमंत्री का पद संभाला।  वे वर्ष 2014 में केरल की राज्यपाल भी रहीं थीं।   31 मार्च 1938 में पंजाब के कपूरथला में जन्मी शीला दीक्षित की स्कूली शिक्षा दिल्ली में हुई थी।  उन्होंने दिल्ली के मिरांडा हाउस से इतिहास में एमए किया था।  शीला दीक्षित की शादी उत्तर प्रदेश के उन्नाव में हुई थी।  इनके ससुर उमाशंकर दीक्षित स्वतंत्रता सेनानी तथा बंगाल के राज्यपाल भी रहे थे।  शीला दीक्षित के पति विनोद दीक्षित भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी थे।   इनकी दो संतानें हैं, एक पुत्र संदीप दीक्षित व एक पुत्री हैं। 

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