शनिवार, 13 जुलाई 2019

हमें हमारे इतिहास का लोगों के दृष्टिकोण के साथ फिर से आकलन करने की जरूरत है

जयपुर। हमें हमारे इतिहास को अपने तरीके से फिर से जांचने और इसे फिर से बताने की सख्त अवश्यकता है। हमारे इतिहास से ब्रिटिश दृष्टिकोण को नजरंदाज कर लोगों की एक समानांतर कहानी बनाई जानी चाहिए। यह कहना था लेखिका किश्वर देसाई का। 

उन्होंने शनिवार को जयपुर के अशोक क्लब में अपनी नवीनतम पुस्तक ‘जलियांवाला बाग 1919, द रियल स्टोरी’ के बारे में चर्चा के दौरान यह बात कही। उन्होंने जगदीप सिंह के साथ इंटरेक्शन किया। ‘

देसाई ने बताया कि इस पुस्तक को लिखने के लिए उन्होंने हंटर रिपोर्ट, गांधीजी की सूचनाओं और तत्कालीन गवाहों की जानकारियों जैसे स्त्रोतों का उपयोग कर तैयार किया है। लेखिका ने जलियांवाला बाग से सम्बंधित कई मिथकों को तोड़ने वाली अपनी इस पुस्तक को जीवन को बदल देने वाला अनुभव बताया।


इससे पूर्व लेखिका द्वारा 13 अप्रेल, 1919 को जलियांवाला बाग में घटित दुखद घटना की जानकारी देने के साथ इस सैशन की शुरूआत हुई। उन्होंने बताया कि फरवरी व मार्च महीनों में पूरे भारत में काफी उथल-पुथल हुई। महात्मा गांधी ने रौलट एक्ट के खिलाफ सत्याग्रह शुरू करने का फैसला किया। अंग्रेजों द्वारा फूट डालकर राज करने की पूरी कोशिश करने के बावजूद हिन्दु व मुसलमान एकजुट रहे।

लेखिका ने बताया कि जलियांवाला बाग में अमृतसर के लोगों का नरसंहार एक पूर्व नियोजित व अच्छी तरह से सोची-समझी साजिश थी। लेखिका ने इस पुस्तक में इस दुखद घटना से जुड़े दो मिथकों को स्पष्ट करते हुए बताया कि एक तो यह सभा किसी त्यौहार के उपलक्ष में नहीं थी और दूसरा यह कि इस सभा में बड़ी संख्या में महिलाएं भी उपस्थिति थी।


इस घटना के काफी समय बाद अगस्त में ब्रिटिश शासन द्वारा की गई आधिकारिक गणना में बताया किया कि नरसंहार में 379 लोग मारे गए थे। जबकि देसाई ने कहा कि इस घटना के दौरान कम से कम 1000 लोगों की मौत हुई थी, जिनमें बड़ी संख्या में पुरुष व बालक शामिल थे। 

सैशन के अंत में लेखिका व श्रोताओं के बीच सवाल-जवाब किए गए। इससे पूर्व सैशन की शुरूआत में कार्यक्रम के संयोजक, अजय सिंहा ने स्वागत भाषण दिया।

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