रविवार, 21 जुलाई 2019

कर्नाटक में इतना ड्रामा क्यों ?

कर्नाटक में जेडीएस और कांग्रेस की सरकार अल्पमत में आ गई है। उसका बचना किसी हाल में संभव नहीं है। भाजपा की सरकार का गठन भी तय है। इसे भी नहीं रोका जा सकता है। फिर भी कांग्रेस और जेडीएस इस ड्रामे को क्यों चलाए हुए हैं? दो या तीन दिन सरकार में रह कर दोनों गठबंधन पार्टियों को कोई बड़ा फैसला नहीं करना है क्योंकि उनको पता है कि अभी कोई भी फैसला किया तो भाजपा की सरकार उसे खारिज कर देगी। जांच अलग से होगी। ऐसा भी नहीं है कि तीन-चार दिन में उनको सत्ता का कोई बड़ा सुख मिलने वाला है। फिर भी बहुमत साबित करने की एक दिन की प्रक्रिया को जेडीएस और कांग्रेस ने चार दिन का बना दिया। बेंगलुरू, मुंबई से लेकर दिल्ली तक इसे बड़ा मुद्दा बनाया। आखिर क्यों?

इसके दो मकसद बताए जा रहे हैं। एक पहला मकसद तो कांग्रेस का है। कांग्रेस पार्टी यह दिखाना चाहती है कि अल्पमत में होने के बावजूद उसकी सरकार गिराना भाजपा के लिए बहुत आसान नहीं है। यह साबित करके कांग्रेस मध्य प्रदेश की अपनी सरकार को सुरक्षित करना चाह रही है। कांग्रेस को पता है कि कर्नाटक के बाद भाजपा का अगला निशाना मध्य प्रदेश है। तभी कांग्रेस कर्नाटक में यह दिखाना चाह रही है कि जेडीएस के साथ गठबंधन की सरकार होने के बावजूद वह कानूनी दांवपेच के सहारे सरकार गिराने की प्रक्रिया को लटका सकती है। कांग्रेस यह भी दिखाना चाह रही है कि उसके नेता अब भी नाराज विधायकों को मनाने की प्रक्रिया में हैं। यानी उन्हें मनाया भी जा सकता है। निश्चित रूप से कर्नाटक से सबक लेकर भाजपा भी मध्य प्रदेश के लिए अलग रणनीति बनाएगी।

जेडीएस और कांग्रेस का दूसरा मकसद भाजपा को लोगों का सामने एक्सपोज करना है। उन्हें बताना है कि भाजपा चुनी हुई सरकार को गिराने के लिए क्या क्या कर रही है। जितने दिन तक सत्तारूढ़ गठबंधन के बागी, जिन्हें कांग्रेस और जेडीएस के नेता अब बिके हुए विधायक कहने लगे हैं, वे मुंबई के पांच सितारा होटल में रहेंगे, उतने दिन तक दोनों पार्टियों के नेता लोगों को यह बताएंगे कि इनको भाजपा ने खरीदा हुआ है। इसका एक फायदा यह भी होगा कि इनकी सीटों पर उपचुनाव में इनके लिए मुश्किल होगी। सो, जेडीएस और कांग्रेस दोनों इस बहस को लंबा खींच कर, सदन के अंदर और बाहर दोनों जगह भाजपा और उसका साथ देने वाले विधायकों को एक्सपोज कर रहे हैं। कांग्रेस, जेडीएस को एक फायदा यह भी दिख रहा है कि इससे उनके मतदाताओं में सहानुभूति और एकजुटता बनेगी।

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