वर्ष 2018-19 की आर्थिक समीक्षा में यह बात सामने आयी है कि पिछले दो दशकों में भारत की जनसंख्या वृद्धि दर में गिरावट देखी गयी है। बावजूद इसके बिहार एक ऐसा राज्य है जहां अभी भी जनसंख्या वृद्धि दर ऊंचे स्तर पर है। बिहार के बाद नाम आता है उत्तर प्रदेश, राजस्थान और हरियाणा का। समीक्षा में यह कहा गया है कि जनसंख्या के स्वरूप और जनसंख्या वृद्धि के रुझानों को देखते हुए यह कहा जा सकता है कि देश में राज्य स्तर पर इनमें विभिन्नता दिखेगी।
जिन राज्यों में जनसंख्या का स्वरूप तेजी से बदल रहा है वहां जनसंख्या वृद्धि दर 2031-41 तक लगभग शून्य हो जाएगी। जिन राज्यों में जनसंख्या संरचना बदलाव धीमा है वहां भी 2021-41 तक जनसंख्या वृद्धि दर में काफी गिरावट दिखेगी। कुल गर्भधारण दर में लगातार कमी के बावजूद बिहार की जनसंख्या में वृद्धि देशभर में सबसे ज्यादा होगी। 2001 में गर्भधारण दर 4.4 था, जिसमें 2011 में गिरावट दर्ज की गयी और यह 3.6 के लेवल तक पहुंच गया। जबकि 2016 में यह 3.3 2021 में 2.5, 2031 में 2.0 और 2041 में 1.8 पर पहुंच जायेगा।
सर्वे के अनुसार अगले दो दशकों यानी 2021-41 में देश की जनसंख्या वृद्धि दर में उल्लेखनीय कमी आयेगी, लेकिन एकमात्र बिहार ही ऐसा राज्य होगा जहां जनसंख्या की वृद्धि दर एक प्रतिशत होगी, वही अगर झारखंड के साथ दोनों प्रदेशों के आंकड़े को देखें, तो यह पूरे देश की जनसंख्या का दो तिहाई होगा। 2041 तक 24.7 प्रतिशत की वृद्धि के साथ बिहार की जनसंख्या 15 करोड़ के आंकड़ें को पार कर जायेगी। ऐसे में शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार के मोर्चे पर प्रदेश को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है।
शिक्षा के क्षेत्र में क्या होंगी चुनौतियां
इस परिस्थिति में सबसे ज्यादा चुनौती शिक्षा के क्षेत्र में आयेगी। 2021-41 के बीच देश में स्कूल जाने वाले बच्चों की संख्या 18.4 प्रतिशत घट जाएगी। इसके बड़े आर्थिक-सामाजिक परिणाम देखने को मिलेंगे। प्राथमिक स्कूलों में बच्चों की संख्या घटने से छात्रों के अनुपात में स्कूलों की संख्या बढ़ जाएगी। इससे कई प्राथमिक स्कूलों को एक साथ मिलाना पड़ जाएगा।
स्वास्थ्य के क्षेत्र में चुनौतियां
स्वास्थ्य सेवाएं आज भी देश में एक बड़ी चुनौती है। यदि देश में अस्पताल की सुविधाएं मौजूदा स्तर तक बनी रही तो अगले दो दशक में जनसंख्या वृद्धि दर में गिरावट के बावजूद बढ़ती आबादी के कारण प्रति व्यक्ति अस्पताल के बिस्तरों की उपलब्धता बहुत कम हो जाएगी। ऐसे में राज्यों के लिए चिकित्सा सुविधाओं का विस्तार बहुत जरूरी हो जाएगा। बिहार में प्रति दस लाख आबादी पर अस्पताल में बेड की संख्या 2041 तक सौ से भी कम होगी।
रोजगार के क्षेत्र में चुनौतियां
आर्थिक सर्वे के अनुसार 2021 तक बिहार में 0-19 वर्ष के लोगों की आबादी 53.5 प्रतिशत, 2031 में 48.4 प्रतिशत और 2041 में 46.2 प्रतिशत हो जायेगी। वहीं 20-59 वर्ष के लोगों का आंकड़ा देखें तो 2021 में यह 60.1 प्रतिशत, 2031 में 77.9 प्रतिशत और 2041 में 89.4 प्रतिशत हो जायेगा। ऐसे में सरकार को यह देखना होगा कि वे रोजगार के अवसर ज्यादा से ज्यादा पैदा करें, क्योंकि 18 वर्ष के बाद ही युवा रोजगार की तलाश शुरू करते हैं और उनकी संख्या बढ़ने से बेरोजगारी की समस्या भी बढ़ सकती है। साथ ही सरकार को सेवानिवृत्ति से जुड़े मसलों पर भी ध्यान देना होगा, क्योंकि आंकड़ों के अनुसार सेवानिवृत्त होने वालों की संख्या भी बढ़ेगी।

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