शनिवार, 2 फ़रवरी 2019

पटना में 30 साल बाद कांग्रेस की रैली

ऐतिहासिक मैदान के अपनी इतिहास

1 पटना का यह ऐतिहासिक मैदान अपनी राजनीतिक पहचान की वजह से इतिहास में बेहद अहम स्‍थान रखता है। यहां हुई रैलियां देश में सियासी बदलाव का प्रतीक रही हैं। बिहार की राजधानी पटना के बीचों-बीच बसे गांधी मैदान को आजादी से पहले बांकीपोर मैदान और पटना लॉन के नाम से जाना जाता था। 2 इस मैदान पर साल 1938 में तत्कालीन मुस्लिम लीग के प्रमुख और देश के बंटवारे के जिम्मेदार मोहम्मद अली जिन्ना ने कांग्रेस के खिलाफ एक एतिहासिक रैली को संबोधित किया था। 3 इसके अगले साल 1939 में नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने अपनी नई नवेली पार्टी फॉरवर्ड ब्लॉक की पहली रैली इसी ऐतिहासिक मैदान में की थी।4  भारत की आजादी से पहले राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने भी गांधी मैदान में कई सभाओं को संबोधित किया और आजादी के परवानों के बीच अलख जगाई।इसके अलावा पूर्व राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद, भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू, जेबी कृपलानी, ईएमएस नंबूदरीपाद, राम मनोहर लोहिया, अटल बिहारी वाजपेयी सहित देश के कई जाने माने नेताओं की रैलियों का भी यह मैदान गवाह रहा है। 6 जयप्रकाश नारायण ने 5 जून, 1974 को इसी मैदान पर संपूर्ण क्रांति का नारा बुलंद किया था। उन्‍हीं की अगुआई में आगे बढ़े लालू प्रसाद, नीतीश कुमार और सुशील मोदी आज राज्य के कद्दावर नेताओं में हैं। 7 इसके अलावा साल 2004 में पटना के तत्कालीन डीएम गौतम गोस्वामी ने वरिष्ठ बीजेपी नेता लालकृष्ण आडवाणी को चुनावी रैली में बोलने से रोक दिया था। इसे लेकर भी यह मैदान सुर्खियों में रहा। 8  इसके अलावा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी बीजेपी द्वारा प्रधानमंत्री पद के लिए उम्मीदवार बनाए जाने के बाद गांधी मैदान में रैली की थी। इस रैली के लिए लाखों लोग इस मैदान में एकत्र हुए थे, लेकिन इसी दौरान यहां एक के बाद कई बम धमाके हुए थे, जिसमें सात लोगों की जान चली गई। 9 बिहार विधानसभा चुनाव के लिए भी प्रधानमंत्री मोदी ने इसी मैदाम में हुंकार रैली कर पार्टी की चुनावी अभियान की शुरुआत की। पीएम मोदी की रैली के बाद आरजेडी, जेडीयू और कांग्रेस ने भी यहीं स्वाभिमान रैली कर चुनावी समर में ताल ठोकी। 10 राजनीतिक रैलियों के अलावा दशहरा के दौरान गांधी मैदान में रामलीला का भी आयोजन किया जाता रहा है। साल 2014 यहां रावण दहन के दौरान भगदड़ मच गई थी, जिसमें 34 लोगों लोगों की जान चली गई थी।
बिहार में कांग्रेस पार्टी अपनी ताकत की परीक्षा करने वाली है। करीब 30 साल बाद कांग्रेस पार्टी पटना के ऐतिहासिक गांधी मैदान में रैली करने जा रही है। आखिरी बार कांग्रेस ने संभवतः 1991 में गांधी मैदान में रैली की थी। तब कांग्रेस ताजा ताजा चुनाव हार कर सत्ता से बाहर हुई थी। राज्य में लालू प्रसाद की कमान में जनता दल की गठबंधन सरकार बनी थी और 324 सदस्यों की विधानसभा में कांग्रेस के अपने 72 विधायक थे। पार्टी के सारे दिग्गज नेता जीवित और सक्रिय थे। उसके बाद धीरे धीरे कांग्रेस का पतन होता गया। उसके बाद के चुनावों में कांग्रेस हारते हारते चार विधानसभा सीटों पर पहुंच गई थी। 2015 के चुनाव में राजद और जदयू के एलायंस में लड़ी कांग्रेस के इस समय 27 विधायक हैं। बिहार कांग्रेस की एक और खास बात यह भी है कि करीब दो दशक के बाद ही पहली बार पार्टी अपना राज्यसभा सदस्य बिहार से भेज पाई है। 

बहरहाल, पार्टी के सारे विधायक तीन फरवरी की रैली की तैयारियों में जुटे हैं। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी रैली में हिस्सा लेंगे। माना जा रहा है कि इस रैली का मकसद सिर्फ बिहार में ही नहीं, बल्कि आसपास के सभी राज्यों में कांग्रेस की वापसी का ऐलान करना है। भाजपा के साथ साथ अपनी सहयोगी पार्टियों को भी कांग्रेस इसके जरिए मैसेज देगी। कांग्रेस ने वैसे तो पांच लाख लोग जुटाने का लक्ष्य रखा है पर विरोधी पार्टियां भी मान रही हैं कि ढाई से तीन लाख लोगों का जमावड़ा कांग्रेस की रैली में होगा। लोकसभा टिकट के सारे दावेदार भी भीड़ लाने में जुटे हैं। सबसे ज्यादा भीड़ मुंगेर से टिकट के दावेदार अनंत सिंह के लाने की है।   

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