मंगलवार, 26 फ़रवरी 2019

कांग्रेस सरकार की छवि खराब करने में लगा है डीआईपीआर

प्रतीत होता है कि डीआईपीआर गत  भाजपा सरकार की तरह इस सरकार को भी डुबोयेगा जिससे  मंत्री, मुख्यमंत्री और कांग्रेस पार्टी को बट्टा लगने का पूरा अंदेशा है।  अगर सबकुछ ऐसे ही चलता रहा और आमजन को सरकार बदलने का अहसास नहीं हुआ तो निश्चित रूप से लोकसभा चुनावों में कांग्रेस सरकार को इस का खामियाजा भुगतना पड़ सकता है।   


छोटा अखबार के खबर के अनुसार प्रदेश के लिए विधानसभा चुनावों में हुआ सत्ता परिवर्तन जनता के लिए कितना आशाओं और उम्मीदों से भरा हुआ है, ये तो आने वाला समय ही तय करेगा। लेकिन सूचना एवं जनसम्पर्क विभाग में पत्रकारों की आशाओं और उम्मीदों पर पानी फिरता नजर आ रहा है। सूचना एवं जनसम्पर्क में पदासीन अधिकारी गत सरकार की नाकामियों को  विभाग में परम्परा बनाने में आमादा है। ऐसे में सशक्त और नया राजस्थान बनाने की कवायद को कैसे पूरा किया जा सकता है।

          विभाग के अधिकारियों में कार्य की कमजोर गुणवत्ता और अहंकार से आदर्श  शिष्टाचार की  भारी कमी देखने को मिल रही है। अपनी योग्यता को छिपाने के लिये ये लोग आयुक्त और मंत्री को ज्ञान देने में लगे हुये है।  सूत्रों के अनुसार इन लोगों ने आयुक्त महाशय को ज्ञान दे दिया कि पत्रकारों को मिलने के लिये समय सीमा निर्धारित कर दिया जाय क्योंकि पूर्व सरकार में मूल आईएएस ऐसा करते थे।

 लेकिन साहब को समझना चाहिये कि अब सरकार बदल गई है। राज्य के पत्रकारो को मुख्यमंत्री और मंत्री से मिलने के लिये कोई समय सीमा निर्धारित नहीं है।  सूजस की एक मोहतरमा अधिकारी ने भी साहब को पत्रकारों की केशलेस बीमा  नवीनीकरण के मामले अपना ज्ञान दे दिया और कह दिया सभी से सम्पूर्ण दस्तावेजों की पुनः वसूली की जाये। जबकी सरकारी और गैर सरकारी बीमा प्रावधानो के अनुसार नवीनीकरण के लिये सिर्फ रूपयो की जरूरत होती है, पुनः दस्तावेजो की नहीं। साहब भी तो अपना और परिवार का बीमा करवाते ही होगें। ज्ञानी जन कहते है, ज्ञान ग्रहण करने से पहले अपने ज्ञान चक्षुओं को जरूर खोल लेना चाहिये। मोहतरमा को वाहियात शब्द से गहरी नाराजगी है। लेकिन शायद उनको ये पता नहीं कि देश के प्रधानमंत्री ने अपने भाषणों में वाहियात शब्द को बार- बार बोल कर संवैधानिक कर दिया। वैसे वाहियात शब्द का सरकारी मतलब गैर जरूरी होता है। आपको बतादूं कि गत सरकार में मोहतरमा को अपनी  हरकतों के कारण सूचना केन्द्र का रास्ता देखना पड़ा था। साहब को सरकार की मंशानुसार योजनाओं की कार्य प्रणाली को सरलीकरण करना चाहिये ताकि जनता को राहत मिल सके और सरकार द्वारा किये गये वादे पूरे हो सके। सयानों का कहना है कि सरकार की मंशा कुछ इसी तरह की है। 


     विभाग के एक  उपनिदेशक स्तर का अधिकारी जो आज कल पुलिस महकमें के साथ स्वास्थ्य विभाग का भी कार्य देख रहे है। ये महाशय सूजस मंत्री के  तथाकथित सलाहकार बने हुये है और सूजस विभाग के मामलों में मंत्री जी को ज्ञान देते है। मंत्रालय सूत्रों के अनुसार महाशय के ज्ञान से 42 पत्रकारों के अधिस्विकरण अटक गये और फिर से पत्रकारों को गत सरकार की अकर्मण्यता का अहसास करा दिया। 

        हुआ यूं कि गत भाजपा सरकार में दिसम्बर 2017 को अधिस्विकरण समिति ने 42 पत्रकारों के अधिस्विकरण की अनुशंषा की थी और फाईल को सूजस मंत्री के पास अनुमोदन के लिये भेज दिया था। लेकिन पूर्व सूजस मंत्री ने अनुमोदन नहीं किया और सरकार बदलने के बाद फाईल लौट कर पुनः विभाग में आ गइे। विभाग ने फाईल को जनवरी 2019 में नई सरकार को पुनः मंत्री के पास अनुमोदन के लिये भेजा। लेकिन तथाकथित  डीआईपीआर सलाहकार के ज्ञान के कारण फाईल बिना अनुमोदन किये पुनः अधिस्विकरण समिति की अनुशंषा के लिये विभाग को लौटा दी। शायद विभाग के  अधिकारी गत सरकार के कार्यकाल को भूल गये जिसमें शायद ही पहली बार ये लोग किसी सरकार के खिलाफ हड़ताल पर गये थे। कुछ इसी तरह के कारणों से पूर्व कांग्रेस सरकार में उपनिदेषक महोदय को जैसलमेर जिले का रूख करना पड़ा़ था। 

     वहीं दूसरी और मंत्री के पीएस महेन्द कुमार शर्मा गत भाजपा सरकार में भी एक मंत्री के पीएस थे। अब ये महाशय पूर्व सरकार में सीखी बारहखड़ी के ज्ञान को इस सरकार में आजमा रहे है। इन की पारदर्शिता ऐसी है कि महाशय मंत्री कार्यालय द्वारा विभाग को लौटाई जाने वाली फाईल के डिस्पेच नम्बर तक नहीं देते और कहते है फाईल विभाग में पहुंचा दी गई है। जबकि विभाग कहता है फाईल मंत्री जी के पास है, अभी नहीं लौटी है। मजबूरन आमजन को विभाग और मंत्री कार्यालय के चक्कर लगाना पड़ रहा है। ऐसे में प्रतीत होता है कि डीआईपीआर गत  भाजपा सरकार की तरह इस सरकार को भी डुबोयेगा जिससे  मंत्री, मुख्यमंत्री और कांग्रेस पार्टी को बट्टा लगने का पूरा अंदेशा है।  अगर सबकुछ ऐसे ही चलता रहा और आमजन को सरकार बदलने का अहसास नहीं हुआ तो निश्चित रूप से लोकसभा चुनावों में कांग्रेस सरकार को इस का खामियाजा भुगतना पड़ सकता है।   

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