बुधवार, 31 जुलाई 2019

केंद्रीय मंत्रिमंडल का फैसला : सुप्रीम कोर्ट में जजों की संख्या बढ़ाकर 33 करने की मंजूरी

केंद्रीम कैबिनेट ने उच्चतम न्यायालय में न्यायाधीशों की संख्या को 30 से बढ़ाकर 33 करने की बुधवार को मंजूरी दे दी। केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने बताया कि अब उच्चतम न्यायालय में भारत के प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) के अलावा 33 न्यायाधीश होंगे. जब संसद इस विधेयक को मंजूरी दे देगी तो उच्चतम न्यायालय में न्यायाधीशों की संख्या सीजेआई समेत 34 हो जायेगी।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रीमंडल की हुई बैठक में इसके अलावा कई महत्वपूर्ण निर्णय लिये गये। इसमें अब तक देश भर में लागू सामान्य वर्ग के गरीबों के लिए 10 फीसदी आरक्षण को अब जम्मू-कश्मीर के लिए भी मंजूरी दी गयी है। बैठक में पोषक ऊर्वरकों पर मिल रही सब्सिडी में बढ़ोतरी करने का भी फैसला किया गया।

कैबिनेट के फैसलों की जानकारी देते हुए केंद्रीय मंत्री ने बताया, सामाजिक न्याय की जो बड़ी पहल की गयी थी कि सामान्य वर्ग के लोगों को आर्थिक आधार पर 10 प्रतिशत आरक्षण नौकरी और शिक्षा में मिलेगा। यही अब जम्मू-कश्मीर में भी लागू करने का निर्णय लिया गया है। चूंकि जम्मू-कश्मीर की विधानसभा नहीं चल रही है और राज्यपाल शासन लागू है, इसलिए राज्य सरकार की जिम्मेदारी केंद्रीय कैबिनेट पर आ जाती है।

जावडेकर ने कहा कि कश्मीर में नियंत्रण रेखा (एलओसी) के नजदीक रहने वालों को आरक्षण मिलता था, लेकिन अंतरराष्ट्रीय सीमा के पास रहने वालों को आरक्षण नहीं मिलता था। अब जम्मू-कश्मीर में अंतरराष्ट्रीय सीमा के पास रहने वालों को भी आरक्षण का लाभ मिलेगा। उन्होंने कहा कि चंद्रयान-2 को लेकर उत्साहित सरकार ने मॉस्को में भी इसरो का ऑफिस खोलने का फैसला लिया है। इसके साथ ही, किसानों को कई तरह की सब्सिडी देने का भी निर्णय कैबिनेट की बैठक में लिया गया।

बैठक में किसानों को किफायती दर पर उर्वरक मुहैया कराने के लिए गैर-यूरिया उर्वरकों पर सब्सिडी बढ़ाने का निर्णय लिया गया। इससे चालू वित्त वर्ष के दौरान खजाने पर 22,875.50 करोड़ रुपये का बोझ पड़ेगा। सूचना एवं प्रसारण मंत्री ने बैठक के बाद संवाददाताओं से कहा, आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडल समिति ने 2019-20 के लिए फॉस्फेट तथा पोटाश वाले उर्वरकों की पोषक तत्व आधारित सब्सिडी (एनबीएस) दरों को मंजूरी दी। उन्होंने कहा कि चालू वित्त वर्ष के लिए नाइट्रोजन पर 18.90 रुपये प्रति किलोग्राम, फॉस्फोरस पर 15.11 रुपये, पोटाश पर 11.12 रुपये तथा गंधक पर 3.56 रुपये प्रति किलोग्राम सब्सिडी तय की गयी है। जावड़ेकर ने कहा कि इससे उर्वरकों के संतुलित इस्तेमाल को बढ़ावा देने में मदद मिलेगी। सरकार ने 2010 में एनबीएस कार्यक्रम की शुरुआत की थी।

राजस्थान में आईएएस, आईपीएस और आईएफएस को मिला आरोप पत्र

जयपुर। प्रदेश के ऊर्जा मंत्री बुलाकी दास कल्ला ने विधानसभा में बताया कि किसी भी प्रकरण में दोषी पाये जाने पर भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी को संबंधित प्रशासनिक विभाग द्वारा नोटिस दिया जाता है तथा अधिकारी के सहमत नहीं होने पर मामला कार्मिक विभाग में आता हैै। 

कल्ला प्रश्नकाल में विधायकों द्वारा इस संबंध में पूछे गये पूरक प्रश्नों का कार्मिक मंत्री की ओर से जवाब दे रहे थे। उन्होंने बताया कि जिला कलेक्टर, पुलिस अधीक्षक एवं मुख्य कार्यकारी अधिकारी जिला परिषद को सीधे विभाग द्वारा तथा अन्य विभागों में कार्यरत भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी को संबंधित प्रशासनिक विभाग द्वारा नोटिस दिया जाता है। उन्होंने में विभाग में आने वाले मामलों के बारे में बताया कि भारतीय प्रशासनिक सेवा के चार अधिकारियों को आरोप पत्र जारी किये गए जबकि 14 मामले विचार स्तर पर समाप्त किये गये तथा एक अधिकारी सी आर मजीट को नियम 10 के तहत नोटिस जारी किया गया।

इसी प्रकार भारतीय पुलिस सेवा के सात अधिकारियों को आरोप पत्र जारी किये गए इनमें पांच प्रकरण विचार स्तर पर समाप्त किये गये तथा एक अधिकारी को अन्तिम आदेश जारी किया गया। उन्होंने बताया कि भारतीय वन सेवा के एक अधिकारी को आरोप पत्र जारी किया गया तथा यह प्रकरण अभी समाप्त ही हुआ है और न ही अन्तिम आदेश जारी किया गया। 

उन्होंने बताया कि भारतीय प्रशासनिक सेवा के जिन अधिकारियों को आरोप पत्र जारी किये गये हैं उनमें जी. एस. सन्धू, सूआ लाल भाटी, हंसा सिंह,  गोविन्द शर्मा, हेमराज एवं अबताब हुसैन है। इसी प्रकार भारतीया पुलिस सेवा के अधिकारी पंकज कुमार चौधरी को दो आरोप पत्र जारी किये है। उन्होंने बताया कि  चौधरी को संघ लोकसेवा आयोग के आदेश संख्या 18 अक्टुबर, 2017 के द्वारा परिनिन्दा के दण्ड से दण्डित किया गया। इसके अतिरिक्त चौधरी को भारत सरकार के गृह मंत्रालय के आदेश दिनांक 8 फरवरी, 2019 के द्वारा भी दण्डित किया गया है।

कल्ला ने बताया कि वन विभाग के नियम 8 के तहत एक अधिकारी को आरोप पत्र जारी किया गया तथा आरोप प्रमाणित पाये जाने पर अखिल भारतीय वन सेवा के नियम 1992 के नियम 6 के तहत दण्डित किये जाने हेतु प्रस्ताव मुख्यमंत्री से अनुमोदन के उपरान्त भारत सरकार को भेजा गया। इसके बाद भारत सरकार के वन मंत्रालय के 8 फरवरी, 2019 के आदेश द्वारा अधिकारी को दण्डित किया गया।

इससे पहले विधायक संयम लोढ़ा के मूल प्रश्न के जवाब में कल्ला ने बताया कि अम्बरीष कुमार, आईएएस, द्वारा राज्य सरकार की बिना अनुमति के एक जून, 2015 से 12 जून, 2015 की अवधि में की गई विदेश यात्रा के संबंध में 18 जून, 2019 द्वारा स्पष्टीकरण चाहा गया हैा उन्होंने स्पष्टीकरण की प्रति सदन के पटल पर रखी।

कल्ला ने बताया कि राजेन्द्र कुमार जोशी (से.नि.), आईपीएस, द्वारा बिना स्वीकृति के प्रतिनियुक्ति अवधि (5 वर्ष 11 माह 2 दिवस) समाप्ति के पश्चात (1 अगस्त, 2009 से 2 जुलाई, 2015 तक) भी विभाग में उपस्थिति नहीं देने के कारण 15 अक्टूबर, 2015 को स्पष्टीकरण चाहा गया है। उन्होंने स्पष्टीकरण की प्रति सदन की मेज पर रखी।

उन्होंने बताया कि विजय शंकर पाण्डे आईएफएस द्वारा 18 जून, 2018 से 29 जून, 2018 तक की अवधि का उपार्जित अवकाश राज्य सरकार की बिना अनुमति के उपभोग किये जाने के कारण 21 अगस्त, 2018 को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है। उन्होंने नोटिस की प्रति सदन के पटल पर रखी।

कल्ला ने बताया कि एम.एल. मीणा, आईएफएस द्वारा 2 मई, 2018 से 11 मई, 2018 तक की अवधि का उपार्जित अवकाश राज्य सरकार की बिना अनुमति के उपभोग किये जाने के कारण 14 अगस्त, 2018 को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है। उन्होंने नोटिस की प्रति सदन के पटल पर रखी।

उन्होंने बताया कि श्रीमती सुदीप कौर, आईएफएस द्वारा 21 मई, 2018 से 1 जून, 2018 तक की अवधि का उपार्जित अवकाश राज्य सरकार की बिना अनुमति के उपभोग किये जाने के कराण 21 अगस्त, 2018 को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है। उन्होंने नोटिस की प्रति सदन की मेज पर रखी।

उन्होंने बताया कि आरएएस. शेखावत, आईएफएस द्वारा 7 मई, 2018 से 25 मई, 2018 तक की अवधि का उपार्जित अवकाश राज्य. सरकार की बिना अनुमति के उपभोग किये जाने के कारण 14 अगस्त, 2018 को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है। उन्होंने नोटिस की प्रति सदन के पटल पर रखी।  कल्ला ने बताया कि  खेमराज, आईएएस तत्कालीन प्रमुख शासन सचिव एवं गोविन्द शर्मा, आईएएस द्वारा मैसर्स बिनानी सीमेन्ट लिमिटेड से वसूली योग्य 173 करोड़ रुपये की वसूली को स्थगित करने के संबंध में एवं कम्पनी की प्रारंभिक रूगणावस्था (Incipient Sickness½ का प्रकरण बिना कम्पनी के आवेदन सक्षम कमेटी का गठन प्रस्तावित करने के अरोप के संबंध में स्पष्टीेकरण चाहा गया । उन्होंने स्पष्टीेकरण की प्रति सदन की मेज पर रखा।


कल्ला ने बताया कि पूर्णचन्द किशन, तत्कालीन जिला कलक्टर, श्रीगंगानगर को एसीबी. फौजदारी विविध पिटीशन संख्या 1991/2012, श्रीमती भागवती देवी बनाम स्टेट आफ राजस्थान व अन्य में याची द्वारा अधिनस्थ न्यायालय उपखण्ड मजिस्टे्रट घड़साना जिला श्रीगंगानगर द्वारा पारित आदेश 29 जून, 2012 व 3 नवम्बर, 2003 के साथ विदान अपर सेशन न्यायाधीश अनूपगढ़ कैम्प, घड़साना, जिला श्रीगंगानगर द्वारा फौजदारी प्रकरण संख्या 91/2009 जमना देवी बगैरह बनाम श्रीमती भगवन्ती देवी व अन्य में 20 जुलाई, 2016 में उपखण्ड मजिस्ट्रेट घड़साना तथा जिला कलक्टर, श्रीगंगानगर द्वारा अभिलेख उपलब्ध नहीं कराने व सुनवाई दिनांक को रिकार्ड उपलब्ध कराने के कोई प्रयास नहीं करने एव न्यायालय नोटिस का कोई जवाब नहीं दिये जाने के कारण उक्त देानों अधिकारियों को अपने कर्तव्य के प्रति लापरवाही बरतने के क्रम में प्रथम दृष्टया दोषी मानते हुए उक्त दोनों अधिकारियों के विरूद्ध नियमानुसार अनुशासनिक कार्यवाही करने के क्रम में स्पष्टीकरण 08 फरवरी, 2016 को चाहा गया। उन्होंने स्पष्टीकरण की प्रति सदन की मेज पर रखी।

उन्होंने बताया कि अम्बरीश कुमार, आईएएस, द्वारा दिये गये स्पष्टीकरण पर सक्षम स्तर से यह निर्णय लिया गया है कि भविष्य में इस प्रकृति का आचरण दंढ को आकर्षित करेगा एवं उक्त अवधि की विदेश यात्रा की कार्योत्तर स्वीकृति अनुमोदन उपरान्त स्वीकृति जारी की गई। उन्होंने संबधित आदेश एवं प्रतियां सदन के मेज पर रखी।

कल्ला ने बताया कि राजेन्द्र कुमार जोशी (से.नि.), आईपीएस, को जारी स्पष्टीकरण के पश्चांत प्रतिनियुक्ति अवधि समाप्ति पर अपने पैतृक विभाग में उपस्थिति नहीं दिया जाना राज्य सेवा के प्रति कर्तव्य या दायित्व को नहीं निभाने व घोर लापरवाही बरतने का द्योतक होने के कारण आरोप पत्र जारी किया गया। उन्होंने बताया कि कार्मिक (क-3/जॉच ख) विभाग द्वारा जारी चार्जशीट एफ 1(242) कार्मिक/क-3/2016 3 मार्च, 2017 के विरुद्व माननीय केन्द्रीय प्रशासनिक अधिकरण, जयपुर में ओ.ए. संख्या 1 291/513/217 राजेन्द्र जोशी बनाम भारत संघ व अन्य दायर की गई जिसमें स्थागन जारी किया गया है जो आदिनांक तक प्रभावी है, एवं जिसमें सुनवाई 16 सितम्बर, 2019 नियत है। उन्होंने अधिकरण, जयपुर की बेवसाइट से उक्त प्रकरण की वर्तमान स्थिति एवं प्रकरण में 12 अक्टूबर, 2017 को स्थगन आदेश की प्रति सदन के पटल पर रखी।

उन्होंने बताया कि विजय शंकर पाण्डेे, आईएफएस को दिये गये नोटिस के संबंध में वन विभाग द्वारा पाण्डे द्वारा दिये गये कारण में उक्त अवधि में उपार्जित अवकाश के स्थान पर आकस्मिक अवकाश का उपभोग किये जाने के कारण प्रस्ताव नत्थी किया गया है। उन्होंने संबंधित आदेश एवं प्रतियां सदन के पटल पर रखी।

कल्ला ने बताया कि एम.एल. मीणा, आईएफएस को जारी कारण बताओ नोटिस के संदर्भ में मीणा द्वारा प्रस्तुत स्पष्टीकरण में प्रधान मुख्य वन संरक्षक (एचओएफएफ) राजस्थान जयपुर की अभिशंषा अनुसार सक्षम स्तर से अनुमोदन उपरान्त उपार्जित अवकाश स्वीकृति आदेश जारी किये गये। उन्होंने संबंधित आदेश एवं प्रतियां सदन के पटल पर रखा।

उन्होंने बताया कि सुदीप कौर, आईएफएस को जारी कारण बताओ नोटिस के संदर्भ में कौर द्वारा प्रस्तुत स्पष्टीकरण में वन विभाग द्वारा भविष्य में इसकी पुनरावृति नहीं की जायेगी की अभिशंषा अनुसार सक्षम स्तर पर अनुमोदन उपरान्त उपार्जित अवकाश स्वीकृति आदेश जारी किये गये। उन्होंने संबंधित आदेश एवं प्रतियां सदन के पटल पर रखी।

कल्ला ने बताया कि खेमराज, आईएफएस को जारी कारण बताओ नोटिस के संदर्भ में शेखावत द्वारा प्रस्तुत स्पष्टीकरण में प्रशासनिक विभाग द्वारा भविष्य में उपार्जित अवकाश स्वीकृत कराकर ही प्रस्थान किये जाने की सक्षम स्तर पर अनुमोदन उपरान्त उपार्जित अवकाश स्वीकृति आदेश जारी किये गये।


उन्होंने संबंधित आदेश एवं प्रतियां सदन के पटल पर रखी। उन्होंने बताया कि खेमराज, आईएएस एवं गोविन्द शर्मा, आईएएस से प्राप्त स्पष्टीकरण को अशा. टीप 10 जून, 2014 एवं 26 सितम्बर, 2014 और 17 अक्टूबर, 2014 से प्रेषित कर वित्त विभाग द्वारा एक सितम्बर, 2017 एवं एक फरवरी, 2014 से प्रेषित टिप्पणी का परीक्षण किये जाने पर  खेमराज एवं गोविन्द शर्मा द्वारा प्रस्तुत स्पष्टीकरण को सन्तोषजनक पाये जाने पर खेमराज एवं गोविन्द शर्मा को जारी कारण बताओं नोटिस को अशा. टीप 20 मार्च, 2016 के द्वारा निरस्त किया गया। उन्होंने संबंधित आदेश एवं प्रतियां सदन के पटल पर रखा।

कल्ला ने बताया कि पूर्णचन्द किशन तत्कालीन जिला कलक्टर, श्रीगंगानगर से प्राप्त प्रस्ताव का परीक्षण कर पूर्णचन्द किशन, द्वारा प्रस्तुत स्पंष्टीकरण को सन्तोषजनक पाये जाने के कारण उनके विरुद्ध जारी नोटिस को अशा. टीप 11 मार्च, 2016 के द्वारा प्रकरण समाप्त किया। उन्होंने अशा टीप की प्रति सदन के पटल पर रखी।

स्कूल शिक्षा मंत्री एवम उच्च शिक्षा मंत्री की अगुआई में पौधारोपण

जयपुर। शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह डोटासरा ने पर्यावरण संरक्षण के लिए वृहद स्तर पर अभियान चलाए जाने पर जोर देते हुए हरेक को एक पेड़ लगाने और हरे भरे राजस्थान के लिए मिलकर कार्य करने का आह्वान किया है। उन्होंने शिक्षा अधिकारियों और कर्मचारियों को यह संकल्प लेने पर भी जोर दिया कि सभी एक—एक पेड़ लगाएं और बाद में उसकी सार संभाल भी करें। 

उन्होंने पर्यावरण संरक्षण के लिए शिक्षा संकुल स्थित विभाग के दो हजार कर्मचारी-अधिकारियों द्वारा एक-एक पेड़ गोद लेकर उसका संरक्षण करने के अभियान की शुरूआत करते हुए कहा कि पदोन्नति, स्थानान्तरण पर अधिकारी-कर्मचारी अपने गोद लिए वृक्ष की सार संभाल का जिम्मा अपने स्थान पर आने वाले को देकर जाएं। इससे प्रकृति संरक्षण की सोच को सही मायने में साकार किया जा सकेगा। 

डोटासरा आज यहां शिक्षा संकुल परिसर में “वृक्ष मित्र अभियान, हरा-भरा मेरा राजस्थान” कार्यक्रम में संबोधित कर रहे थे। उन्होंने स्वयं परिसर में पौधारोपण भो किया। उन्होंने कहा कि पेड़ जीवन पर्यंत मनुष्य की सहायता करता है , उनसे यह सीख लेनी चाहिए कि हम भी पेड़ लगाएं और उनका जीवनभर नई पीढ़ी के लिये संरक्षण भी करें। 


उन्होंने कहा कि पर्यावरण प्रेम के लिए विद्यार्थियों में चेतना जगाना जरूरी है। उन्होंने कहा कि यह पेड़ ही हैं जो जीवन मूल्यों की शिक्षा देते हैं। जिस पेड़ पर जितने फल होते हैं, वह उतना ही झुका होता है। जीवन में भी विनम्रता से ही आगे बढ़ा जा सकता है। उन्होंने आह्वान किया कि शिक्षा संकुल में इतने पेड़ लगे कि यहां की हरियाली देखने दूर दूर से लोग आए।

इस मौके पर उच्च शिक्षा मंत्री भंवर सिंह भाटी ने कहा कि वृक्षारोपण अभियान को जन जन तक पहुंचाने की जरूरत है। उन्होंने प्रदूषण रोके जाने के लिये अधिकाधिक पेड़ लगाए जाने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि प्रदेश के हर महाविद्यालय, स्कूल में विद्यार्थियों को प्रेरित कर वृक्षारोपण अभियान को गति दी जाएगी। उन्होंने शैक्षिक संस्थानों के मुखियाओं को पेड़ लगाने के साथ ही उनकी देखभाल का भी जिम्मा लेने का आह्वान किया।

भाटी ने कहा कि वृक्ष संरक्षण की हमारे यहां सदियों से परंपरा रही है। उन्होंने खेजड़ली में अमृता देवी द्वारा पेड़ों के लिए दिए बलिदान को याद रखते हुए वृक्ष मित्र अभियान को आगे बढ़ाए जाने पर जोर दिया। हरिदेव जोशी पत्रकारिता एवम जनसंचार विश्वविद्यालय के कुलपति ओम थानवी ने कहा कि पेड़ कम से कम कटे , इसके लिए कागज का उपयोग कम से कम हो। उन्होंने साहित्यकार अज्ञेय का स्मरण करते हुए कहा कि कम लिखें और जब तक जरूरी नही हो न लिखें और कागज का इस्तेमाल नही हो। उन्होंने फूलों को भी तोड़े जाने की प्रवृति रोके जाने पर जोर दिया और पर्यावरण संरक्षण का आह्वान किया।

कॉलेज शिक्षा एवं राजस्थान स्कूल शिक्षा आयुक्त प्रदीप कुमार बोरड़ ने कहा कि मानसून में हर स्कूल , कॉलेज में नए प्रवेश होने वालों विद्यार्थियों के अनुपात में पेड़ लगाए जाएंगे। समग्र शिक्षा के राज्य परियोजना आयुक्त एन. के . गुप्ता ने पूर्व में सभी का स्वागत करते पर्यावण सरंक्षण के लिए सभी को योगदान देने का आह्वान किया। इससे पहले शिक्षा संकुल स्थित अधिकारियों—कर्मचारियों ने पेड़ लगाने और उनके संरक्षण की प्रतिबद्धता जताई।

रेलवे तीन लाख कर्मचारियों की छंटनी करेगा

रेलवे में 13 लाख कर्मचारी हैं और रेल मंत्रालय 2020 तक घटाकर उसे 10 लाख करना चाहता है। हालांकि, रेलवे ने कहा कि यह समय-समय पर की जाने वाली समीक्षा का हिस्सा है। इसके तहत जिन कर्मचारियों का काम ठीक नहीं है या जिनके विरूद्ध कोई अनुशासनात्मक मुद्दा है, उन्हें समयपूर्व सेवानिवृत्ति की पेशकश की जाएगी।
करीब तीन लाख कर्मचारियों की छंटनी के लिए रेलवे के मंडल कार्यालयों को उन कर्मियों की सूची तैयार करने के लिए कहा गया है जो 2020 की पहली तिमाही में 55 साल के हो जाएंगे या जिनकी सेवा 30 साल पूरी हो जाएगी। मंत्रालय के सूत्रों ने यह जानकारी दी।

सूत्रों ने बताया कि इस श्रेणी में जो लोग सेवा में बने रहने के लायक नहीं हैं, उन्हें समयपूर्व सेवानिवृत्ति की पेशकश की जाएगी।

रेलवे बोर्ड द्वारा मंडल कार्यालयों को लिखे गए पत्र में कहा गया है कि मंडलीय रेलवे से उन कर्मचारियों का सेवा रिकार्ड प्रस्तुत करने का अनुरोध किया जाता है जो 2020 की पहली तिमाही यानी 2020 में जनवरी-मार्च के दौरान 55 साल के हो जायेंगे या 30 साल की सेवा पूरा कर लेंगे और पेंशन के पात्र हो जाएंगे।


27 जुलाई को भेजे गए इस पत्र में कहा गया है कि बोर्ड ने ब्योरा जमा करने की अंतिम तारीख 9 अगस्त तय की है।

रेलवे के सूत्र ने कहा, ‘यह समय-समय पर की जाने वाली समीक्षा का हिस्सा है. इसके तहत जिन कर्मचारियों का काम ठीक नहीं है या जिनके विरूद्ध कोई अनुशासनात्मक मुद्दा है, उन्हें समयपूर्व सेवानिवृत्ति की पेशकश की जाएगी। सरकार इस संबंध में बहुत गंभीर है।’

हाल ही में लोकसभा में बताया गया था कि सरकारी विभागों में समूह ए और बी के 1.19 लाख कर्मचारियों के कामकाज की समयपूर्व सेवानिवृत्ति उपबंध के संदर्भ में 2014-19 के बीच समीक्षा की गई।

सूत्रों के अनुसार, फिलहाल रेलवे में 13 लाख कर्मचारी हैं और मंत्रालय उसे 2020 तक घटाकर 10 लाख करना चाहता है। रेलवे के मंडलीय कार्यालयों से कर्मचारियों के मानसिक एवं शारीरिक स्वस्थता, उपस्थिति, समयबद्धता का रिकार्ड भी जुटाने को कहा गया है।

रेलवे ने एक बयान में कहा है कि यह समीक्षा, रेलवे प्रतिष्ठान संहिता द्वारा निर्धारित की गई थी और इसे प्रशासन द्वारा लोकहित में आयोजित किए जाने की जरूरत है।

बयान में कहा गया है, ‘सेवा शर्तों के अनुपानल में रेलवे कर्मचारियों के कामकाज की नियमित समीक्षा करने के लिए रेलवे जोन/उत्पादन इकाइयों को पत्र जारी किए गए हैं।’

रेलवे के मुताबिक 2014-2019 की अवधि के दौरान विभिन्न श्रेणियों में लगभग 1,84,262 कर्मचारियों की नियुक्तियां की गई थीं।

समाचार एजेंसी पीटीआई के अनुसार, रेलवे ने कहा, ‘2,83,637 कर्मचारियों की नियुक्ति की प्रक्रिया चल रही है और 1,41,060 पदों के पहले ही परीक्षाएं कराई जा चुकी हैं। यह प्रक्रिया अगले दो महीनों में पूरी कर ली जाएगी।’

मंगलवार, 30 जुलाई 2019

राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के आंकड़े दे रहे गवाही, लोगों की जान से खिलवाड़ कर रहे कुछ डॉक्टर

लोकसभा में पास हुए नेशनल मेडिकल कमीशन बिल के कई प्रावधानों पर डॉक्टर कड़ा विरोध जता रहे हैं, लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि स्वास्थ्य क्षेत्र में भारी गड़बड़ी है जिसे तुरंत ठीक किए जाने की जरूरत है। राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) के सामने स्वास्थ्य क्षेत्र से आये मामलों को देखें तो यह बात प्रमाणित भी होती है कि लोगों के स्वास्थ्य अधिकारों का इस क्षेत्र में काम कर रहे अधिकारियों के द्वारा बड़े पैमाने पर हनन किया जा रहा है।  एनएचआरसी ने अपनी जांच के दौरान वर्ष 2019 में अब तक 46 से ज्यादा केसों में स्वास्थ्य अधिकारियों के द्वारा भारी लापरवाही बरतने की बात पाई है। आयोग ने ऐसे अधिकारियों के द्वारा पीड़ित परिवारों को करोड़ों रुपये की क्षतिपूर्ति भी दिलवाई है। ऐसे कुल मामलों में जहां आयोग ने भ्रष्टाचार होना पाया है और क्षतिपूर्ति दिलवाई है, उसमें स्वास्थ्य सेवाओं से जुड़े मामलों की संख्या 18.11 फीसदी है। 

स्वास्थ्य सेवाओं में मरीजों की जान की गंभीरता को देखते हुए यह आंकड़ा गंभीर माना जा सकता है। जानकारी के अनुसार इसी वर्ष जनवरी में एनएचआरसी ने नौ केसों में स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों की भारी लापरवाही पाई थी और उसने पीड़ितों को लगभग 21 लाख रुपये की क्षतिपूर्ति दिलवाई थी। आयोग ने फरवरी में दो केसों में आठ लाख रुपये, मार्च में छह केसों में 10.50 लाख रुपये, अप्रैल में सात केसों में 27.10 लाख रुपये, मई में सात केसों में 22 लाख रुपये और जून माह में 15 केसों में 52.95 लाख रुपये की क्षतिपूर्ति दिलाने का आदेश दिया है। 

ये आंकड़े केवल राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के सामने पेश किए गए मामलों के हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि राज्य मानवाधिकार आयोगों और विभिन्न अदालतों के मामलों को भी जोड़ दिया जाए तो यह बहुत गंभीर समस्या का रूप धारण कर लेगी। स्वास्थ्य विभाग से जिस प्रकार की लापरवाहियां सामने आई हैं, उनमें डॉक्टरों की भूमिका के साथ-साथ अन्य सहयोगी स्वास्थ्य अधिकारियों के द्वारा की जा रही गड़बड़ी भी शामिल है। 

आयोग ने ऐसे मामलों में भी अधिकारियों को दोषी पाया है जिनमें मरीजों को स्वास्थ्य सेवाएं देने से बिना किसी उचित वजह के इनकार कर दिया गया था। टेस्ट करने से इनकार करना, सरकारी अस्पतालों के अधिकारियों के द्वारा प्राइवेट संस्थानों से टेस्ट कराने की अनुचित मांग और अधिकारियों का अपनी ड्यूटी पर उपलब्ध न होने जैसी अनेक गंभीर गड़बड़ी सामने आई है। 

क्या कहते हैं डॉक्टर

स्वास्थ्य अधिकारियों के द्वारा बरती जा रही लापरवाही, और मरीजों और डॉक्टरों के बीच बढ़ती मुकदमेबाजी पर वरिष्ठ हार्ट एंड लंग्स स्पेशलिस्ट डॉ. संदीप अटावर का कहना है कि सभी मेडिकल प्रोफेशनल्स के द्वारा अपनी भूमिका को उचित ढंग से निर्वाह किया जाना चाहिए क्योंकि यह ऐसा पेशा है जिससे सीधे तौर पर लोगों की जिंदगी जुड़ी होती है। 

डॉ. संदीप अटावर के मुताबिक़, कई बार मरीजों के रिश्तेदार इलाज के दौरान की भारी तकनीकी परेशानी को नहीं समझते हैं जो बाद में उनके और डॉक्टरों के बीच विवाद की वजह बनती है। इससे बचने के लिए डॉक्टर समुदाय को ज्यादा से ज्यादा पारदर्शिता बरतनी चाहिए। 

कठिन मामलों में मरीजों के रिश्तेदारों को इलाज की दूसरी या तीसरी डॉक्टर ओपिनियन लेने की सलाह दी जानी चाहिए जिससे मरीजों को यह लगे कि उनका वही इलाज उचित है जो किया जा रहा है। इससे दोनों के बीच रिश्ते सुधरेंगे। 

पन्द्रह अगस्त को ‘35ए’ खत्म करने का तोहफा ?

देश की सत्ता के गलियारों में इन दिनों एक ही चर्चा गर्म है, और वह है इस बार लाल किले से प्रधानमंत्री द्वारा आजादी की बहत्तरवीं वर्गग्रंथी पर कश्मीर से अनुच्छेद-35ए खत्म करने की घोषणा। सरकार ने कश्मीर में दस हजार विशेष प्रशिक्षित सैनिक तैनात कर इसकी शुरूआत भी कर दी है। यद्यपि सरकार ने अनुच्छेद-35ए खत्म करने के अधिकारिक संकेत नहीं दिए है और सैनिकों की नई तैनाती के पीछे पुराने थके-हारे सैनिकों की वापसी, बड़े आतंकी या पाकिस्तानी हमले की आशंका आदि कारण बताए जा रहे है, किंतु केन्द्र सरकार के सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल की अचानक गुपचुप कश्मीर यात्रा, वहां राज्यपाल व शीर्ष अधिकारियों से विचार-विमर्श और वहां से लौटते ही दस हजार सैनिकों की वहां तैनाती कुछ रहस्यमयी कहानी बयां करती है, जो कश्मीर में पिछले बहत्तर साल से जारी राज्य को विशेष दर्जा दिलाने वाले संविधान के अनुच्छेद-35ए से जुडी है। 

यहाँ यह भी उल्लेखनीय है कि जब राजनाथ सिंह की जगह भाजपाध्यक्ष अमित शाह को गृहमंत्री का दायित्व सौंपा गया था, तो उसके पीछे मोदी जी की एक ही मंशा थी जो कश्मीर में लागू अनुच्छेद-35ए व धारा-370 से जुड़ी थी, देश में राज कर रही भाजपा के चुनावी घोषणा-पत्र में भी जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा दिलाने वाले संविधान के इन अनुच्छेदों को खत्म करने का वादा किया गया था। इसीलिए गृहमंत्री का पदग्रहण करते ही अमित शाह ने सबसे पहले कश्मीर का ही दौरा किया था और राज्यपाल सतपाल मलिक से काफी गंभीर विचार-विमर्श भी हुआ था। उसके बाद कश्मीर से निष्कासित पण्डितों से गृहमंत्री का विचार-विमर्श तथा कश्मीर की समस्याओं व वहां की स्थितियों पर गंभीर चिंतन यह स्पष्ट करता है कि सरकार शीघ्र ही कश्मीर पर कोई गंभीर कदम उठाने जा रही है, और वह कदम अनुच्छेद-35ए खत्म करने से ही सम्बंधित हो सकता है। जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल सतपाल मलिक ने पिछले दिनों एक सार्वजनिक कार्यक्रम में आतंकियों को पुलिस व सेना की जगह भ्रष्ट अधिकारियों व नेताओं को निशाना बनाने का विवादित बयान देकर भी ऐसा ही कुछ संकेत देने की कौशिश की थी, जिसके लिए उन्हें बाद में खेद भी प्रकट करना पड़ा। इस तरह केन्द्र सरकार व जम्मू-कश्मीर प्रशासन के बीच यह खिचड़ी लम्बे अर्से से पक रही है और इसकी भनक जम्मू-कश्मीर के राजनेताओं को भी लग चुकी है, तभी तो ऊमर अब्ब्दुल्ला के बाद मेहबूबा मुफ्ती को अनुच्छेद-35ए को लेकर विस्फोटक बयान देने को मजबूर होना पड़ा। अब ये कश्मीर नेता, जो इस मामले पर एकजुट है, अपने बयानों से कश्मीर में भय और दहशत का माहौल तैयार करने लगे है, जिसका परिणाम यह हो रहा है कि कश्मीरियों ने अपने वतन से पलायन और अनाज (राशन) भंडारण की तैयारी शुरू कर दी है, और सैनिकों की बढ़ती गश्त और उनकी मुस्तैदी से वहां भय की भावना निर्मित होने लगी है। केन्द्र सरकार ने भी सतर्क होकर वहां की पल-पल की खबरों पर नजर रखना शुरू कर दिया है, साथ ही एनआईए ने छापे मारी की भी शुरूआत कर दी है।

अब संविधान की उन विशेष अनुच्छेदों ‘370’ व ‘35ए’ पर नजर डाली जाए, जिसके तहत् जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा मिला हुआ है। यद्यपि ये धाराएं अस्थायी है जो राज्य विधानसभा की अनुमति से कभी भी खत्म की जा सकती है, किंतु आज तक चूंकि किसी भी केन्द्र सरकारर ने इस दिशा में प्रयास नहीं किया, इसलिए ये धाराएं पिछले सत्तर सालों से चली आ रही है और जम्मू-कश्मीर को देश के अन्य राज्यों से अलग विशेष दर्जा प्राप्त है।

धारा-35ए जम्मू-कश्मीर विधानसभा को राज्य के ‘स्थायी निवासी’ की परिभाषा तय करने का अधिकार देता है। वर्ष 1954 मंे इस तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ. राजेन्द्र प्रसाद के आदेश के माध्यम से संविधान से जोड़ा गया था, इस अनुच्छेद ने स्थायी नागरिकता को विशेष अधिकार दिए है, इसके तहत अस्थायी नागरिक न जम्मू-कश्मीर में स्थायी रूप से निवास कर सकते है और न ही इस राज्य में कोई चल-अचल सम्पत्ति खरीद सकते है। साथ ही इस राज्य की कोई महिला या पुरूष किसी अन्य राज्य के निवासी लड़के-लड़की से विवाह रचा सकता है, यदि विवाह रचाता है तो संबंधित लड़के या लड़की की जम्मू-कश्मीर की स्थायी नागरिकता स्वतः ही खत्म हो जाती है। अब मोदी सरकार का प्रयास है कि जम्मू-कश्मीर से यह विशेष धारा खत्म कर इस राज्य को भी अन्य राज्यों की बराबरी में खड़ा कर दिया जाए।

अब यदि अनुच्छेद-370 पर नजर डाली जाए तो इस अनुच्छेद के प्रावधानों के मुताबिक संसद को जम्मू-कश्मीर के बारे में सिर्फ रक्षा, विदेश मामले और संचार के विषय में कानून बनाने का अधिकार है, किंतु इन तीन विषयों के अलावा किसी अन्य विषय से संबंधित कानून को लागू करवाने के लिए केन्द्र को राज्य सरकार से अनुमति सहमति लेनी पड़ती है, इसी अनुच्छेद के तहत् जम्मू-कश्मीर का राष्ट्रीय ध्वज भी अलग है, साथ ही इसी धारा के प्रावधानों के तहत जम्मू-कश्मीर विधानसभा का कार्यकाल भी छः साल का है, जबकि पूरे देश में संसद व राज्य विधानसभाओं का कार्यकाल पांच साल है और इसी धारा के तहत जम्मू-कश्मीर में सूचना का अधिकार (आर.टी.आई.) भी लागू नहीं होता।

इस तरह कुल मिलाकर संविधान के ‘370’ व ‘35ए’ के विशेष प्रावधानों के कारण भारतीय गणराज्य में सिर्फ जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा प्राप्त है और पूरे देश में समानता के संवैधानिक अधिकार के तहत देश की मौजूदा मोदी सरकार जम्मू-कश्मीर से ये संवैधानिक बंधन खत्म कर देश के सभी राज्यों के एक ही समानता की श्रेणी में लाना चाहती है और मोदी जी ने गृहमंत्री अमित शाह को यही महत्वपूर्ण साहसिक जिम्मेदाारी सौंपी है। इस बारे में प्रधानमंत्री व गृहमंत्री के बीच गंभीर मंत्रणा कर अगले चरणों पर चर्चा भी हो चुकी है, संभव है प्रधानमंत्री जी अगले महीनें स्वतंत्रता की बहत्तरवी वर्षग्रंथी पर लाल किले की प्राचीर से देश को यह सौगात देने की घोषणा करें! 

एनजीटी ने पानी की बर्बादी को दंडनीय अपराध बनाने की मांग पर केंद्र से रिपोर्ट मांगी

एनजीटी में याचिका दायर कर कहा गया है कि पानी की बर्बादी रोकने के लिए कदम नहीं उठाए जा रहे हैं और पानी बर्बाद करने को दंडनीय अपराध की श्रेणी में रखा जाना चाहिए।
राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने पानी की बर्बादी को दंडनीय अपराध बनाने की मांग संबंधी एक अर्जी पर केंद्र से जल बचाने के बारे में की गई कार्रवाई रिपोर्ट मांगी है।

एनजीटी ने कहा कि भारत में 33 फीसदी लोग खासकर ब्रश करते और नहाते समय बिना उपयोग के नल को खुला छोड़कर पानी बर्बाद करते हैं।

एनजीटी अध्यक्ष जस्टिस आदर्श कुमार गोयल की अगुवाई वाली पीठ ने जल शक्ति मंत्रालय और दिल्ली जल बोर्ड को एक महीने के अंदर इस मामले पर रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया।

अधिकरण गाजियाबाद से भाजपा पार्षद राजेंद्र त्यागी और एनजीओ ‘फ्रेंड्स’ की याचिका पर सुनवाई कर रहा है। याचिकाकर्ताओं ने आरोप लगाया है कि पानी की बर्बादी रोकने के लिए कदम नहीं उठाए जा रहे हैं।

याचिका में कहा गया है, ‘देश में करीब 60 करोड़ लोग पानी की भयंकर कमी से जूझ रहे हैं। उपयुक्त विनियमों या कार्ययोजना के अभाव में लाखों लीटर ताजा पेयजल बर्बाद हो रहा है। घरों और वाणिज्यिक परिसरों में फ्लश प्रणाली ताजा पानी बर्बाद होने की एक बड़ी वजह है क्योंकि एक फ्लश में 15-16 लीटर पानी बर्बाद हो जाता है।’

याचिकाकर्ताओं के अनुसार, हर दिन 4,84,20,000 क्यूबिक मीटर पानी बर्बाद हो जाता है और लगभग 163 मिलियन लोग कुछ ऐसे लोगों की वजह से साफ पानी पीने से वंचित रह जाते हैं, जो कीमती और पीने योग्य पानी बर्बाद करते हैं।

एक अध्ययन का हवाला देते हुए यह कहा गया कि भारत में तीन में से एक व्यक्ति नल खुला छोड़ने के कारण पानी बर्बाद करता है। नल से एक मिनट में पांच लीटर पानी निकलता है और एक शावर से प्रति मिनट 10 लीटर पानी बाहर निकलता है।

याचिकाकर्ताओं ने कहा, ‘रोजाना तीन से पांच मिनट ब्रश करने के दौरान लोग लगभग 25 लीटर पानी बर्बाद करते हैं। जब कोई व्यक्ति साबुन या शैम्पू लगाता है तो उस समय 15-20 मिनट शावर चालू रखने के दौरान लगभग 50 लीटर पानी बर्बाद होता है। बर्तन धोने के दौरान लोग नल चालू रखते हैं, इसकी वजह से करीब 20-60 लीटर पानी बर्बाद होता है।’

उन्होंने कहा, ‘गांव में लोगों ने हैंडपंप और ट्यूबवेल होने के बाद भी गहरा बोरवेल करा रखा है और ये पानी बर्बाद होने के बड़े कारणों के रूप में उभर कर सामने आया है।’

वकील आकाश वशिष्ठ के जरिए दायर याचिका में कहा गया, ‘साफ पानी के दुरुपयोग के अन्य प्रमुख कारणों में कार की धुलाई, लगातार फर्श की धुलाई, शहरों और कस्बों में स्विमिंग पुल, चलन से बाहर हो चुकी वॉशिंग मशीन और डिशवॉशर का इस्तेमाल शामिल हैं।

आने वाले 2025 तक पानी की मांग 40 अरब क्यूबिक मीटर से बढ़कर 220 अरब क्यूबिक मीटर तक पहुंचने की संभावना है।

जल संकट के कगार पर राजस्थान, कभी भी ख़त्म हो सकता है भूजल

राजस्थान सरकार द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार प्रदेश के 33 ज़िलों को भूजल के हिसाब से कुल 295 ब्लॉक में बांटा गया है, जिनमें से 184 ब्लॉक अतिदोहित श्रेणी में आ गए हैं। इसका मतलब है कि आधे से ज़्यादा राज्य में ज़मीनी पानी कभी भी समाप्त हो सकता है।
 देश की एकमात्र मरूभूमि राजस्थान भूजल संकट के कगार पर है। राज्य में भूजल के 295 ब्लॉक में से 184 अतिदोहित श्रेणी में आ चुके हैं। मतलब आधे से ज्यादा राज्य में जमीनी पानी कभी भी समाप्त हो सकता है। राज्य के कई विधायकों एवं पेयजल कार्यकर्ताओं ने इस पर चिंता जताते हुए तत्काल कदम उठाने की जरूरत बताई है।

राज्य सरकार के ताजा आंकड़ों के अनुसार प्रदेश के 33 जिलों को भूजल के हिसाब से कुल 295 ब्लॉक में बांटा गया है, जिनमें से 184 ब्लॉक अतिदोहित श्रेणी में आ गए हैं। अतिदोहित यानी ऐसा इलाका जहां रिचार्ज के उपाय नहीं किए जाने पर भूजल कभी भी समाप्त हो सकता है। राज्य सरकार खुद हालात से चिंतित है।

भूजल मंत्री बुलाकी दास कल्ला ने  विधानसभा में कहा, ‘राज्य में भू-जल की स्थिति अत्यन्त गंभीर है। कुल 295 ब्लॉक में से केवल 45 ब्लॉक सुरक्षित है जबकि 184 ब्लॉक अतिदोहित है।’

विधानसभा में सिंचाई व भूजल विभाग की अनुदान मांगों पर चर्चा के दौरान कई विधायकों में राज्य में भूजल स्तर की स्थिति पर चिंता जताई। जैसलमेर से विधायक रूपाराम ने कहा, ‘भूजल की स्थिति बहुत ही दयनीय है। राजस्थान का क्षेत्रफल भारतवर्ष का 10.45 प्रतिशत है जबकि भूजल की उपलब्धता केवल 1.75 प्रतिशत है।’

रूपाराम ने कहा कि राज्य के 295 ब्लॉक में से आज की तारीख में केवल 45 ब्लॉक ही सुरक्षित हैं, जबकि ऐसे 34 ब्लॉक क्रिटिकल और 28 ब्लाक सेमीक्रिटिकल श्रेणी में हैं। अतिदोहित यानी ऐसे ब्लॉक जहां आगे चलकर भूजल खत्म हो जाएगा की संख्या 183 है। ऐसे ब्लॉक को डार्कजोन भी कहा जाता है क्योंकि यहां जमीन से जितना पानी निकाला जा रहा है उतना रिचार्ज नहीं हो रहा। एक रिपोर्ट के अनुसार 2013 में ऐसे ब्लॉक की संख्या 164 थी।

गंगापुर से विधायक रामकेश मीणा ने भी सदन में भूजल की खराब स्थिति पर चिंता जताई। उन्होंने कहा कि राज्य में दोहन योग्य भूजल की मात्रा केवल 1.72 प्रतिशत है। राजस्थान में हमेशा न्यूनतम वर्षा होती है और राजस्थान प्रदेश भयंकर जल संकट की ओर जा रहा है।

जानकारों के अनुसार चिंता की बात यह है कि पानी का दोहन जिस अंधाधुंध तरीके से हो रहा है, रिचार्ज उस स्तर पर नहीं हो रहा। यही कारण है कि भूजल स्तर लगातार नीचे जा रहा है। राज्य के जोधपुर जैसे जिले में तो पानी 165 मीटर से भी अधिक नीचे चला गया है।

जलयोद्धा के रूप में चर्चित लक्ष्मण सिंह लापोड़िया के अनुसार संकट अविवेकपूर्ण इस्तेमाल का है। चाहे वह दैनिक जीवन में हो, निर्माण कार्य में या खेतीबाड़ी में। सरकार को इस ओर ध्यान देते हुए पानी का संयमित तथा विवेकपूर्ण इस्तेमाल सुनिश्चित करने के लिए कदम उठाने चाहिए।

लक्ष्मण सिंह के अनुसार सरकार को इस बारे में कोई सोची समझी नीति लानी चाहिए साथ ही लोगों को भी जागरुक करना चाहिए। सिंह के अनुसार जल संकट के नाम पर सिर्फ हाहाकार मचाने से कुछ नहीं होगा।

भूजल मंत्री कल्ला के अनुसार राजस्थान में दो-तिहाई हिस्सा मरूस्थल होने और औसत वर्षा अत्यधिक कम होने के कारण जल की एक-एक बूंद बचाना और बचे हुए पानी का मितव्ययता से उपयोग किया जाना अत्यन्त आवश्यक है।

विधायक रूपाराम ने भी एक तरह से इस संकट के लिए भूजल के अंधाधुध दोहन को जिम्मेदार बताया और कहा कि 60 के दशक में ट्यूबवैल टेक्नोलाजी आने के बाद चाहे किसान हो या सरकार या उद्योग हर कोई ट्यूबवैल खोदने लगा।

उन्होंने सदन में सलाह दी की भूमिगत पानी को भूल जाना चाहिए और उसे एकदम रिजर्व मानना चाहिए। उन्होंने कहा कि सिंचाई तथा अन्य जरूरतों के लिए हमारे पास बांध व नहर आदि के जो मौजूदा संसाधन हैं उन्हें ही मजबूत बनाना चाहिए।

देश के 100 बड़े जलाशयों में 72 में सामान्य से कम मात्रा में जल भंडारण

मॉनसून के तकरीबन आधा गुजर जाने के बावजूद देश के 100 बड़े जलाशयों में 72 में पानी की मात्रा सामान्य से कम है। केंद्रीय जल आयोग के आंकड़ों से यह जाहिर होता है।

आंकड़ों के मुताबिक 25 जुलाई तक गंगा, कृष्णा और महानदी जैसी बड़ी नदियों के बेसिन में जल भंडारण की स्थिति कम है। खासतौर पर गुजरात और महाराष्ट्र में यह स्थिति चिंताजनक है।

आधिकारिक रूप से जून में शुरू हुए मॉनसून के बाद से देश के कई हिस्सों में अब तक कम बारिश हुई है। मौसम विभाग के 36 मौसम विज्ञान संभागों में 18 में कम बारिश दर्ज की गई है, जबकि 15 में सामान्य बारिश हुई है।

सोमवार, 29 जुलाई 2019

सुपर 30 के असल हीरो आनंदकुमार क्या ग्लैमर के कारण भटक गये ?

मैंने अपनी इस पीडा को आनंदकुमार से सामने मीडियाकर्मी होने के नाते रख भी दिया । मैंने आनंदकुमार से कहा कि कोचिंग संस्थान में नौकरी लगते ही आप अपनी रियल जिंदगी में भटक गये थे, क्या अब आप ग्लैमर के कारण दुबारा तो नहीं भटक रहे हो ? मैंने महसूस किया कि इसके बाद आनंदकुमार थोडा सहम से गये ।


सुपर 30 के असल हीरो आनंद कुमार सोमवार 29.7.2019 को पिंकसिटी प्रेस क्लब जयपुर आये। मन खुश भी था, उदास भी। 

मन खुश इसलिये था कि इस व्यक्ति ने जीवन में लीक से अलग हटकर कुछ किया है। राजा का बेटा राजा नहीं बनेगा, अब राजा वही बनेगा जो असल में हकदार होगा, और 30 हकदारों को उनका हक दिला दिया आनंद कुमार ने । मन उदास इसलिये था ​कि अपने पिता के आदर्शों पर चलकर जो कामयाबी का सेहरा आज आनंद कुमार के माथे पर बंधा है, वह सेहरा बनने से पहले आनंद कुमार अपने पथ से भटक गये थे । फिल्म में दिखाया कि गले में सोने की जंजीर है, साईकिल से मोटरसाईकिल आ गई, कोचिंग संस्थान में नौकरी लगते ही नोटों की गड्डियां, होटल में नाच गाना और राग रंग । 

मुझे महसूस हुआ कि जिस कामयाबी के सेहरे के कारण आनंदकुमार हीरो बनें, अब आनंदकुमार उस पथ से भटक कर फिर वहीं पहुंच गये है, जहां से वह चले थे, और ऐसा हुआ तो यह एक प्रतिभा का अंत हो जायेगा। 


राजेन्द्र सिंह गहलोत 
मैंने अपनी इस पीडा को आनंदकुमार से सामने मीडियाकर्मी होने के नाते रख भी दिया । मैंने आनंदकुमार से कहा कि कोचिंग संस्थान में नौकरी लगते ही आप अपनी रियल जिंदगी में भटक गये थे, क्या अब आप ग्लैमर के कारण दुबारा तो नहीं भटक रहे हो ? आनंद कुमार ने इस पर सफाई देते हुए कहा कि ऐसा नहीं है, मैं अभी फिल्म रीलीज हुई है इसलिये एक महिने का ब्रेक लेकर आया हूं, मैं भटका नहीं हूं।


 लेकिन मैंने महसूस किया कि इसके बाद आनंदकुमार थोडा सहम से गये । आदमी भले हैं, इसलिये मन कह रहा था कि यह आदमी सफलता के नशे में चूर होकर अपनी जडों से कटना नहीं चाहिये, इसलिये मेरा प्रयास फिल्म के उस रिक्शे वाले की तरह था जिसकी बातें सुनकर उसे अपने पिता की याद आती है और आवाज कानों में गूंजती है कि अब राजा का बेटा राजा नहीं बनेगा, राजा वही बनेगा जो उसका असल हकदार होगा। 

काश आनंदकमार ने मेरी बात का सही जवाब दिया हो कि मैं भटका नहीं हूंं । लेकिन पता नहीं क्यों एक प्रतिभा की मौत का विलाप मेरे कानों में गूंज रहा था।

'आर्मी स्कूल' खोलेगा आरएसएस

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ साल 2020 से सेना स्कूल खोलने की तैयारी कर रहा है। यहां भारतीय सशस्त्र बलों में अधिकारी बनने के लिए बच्चों को प्रशिक्षित किया जाएगा। इन स्कूलों को आरएसएस की शिक्षा शाखा विद्या भारती चलाएगी।  इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार स्कूल का नाम रज्जू भैया सैनिक विद्या मंदिर होगा। यह नाम आरएसएस के पूर्व सरसंघचालक राजेंद्र सिंह उर्फ रज्जू भैया के नाम पर रखा गया है।

रज्जू भैया सैनिक विद्या मंदिर की पहली शाखा उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर जिले के शिकारपुर में खोला जाएगा। यहां पर साल 1922 में आरएसएस के पूर्व सरसंघचालक रज्जू भैया का जन्म हुआ था। 

लड़कों के लिए आवासीय विद्यालय का निर्माणकार्य हो रहा है। विद्या भारती यहां पाठ्यक्रम के रूप में केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) को अपनाएगी। इसमें छठी कक्षा से लेकर बारहवीं कक्षा तक के छात्र होंगे। संभावना जताई जा रही है कि अप्रैल 2020 से कक्षाएं शुरू हो जाएंगी।

अधिकारियों ने बताया कि अगर यह प्लान कामयाब रहता है तो जल्द ही इसी तरह के की स्कूल खोले जा सकते हैं। अधिकारियों के अनुसार इस विद्यालय को लेकर विद्या भारती ने विवरणिका (प्रॉस्पेक्टस) तैयार कर लिया है। संभावना है कि अगस्त-सितंबर से नामांकन के लिए आवेदन भी मंगाए जा सकते हैं।

ज्ञात हो कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की शिक्षा शाखा विद्या भारती पूरे देश में 20 हजार से ज्यादा स्कूलों को चलाती है।

संसदीय तालमेल में विफल विपक्ष

लोकसभा चुनाव से पहले विपक्ष एकजुट होने का जितना प्रयास करता दिख रहा था आज उतना ही प्रयास बिखरने का करता दिख रहा है। संसद के चालू सत्र में किसी भी मसले पर विपक्षी पार्टियां तालमेल नहीं बना पा रही हैं। पहले माना जा रहा था कि चुनाव तुरंत खत्म हुए हैं इसलिए पार्टियां अपने अपने हिसाब से पोजिशनिंग कर रही हैं और आगे की राजनीति के हिसाब से दांवपेंच चल रही हैं। पर सूचना के अधिकार कानून में संशोधन के राज्यसभा से पास होने के बाद यह साफ हो गया कि विपक्ष इतना बिखरा हुआ है कि वह एकजुट नहीं हो सकता है। 

सूचना के अधिकार कानून का उच्च सदन से पास होना एक तरफ जहां सरकार के संसदीय प्रबंधन की जबरदस्त सफलता है वहीं दूसरी ओर विपक्ष की बड़ी विफलता है। यह एक ऐसा मुद्दा था, जिस पर विपक्ष सरकार को रोक सकता था। ध्यान रहे राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े एनआईए या यूएपीए से जैसे कानूनों में संशोधन पर सरकार को रोकना राजनीतिक रूप से पार्टियों के लिए आत्मघाती है। पर सूचना के अधिकार कानून में बदलाव को लेकर पूरे देश में जैसा माहौल है और जिस तरह सिविल सोसायटी या पूर्व सूचना आयुक्त इन बदलावों का विरोध कर रहे हैं उसमें विपक्ष एकजुट होकर सरकार को रोकता तो उसे आम लोगों का भी समर्थन मिलता। 

पर हैरानी की बात है कि सरकार के संसदीय प्रबंधक एनडीए की सहयोगी पार्टियों के साथ साथ एनडीए और यूपीए के बाहर की तीन तटस्थ पार्टियों को अपने साथ कर लिया। बीजू जनता दल, वाईएसआर कांग्रेस और तेलंगाना राष्ट्र समिति ने इस विधेयक पर सरकार का समर्थन किया। विपक्ष के लिए ज्यादा चिंता की बात बहुजन समाज पार्टी और राष्ट्रवादी कांग्रेस के सांसदों की गैरहाजिरी होनी चाहिए। ये पार्टियां भाजपा का खुला विरोध करती हैं। अगर ये भी परोक्ष रूप से सरकार का समर्थन करती हैं तो फिर विपक्ष आगे की राजनीति कैसे करेग?

यह भी कम हैरानी की बात नहीं है कि ममता बनर्जी की पार्टी तृणमूल कांग्रेस के चार सांसद सूचना अधिकार कानून में संशोधन के समय वोटिंग से गैरहाजिर थे। इनमें से कुछ तो सुबह के सत्र में सदन में मौजूद थे पर बाद में लापता हो गए। ममता बनर्जी ने अपने संसदीय नेताओं को इसकी पड़ताल में लगाया है। उनको लग रहा है कि ये सांसद भी पाला बदलने की तैयारी तो नहीं कर रहे हैं। कुल मिला कर लोकसभा चुनाव नतीजों के बाद से ही विपक्ष बिखरा हुआ है और सरकार उनके ऊपर हावी है। 

संसदीय समितियों की अनदेखी नहीं

हाल ही में राज्यसभा में विपक्षी दल के नेताओं ने आरोप लगाया है कि केंद्र सरकार ने संसदीय स्थायी और प्रवर समितियों को समीक्षा के लिए भेजे बगैर जल्दबाजी में कई कानून पारित करवाये हैं। आश्चर्यजनक है कि विपक्ष को इस बात पर आपत्ति है कि संसद अधिक कानून लाकर अपने समय का समुचित उपयोग कर रही है और सदन का वर्तमान सत्र पिछले अन्य सत्रों के मुकाबले ज्यादा सार्थक और उपयोगी सिद्ध हो रहा है। वस्तुत: विपक्षी दलों के आरोप निराध




लेखक भूपेंद्र यादव  सदस्य, राज्यसभा

सही तथ्य यह है कि यूपीए सरकार ने 2009 से 2014 तक राज्यसभा में केवल पांच विधेयकों को संसद की प्रवर समिति को भेजा था, जबकि एनडीए सरकार ने 2014 से 2019 के बीच कुल 17 विधेयक समीक्षा के लिए भेजे हैं। साफ है कि विधेयकों को संसद की समितियों के पास नहीं भेजने को लेकर विपक्ष का आरोप तथ्यहीन है। जो लोग राज्यसभा सत्र के दौरान चर्चाओं और ध्यानाकर्षण प्रस्तावों को बाधित करते रहे हैं, वही आज सदन में सुचारु ढंग से हो रहे कामकाज पर सवाल उठा रहे हैं। उन्हें स्वयं से यह सवाल करना चाहिए कि आखिर मानसून सत्र 2015, बजट सत्र 2018, शीतकालीन सत्र 2018 और अंतरिम बजट सत्र 2019 में कामकाज की गति क्यों ठप जैसी हो गयी थी? हैरानी की बात है कि सदन में सकारात्मक रुख के साथ बहस और चर्चा करने की बजाय अनेक अवसरों पर गतिरोध पैदा करने वाले इस बात पर सवाल खड़े कर रहे हैं कि सदन का प्रदर्शन अच्छा क्यों हो रहा है! 

यह संसदीय परंपरा का ही हिस्सा रहा है कि केंद्र सरकार के किसी भी संस्थान को सशक्त करने से जुड़े आमूलचूल संशोधन और प्रावधान को प्रवर समिति नहीं भेजा जाता था। 

यह ठीक है कि प्रवर समितियों को विधेयक भेजना सदन की प्रक्रिया का हिस्सा रहा है, किन्तु यह भी सच है कि ऐसा विधेयक के लिए अनिवार्य नहीं है। कभी-कभी प्रवर समितियां कानून में फेरबदल करने की सलाह देती रही हैं और इसके परिणामस्वरूप कुछ विधेयकों में उन सिफारिशों को लागू भी किया जाता रहा है। 

महत्वपूर्ण तथ्य है कि कुछ विधेयक प्रवर समितियों में विचार होने के बावजूद सदन का सत्र नहीं होने की वजह से पारित नहीं हो पाते हैं। इस कारण उन्हें दोबारा सदन की पटल पर रखना पड़ता है। इस तरह के विधेयकों में ज्यादातर वे हैं, जो लोकसभा द्वारा पारित भी हुए तथा स्थायी समिति द्वारा उन्हें अनुमोदित भी किया गया था। उदाहरण के लिए द मोटर व्हीकल्स (अमेंडमेंट) बिल 2019, जिसकी समीक्षा पहले स्टैंडिंग कमेटी द्वारा की गयी। फिर लोकसभा द्वारा  पारित किया गया था।

इसके बाद राज्यसभा ने इस बिल को प्रवर समिति के पास भेज दिया था, लेकिन लैप्स होने के कारण इसे फिर से लोकसभा में लाना पड़ा। इसी तरह ट्रिपल तलाक बिल में विपक्ष के सुझाव पर संशोधन करके दो बार इसे लोकसभा द्वारा पारित किया गया है। चूंकि इसे राज्यसभा में यह दो बार पारित नहीं हो सका। अंत: इसे तीसरी लोकसभा में पारित कराना पड़ा है। 

ऐसे अनेक विधेयक हैं, जिन पर या तो प्रवर समिति या स्थायी समिति में विचार हो चुका है और इन्हें राज्यसभा द्वारा अभी पारित होना है। मसलन, राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग विधेयक 2019, सरोगेसी (विनियमन) विधेयक 2019, ट्रांसजेंडर व्यक्तियों (अधिकारों का संरक्षण) विधेयक 2019, वेतन संहिता 2019, अंतर-राज्यीय नदी जल विवाद (संशोधन) विधेयक 2019 तथा कंपनी संशोधन विधेयक 2019।

पिछले संसदीय सत्रों की तुलना में वर्तमान सत्र कानून के अधिनियमन के लिहाज से अधिक प्रभावी व अधिक उपयोगी रहा है। कई बार सदन की कार्यवाही शाम छह बजे के बाद तक चला। इस सत्र में विधेयकों के पारित होने के अलावा कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर सार्थक चर्चा हुई है।
शून्यकाल और ध्यानाकर्षण प्रस्ताव के माध्यम से सार्वजनिक महत्व के कई मुद्दों पर भी चर्चा हुई है। इस सत्र में प्रश्नकाल भी सार्थक रहा है। गौरतलब है कि  हाल के पांच सत्रों में से चार सत्र बर्बाद चले गये, इसके बावजूद एनडीए सरकार के दौरान 2014 से 2019 के मध्य कम समय के लिए अवधि की जो चर्चाएं हुईं, जिनकी संख्या 29 थी। यह 2009 से 2014 के दौरान यूपीए सरकार की 27 चर्चाओं से अधिक है।


संसद की बिजनेस एडवाइजरी कमेटी द्वारा सदन के कामकाज को अंतिम रूप दिया जाता है, जिसमें सभी दलों का प्रतिनिधित्व होते हैं और सभी विधेयकों को उसके आवंटित समय के अनुसार इस समिति द्वारा पारित होने के बाद सूचीबद्ध किया जाता है। लंबे समय के बाद लांग ऑवर चर्चाएं सदन में फिर से होने लगी हैं। ऐसा तब हुआ है, जब व्यवधानों और अनावश्यक हस्तक्षेपों के कारण संसदीय सत्र अनियमित रहे हैं। 

कानून बनाना संसद का महत्वपूर्ण कार्य है और विपक्ष की रचनात्मक प्रतिक्रिया और सार्थक हस्तक्षेप इसमें एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, लेकिन केवल विरोध के लिए विपक्ष को प्रोत्साहित नहीं किया जा सकता है। विपक्ष को यह समझने की आवश्यकता है कि किसी भी विधेयक के संबंध में सहमति-असहमति की प्रतिक्रिया स्वीकार्य है, परंतु अनावश्यक बाधा उत्पन्न करना स्वस्थ लोकतंत्र के लिए सही नहीं है। 

विपक्ष को अपनी भूमिका के महत्व का एहसास करने और रचनात्मक विपक्ष के रूप में कार्य करते हुए लोकतंत्र को मजबूत करने की दिशा में समझदारी से काम करने की आवश्यकता है। संसदीय कामकाज के लिहाज से यह उत्साहजनक है कि इस सत्र के दौरान सदन का कामकाज पहले की किसी भी अन्य सरकारों की तुलना में अधिक प्रभावी ढंग से पूरा हो रहा है।


रविवार, 28 जुलाई 2019

सांसद दीया कुमारी बनी एनटीसीए की सदस्य

जयपुर | केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय की ओर से राजस्थान के राजसमंद भाजपा सांसद दीया कुमारी को नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथारिटी का सदस्य बनाया गया है। राजस्थान में रणथंभौर, सरिस्का और मुकंदरा टाइगर रिजर्व है। ऐसे में प्रदेश में बाघों को संरक्षण को लेकर प्रदेश के मुद्दों को वह एनटीसीए में उठा सकती हैं। दीया कुमार सवाईमाधोपुर से विधायक भी रह चुकी है। एनटीसीए का सदस्य बनाये जाने के लिए दीया कुमारी ने केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावेडकर का आभार भी जताया है। उल्लेखनीय है कि दीया कुमारी बाघ संरक्षण के लिए लगातार काम करती रही है। 

जनसंपर्क कर्मियों के सामने चुनौतियां

बदलते वक्त के अनुरूप जनसंपर्क कर्मी अपने को ढाले - अरुण जोशी
जयपुर । राजस्थान सरकार के जनसंपर्क विभाग के संयुक्त निदेशक अरुण जोशी ने जनसंपर्क कर्मियों से आव्हान किया है कि वे बदलते वक्त के अनुरूप अपने को ढाले क्योंकि बढ़ते संसाधन, बदलती तकनीक के साथ जनसंपर्क कर्मियों के सामने चुनौतियां भी बढ़ गई है ।

संयुक्त निदेशक जोशी रविवार को यूथ हॉस्टल में राजस्थान जनसंपर्क संयुक्त सेवा संघ के वार्षिक अधिवेशन में बोल रहे थे । जोशी ने कहा कि जनसंपर्क कर्मियों को मात्र प्रेस नोट तक ही सीमित नही रहना चाहिए उन्हें पढ़ना लिखना चाहिए सरकार की नीति नीतियों का अध्ययन करना चाहिए और जिस विभाग में वे जुड़े हैं उसकी योजनाओं कार्यप्रणाली से पूरी तरह अवगत रहे।



उन्होंने कहा कि जनसंपर्क कर्मी का दायित्व है कि वे विभाग के बारे में आमजन की सोच से अधिकारियों को अवगत कराएं और विभाग की योजनाओं और समाचारों से मीडिया को अवगत कराएं । अधिवेशन में बोलते हुए अतिरिक्त निदेशक अल्का सक्सेना ने कहा कि एक जमाना था जब समाचार संकलन और समाचार प्रेषण दोनों ही दुष्कर कार्य थे पर तकनीक में बदलाव और संचार क्रांति से सब कुछ बदल गया है उन्होंने कहां की युवा जनसंपर्क कर्मी नए समय के हिसाब से अपने को ढाले और समाचार संप्रेषण में तेजी लाएं।


जनसंपर्क विभाग के उप निदेशक श्रवण कुमार मेहरडा ने कहा कि जनसंपर्क कर्मी और पत्रकार एक दूसरे के पूरक है हमें आपस में सामंजस्य बना कर चलना चाहिए तभी सरकारी समाचार बेहतर लग सकते हैं उन्होंने कहा कि अब सरकारी चैनल और सरकारी अखबार की भी आवश्यकता नजर आने लगी है जिसके लिए जनसंपर्क कर्मियों को प्रयास करने होंगे। उप निदेशक सीताराम मीणा ने कहा कि मीडिया के हम जितना करीब रहेंगे उतना समाचारों को मीडिया में हम बेहतर कवरेज दिलवा पाएंगे । अधिवेशन में आरसीडीएफ के मीडिया प्रमुख विनोद गेरा ने कहा कि जनसंपर्क कर्मी की परीक्षा तब आती है जब व्यापक हित में किसी समाचार को रुकवा ना या किसी दिशा में घुमाना होता हो उन्होंने कहा कि हमारी सोच सकारात्मक होती है और सकारात्मक सोच के समाचार ही प्रकाशित हो ऐसा प्रयास किया जाना चाहिए।


अधिवेशन में बोलते हुए उप निदेशक ओम प्रकाश चंद्रोदय ने कहा कि जनसंपर्क कर्मी को कार्यस्थल पर कई चुनौतियां रहती है उन्हें बेहतरी के लिए कई बार कई बातों को घुमाना तथा छुपाना पड़ता है उन्होंने सलाह दी कि मीडिया कर्मी को विश्वास में लेकर काम करें तो बेहतर रहेगा विभाग के पूर्व संयुक्त निर्देशक कुशल थारवानी ने कहा की संगठन को मजबूत करें आपस में मिलने का क्रम बनाएं तथा बड़े स्तर पर ऐसे आयोजनों को किया जाना चाहिए ।

अधिवेशन के संयोजक तथा जनसंपर्क मंत्री के जनसंपर्क अधिकारी प्रमोद वैष्णव ने कहा कि कम तैयारी के साथ आयोजित इस अधिवेशन के बाद जल्दी ही प्रदेश स्तर पर ऐसे आयोजन होंगे । उन्होंने कहा कि अन्य विभागों में कार्य रत जनसंपर्क के अधिकारियों को इससे जोड़ा जाएगा तथा मीडिया की भी इसमें पूरी भूमिका रहेगी ।अधिवेशन को जयपुर डेयरी के जनसंपर्क अधिकारी अनिल गौड़ ने भी संबोधित किया कार्यक्रम का सफल संचालन सहायक जनसंपर्क अधिकारी गजाधर भरत ने किया ।

एक सप्ताह में पूरी हो जायेगी बारिश की कमी

मौसम विभाग के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ रंजीत सिंह का मानना है कि पिछले कुछ दिनों में मॉनसून की सक्रियता ने देश में बारिश की कमी के स्तर को कम किया है। पांच अगस्त तक इसकी काफी हद तक भरपाई होने की उम्मीद है। मॉनसून की अनियमित गति पर डॉ सिंह ने कहा कि इस सप्ताह के शुरू में दक्षिण-पश्चिम मॉनसून की बारिश में कमी का देशव्यापी स्तर 19 प्रतिशत था, जो शनिवार को घटकर 14 प्रतिशत रह गया।

उन्होंने कहा कि जून में मॉनसून सक्रिय होने के बाद बारिश की कमी का स्तर 33 प्रतिशत था। यह कमी लगातार घट रही है। यह मॉनसून की शुरुआती सक्रियता में कमी के कारण हुआ है। यह सही है कि पिछले सालों की तुलना में मॉनसून के सक्रिय होने की गति इस साल थोड़ी धीमी रही। इसके कारण बारिश में कमी दर्ज की गयी है, लेकिन पिछले एक सप्ताह से लेकर अगले एक सप्ताह तक मॉनसून की सक्रियता, बारिश की कमी को पूरा कर देगी।

डॉ रंजीत सिंह ने कहा कि मौसम संबंधी गतिविधियों के लिहाज से देखें, तो यह बहुत असामान्य नहीं है। मौसम विज्ञान में इसे जलवायु के उतार-चढ़ाव के रूप में देखा जाता है। इसके अंतर्गत भारत में पिछले एक दशक से बारिश की पूर्ति की नकारात्मकता का दौर चल रहा है, जिसकी वजह से मॉनसून के वितरण में असमानता की प्रवृत्ति के कारण एक ही इलाके में कहीं ज्यादा बारिश होती है, कहीं बिल्कुल भी नहीं।

उन्होंने कहा कि स्थान विशेष पर हवा के कम दबाव का पर्याप्त क्षेत्र नहीं बन पाने के कारण बादल तो घिर जाते हैं, लेकिन बारिश नहीं होती। बारिश नहीं होने से तापमान में जरूरी गिरावट नहीं आ पाने से उमस बढ़ती है। यह स्थिति इस साल उत्तरी क्षेत्र में कुछ ज्यादा देखने को मिली। हालांकि, इससे अब राहत मिल जायेगी।

साल दर साल मॉनसून के बढ़ते असमान वितरण के बारे में डॉ सिंह ने कहा कि विश्व मौसम संगठन ने हाल ही में मौसम की अतिवादी गतिविधियों (एक्स्ट्रीम इवेंट) का वैश्विक अध्ययन किया था। दुनिया भर में भीषण गर्मी, भयंकर सर्दी और अतिवृष्टि जैसी मौसम की अतिवादी गतिविधियों के पिछले 50 सालों के आंकड़ों के आधार पर यह कहा जा सकता है वैश्विक स्तर पर एक्स्ट्रीम इवेंट की संख्या बढ़ रही है। इसकी एक संभावित वजह जलवायु परिवर्तन को माना जा सकता है।

उन्होंने कहा कि इसमें गर्मी, सर्दी और बरसात के मौसम का लंबा चलना और मॉनसून का असमान वितरण भी शामिल है। भारत में भी पिछले दो सालों में गर्मी और सर्दी लंबे समय तक चलने के कारण पिछले साल मॉनसून की वापसी भी देर से हुई थी। इस साल भी इस संभावना से इन्कार नहीं किया जा सकता है।

खेती के लिए कृत्रिम बारिश लाभ का सौदा नहीं

मॉनसून के असमान वितरण के कारण महाराष्ट्र और पड़ोसी राज्यों के कुछ जिलों में कृत्रिम बारिश कराने के फैसले पर डॉ रंजीत ने कहा कि महाराष्ट्र एवं पड़ोसी इलाके के सूखा प्रभावित लगभग दो दर्जन जिलों में विभाग के पुणे शोध केंद्र की मदद से कृत्रिम बारिश की पहल की गयी है।

उन्होंने कहा कि मॉनसून की संभावित गति को देखते हुए उत्तर प्रदेश और राजस्थान के सूखा प्रभावित इलाकों में कृत्रिम बारिश कराने की कोई जरूरत नहीं होनी चाहिए। वैसे भी यह बहुत लाभप्रद और कारगर तरीका नहीं है। इसे कृषि के अवश्यंभावी नुकसान को देखते हुए अपनाया जाता है। कृत्रिम बारिश से खेती के नुकसान की जितनी मात्रा की भरपाई होती है, उससे ज्यादा कृत्रिम बारिश पर खर्च हो जाता है। इसलिए यह लाभ का सौदा नहीं है।

5 अगस्त तक सक्रिय रहेगा मॉनसून

मौसम वैज्ञानिक ने कहा कि पिछले एक सप्ताह से महाराष्ट्र के समुद्री तट से बने कम दबाव के क्षेत्र ने मॉनसून को उत्तर की तरफ सक्रिय किया है, जिसके कारण पिछले चार दिनों में उत्तरी राज्यों में बारिश का स्तर बढ़ा है। शनिवार (27 जुलाई) को ओड़िशा तट पर कम दबाव का क्षेत्र बन गया है, यह पांच अगस्त तक मॉनसून को सक्रिय रखेगा। इससे दिल्ली, राजस्थान, पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश सहित उत्तर के मैदानी एवं पहाड़ी इलाकों में अच्छी बारिश होगी।

उन्होंने कहा कि पिछले चार दिन में मॉनसून की सक्रियता में सकारात्मक बदलाव हुआ है। यह बारिश की कमी की भरपाई करेगा। इस बीच दिल्ली एनसीआर क्षेत्र में बारिश की कमी का स्तर 80 प्रतिशत से घटकर 33 प्रतिशत पर आ गया है। आने वाले दिनों में इसमें तेजी से गिरावट का पूर्वानुमान है।

शनिवार, 27 जुलाई 2019

भारतीय वायुसेना को मिला अपाचे गार्जियन

ओसामा को मारने में इस्तेमाल हुआ था ये हेलीकॉप्टर
बोइंग एएच-64 अपाचे गार्जियन अटैक हेलीकॉप्टरों का पहला जत्था आज गाजियाबाद (उत्तर-प्रदेश) के हिंडन एयरबेस पर पहुंचने वाला है। यहां से इन हेलीकॉप्टरों को भारतीय वायुसेना के पठानकोट एयरबस पर आधिकारिक जांच के लिये भेजा जायेगा। यहां ये हेलीकॉप्टर एमआई-35 की जगह लेंगे। रूस निर्मित एमआई-35 को भारतीय सेना से रिटायर कर दिया जायेगा। 

अपाचे गार्जियन अटैक हेलीकॉप्टर की खासियत

1 अपाचे गार्जियन अटैक हेलीकॉप्टर का वजन 5 हजार 165 किलोग्राम है। इसकी कॉकपिट में दो पायलटों के बैठने की जगह है।  बता दें कि इस हेलीकॉप्टर का इस्तेमाल अमेरिका ने आतंकी ओसामा बिन लादेन को मारने के अभियान में किया था। 


2 इस हेलीकॉप्टर में हेलिफायर और स्ट्रिंगर मिसाइलें लगी हैं और दोनों तरफ 30एमएम की गन लगी है। मिसाइलों का पेलोड काफी तीव्र विस्फोटकों से भरा होता है। 

3 अपाचे हेलिकॉप्टर की सबसे खास विशेषता है इसकी हेल्मेट माउंडेट डिस्प्ले, इंटिग्रेटेड हेलमेट और डिस्प्ले साइटिंग सिस्टम है। इसकी सहायता से पायलट हेलीकॉप्टर में लगी ऑटोमैटिक एम230 चेन गन से सटीकता से हमला कर सकता है। 

4 अपाचे गार्जियन अटैक हेलीकॉप्टर में दो जेनरल इलेक्ट्रिक टी700 टर्बोशैफ्ट इंजन लगा है। हेलीकॉप्टर के आगे की तरफ सेंसर फीट लगा है जिसकी सहायता से रात के अंधेरे में ये आसानी से उड़ान भर सकता है। इस दौरान भी इसकी रफ्तार 365 किलोमिटर प्रति घंटा की रफ्तार से उड़ान भर सकता है। 

5 गौरतलब है कि अपाचे गार्जियन अटैक हेलीकॉप्टर ने पहली बार साल 1975 में उड़ान भरी थी। हालांकि अमेरिकी सेना में इस साल 1986 में शामिल किया गया। 

6 अब तक अपाचे हेलीकॉप्टर का इस्तेमाल अमेरिका के अलावा इजरायल, इजिप्ट और नीदरलैंड की सेनाएं करती रही हैं। इस हेलीकॉप्टर का इस्तेमाल ज्यादातर सीक्रेट मिशन के लिये किया जाता है।

देश के सबसे बुजुर्ग अरबपति संप्रदा सिंह का निधन, उद्योग जगत में शोक की लहर

बिहार के सबसे बड़े और देश के सबसे बुजुर्ग उद्योगपति व दवा कंपनी एल्केम ग्रुप ऑफ कंपनी के मालिक संप्रदा सिंह का मुंबई के लीलावती अस्पताल में 94 वर्ष की आयु में निधन हो गया।  बिहार के जहानाबाद जिले के ओकरी गांव से निकल कर फोर्ब्स के उद्योगपतियों की सूची में शामिल होनेवाले संप्रदा सिंह को तबीयत खराब होने पर अस्पताल में भर्ती कराया गया था।  बिहार और गृह जिले से हमेशा जुड़े रहे संप्रदा सिंह के निधन से उद्योग जगत में शोक की लहर है।  उनके निधन पर बिहार के राजनीतिक दलों के नेताओं ने भी शोक जताया है। 

जहानाबाद के छोटे से गांव में हुआ था जन्म 

संप्रदा बाबू का जन्म 1925 में बिहार के जहानाबाद जिले के मोदनगंज प्रखंड के ओकरी गांव में हुआ था।  उन्होंने पटना विश्वविद्यालय से बीकॉम की पढ़ाई की।  पटना यूनिवर्सिटी से पढ़ाई पूरी करने के बाद संप्रदा सिंह खेती करना चाहते थे।  संप्रदा सिंह के पिता के पास करीब 25 बीघा जमीन थी।  वह सब्जी की खेती करना चाहते थे।  लेकिन, उच्च शिक्षा ग्रहण करने के बाद गांव लौटने पर ग्रामीणों के तंज भी किया।  लोग कहते थे 'पढ़े फारसी बेचे तेल, देखो रे संप्रदा का खेल। ' 

फोर्ब्स की सूची में अनिल अंबानी को पीछे छोड़ दिया था 

संप्रदा सिंह ने साल 1953 में पटना में रिटेल केमिस्‍ट के तौर पर दवा की दुकान खोल कर कॅरियर की शुरुआत की. साथ ही वे अस्पतालों में दवा सप्लाई करने लगे।  वर्ष 1960 पटना में मगध फार्मा के बैनर तले फार्मा डिस्‍ट्रीब्‍यूशन का व्यापार शुरू किया।  कई विदेशी कंपनियों की डिस्‍ट्रीब्‍यूटरशिप भी ले ली।  लेकिन, वह संतुष्ट होनेवाले नहीं थे।  कारोबार के विस्‍तार के लिए वह मुंबई रवाना हो गये और नयी पारी की शुरुआत की।  संप्रदा सिंह उस समय एक लाख रुपये की पूंजी लेकर मुंबई गये थे।  वहां पहुंचने पर उन्होंने अल्‍केम लैबोरोटरीज नाम की दवा कंपनी बनायी।  पहले उन्होंने दूसरी दवा फैक्टरियों में अपनी दवा बनवायी।  दवा की मांग बढ़ने पर संप्रदा ने अपनी दवा फैक्टरी शुरू की।  संप्रदा सिंह 8 अगस्‍त, 1973 से ही अल्‍केम लैबोरेटरीज लिमिटेड के नॉन एग्‍जीक्‍यूटिव डायरेक्‍टर रहे हैं।  साल 2017 में फोर्ब्स इंडिया द्वारा जारी भारत के अमीरों की सूची में बिहार के संप्रदा सिंह ने रिलायंस ग्रुप के अनिल अंबानी को भी पीछे छोड़ दिया था।  संप्रदा सिंह को 43वां स्थान और अनिल अंबानी को 45वां स्थान मिला था।  वहीं, फोर्ब्स की ‘द वर्ल्ड बिलियनेयर्स लिस्ट-2018’में संप्रदा सिंह की 1.2 अरब डॉलर की संपत्ति के साथ 1,867वें पायदान पर रहे थे।  

शुक्रवार, 26 जुलाई 2019

मोदी सरकार ने अपने दूसरे कार्यकाल में पूरे किए 50 दिन का रिपोर्ट कार्ड पेश किया

लोकसभा चुनाव 2019 में प्रचंड जीत के साथ लगातार दूसरी बार सत्ता में आई मोदी सरकार ने अपने कार्यालय में 50 दिन पूरे कर लिए हैं। भाजपा ने इस चुनाव में 543 सदस्यीय सीट में 303 सीटों पर जीत दर्ज की थी इसके अलावा 50 सीटें उसके सहयोगी दलों ने जीते थे। इस तरह NDA को 353 सीटों पर जीत मिली थी। साल 1971 के बाद यह पहली बार हुआ जब कोई सरकार प्रचंड बहुमत के साथ सत्ता में लौटी।

पिछले 50 दिनों में सरकार ने किसानों, छोटे व्यापारियों और असंगठित मजदूरों के लिए पेंशन योजनाएं, सभी किसानों के लिए पीएम-किसान योजना का विस्तार और जल शक्ति मंत्रालय की स्थापना जैसे कई घोषणापत्र में किए वादे पूरे किए हैं।  

गंभीर कदम उठाए गए

सरकार ने श्रम सुधारों की शुरुआत करने और खरीफ फसलों के लिए उच्चतर एमएसपी जैसे गंभीर कदम उठाए हैं। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा 5 जुलाई को पेश किया गया केंद्रीय बजट में पांच-ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था और किसानों की आय को दोगुना करने की रूपरेखा पेश की गई। इस बजट का उद्देश्य हर घर तक बिजली और खाना पकाने के लिए गैस कनेक्शन की पहुंच सुनिश्चित करना, शहरी विकास को बढ़ावा देना और गरीबों सहित नागरिकों के जीवन स्तर को सुनिश्चित करना है।

गांवों पर फोकस

भारत की आजादी के 75 वें वर्ष यानी साल 2022 तक, सरकार का मकसद हर ग्रामीण परिवार के पास बिजली और स्वच्छ गैस कनेक्शन उपलब्ध कराने का है। जल जीवन मिशन के तहत, 2024 तक सभी ग्रामीण परिवारों को पेयजल उपलब्ध कराने की योजना है। सरकार ने रेलवे स्टेशनों सहित इसके इंफ्रास्ट्रक्चर के आधुनिकीकरण के लिए 100 लाख करोड़ रुपये का निवेश करने का प्रस्ताव किया है।



सत्र में 17 बिल पास

केंद्र इन स्थलों पर घरेलू और विदेशी पर्यटकों के प्रवाह को बेहतर बनाने के लिए 17 प्रतिष्ठित पर्यटन स्थलों को विश्व स्तर के पर्यटन केंद्रों के रूप में विकसित कर रहा है। पिछले कुछ वर्षों की तुलना में, संसद में चल रहे मानसून सत्र में काफी कम हंगामा देखने को मिला है। इस सत्र के दौरान, 17 बिल पास हुए और 104 नए बिल पेश किए गए।

अंतर्राष्ट्रीय क्षेत्र में उठाए गए कदम 

अंतर्राष्ट्रीय क्षेत्र में अगर बात की जाए तो, BIMSTEC नेता मई में राष्ट्रपति भवन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के शपथ ग्रहण समारोह के लिए पहुंचे थे, जो सरकार की नेबरहुड फर्स्ट पॉलिसी को रेखांकित करता है। पद संभालने के बाद, मोदी ने हाल ही में द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने के लिए मालदीव की यात्रा की। उन्होंने श्रीलंका का दौरा भी किया। वे श्रीलंका में अप्रैल में हुए ईस्टर धमाके बाद इस देश का दौरा करने वाले पहले अंतरराष्ट्रीय नेता बन गए। प्रधानमंत्री ने किर्गिस्तान में SCO शिखर सम्मेलन और जापान में G-20 शिखर सम्मेलन में आतंक का मुद्दा बड़े गंभीरता से उठाया। 



अंतरिक्ष को प्राथमिकता

केंद्र ने अंतरिक्ष प्राथमिकता दी है और 2022 में मिशन गगनयान के तहत भारत अंतरिक्ष में पहली बार इंसान भेजेगा। 2023 में शुक्र ग्रह पर भी जाने की तैयारी है। वहां का वातावरण कैसा है, इसका अध्ययन किया जाएगा। सूर्य को समझने के लिए 2020 में सोलर मिशन 'आदित्य L1' लॉन्च किया जाएगा। इस मिशन के तहत यह समझने की कोशिश होगी कि किस तरह जलवायु परिवर्तन (climate change) प्रभावित हो रही है। चंद्रयान -2 22 जुलाई को लॉन्च होने वाला है। इस मिशन के तहत ISRO ने चांद के दक्षिणी हिस्से पर पहुंचने का लक्ष्य रखा है। यहां अभी तक कोई देश नहीं पहुंच पाया है। तकनीकी गड़बड़ी के कारण पिछले सप्ताह इसमें देरी हुई थी।

आगे का लक्ष्य

आने वाले समय में सरकार कुछ प्रमुख चुनौतियों का समाधान करने के अपने प्रयासों को जारी रखेगी। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई), बिग डेटा, रोबोटिक्स, और अन्य नए कौशल के क्षेत्र में युवाओं के कौशल में सुधार के लिए अपने प्रयासों को बढ़ाया जाएगा। चुनिंदा केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों का रणनीतिक विनिवेश एक प्राथमिकता बनी रहेगी। इसके अलावा मीडिया, एनीमेशन और कुछ अन्य क्षेत्रों में एफडीआई लाने के विकल्पों पर विचार करेगी।

नाम बदलने का अभियान फिर से

पश्चिम बंगाल के सांसदों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की। बुधवार को सांसदों ने उनसे मिल कर पश्चिम बंगाल का नाम बदलने की अपील की। ध्यान रहे इससे पहले केंद्र सरकार राज्य सरकार की अपील ठुकरा चुकी है। पश्चिम बंगाल का नाम बदल कर बांग्ला या बंगाल करने का प्रस्ताव राज्य सरकार ने विधानसभा से पास करा कर केंद्र को भेजा है। पर केंद्र सरकार का कहना है कि इससे अंतरराष्ट्रीय स्तर की दिक्कतें आ रही हैं। बांग्लादेश के साथ नाम का टकराव हो सकता है। पश्चिम बंगाल सरकार का कहना है कि जब पूर्वी बंगाल भारत का हिस्सा था तब पश्चिम बंगाल नाम ठीक था। पर पूर्वी पाकिस्तान के बांग्लादेश बन जाने के बाद भी पश्चिम बंगाल नाम रखना ठीक नहीं है। असल में तृणमूल कांग्रेस के नेता इसके जरिए बांग्ला अस्मिता का कार्ड खेल रहे हैं। 

इस बीच भारतीय जनता पार्टी के नेताओं ने पश्चिम बंगाल के सियाल्दह रेलवे जंक्शन का नाम बदल कर श्यामा प्रसाद मुखर्जी जंक्शन करने की मांग शुरू कर दी है। कहा जा रहा है कि रेल मंत्रालय इसकी मंजूरी दे सकता है। 2021 में होने वाले चुनाव से पहले यह काम पूरा हो जाएगा। ऐसे ही दिल्ली में सड़कों का नाम बदल रहे भाजपा नेताओं ने अब दिल्ली का नाम बदलने का प्रस्ताव रखा है। वैसे यह प्रस्ताव सिर्फ अंग्रेजी नाम की स्पेलिंग बदलने का है। अंग्रेजी में देल्ही लिखा जाता है। भाजपा सांसद विजय गोयल ने संसद में प्रस्ताव दिया है कि इसे अंग्रेजी में भी दिल्ली ही लिखा जाए। 

आजम के बिगड़े बोल पर लोकसभा में सभी महिला सांसदों के तल्‍ख तेवर

सपा सांसद आजम खान द्वारा महिला सांसद को लेकर दिए गए आपत्‍तिजनक बयान के विरोध में लोकसभा में सभी महिला सांसदों के तल्‍ख तेवर दिखे। इन सभी सांसदों ने एक सुर में उनके निलंबन की मांग की है। केंद्रीय मंत्री स्‍मृति इरानी, वित्‍त मंत्री निर्मला सीतारमण समेत अन्‍य सांसदों ने इस मामले को निंदनीय बताया है। स्‍मृति इरानी ने तो आजम खान को पुरुष सांसदों पर धब्‍बा तक बता दिया।


 आज़म खान द्वारा दिया गया शर्मनाक बयान उनके चरित्र का प्रतिबिंब है; उनका बचाव करके अखिलेश यादव ने भी प्रमाणित कर दिया की उनकी सोच में भी कोई फ़र्क़ नहीं। 

जो सदन में महिला के साथ निंदनीय व्यवहार कर सकता है वह साधारण महिला से किस प्रकार का व्यवहार करता होगा यह सोचने वाली बात है।



बिहार के शिवहर की सांसद रमा देवी ने भी आपत्‍ति जाहिर करते हुए कहा था कि यह बोलने का तरीका नहीं और टिप्पणी को कार्यवाही से हटाने का आदेश दिया। इसके जवाब में आजम खान ने कहा, 'आप बहुत आदरणीय है। आप मेरी बहन की तरह हैं।'

स्मृति ईरानी ने आज लोकसभा में आजम खान के बयान को बेहद शर्मनाक बताया। उन्‍होंने ट्वीट किया, 'आजम खान द्वारा दिया गया शर्मनाक बयान उनके चरित्र का प्रतिबिम्ब है। उनका बचाव करके अखिलेश यादव ने भी प्रमाणित कर दिया कि उनकी सोच में भी कोई फर्क नहीं है। जो सदन में महिला के साथ निंदनीय व्यवहार कर सकता है वह साधारण महिला से किस प्रकार का व्यवहार करता होगा यह सोचने वाली बात है।'



- स्‍मृति इरानी ने कहा, आजम खान ने लोकसभा में ड्रामा किया। उन्‍होंने सदन को शर्मसार किया है, पुरुष सांसदों के नाम पर वे धब्‍बा हैं। इस तरह की बदसलूकी के बाद वे नहीं जा सकते।

आज़म खान द्वारा दिया गया शर्मनाक बयान उनके चरित्र का प्रतिबिंब है; उनका बचाव करके अखिलेश यादव ने भी प्रमाणित कर दिया की उनकी सोच में भी कोई फ़र्क़ नहीं। 

जो सदन में महिला के साथ निंदनीय व्यवहार कर सकता है वह साधारण महिला से किस प्रकार का व्यवहार करता होगा यह सोचने वाली बात है।

नरेंद्र मोदी के शपथ ग्रहण समारोह के कुल ख़र्च का ब्योरा सरकार के पास उपलब्ध नहीं

एक आरटीआई आवेदन के जवाब में राष्ट्रपति सचिवालय ने केवल यह जानकारी दी है कि प्रधानमंत्री के शपथ ग्रहण समारोह में सिर्फ साउंड सिस्टम और बिजली उपकरणों पर 32 लाख रुपये ख़र्च हुए थे।
30 मई 2019 को हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के शपथ ग्रहण समारोह में हुए कुल खर्च का ब्योरा सरकार के पास उपलब्ध नहीं है। हालांकि करीब 32 लाख रुपये केवल साउंड सिस्टम और बिजली उपकरणों के किराए पर खर्च दिए गए।

यह जानकारी राष्ट्रपति सचिवालय ने ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल इंडिया द्वारा दायर आरटीआई आवेदन के जवाब में दी।

आरटीआई से मिली जानकारी के अनुसार, साउंड सिस्टम और बिजली के उपकरणों पर जो 31.92 लाख रुपये खर्च किए गए उसमें से 11,79,750 रुपये अस्थायी प्रकाश व्यवस्था, मिस्ट पेडस्टल पंखे, वायु पंखे और डीजी सेट के लिए खर्च किए गए।

वहीं, 18,63,744 रुपये ऑडियो सिस्टम, अस्थायी लाइटिंग, कार कॉलिंग सिस्टम, वीडियो वॉल और यूपीएस सिस्टम के लिए और 1,48,680 रुपये एल्टो शैम (खाना गर्म करने का उपकरण) के किराये पर व्यय किए गए।

नरेंद्र मोदी ने 30 मई को दूसरी बार प्रधानमंत्री पद की शपथ ग्रहण की थी। इस अवसर पर राष्ट्रपति भवन में आयोजित समारोह को भारत के इतिहास का अब तक का सबसे बड़ा शपथ ग्रहण समारोह बताया गया, जिसमें 8,000 से अधिक मेहमानों ने शिरकत की थी।

आरटीआई से मिली जानकारी के अनुसार, 30 मई 2019 को आयोजित हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इस शपथ ग्रहण समारोह में 26 मई 2014 में आयोजित शपथ ग्रहण की तुलना में डेढ़ गुना अधिक लोग शामिल हुए।

जहां 2014 में हुए समारोह में 6,404 लोग शामिल हुए थे, वहीं 2019 के समारोह में 9,633 अतिथियों ने शिरकत की। सरकार ने यह भी बताया कि 30 मई को आयोजित हुए समारोह के कुल खर्च का ब्योरा उनके पास उपलब्ध नहीं है।

मुख्य सूचना अधिकारी ने अपने लिखित उत्तर में बताया कि इस तरह के खर्च आदि वार्षिक बजट से विभिन्न अनुभाग को आवंटित किया जाता है, अतः समारोह में हुए खर्चो का ब्योरा देना संभव नहीं है।

राष्ट्रपति सचिवालय ने इसी तरह का जवाब साल 2014 में भी आरटीआई कार्यकर्ता रमेश वर्मा के आवेदन पर दिया था। तब सचिवालय ने बताया था कि नरेंद्र मोदी के शपथ ग्रहण समारोह में केवल टेंट, मंच, फर्नीचर और अन्य सामग्रियों पर 17.60 लाख रुपये का खर्च आया था।

ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल इंडिया के कार्यकारी निदेशक रमानाथ झा ने बताया, ‘देश के इतिहास का सबसे बड़ा शपथ ग्रहण समारोह सबसे महंगा भी रहा। ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल इंडिया ने जनता के पैसों के खर्च और उनके खुलासे में पारदर्शिता को दिखाने के लिए यह आरटीआई दाखिल की थी।’

उन्होंने आगे कहा, ‘भारतीय अपने प्रधानमंत्री के शपथ ग्रहण के लिए कोई भी राशि खर्च कर सकते हैं लेकिन सार्वजनिक मामलों में पारदर्शिता और उनके खुलासे बेहद जरूरी होते हैं। दुनिया पारदर्शिता की ओर बढ़ रही है और इस तरह के हाई-प्रोफाइल समारोह के खर्च के बारे में जानकारी को सार्वजनिक किए जाने की मांग गलत नहीं है।’

उन्होंने यह भी कहा, ‘हालांकि इस तरह के शपथ ग्रहण समारोहों के खर्च पर दुनियाभर में बहस हो रही है। उदाहरण के तौर पर अमेरिका के 45वें राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के शपथ ग्रहण समारोह में सात अरब से अधिक रुपये (107 मिलियन डॉलर) खर्च किए गए। हालांकि, अमेरिका में ऐसे कार्यक्रमों के लिए अधिकतर धनराशि चंदे के माध्यम से इकट्ठी की जाती है।’

गुरुवार, 25 जुलाई 2019

जयपुर नगर निगम के 150 वार्डों का पुनर्सीमांकन

 जयपुर नगर निगम के 150 वार्डों का पुनर्गठन के बाद पुनर्सीमांकन होने पर अब कौन सा वार्ड में है आपका मकान परिसीमन में कौन वार्ड किस विस क्षेत्र में आएगा । 
 विधाधर नगर विधानसभा क्षेत्र 

वार्ड-1 

एनएच-11 पर नींदड़ मोड़ के सामने संजीवनी मेडीकल से पूर्व की ओर प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र हरमाड़ा तक। पीएचईडी आॅफिस से पूर्व की ओर पहाड़ी के नीचे मंशा माता से पहाड़ी क्षेत्र (निगम सीमा) से बड़ पीपली स्टैंड से सीकर रोड एनएच-11 तक। सीकर रोड एनएच-11 बड़ पीपली से आगे पश्चिम में नगर निगम व विधानसभा क्षेत्र विद्याधर नगर की सीमा के साथ-साथ जयरामपुरा रोड तक। दक्षिण-पूर्व में नींदड़ घाटी तक फिर पूर्व में भारत नगर कच्ची बस्ती के साथ-साथ एनएच-11 तक बाएं हाथ का पूरा क्षेत्र। 

वार्ड-2 

एनएच-11 नींदड़ मोड़ से नींदड़ घाटी से निगम और विस क्षेत्र विद्याधर नगर सीमा तक बायां क्षेत्र। मांचड़ा गांव शामिल करते हुए निगम सीमा लोहा मंडी तक। पूर्व में नई लोहा मंडी रोड से संगम काॅलोनी बागड़ा भवन बाईपास। बाईपास के साथ-साथ दक्षिण पश्चिम और पूर्व हिस्से में मनीष सर्विस स्टेशन तक। यहां से बाएं पूर्व दिशा अनाज मंडी सीमा के साथ-साथ होटल गैलेक्सी इन के पास सीकर रोड तक। उत्तर में सीकर रोड एनएच-11 पर नींदड़ मोड़ तक बाया क्षेत्र। 

वार्ड-3 

सीकर रोड एनएच-11 संजीवनी मेडीकल से पीएचईडी आॅफिस तक। हरमाड़ा से पहाड़ी के नीचे मंशा माता की ओर दक्षिणी हिस्सा, दिल्ली बाईपास और अमानीशाह नाले तक। यहां बीड़ जैसल्या, रोड नं. 17 को शामिल करते हुए उत्तर में बस स्टैंड नं. 17 से दाएं बैंक तक। यहां से बाएं दिल्ली ट्रासपोर्ट कम्पनी तक। नीलमणी मार्बल से पश्चिम रोड नं.15 लक्ष्मी फेयरडील रोड नं. 13 शक्ति माल्ट तक। पश्चिम में शिवा होटल तक। उत्तर में तरफ संजीवनी मेडीकल सीकर रोड तक सम्पूर्ण क्षेत्र। 

वार्ड-4 

दिल्ली बाईपास के पास पश्चिम तरफ, बागड़ा भवन लोहा मंडी रोड के कोने से लोहा मंडी सड़क पर सीधे चलते हुए पश्चिम में बाएं निगम सीमा तक। यहां दक्षिण में रेलवे लाइन बालाजी काॅलेज के पीछे से मुख्य बैनाड़ रोड पर सीतावाली फाटक होते हुए ज्वाला माता मंदिर ओमशिव प्लाजा से उत्तर-पूर्व में चरणनदी में शिव मन्दिर तिराहे से पीएचसी चाणक्य पार्क तक। दक्षिण में चरण नदी स्कूल से ट्रांसफार्मर तक। पूर्व में बाईपास और उत्तर-पूर्व की तरफ बागड़ा भवन तक। 

वार्ड-5 

गैलेक्सी इन से जयपुर रोड नं. 02 मित्तल ब्रदर्स तक। पश्चिम मुरलीपुरा से जाट भवन लाल डिब्बा चौराहा। उत्तर में राहुल टेलर्स, पश्चिम में केड़िया पैलेस रोड। उत्तर तिराहे तक पश्चिम में एचटी लाइन। यहां से नीचे-नीचे जमनापुरी पार्क तक फिर जाखड़ भवन से पश्चिम में दाएं चौराहे तक। यहां से बाएं घूमकर वैद्यजी के चौराहे तक। बाएं पश्चिम में दिल्ली बाईपास और उत्तर-पूर्व में बाईपास के साथ-साथ मनीष सर्विस स्टेशन तक। दाएं अनाज मंडी की दक्षिणी दीवार के साथ होटल गेलेक्सी इन सीकर रोड तक का इलाका इस वार्ड में आएगा। 

वार्ड-6 

अल्का सिनेमा के सामने से पूर्व में मन्दिर मोड़ सर्किल। सर्किल से उत्तर सरस डेयरी 1999 तक। यहां से पूर्व स्वर्ण जयन्ती पार्क और मन्दिर मोड़ से पापड़ के हनुमान जी तक। विधानसभा क्षेत्र विद्याधर नगर की सीमा रोड नं. 17 बस स्टैंड तक। यहां से रोड नं. 17 से पश्चिम रोड नं. 15 लक्ष्मी फेयरडील के सामने तक। एसबीआई से बायें दिल्ली ट्रांसपोर्ट तक। यहां से पश्चिम रोड नं. 13 शक्ति माल्ट से पश्चिम शिवा होटल तक बाईं ओर सीकर रोड तक। सीकर रोड से अल्का सिनेमा तक पूरा क्षेत्र इस वार्ड में कवर किया जाएगा। 

वार्ड-7 
बैनाड़ रोड पुलिया धाकड़ साइकिल के बगल से पश्चिम तिवाड़ी डिपार्टमेन्टल,भावना फ्लोर मिल तक। यहां से उत्तर नेहा फैन्सी स्टोर तक। रेल लाइन पार कर ओम शिव प्लाजा उत्तर-पूर्व में चरण नदी, शिव मन्दिर तिराहा। यहां से चाणक्य पार्क पीएचसी के सामने दक्षिणी हिस्सा लेते हुए गायत्री सदन फिर बाएं पूर्व में बाईपास। बाईपास पर उत्तर-पूर्व एचटी लाइन तक फिर पूर्व में वैद्यजी चौराहा। दाएं जाखड़ भवन फिर बाएं पूर्व जमनापुरी पार्क। यहां से दाएं प्रताप चौधरी के मकान के रेलवे लाइन बैनाड़ रोड तक का एरिया यहां कवर किया जाएगा। 

वार्ड-8 

दिल्ली बाईपास नांगल पुलिया से उत्तर- पूर्व बाईपास के सहारे रेलवे लाइन तक। लाइन पार एचटी लाइन के नीचे-नीचे उत्तर-पूर्व में प्रताप चौधरी के मकान तक। यहां से पूर्व में केड़िया पैलेस रोड फिर दक्षिण केड़िया पैलेस चौराहे तक। पश्चिम में पेट्रोल पम्प तक। दक्षिण में दादी का फाटक चौराहे यहां से अंडरपास तक। फिर दादी का फाटक पुलिया रेलवे लाइन तक। पश्चिम में कमानी फैक्ट्री दीवार के पीछे का हिस्सा लेते हुए सालासर वाटिका दालमिल तक फिर यहां से नांगल पुलिया तक पूरा क्षेत्र इस वार्ड में कवर होंगे। 

वार्ड-9 

परसरामपुरिया प्रॉपर्टी सीकर रोड से चौमूं की ओर उत्तर में 2 नं. स्टैण्ड तक। बाईं ओर पश्चिम में लाल डिब्बा चौराहे तक पूर्व का क्षेत्र। चौराहे से दाएं उत्तर की ओर तिराहे तक बाईं ओर राहुल टेलर तिराहे तक। यहां से बाएं सीधे मुरलीपुरा स्कीम के साथ केडिया पैलेस रोड तक। फिर यहां से बाएं दक्षिण में केडिया पैलेस चौराहे तक। बाएं भाग का क्षेत्र, केडिया पैलेस चौराहे से बाएं घूमकर सीकर रोड की ओर चलते हुए परसरामपुरिया प्रॉपट्री तक बाईं ओर का एरिया इस वार्ड में कवर होगा। 

वार्ड-10 

बैनाड़ रोड पुलिया धाकड़ साइकिल स्टोर से चलते हुए (बायां हिस्सा) भावना फ्लोर मिल। यहां से उत्तर में श्याम नगर होते हुए नेहा फैन्सी स्टोर तक। बैनाड़ रोड पर सीतावाली फाटक के आगे पश्चिम की ओर नगर निगम सीमा तक बाईं ओर नगर निगम व विधानसभा क्षेत्र विद्याधर नगर सीमा, राजस्व ग्राम नांगल जैसा बोहरा के समस्त क्षेत्र को शामिल करते हुए निवारू पुलिया तक। निवारू पुलिया से बाईपास के नीचे-नीचे चलते हुए रेलवे लाइन तक सम्पूर्ण क्षेत्र। 

वार्ड-11 

जीकेडी फैक्ट्री रिको बोरिंग रोड से 200 फीट बाइपास की ओर दरबार स्कूल के सामने जयपुर डेयरी 5745 तक। दाएं घूमकर उत्तर में नेताजी की चक्की तक। बाएं उत्तर पूर्व में 200 फीट बाईपास तक। दाएं में उत्तर पूर्व में 200 फीट बाईपास एचटी लाइन, नांगल जैसा बोहरा रोड तक फिर दाएं दक्षिण पूर्व में ग्राम नागल जैसा बोहरा को छोड़ते हुए दाएं झोटवाड़ा ओद्योगिक क्षेत्र की सीमा, उत्तर पूर्व में रेलवे लाइन तक। दक्षिण में रेल लाइन के साथ कमानी फैक्ट्री तिराहे तक। दाएं थाने से निवारू रोड तिराहा। पश्चिम में निवारू रोड से शालीमार चौराहा। बाएं दक्षिण दिशा में जीकेडी फैक्ट्री चौराहा तक। 

वार्ड-12 

सीकर रोड परसरामपुरिया प्रापर्टी से पश्चिम केडिया पैलेस रोड। बाएं भाग का क्षेत्र लेते हुए सालासर मिष्ठान भण्डार। केडिया पैलेस रोड पर बाएं दक्षिण में एमआर स्वीट्स तक। यहां से दाएं पश्चिम में दादी का फाटक रेलवे लाइन तक। लाइन से बाएं भवानी निकेतन तक। बाएं भाग का क्षेत्र से भवानी निकेतन सीमा तक। यहां से भवानी निकेतन विवाह स्थल तक, और बाएं ओर का हिस्सा। बाएं उत्तर दिशा मंे प्रताप नगर चौराहा फिर दाएं पूर्व में पुराना मुरलीपुरा रोड लेते हुए सीकर रोड तक इसमें कवर होगा। 

वार्ड-13 

अल्का सिनेमा के सामने पूर्व में भगवान परशुराम सर्किल से विद्याधर नगर की ओर फिर दाएं मन्दिर मोड़ सर्किल तक। दाएं दक्षिण में जेपी काॅलोनी की ओर कृष्णा लेमिनेट्स के तिराहे तक। यहां से दाएं पश्चिम में जैन ट्रेडिंग को छोड़ते हुए एमजीपीएस के सामने। यहां से बाएं दक्षिण में मालरोड पर एडब्लूएचओ क्वार्ट्स चौराहे तक। दाएं पश्चिम में खण्डेलवाल टावर्स के साथ अमूल आइसक्रीम पार्लर फिर दाएं सीकर रोड पर शंकर ढाबा तक। दाएं उत्तर में अल्का सिनेमा तक दाईं ओर का क्षेत्र। 

वार्ड-14 

अमानीशाह आरपीए रोड से उत्तर पश्चिम की ओर जाने पर जेपी काॅलोनी शामिल करते हुए मन्दिर मोड़ सर्किल तक दाईं ओर का क्षेत्र। सर्किल से एसबीआई और एक्सिस बैंक एटीएम के सामने वाली रोड से उत्तर की ओर चलते हुए जयपुर डेयरी बूथ नं. 1999 तक सेक्टर 8 का क्षेत्र लेते हुए दाएं घूमकर अमानीशाह नाले तक स्वर्ण जयंती पार्क तक का क्षेत्र। दाएं घूमकर दक्षिण में अमानीशाह नाला होते हुए विद्याधर नगर विद्यानसभा की सीमा तक के क्षेत्र को शामिल करते हुए आरपीए रोड तक दाईं ओर का एरिया तक कवर होगा। 

वार्ड-15 

चौमूं पुलिया पर राव शेखाजी सर्किल से सीकर रोड पर उत्तर में दाएं भाग का। शंकर ढाबा तक फिर यहां से दाएं पूर्व में विद्याधर नगर की ओर श्री बालाजी फर्नीचर वर्क तक। बाएं पूर्व में दाईं ओर का क्षेत्र माल रोड उत्तर में बियानी काॅलेज तक पूर्व का क्षेत्र। बियानी से दाएं पूर्व की ओर आरपीए रोड कृष्णा लेमीनेट्स के सामने दाएं तरफ का क्षेत्र। तिराहे से अमानीशाह नाले के उपर से विधानसभा बाउण्ड्री अमानीशाह नाले के साथ-साथ झोटवाड़ा रोड तक दाईं ओर का क्षेत्र लेते हुए झोटवाड़ा रोड से दाईं ओर पश्चिम में राव शेखाजी सर्किल तक दाएं हिस्से का क्षेत्र। 

वार्ड-16 

झोटवाड़ा सर्किल से पूर्व में चौमूं पुलिया की तरफ झोटवाड़ा रोड पर पानीपेच तिराहे तक। दाएं क्षेत्र पानीपेच तिराहे से दाएं दक्षिण में रेलवे स्टेशन से साथ जंक्शन तक दायां भाग। जयपुर जंक्शन से यूटर्न रेलवे लाइन के साथ पश्चिम में चलते हुए दाएं भाग का क्षेत्र लेते हुए अमानीशाह नाला और सैन्य क्षेत्र से होकर खातीपुरा रोड पुलिया तक रेलवे लाइन की ओर (उत्तर का क्षेत्र) पुलिया से दाईं ओर उत्तर पूर्व घूमकर झोटवाडा सर्किल तक दाएं भाग का क्षेत्र। 

वार्ड-17 

राव शेखाजी सर्किल से उत्तर में सीकर रोड पर बाएं भाग पर पुराने मुरलीपुरा रोड तक। वहां से बाएं पश्चिम में पुराने मुरलीपुरा रोड पर प्रताप नगर चौराहे तक पूर्व का क्षेत्र। प्रताप नगर चौक से बाएं दक्षिण भवानी निकेतन विवाह स्थल तक। यहां से भवानी निकेतन परिसर की सीमा के साथ पश्चिम में सीकर रेलवे लाईन तक फिर यहां से दक्षिण (बाईं तरफ) भवानी निकेतन सीमा के साथ-साथ विवेकानन्द काॅलोनी गंगा शुगर मील ट्राइटन माल व बिग्रेडियर का बंगला छोड़ते हुए बाईं ओर का पूरा इलाका। 

वार्ड-18 

मेडिकल सेन्टर कालवाड़ रोड से दक्षिण में बृजबाल मंदिर चौराहा तक बाईं ओर का क्षेत्र। चौराहे से बाएं पूर्व में खातीपुरा रोड तक उत्तर का क्षेत्र, खातीपुरा रोड से बाएं उत्तर में झोटवाडा सर्किल फिर पूर्व में भवानी निकेतन की बाउण्ड्री तक बायी ओर। भवानी निकेतन की बाउण्ड्री के साथ कमानी फैक्ट्री तिराहे तक। यहां से यूटर्न बाएं भाग का क्षेत्र थाने के सामने निवारू रोड तक। फिर दाएं शारदा फैक्ट्री तिराहे तक दक्षिण का क्षेत्र। यहां से पूर्व में पंचायत समिति तक। कालवाड़ रोड से घूमकर मेडिकल सेन्टर तक दक्षिण। 

वार्ड-19 

कालवाड़ रोड पंचायत समिति के सामने वाले रास्ते के काॅर्नर से पश्चिम की ओर कालवाड रोड पर चलते हुए बोरिंग रोड चौराहे तक। दाएं घूमकर उत्तर में बोरिंग रोड पर शालीमार चौराहा निवारू रोड, शालीमार चौराहे से दाएं पूर्व में निवारू रोड, पर झोटवाडा थाने की ओर चलते हुए शारदा फैक्ट्री तिराहे तक फिर यहां से दक्षिण में कालवाड रोड पंचायत समिति के सामने तक का क्षेत्र। 

वार्ड-20 

कालवाड़ रोड पर बोरिंग रोड चौराहे से पश्चिम 200 फीट बाईपास तक दाएं उत्तर में दिल्ली बाईपास के अन्दर का क्षेत्र निवारू रोड तक। यहां से दाएं पूर्व में थाने की ओर दायां क्षेत्र लेते हुए नेताजी की चक्की तक नेताजी की सामने वाली रोड पर दाएं जयपुर डेयरी 5745 के सामने तक दाएं। यहां से बाएं दरबार स्कूल की तरफ का क्षेत्र शामिल करते हुए जीकेडी तक। फिर दक्षिण में बोरिंग रोड पर कालवाड़ रोड बोरिंग चौराहे तक। 

वार्ड-21 

दिल्ली बाइपास पुलिया से दाये भाग का क्षेत्र लेते हुए पूर्व में कांटा चौराहे तक, कांटा चौराहे से दाईं ओर घूमकर पश्चिम भाग का क्षेत्र लेते हुए सीधे दक्षिण दिशा में फुलेरा जयपुर रेलवे लाइन तक फिर रेलवे लाइन से दाईं ओर घूमकर पश्चिम में लाइन के सहारे-सहारे दिल्ली बाईपास रोड, दाईं ओर घूमकर उत्तर में और दिल्ली बायपास के अन्दर का क्षेत्र लेते हुए कालवाड़ रोड तक। 

वार्ड-22 

कांटा चौराहा, कालवाड़ रोड से शुरू होकर दक्षिण में चलते हुए बाएं भाग (पूर्व) का क्षेत्र लेते हुए फुलेरा रेलवे लाइन तक। बाईं ओर पूर्व में खातीपुरा पुलिया तक उत्तर में खातीपुरा पुलिया के नीचे से उत्तर में खातीपुरा रोड पर ओमशिव रबड़ी भण्डार तक फिर बाईं ओर घूमकर पश्चिम की ओर चलते हुए ब्रजबाल मंदिर स्कूल तक। दक्षिण चौराहा से दाईं ओर उत्तर की तरफ मेडिकल सेन्टर तक बाईं तरफ का क्षेत्र मेडिकल सेन्टर से पश्चिम की ओर चलते हुए कांटा चौराहा तक दक्षिण का क्षेत्र। 

वार्ड-23 

पांच्यावाला पुलिया सिरसी रोड से पेट्रोल पम्प से पूर्व की ओर चलते हुए बाएं भाग का क्षेत्र खातीपुरा तिराहे से बाईं ओर घूमकर उत्तर की तरफ चलते हुए खातीपुरा पुलिया के नीचे रेलवे लाइन तक बाएं, यहां के पश्चिम की तरफ रेलवे लाईन के सहारे सहारे चलते हुए बाएं भाग का क्षेत्र खिरणी फाटक पुलिया तक वहां से बाएं घूमते हुए दक्षिण में दिल्ली बायपास रोड के अन्दर का क्षेत्र पांच्यावाला पुलिया तक। 


झोटवाड़ा विधानसभा क्षेत्र 




वार्ड-24 

कालवाड़ रोड पर रावण गेट के कोने से उत्तर की ओर से पश्चिमी हिस्से को लेते हुए बालाजी मंदिर तक। बालाजी मंदिर से सैनी मार्ग पर पूर्व से उत्तरी हिस्से को लेते हुए शेखावत मार्ग तक। शेखावत मार्ग से उत्तर में पश्चिमी हिस्से को शामिल करते हुए निवारू रोड अण्डर पास से उत्तर खिलानियों की ढाणी तक। यहां से पश्चिम निगम सीमा की ओर हरनाथ पुरा ग्राम से पश्चिम फिर दक्षिणी भाग को लेते हुए हरनाथ पुरा ग्राम राजस्व सीमा से हरनाथ पुरा गांव की राजस्व सीमा तक। पूर्वी हिस्से को शामिल करते हुए निवारू लिंक रोड से दक्षिण में निगम सीमा को शामिल करते हुए कालवाड़ रोड तक फिर पूर्व-उत्तरी भाग में शेखावत मार्ग के कोने तक।

वार्ड-25 

जयपुर रेलवे लाइन 200 फीट बाईपास दिल्ली हाईवे एक्सप्रेस के कोने से उत्तर-पश्चिमी भाग लेते हुए उत्तर में कालवाड़ रोड से आगे हरनाथ पुरा निवारू रोड अण्डरपास तक। फिर निवारू रोड 200 फीट अण्डरपास से पश्चिम में शेखावत मार्ग से दक्षिण-पूर्वी भाग लेते हुए सैनी मार्ग तक। पश्चिम-दक्षिण हिस्से को लेते हुए बालाजी मंदिर तक। फिर बालाजी मंदिर से दक्षिण-पूर्वी हिस्से के साथ बजरंग द्वार चौराहे तक और दक्षिण-पूर्वी हिस्सा लेते हुए कालवाड़ रोड पर रावण गेट तक। रावण गेट के कोने से पश्चिम में कालवाड़ रोड पावर हाउस के पश्चिम कालवाड़ रोड पर सालासर मिष्ठान भण्डार गोविन्दपुरा राजस्व ग्राम सीमा पीथावास गोकुल पुरा से कनकपुरा रेलवे फाटक को पूर्वी भाग व उत्तरी भाग लेते हुए कनक पुरा फाटक से रेलवे ट्रैक के साथ-साथ पूर्व में उत्तरी भाग लेते हुए दिल्ली हाईवे एक्सप्रेस पर रेलवे अण्डरपास तक।

वार्ड-26 

सिरसी रोड और दिल्ली हाईवे एक्सप्रेस अण्डरपास से पश्चिम में बेगस जाने वाली सिरसी रोड के पश्चिम फिर उत्तरी भाग शामिल करते हुए बिन्दायका की निगम सीमा तक। निगम सीमा से उत्तर पूर्वी भाग को शामिल करते हुए उत्तर दिशा दाईं ओर रोड से जयपुर अजमेर रेलवे लाइन की ओर उत्तर-पूर्व दिशा की ओर नगर निगम सीमा तक रेलवे ट्रैक आगे सिवार ग्राम को सम्मलित करते हुए विजयपुरा, किशोरपुरा, नानूसर व जयपुरियावास को सम्मलित करते हुए पूर्व-दक्षिणी फिर पूर्वी हिस्से को लेते हुए मार्बल मण्डी चौराहे गोकुलपुरा रोड तक। यहां से दक्षिण-पश्चिमी भाग को लेते हुए कनकपुरा रेलवे फाटक तक कनकपुरा रेलवे फाटक से पूर्व की ओर रेलवे ट्रैक के सहारे-सहारे खिरणी फाटक अण्डर पास तक खिरणी अण्डर पास से दक्षिण की ओर चलते पश्चिम भाग लेते हुए सिरसी रोड पर दिल्ली एक्सप्रेस वे अण्डरपास तक।

वार्ड-27 

दिल्ली हाइवे एक्सप्रेस गांधी पथ अण्डरपास से पश्चिम की ओर गांधी पथ लालरपुरा रोड पर उत्तरी भाग को शामिल करते हुए ग्राम राजस्व सिरसी और बिन्दायका राजस्व ग्राम तक। फिर निगम सीमा के साथ-साथ उत्तर-पूर्वी भाग शामिल करते हुए (बिन्दायका, सिरसी, कनकपुरा) राजस्व ग्राम, सिरसी बेगस रोड तक, सिरसी बेगस रोड से पूर्व की ओर चलते हुए, दक्षिण भाग को शामिल करते हुए, सिरसी रोड पर काली माता रोड के मोड़ तक। सिरसी रोड पर काली माता मोड़ से दक्षिण की ओर चलते हुए पश्चिमी भाग को शामिल करते हुए, बजरी मण्डी रोड पर कालीमाता मन्दिर तक, कालीमाता बजरी मण्डी रोड पर पूर्व की ओर चलते हुए दक्षिण भाग को शामिल करते हुए, एचटी लाइन तक, एचटी लाइन से दक्षिण दिशा में चलते हुए पश्चिमी हिस्से को सम्मलित करते हुए, करणी पैलेस रोड तक। करणी पैलेस रोड पर पूर्व दिशा में चलते हुए दक्षिणी हिस्से को सम्मलित करते हुए दिल्ली हाईवे एक्सप्रेस अण्डर पास तक, दिल्ली हाइवे एक्सप्रेस अण्डर पास से दक्षिण की ओर चलते हुए पश्चिमी भाग को शामिल करते हुए गांधी पथ अण्डर पास तक।

वार्ड-28 

सिरसी रोड दिल्ली एक्सप्रेस हाइवे के अण्डर पास से दक्षिण-पष्चिम भाग शामिल करते हुए करणी पैलेस रोड तक फिर करणी पैलेस अण्डर पास दिल्ली हाइवे एक्सप्रेस से पश्चिम में करणी पैलेस रोड स्थित एचटी लाइन तक। यहां से एचटी लाइन से उत्तर-पूर्वी हिस्से को सम्मलित करते हुए बजरी मण्डी रोड तक फिर बजरी मण्डी रोड पर पश्चिम-उत्तरी भाग को शामिल करते हुए, कालीमाता मोड़ तक। यहां से उत्तर में पूर्वी भाग लेते हुए ग्राम मीनावाला की राजस्व सीमा तक। मीनावाला के पश्चिम तरफ सिरसी रोड तक सिरसी रोड से पूर्व की ओर चलते हुए दक्षिण भाग को शामिल करते हुए दिल्ली हाईवे एक्सप्रेस अण्डर पास तक।

वार्ड-29 

दिल्ली हाईवे एक्सप्रेस गांधीपथ अण्डर पास एचटी लाइन रोड पर दक्षिण-पश्चिम, धावास ग्राम छोड़ते जगदम्बा नगर डी सड़क तक। यहां से पश्चिम मंे उत्तर धावास जगदम्बा नगर डी तिराहे तक। श्रीरामपुरा गांव की पूर्वी सीमा के साथ-साथ दक्षिण-पश्चिमी भाग लेते हुए अजमेर रोड पर धावास रोड तक। यहां से कमला नेहरू की पुलिया से पहले श्रीरामपुरा की दक्षिणी सीमा से निगम सीमा तक। मुकुन्दपुरा से उत्तर-पूर्वी भाग लेते हुए महाराजपुरा तक फिर पूर्व-दक्षिणी भाग लेते हुए गिरधारीपुरा लालरपुरा रोड होते हुए 200 फीट गांधी पथ अण्डर पास एचटी लाइन तक।

वार्ड-30 

दिल्ली एक्सप्रेस हाईवे 200 फीट अजमेर दिल्ली पास गांधी पथ अंडरपास से दक्षिण दिशा की ओर चलते हुये पश्चिमी भाग को शामिल करते हुए अजमेर रोड 200 फीट मुख्य चौराहा तक का एरिया शामिल किया गया है। फिर यहां से मुख्य चौराहे से पश्चिम दिशा की ओर चलते हुए अजमेर रोड पर उत्तरी हिस्से के क्षेत्र को शामिल को सम्मलित करते हुए गिरधारीपुरा और धावास रोड तक का इलाका शामिल किया गया है। साथ ही धावास और गिरधारीपुरा रोड पर उत्तर दिशा की तरफ चलते हुए पूर्वी भाग शामिल करते हुए जगदम्बा नगर डी तिराहे तक। यहां से जगदम्बा नगर-डी, तिराहे से पूर्व की ओर चलते हुए दक्षिण हिस्से में कुछ एरिया को शामिल करते हुए हबाईटेंशन लाइन के नीचे तक (गांधी पथ अंडर पास रोड तक जाने वाली हाईटेंशन लाईन) एचटी लाइन के नीचे से उत्तर दिशा की तरफ चलते हुए गांधी पथ तक पूर्वी हिस्से के कुछ एरिया को शामिल करते हुए गांधी पथ पर पूर्व की ओर चलते हुए गांधी पथ अंडर पास तक के क्षेत्र को पुनर्सीमांकन में शामिल किया गया है।

वार्ड-31 

कमला देवी बुधिया स्कूल 200 फीट मुख्य चैराहे से पूर्व दिशा की तरफ चलते हुए दक्षिण हिस्से को सम्मिलित करते हुए किंग्स रोड तिराहे तक। किंग्स रोड तिराहे से दक्षिण दिशा में चलते हुए पश्चिमी हिस्से को शमिल करते हुए गोपालपुरा किंग्स रोड चौराहे तक। गोपालपुरा किंग्स रोड़ चैराहे से गोपालपुरा बायपास रोड पर पश्चिम में चलते हुए उत्तरी हिस्से को सम्मिलित करते हुए, अजमेर रोड कमला नेहरू पुलिया तक। अजमेर रोड कमला नेहरू पुलिया से अजमेर रोड़ पर पूर्व दिशा में चलते हुए दक्षिण हिस्से को सम्मिलित करते हुए अजमेर रोड कमला देवी बुधिया स्कूल 200 फीट मुख्य चौराहे तक।

वार्ड-32 

कमला देवी बुधिया स्कूल 200 फीट अजमेर रोड चैराहे से अजमेर रोड पर पूर्व दिषा की ओर चलते हुए उत्तरी भाग का सम्मलित करते हुए पुरानी चुंगी से आगे अजमेर रोड पर द्रव्यवत्ती नदी के पष्चिमी किनारे तक द्रव्यवत्ती नदी अजमेर रोड के किनारे से उत्तर दिषा की ओर चलते हुए पश्चिमी तरफ सैन्य क्षेत्र को शामिल करते हुए खातीपुरा रोड पर द्रव्यवती पुलिया तक खातीपुरा रोड पर द्रव्यवती नदी पुलिया से खातीपुरा रोड पर पश्चिम की तरफ चलते हुए दक्षिण तरफ सैन्य क्षेत्र को शामिल करते हुए खातीपुरा रोड कल्याण जी की चौकी तक, खातीपुरा कल्याण जी की चौकी से दक्षिण में क्वीन्स रोड चलते हुए पूर्वी भाग को सम्मलित करते हुए प्रिन्स रोड के कोने तक, प्रिन्स रोड से हाॅटल पोरटिका सरोवर से आगे चैराहे से पश्चिम दिशा की तरफ चलते हुए दक्षिणी भाग को शामिल करते हुए सारथी मार्ग 200 फीट बाइपास के अण्डर पास तक सारथी मार्ग 200 फीट अण्डर पास से दक्षिण में चलते हुए पूर्वी भाग को सम्मलित करते हुए 200 फीट बाइपास व अजमेर रोड के चैराहे पर कमला देवी बुधिया स्कूल तक।

वार्ड-33 

बाईपास रोड से सारथी मार्ग पूर्व की चलते हुए एचटी लाइनों प्रिंस रोड चलते हुए प्रिंस रोड तक, प्रिंस रोड से उत्तर की ओर चलते हुए गांधी पथ पर क्वीन्स रोड तक क्वीन्स रोड से उत्तर की तरफ चलते हुए पष्चिमी हिस्से को शामिल करते हुए विजय द्वार गांधी पथ तक विजय द्वारा गांधी पथ से पश्चिम की ओर चलते हुए भरत अपार्टमेंन्ट तक, भरत अपार्टमेंन्ट से दक्षिण की ओर चलते हुए (पुर्वी हिस्से को सम्मलित करते हुए) अक्षरधाम चैराहे से पष्चिम की ओर चलते हुए अजमेर बाईपास तक (दक्षिणी हिस्से को सम्मिलित करते हुए) बाइपास से दक्षिण की तरफ चलते हुए सारथी मार्ग तक।

वार्ड-34 

अजमेर बाईपास अण्डर सिरसी रोड के पूर्व गौतम मार्ग के मिलान से दक्षिण चलते हुए वैशाली सर्किल से सीधे दक्षिण चलते हुए आम्रपाली सर्किल तक। आम्रपाली सर्किल से पष्चिमी नर्सरी सर्किल तक, नर्सरी सर्किल से दक्षिण गांधी पथ होते हुए ग्लोबल हाॅस्पिटल से दक्षिणी चित्रकूट मार्ग होते हुए अक्षरधाम मन्दिर चैराहे तक चैराहे से पष्चिम की तरफ चलते हुए एक्सप्रेस के बाइपास रोड तक दिल्ली हाईवे से उत्तर की ओर चलते हुए पूर्वी भाग को सम्मलित करते हुए सिरसी रोड तक।

वार्ड-35 

विजय द्वार गांधी पथ से पश्चिम दिशा में ग्लोबल हार्ट हाॅस्पिटल से उत्तर में नर्सरी सर्किल तक फिर नर्सरी सर्किल से पूर्व में आम्रपाली सर्किल तक फिर यहां से से उत्तर में वैशाली सर्किल होते हुए सिरसी रोड तक, सिरसी रोड से पूर्व चलते हुए खातीपुरा तिराहे से खातीपुरा रोड होते हुए कल्याण जी चौकी से कल्याण जी की चौकी खातीपुरा रोड तिराहे से क्वीन्स रोड पर दक्षिण-पष्चिमी में विजय द्वार तक।