शनिवार, 23 मार्च 2019

राजस्थान में अब तक हुए आम चुनावों में महिला उम्मीदवारों की भागीदारी बहुत कम रही है

1952 से अब तक LS Election में महिला उम्मीदवारों की भागीदारी का Record रहा खराब
जयपुर । राजस्थान में अब तक हुए आम चुनावों में महिला उम्मीदवारों की भागीदारी बहुत कम रही है। पिछले दशकों में आधी आबादी की भागीदारी में कुछ बढ़ोतरी तो हुई है, लेकिन यह पर्याप्त नजर नहीं आती। वर्ष 1952 से अब तक हुए 14 लोकसभा चुनावों में 180 महिला उम्मीदवार चुनावी मैदान में उतरी हैं, लेकिन उनमें से कई की उम्मीदवारी एक बार से अधिक रही है। 25 लोकसभा सीटों वाले इस राज्य से संसद के निचले सदन के लिए निर्वाचित होने वाली महिलाओं की संख्या सिर्फ 28 रही है।


खास बात यह है कि 1952 से 1989 तक हुए सात लोकसभा चुनावों में केवल छह महिला उम्मीदवारों ने चुनाव लड़ा था। वर्ष 2009 में महिला उम्मीदवारों की सर्वाधिक संख्या 31 रही थी, जबकि वर्ष 1952 में चुनाव लड़ने वाली केवल दो महिलाएं शारदा बाई (भरतपुर-सवाई माधोपुर सीट) और रानी देवी भार्गव (पाली-सिरोही सीट) थीं। हालांकि, इन दोनों महिलाओं की जमानत जब्त हो गयी थी, क्योंकि वे कुल पड़े मतों का छठा हिस्सा भी हासिल नहीं कर पायी थीं।

राजस्थान में 2003 से 2008 तक और 2013 से 2018 तक महिला मुख्यमंत्री (वसुंधरा राजे) रही हैं। वह झालावाड़ सीट से 1989 से पांच बार चुनाव जीतने वालीं एकमात्र महिला भी हैं। चुनाव आयोग के डेटा के अनुसार, अन्य चर्चित महिला उम्मीदवारों में स्वतंत्र पार्टी की गायत्री देवी और कांग्रेस की गिरिजा व्यास रही हैं, जिन्होंने कई बार संसद में राज्य का प्रतिनिधित्व किया है। 

राजस्थान में अब तक 125 महिला उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो चुकी है। इस संबंध में नौ बार की विधायक और राजस्थान विधानसभा की पूर्व अध्यक्ष सुमित्रा सिंह ने कहा कि पुरुषों के दबदबे वाले समाज के कारण महिलाओं को वर्षों से राजनीति में भागीदारी का मौका नहीं मिला। बीते वर्षों में साक्षरता और अधिकारों के प्रति जागरूकता बढ़ने से राजनीति में महिलाओं की भागीदारी का प्रतिशत तो बढ़ा है, लेकिन महिलाओं के लिए 33 फीसदी आरक्षण अब भी वास्तविकता से दूर है।

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