प्रदेश में कला, साहित्य एवं संस्कृति सहित अन्य सेवाओं में उल्लेखनीय कार्य करने वाली विभूतियों को राजस्थान रत्न अवॉर्ड से नवाजा जाता था। वसुंधरा राजे की सरकार ने यह अवॉर्ड देना बंद कर दिया था। वापिस राजस्थान रत्न अवार्ड देने की घोषणा राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने राजस्थान दिवस के मौके पर वापस शुरू करने की घोषणा कर दी है।

जयपुर। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा है कि लोकतंत्र में घृणा, नफरत और हिंसा का कोई स्थान नहीं है। देश और प्रदेश में शांति और सद्भाव के साथ ही हम चहुंमुखी विकास की दिशा में आगे बढ़ सकते हैं। हमें इसे बरकरार रखने के लिए प्रयास करने होंगे। गहलोत शनिवार को ’काव्या’ इंटरनेशनल एवं स्वच्छ नगर संस्था जयपुर के तत्वावधान में बिड़ला आॅडिटोरियम में आयोजित राजस्थान दिवस 2019 के कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में संबोधित कर रहे थे।
मुख्यमंत्री ने प्रदेशवासियों को राजस्थान स्थापना दिवस की बधाई देते हुए इस बात के लिए प्रसन्नता दर्शाई कि यह आयोजन जनता और नागरिक संस्थाओं की ओर से किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि राजस्थान को एक शक्तिशाली, प्रगतिशील और विकासशील प्रदेश बनाने में यहां की कर्मठ और मेहनतकश जनता के साथ लोकप्रिय जन प्रतिनिधियों, शिक्षाविद्याथियो, साहित्य, समाज सेवा, कला, संगीत, पुरातत्व आदि क्षेत्रों से जुड़े लोगों का भी महत्वपूर्ण योगदान रहा है।
उन्होंने कहा कि 70 साल पहले 30 मार्च, 1949 को राजस्थान का निर्माण हुआ था। इससे पहले यहां छोटी-बड़ी 22 रियासतें थीं। इन रियासतों का एकीकरण करने में देश के महान सपूत और तत्कालीन केन्द्रीय गृहमंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल की महती भूमिका रही। उन्होंने कहा कि राजस्थान की संस्कृति, परम्परा और विरासत का गौरवशाली एवं समृद्ध इतिहास है। यहां की लोक कलाएं, लोक संस्कृति, लोकगीत और संगीत की पूरी दुनिया में खास पहचान है।
राजस्थान का इतिहास वीरता, साहस एवं स्वाभिमान से भरा हुआ है। उन्होंने इस मौके पर स्वाधीनता संग्राम में योगदान करने वाले राजस्थान सहित सभी देश के ज्ञात-अज्ञात महान स्वाधीनता सैनानियों को नमन करते हुए कहा कि उन्हीं के त्याग और बलिदान के कारण यह देश आजाद हुआ। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने राजस्थान निर्माण के बाद हीरालाल शास्त्री, टीकाराम पालीवाल, जयनारायण व्यास, मोहनलाल सुखाड़िया, बरकतुल्ला खां, हरिदेव जोशी, भैरोंसिंह शेखावत, जगन्नाथ पहाड़िया, शिवचरण माथुर, हीरालाल देवपुरा, वसुन्धरा राजे और मुझे मुख्यमंत्री के रूप में प्रदेश की सेवा करने का अवसर मिला।
राजस्थान के विकास में सभी लोगों का योगदान रहा है। जनता के स्नेह, आशीर्वाद और विश्वास से मुझे तीसरी बार मुख्यमंत्री के रूप में प्रदेशवासियों की विनम्र सेवा का मौका मिला है। उन्होंने कहा कि मैंने जब मुख्यमंत्री के रूप में बागडोर संभाली तब गांव, गरीब और किसान प्राथमिकता में रहे और चहुंमुखी विकास पर ध्यान देते हुए आमजन के कल्याणकारी योजनाएं प्रारम्भ की। आप सब जानते हैं कि राजस्थान में अकाल हमारे स्थायी मेहमान की तरह रहा है। हमारे समय में भी कई बार अकाल पड़े किन्तु हमने मिलकर इस चुनौती का मुकाबला किय। अकाल पीड़ितों के लिए राहत कार्यों पर पर्याप्त मजदूरी, भरपूर अनाज, पशुओं के लिए चारे और पेयजल का प्रबंध किया।
गहलोत ने कहा कि मुझे यह बताते हुए संतोष है कि पिछले सत्तर सालों में राजस्थान के सभी क्षेत्रों में जो विकास हुआ है, वह किसी भी दृष्टि से कम नहीं है। आज गांवों और शहरों, सभी जगह विकास और सुविधाओं का विस्तार हुआ है, जिससे लोगों के सामाजिक-आर्थिक जीवन स्तर में सुधार आया है। प्रदेश में सड़क, बिजली, पानी, चिकित्सा, शिक्षा, सामुदायिक सेवाओं का विस्तार हुआ है। प्रदेश को शिक्षित और विकसित बनाने में यहां की जनता ने शासन एवं प्रशासन के साथ कदम से कदम मिलाकर काम किया है।
दुनियाभर में सूचना टेक्नोलोजी बढ़ी है। स्वर्गीय राजीव गांधी ने भारत को दुनिया के विकसित राष्ट्र के रूप में खड़ा करने की पहले से ही परिकल्पना कर ली थी। सूचना एवं प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में आज हम जो प्रगति देख रहे हैं वह सब स्वर्गीय श्री राजीव गांधी की देन है।
उन्होंने कहा कि यूपीए चेयरपर्सन सोनिया गांधी की प्रेरणा और पूर्व प्रधानमंत्री डाॅ. मनमोहन सिंह के नेतृत्व में आजादी के बाद देश में पहली बार अधिकार आधारित युग की शुरूआत हुई, जिसे लागू करने में राजस्थान भी पीछे नहीं रहा। रोजगार का अधिकार, शिक्षा का अधिकार, सूचना का अधिकार, खाद्य सुरक्षा का अधिकार लागू करने के साथ प्रदेश की सरकार ने राइट टू शेल्टर, सुनवाई का अधिकार, लोकसेवा गारन्टी का अधिकार, सामाजिक सुरक्षा का अधिकार देने की पहल की। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने न्यूनतम आय की गारन्टी, राइट टू हैल्थ जैसे जनहित के कार्यों को एजेण्डा बनाया है। उन्होंने प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि राजस्थान दिवस के शुभ अवसर पर प्रदेश के सेवाभावी महानुभावों को संस्था की ओर से सम्मानित किया गया है। यह एक अच्छी परम्परा और इससे दूसरे लोगों को भी प्रेरणा मिलती है।
उन्होंने सभी सम्मानितों को बधाई देते हुए कहा कि इन लोगों की सेवाओं को हम निरन्तर देख रहे हैं। हमने पिछली सरकार के दौरान ऐसी विभूतियों को ’राजस्थान रत्न’ सम्मान देने की योजना शुरू की थी जो बाद में बंद कर दी गई। सम्मान की अब योजना को फिर से प्रारम्भ किया जाएगा। ऐसे व्यक्तियों को सम्मानित करने से युवा पीढ़ी को प्रेरणा मिलती है। उन्होंने कहा कि राजस्थान दिवस पर हमें यह संकल्प लेकर यहां से जाना है कि कैसे हम अपने प्रदेश को और अधिक समृद्ध, सम्पन्न और खुशहाल बनाने में अपना योगदान कर सकते हैं। उन्होंने इस आयोजन के लिए काव्या इंटरनेशनल एवं स्वच्छ नगर संस्था के पदाधिकारियों, सदस्यों एवं आप सभी को साधुवाद देते हुए आशा व्यक्त की कि रचनात्मक सेवाओं और कार्यों को निरन्तर बढ़ाने में ये संस्थाएं हमेशा तत्पर रहेंगी।
समारोह की अध्यक्षता करते हुए कला, संस्कृति मंत्री डाॅ. बी.डी कल्ला ने राजस्थानी भाषा में अपना उद्बोधन देते हुए कहा कि राजस्थान की समृद्ध संस्कृति की दुनियाभर में पहचान है। यहां जो अपनत्व, सहिष्णुता, सद्भाव और अतिथियों के सम्मान की परम्परा है, वह अपने आप में एक मिसाल है। हम यहां से संकल्प लेकर जाए कि यह परम्परा और पहचान बनी रहे। उन्होंने कहा कि राजस्थान शिक्षा के क्षेत्र में निरन्तर आगे बढ़े। इस दिशा में हम काम कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि हम राजस्थान को वर्किंग पाॅपुलेशन का हिस्सा कैसे बनाएं, इसके लिए काम करेंगे। उन्हाेंने देश को आजादी दिलाने वाले स्वतंत्रता सेनानियों को श्रद्धापूर्वक याद किया। शिक्षा मंत्री गोविन्द सिंह डोटासरा, तकनीकी शिक्षा मंत्री डाॅ. सुभाष गर्ग एवं गृहरक्षा राज्यमंत्री भजनलाल जाटव विशिष्ठ अतिथि के रूप में मौजूद थे।
इस अवसर पर जस्टिस विनोद शंकर दवे, न्यायमूर्ति जैनेन्द्र कुमार रांका (विधि एवं न्याय), डी. आर. मेहता (दिव्यांगों की सेवा), कुुशलचन्द सुराणा (जवाहरात उद्योग), दीनबन्धु चैधरी, प्रवीण चन्द छाबड़ा (पत्रकारिता), जे.पी. शर्मा, दीपक गोस्वामी (इलेक्ट्राॅनिक मीडिया), अनिला कोठारी (कैंसर चिकित्सा सेवा), श्रीमती मृदुल भसीन (स्वयंसेवी संस्था), डाॅ. एम. एल स्वर्णकार, डाॅ. मंगल सोनगरा (चिकित्सा सेवा), डाॅ. आईदान सिंह भाटी (राजस्थानी साहित्य ), बी.पी. मून्दड़ा, साबिर हुसैन (समाजसेवा), राम सहाय बाजिया (सैन्य सेवा), मृदुला सामवेदी (महिला शिक्षा), भावना जगवानी (अंगदान) को उनकी उल्लेखनीय सेवाओं के लिए मुख्यमंत्री एवं अन्य अतिथियों ने शाॅल ओढ़ाकर एवं प्रशस्ति पत्र प्रदान कर सम्मानित किया। मुख्यमंत्री कार्यक्रम के समन्वयक नफीस आफरीदी एवं इवेन्ट गुरू अरशद हुसैन को स्मृति चिन्ह् प्रदान कर सम्मानित किया।
प्रारम्भ में आयोजन समिति के अध्यक्ष राजीव अरोड़ा, स्वच्छ नगर संस्था के अध्यक्ष डाॅ. सत्यनारायण सिंह, काव्या फाउण्डेशन राजस्थान के अध्यक्ष वीर सक्सेना ने भी अपने विचार व्यक्त किए। डाॅ. सत्यनारायण सिंह ने राजस्थान दिवस पर लिखी अपनी पुस्तिका ’भारत की एकता का निर्माण: राजस्थान के संदर्भ में’ मुख्यमंत्री को भेंट की। कार्यक्रम का शुभारम्भ गजानन्द के शहनाई वादन एवं डाॅ. विजयेन्द्र के मांड गायन के साथ हुआ। कार्यक्रम का संचालन आकाशवाणी के पूर्व निदेशक श्री इकराम राजस्थानी ने किया। काव्या के महासचिव फारूक आफरीदी ने आभार व्यक्त किया। अंत में निशब्द मूक बधिर विद्यालय की बालक-बालिकाओं ने राष्ट्रगान प्रस्तुत किया। कार्यक्रम में पद्मश्री साकिर अली, राजस्थान के दूर-दराज इलाकों से आये नागरिकों के साथ ही सैनिक परिवारों, बंजारा समाज, ’बाल सम्बल’ के विशेष बच्चों, शिक्षा, साहित्य, संस्कृति, विधि एवं न्याय, चिकित्सा आदि क्षेत्रों के गणमान्य नागरिक बड़ी संख्या में मौजूद थे।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें