गुरुवार, 28 मार्च 2019

भाजपा की सारी पुरानी टीम गई

नरेंद्र मोदी और अमित शाह के भाजपा संभालने से पहले पार्टी के जो नेता थे, उनमें से लगभग सभी एक एक करके नेपथ्य में भेज दिए गए। तीन संस्थापक सदस्यों और शुरुआती अध्यक्षों में से अटल बिहार वाजपेयी का निधन हो गया और लालकृष्ण आडवाणी व मुरली मनोहर जोशी को चुनाव लड़ने से मना कर दिया गया। इस तरह ‘आवाजो’ यानी आडवाणी, वाजपेयी, जोशी की तिकड़ी खत्म हो गई। उसके बाद बारी थी इन तीनों के करीबी नेताओं की। उनमें से भी एकाध अपवादों को छोड़ कर बाकी सबको नेपथ्य में भेज दिया गया। पाला और निष्ठा बदल कर जो लोग बचे हैं वे भी कब तक बचे हैं यह देखने वाली बात है। 

ऐसा नहीं है कि इस बार सिर्फ आडवाणी और जोशी को चुनाव लड़ने से मना किया गया है। इनके करीबी रहे शांता कुमार भी इस बार घर बैठा दिए गए हैं। उमा भारती और सुषमा स्वराज दोनों चुनाव नहीं लड़ रहे हैं। ये दोनों भी किसी जमाने में आडवाणी के बेहद करीब रहे हैं। आडवाणी के एक और करीबी शत्रुघ्न सिन्हा का भी भाजपा से पत्ता कट गया है। वे कांग्रेस में शामिल होने जा रहे हैं। 

किसी जमाने में लालकृष्ण आडवाणी की कोटरी को डी-फोर यानी दिल्ली-फोर के नाम से जाना जाता था। इनमें से अब सिर्फ अरुण जेटली सक्रिय राजनीति में बचे हैं। सुषमा स्वराज को चुनाव लड़ने से मना कर दिया गया है। वेंकैया नायडू को उप राष्ट्रपति बना दिया गया है और अनंत कुमार का निधन हो गया है। और हां, यह भी सुनिश्चित किया गया है कि अनंत कुमार के परिवार से कोई व्यक्ति उनकी जगह लेने के लिए आगे नहीं आए। उनकी पत्नी तेजस्विनी अनंत कुमार ने चुनाव की तैयारी शुरू कर ली थी पर पार्टी आलाकमान ने उनकी टिकट काट दी है और उनकी जगह उनके नाम से मिलते जुलते नाम वाले तेजस्वी सूर्या को बेंगलुरू दक्षिण की टिकट दे दी है। आहत तेजस्विनी ने सिर्फ इतना कहा है कि उनके पति ने कर्नाटक में भाजपा को बनाया था इसलिए वे पार्टी नहीं छोड़ेंगी। 

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें