गुरुवार, 6 जून 2019

अब भाजपा को राज्यसभा में बहुमत की चिंता

लोकसभा चुनाव में भारी बहुमत हासिल करने के बाद अब भाजपा को राज्यसभा में बहुमत की चिंता करनी है। अभी उच्च सदन में उसके 70 सांसद हैं और सहयोगी पार्टियों के साथ मिला कर उसकी संख्या 102 पहुंचती है। राज्यसभा में बहुमत का आंकड़ा 123 का होता है। इस तरह भाजपा अकेले 53 सीट दूर है और एनडीए 21 सीट दूर है। सवाल है कि यह फासला कैसे तय होगा?

माना जा रहा है कि अगले साल होने वाले दोवार्षिक चुनावों में भाजपा को बहुत फायदा होगा। फिर उसकी संख्या इतनी नहीं बढ़ने वाली है कि उसे बहुमत मिल जाए। इसका कारण यह है कि एकाध राज्यों को छोड़ कर ज्यादातर जगह उसी की पार्टी के जीते सांसद रिटायर होने वाले हैं। दूसरे पिछले साल तीन राज्यों में कांग्रेस ने जीत हासिल कर ली है। इसलिए उन राज्यों में रिटायर होंगे भाजपा के सदस्य और चुने जाएंगे कांग्रेस के नेता। इसलिए वास्तविक संख्या में बड़ा बदलाव नहीं होगा। उत्तर प्रदेश और कर्नाटक अपवाद है, जहां भाजपा की संख्या में इजाफा होगा।

अगले साल राज्यसभा की 71 सीटों पर चुनाव होना है। इनमें से 54 सीटें अप्रैल में खाली हो रही हैं और उत्तर प्रदेश की 10 और उत्तराखंड की एक सीट नवंबर में खाली हो रही हैं। इनके अलावा कर्नाटक की चार और अरुणाचल प्रदेश की एक सीट जून में खाली हो रही है। मिजोरम की एक सीट सितंबर में खाली होगी। मनोनीत श्रेणी में केटीएस तुलसी की सीट साल के शुरू में ही खाली होगी, जिस पर सरकार को मनोनयन करना है। उत्तर प्रदेश की 10 में से सिर्फ हरदीप पुरी की सीट भाजपा की है। सो, उसकी एक सीट खाली हो रही है और वह जीतेगी आठ सीट। इस तरह उसे सीधे सात सीटों का फायदा उत्तर प्रदेश से होगा।  मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ की आठ सीटें खाली हो रही हैं। इनमें से तीन कांग्रेस की और पांच भाजपा की है। अगले साल तस्वीर उलट जाएगी। पांच सीटें कांग्रेस जीतेगी और भाजपा को तीन मिलेगी। इन तीन राज्यों में उसे दो सीटों का नुकसान होगा। बिहार में पांच सीटें खाली हो रही हैं, जिनमें से दो भाजपा की और तीन उसकी सहयोगी जदयू की है। इस बार भाजपा को एक और जदयू को एक सीट का नुकसान होगा और राजद को दो सीट का फायदा होगा। महाराष्ट्र में सात सीटें खाली होंगी, जिनमें से दो भाजपा की और दो शिव सेना की हैं। वहां की तस्वीर अक्टूबर में होने वाले विधानसभा चुनाव के नतीजों पर निर्भर है। अगर भाजपा का प्रदर्शन अच्छा रहा तो उसे एक या दो सीटों का फायदा होगा। गुजरात में पांच सीटें खाली हो रही हैं, जिनमें से तीन भाजपा की हैं। इस बार उसे एक सीट का नुकसान संभव है। भाजपा को कर्नाटक में एक, उत्तराखंड में एक और असम में दो सीटों का फायदा होगा। पश्चिम बंगाल में पांच सीटें खाली हो रही हैं, पर वहां भाजपा को पाने या खोने के लिए कुछ नहीं है। बाकी झारखंड और हरियाणा में चुनाव के बाद ही तस्वीर साफ होगी।

कुल मिला कर भाजपा को अगले साल के अंत में 12-13 सीटों का फायदा होगा। जहां तक सहयोगियों का मामला है तो तमिलनाडु में इस साल जुलाई में पांच और अगले साल अप्रैल में छह सीटों पर चुनाव होना है। इसमें से भाजपा की सहयोगी अन्ना डीएमके को कम से कम चार सीटों का नुकसान होगा। बिहार में जदयू को भी एक सीट का नुकसान होगा। सो, अगले साल के अंत तक भी एनडीए राज्यसभा में बहुमत तक नहीं पहुंच पाएगा। 

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