शनिवार, 15 जून 2019

तीन तलाक का बिल राज्यसभा में अटकेगा!

केंद्र सरकार तीन तलाक सहित दस विधेयकों को सोमवार से शुरू हो रहे संसद सत्र में पेश करने जा रही है। तीन तलाक को अपराध बनाने और सजा का प्रावधान करने के कानून को सरकार अध्यादेश के जरिए लागू कर चुकी है पर राज्यसभा से पास नहीं हो पाने के कारण यह अध्यादेश खत्म हो गया है। तभी सरकार इस सत्र में इसे दोबारा पेश करने का जा रही है। सरकार के नए संसदीय मंत्री इस कोशिश में लगे हैं कि किसी तरह से इसे कानून बनवा दिया जाए। जिन राज्यों में चार महीने बाद चुनाव होने हैं, वहां भाजपा को इसका राजनीतिक लाभ लेना है।

तभी भाजपा के नए संसदीय मंत्रियों ने यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी से मुलाकात की और राज्यसभा में कांग्रेस के नेता गुलाम नबी आजाद से भी मिल कर समर्थन मांगा है। पर सरकार से जुड़े जानकार सूत्रों का कहना है कि यह बिल एक बार फिर राज्यसभा में अटक सकता है। इसका एक कारण तो कांग्रेस ही बनेगी। कांग्रेस पार्टी ने अभी इस पर अपना रुख तय नहीं किया है और बिल के कई प्रावधानों पर कांग्रेस सहमत नहीं है। खास तौर से गिरफ्तारी वाले प्रावधान पर। कांग्रेस ने इस पर तमाम विपक्षी पार्टियों को एकजुट किया है। ध्यान रहे लोकसभा में सरकार का बहुमत भले बढ़ गया है पर राज्यसभा की तस्वीर वैसी ही है, जैसे संसद के पिछले सत्र के समय थी। इसलिए सरकार के संसदीय प्रबंधक भी आशंकित हैं।

दूसरी चिंता अपनी सहयोगी जनता दल यू को लेकर है। राज्यसभा में उसके छह सदस्य हैं। उसने साफ कर दिया है कि तीन तलाक बिल को मौजूदा स्वरूप में वह समर्थन नहीं देगी। पार्टी के वरिष्ठ नेता और प्रधानमंत्री महासचिव केसी त्यागी पहले ही इसका ऐलान कर चुके हैं और अब राज्य सरकार के मंत्री श्याम रजक ने कहा है कि जदयू तीन तलाक बिल का समर्थन नहीं करेगी। तभी अगर कांग्रेस सभी विपक्षी पार्टियों को एकजुट करने में सफल हो जाती है और एनडीए में इस पर एक राय नहीं बनती है तो यह बिल फिर से अटकेगा। पर यह भी तय है कि सरकार हार मान कर इसे छोड़ने वाली नहीं है। वह अध्यादेश के जरिए वापस इसे लागू करेगी और नए सिरे से सहमति बनाने का प्रयास करेगी। 

भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने साफ कर दिया है कि अब अगले दो साल देश का राजनीतिक फोकस केरल और पश्चिम बंगाल पर रहेगा। इन दोनों राज्यों में मई 2021 में विधानसभा चुनाव होने हैं। इस लिहाज से अब दो साल से भी कम समय है। इन दो राज्यों के साथ असम, तमिलनाडु और पुड्डुचेरी में भी चुनाव होने हैं। पर इन तीन राज्यों से ज्यादा फोकस केरल और बंगाल पर रहेगा। दोनों राज्यों में अगले दो साल संघ और भाजपा के कार्यकर्ताओं का अपने विरोधियों के साथ टकराव जारी रहने वाला है।

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