शुक्रवार, 21 जून 2019

ट्रेनों में सब्सिडी छोड़ने की अपील का मतलब!

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले कार्यकाल में लोगों से एलपीजी सब्सिडी छोड़ने की अपील की थी, क्या वे अब वैसी ही अपील रेल यात्रा में मिलने वाली सब्सिडी के बारे में भी करेंगे? रेल मंत्रालय ने इसकी पहल कर दी है। रेल मंत्रालय की ओर से हर जोन और डिवीजन में निर्देश भेजे गए हैं, जिसके मुताबिक टिकट बुकिंग के समय अब यात्रियों से पूछा जाएगा कि उन्हें सब्सिडी वाली टिकट चाहिए या बिना सब्सिडी वाली? ध्यान रहे अभी हर यात्री को उसकी टिकट पर 43 फीसदी की सब्सिडी मिलती है। यानी अगर कोई यात्री सब्सिडी छोड़ता है तो उसे टिकट के लिए लगभग दोगुना दाम देना होगा। 

यह एलपीजी सब्सिडी के मुकाबले बहुत ज्यादा है। एलपीजी सब्सिडी छोड़ने का मध्य वर्ग के ऊपर कोई ज्यादा भार नहीं पड़ रहा था। औसतन एक से डेढ़ महीने चलने वाले एक सिलिंडर पर दो-तीन सौ रुपए छोड़ना बड़ी बात नहीं थी। पर रेल यात्रा में सब्सिडी छोड़ना पर बड़ा बोझ पड़ेगा। इससे उनके लिए ट्रेन की यात्रा बहुत महंगी हो जाएगी। एक आकलन के मुताबिक सब्सिडी छोड़ने पर एसी क्लास की ट्रेन टिकट के दाम हवाई टिकटों के बराबर हो जाएंगे। तभी ऐसा लग रहा है कि रेलवे ने इसे वैकल्पिक रूप से शुरू किया है और प्रधानमंत्री खुद अपील नहीं कर रहे हैं क्योंकि उनको भी अपील के असर का भरोसा नहीं बन रहा होगा। 

पर यह मामला सिर्फ सब्सिडी छोड़ने तक का नहीं लग रहा है। यह रेलवे को निजी हाथों में सौंपने की योजना का एक हिस्सा हो सकता है। संभव है कि यह पता लगाने का प्रयास किया जा रहा हो कि लोग रेल किराए में कितनी बढ़ोतरी बरदाश्त कर सकते हैं। क्योंकि यह तो तय है कि किराए की मौजूदा व्यवस्था के साथ कोई भी निजी कंपनी रेलवे का परिचालन नहीं लेगी। पर अगर लोग सब्सिडी छोड़ें और पूरी कीमत पर टिकटें बिकने लगें तो निजी कंपनियों का इससे फायदा हो सकता है। ध्यान रहे रेलवे ने पहले ही प्लेटफार्म के संचालन का जिम्मा कई जगह निजी कंपनियों को देना शुरू कर दिया है। 

इस सिलसिले में रसोई गैस के सिलिंडर पर सब्सिडी छोड़ने के मामले का भी ध्यान रखना चाहिए। इसका भी फायदा निश्चित रूप से निजी कंपनियों को पहुंचा है क्योंकि बिना सब्सिडी वाले सिलिंडर के कारोबार में निजी कंपनियां भी हैं। उसके उपभोक्ताओं की संख्या बढ़ने से उनका कारोबार बढ़ा होगा। इस बीच यह भी खबर है कि सरकार सब्सिडी वाले सिलिंडर की बिक्री और वितरण में भी निजी कंपनियों को लाने पर विचार कर रही है। सब्सिडी छोड़ने के बाद ऐसा ही कुछ रेलवे के साथ भी हो सकता है। 

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