आज लोकसभा में उस वक्त हंगामा शुरू हो गया जब कानून मंत्री ‘ट्रिपल तलाक’ बिल को पेश करने के लिए खड़े हुए। हालांकि रविशंकर प्रसाद ने बिल को लोकसभा में पेश कर दिया। सरकार ने इस बार बिल को नये स्वरूप में पेश किया है। जिसमें यह प्रावधान किया गया है कि इस मामले में शिकायत तभी दर्ज की जायेगी, जब महिला खुद या फिर उसका कोई रिश्तेदार सामने आकर अपनी शिकायत दर्ज कराये।
नये बिल के ड्राफ्ट पर विपक्ष के विरोध के बाद इसे पेश किये जाने को लेकर वोटिंग हुई। बिल पेश किये जाने के पक्ष में 186 वोट पड़े और विपक्ष में 14 वोट। इसके बाद बिल को चर्चा के लिए स्वीकार कर लिया गया और बिल को औपचारिक तौर पर पेश मान लिया गया। कानून मंत्री रविशंकर ने कहा कि यह बिल नारी अधिकारों की सुरक्षा के लिए है। पिछले साल भी इस बिल को लोकसभा से पारित किया गया था, लेकिन राज्यसभा से यह पारित नहीं हो सका। अब सरकार ने बिल को नये सिरे से पेश किया है। हमारा काम कानून बनाना है जिसे होने दें। उन्होंने कहा कि भारत का संविधान लिंग के आधार पर भेदभाव नहीं करने की बात करता है, उसी आधार पर यह बिल लाया गया है।
वहीं कांग्रेस की ओर से शशि थरुर ने कहा कि यह बिल जिस स्वरूप में लाया गया है मैं उसका विरोध करता हूं। मैं तीन तलाक को अपराध की श्रेणी में लाने का विरोध करता हूं। उन्होंने कहा कि तलाक को अपराध नहीं बनाया जा सकता, अगर यह अपराध है तो हर समुदाय के लिए होना चाहिए। सिर्फ मुसलमान पति ही अपराधी क्यों हों? यह समुदाय के आधार पर भेदभाव है जो संविधान के खिलाफ है।'
बिल का विरोध करते हुए AIMIM के सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने इस बिल को मुसलमानों के साथ भेदभाव करने वाला बताया। उन्होंने कहा कि इसमें मुस्लिम पति को तीन साल जेल की बात कही गयी है, ऐसे में अगर पति जेल में होगा तो पत्नी को मुआवजा कौन देगा इसपर भी विचार किया जाना चाहिए।

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