वैसे तो भारतीय जनता पार्टी शुचिता की राजनीति करती है और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का नारा है कि न खाऊंगा न खाने दूंगा। पर भ्रष्टाचार के आरोपी नेताओं को पार्टी में शामिल करने और उन्हें अहम जिम्मेदारी देने से भाजपा पीछे नहीं हटती है। हर राज्य में ऐसी मिसाल है कि, जिन नेताओं पर विपक्ष में रहते भ्रष्टाचार के आरोप लगे, वे बाद में भाजपा में शामिल हो गए और फिर उनके ऊपर आरोप लगने बंद हो गए। ताजा मिसाल टीडीपी के सांसदो की है। टीडीपी के चार राज्यसभा सांसद भाजपा में शामिल हो गए हैं। इनमें से दो के खिलाफ गंभीर आर्थिक आरोप हैं। सीएम रमेश और वाईएस चौधरी के ऊपर सैक़ड़ों करोड़ की गड़बड़ियों के आरोप हैं। सीबीआई, आय कर विभाग और ईडी तीनों इनकी जांच कर रहे हैं। कुछ दिन पहले ही इनके ऊपर छापे भी पड़े हैं।
भाजपा के प्रवक्ता जीवीएल नरसिंह राव ने तो कुछ दिन पहले सीएम रमेश को आंध्र प्रदेश का विजय माल्या करार दिया था। पर गुरुवार को रमेश और चौधरी दोनों ने भाजपा अध्यक्ष अमित शाह की मौजूदगी में पार्टी ज्वाइन कर ली। इसी तरह पश्चिम बंगाल में मुकुल रॉय का मामला है। वे चिटफंड घोटाले के आरोपी हैं, जिस पर भाजपा बहुत हमले करती है पर वे अब भाजपा में हैं। ऐसे ही भ्रष्टाचार के कई आरोपों में फंसे हिमंता बिस्वा सरमा अब भाजपा में आ गए हैं और पूर्वोत्तर में भाजपा की सारी उपलब्धियां असल में उन्हीं की हैं। अंतरिक्ष देवास घोटाले के आरोपी माधवन नायर को भी कुछ समय पहले अमित शाह ने पार्टी में शामिल कराया।

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