जयपुर। स्वतंत्र पत्रकार राजेन्द्र सिंह गहलोत द्वारा लिखित पुस्तक मीडिया बिकता है, खरीदोगे ?का विमोचन सोमवार को राजस्थान चैंबर भवन के स्वर्गीय भैरोसिंह शेखावत सभागार में किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता राजस्थान राज्य मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष न्यायमूर्ति प्रकाश टाटिया ने की, मुख्य अतिथि के रूप में राजस्थान राज्य अल्पसंख्यक आयोग के पूर्व चेयरमैन जसबीरसिंह तथा विशिष्ठ अतिथि के रूप में सेवानिवृत्त आईएएस एन के सेठी मंच पर आसीन थे।
न्यायमूर्ति प्रकाश टाटिया ने अपने उदबोधन में कहा कि बेशक जो पुस्तक के शीर्षक का नाम है मीडिया बिकता है, खरीदोगे इसमें कोई शक नहीं है। लेकिन सवाल यह उठता है कि जब सरकार ही बिक रही है तो किसी भी व्यवसाय को खरीद कौन रहा है। न्यायमूर्ति के पद पर रहते हुए विभिन्न कार्यक्रमों में शिरकत के अनुभव पर जस्टिय टाटिया ने चर्चा की । चर्चा के दौरान मीडिया बिकता है, खरीदोगे ? शीर्षक किताब के लेखक राजेन्द्र सिंह गहलोत से कहा कि इस किताब के आलोचक के रूप में मैं यही कहूंगा कि किसी भी व्यवस्था के उपर सवाल खडा करना बहुत ही आसान है, सवाल के साथ साथ समाधान का भी मशविरा होना चाहिये, लेकिन जो आपने शीर्षक दिया है किसी भी व्यवसाय को बेचने तक तो सीमित रहना अच्छा रहता है लेकिन चित्र के माध्यम से जो दर्शाया गया है उस हद तक गिरना समाज के लिये, देश के लिये, मीडिया लाईन के व्यवसाय के लिये बडा ही शर्मनाक है। मुझे उम्मीद है कि आपके द्वारा लिखी पुस्तक पढकर सिर्फ मीडिया व्यवसाय ही नहीं, मीडियाकर्मी व प्रबुद्धजन तथा पुस्तक के पाठक विचार करेंगे और जो मीडियालाईन में खामिया दर्शाई गई है उसमें सुधार होगा,ऐसा मैं उम्मीद करता है और अगली किताब के लिये ऐसी ही मैं आपसे उम्मीद करता हूॅ।
मुख्य अतिथि के रूप में राजस्थान राज्य अल्पसंख्यक आयोग के पूर्व चेयरमैन जसबीरसिंह ने अपने उदबोधन में कहा कि राजेन्द्र सिंह गहलोत द्वारा लिखी पुस्तक मीडिया बिकता है, खरीदोगे ? समाज के लिये, आज के युग के लिये एक दर्पण है, जब मीडिया ही बिकने लग जायेगा तो समाज में हो रही बुराई को उजागर कौन करेगा ? मीडिया बिकता है, इसमें कोई शक नहीं है पर कर्तव्य को नहीं बेचना चाहिये, गहलोत द्वारा लिखी पुस्तक से लोग प्रेरणा लेंगे और अपने कर्तव्य के प्रति जागरूक होंगे।
विशिष्ठ अतिथि के रूप में सेवानिवृत्त आईएएस एन के सेठी ने कहा कि मैंने अपने लोकसेवक जीवनकाल में बहुत ही गहनता से महसूस किया है कि शत प्रतिशत कोई भी ऐसा शख्स नहीं है जो बिकाउ न हो, लेकिन बिकाउ होना कोई बुरी बात नहीं है, लेकिन अपना ईमान को बेचना खुद के लिये भी नुकसानदायक है और समाज के लिये भी नुकसानदायक है।
राजेन्द्र सिंह गहलोत ने इस पुस्तक में साक्षात्कारों के माध्यम से मीडिया के सच को सामने लाने का प्रयास किया है। वरिष्ठ पत्रकारों में वेदप्रकाप वैदिक, अरूण शौरी, मिलाप चंद डंडिया, वशिष्ठ कुमार शर्मा, एम आर सिंघवी, धीरेन्द्र जैन, जितेन्द्र सिंह शेखावत, विनोद भारद्वाज, दुष्यंत ओझा, सुधेन्दु पटेल, वेदव्यास, अजय सोलोमन, कमलेश जैन, अनुभा जैन, डॉक्टर जीनत कैफी, डॉक्टर सत्यनारायण सिंह, डॉक्टर अमरसिंह राठौड, प्रोफेसर रमेश कुमार जैन, कन्हैयालाल चतुर्वेदी, विष्णु शर्मा अरूणेश, फारूख आफरीदी, सर्वेश भटट, अरूण कुमार, सुरेन्द्र जैन पारस, अभय जोशी, निर्मल पंवार, जसबीर सिंह, डॉक्टर राघव प्रकाश, एन एम रांका, न्यायमूर्ति विनोदशंकर दवे आदि के साक्षात्कार शामिल हैं।
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