भारतीय जनता पार्टी की बहती गंगा में डूबकी लगाने और पवित्र होने की ऐसी होड़ मची है कि अब मुस्लिम नेता भी बड़ी संख्या में भाजपा ज्वाइन कर रहे हैं। पहले इक्का दुक्का मुस्लिम नेताओं के भाजपा में जाने की खबरें आती थीं वह भी ऐसे नेता के, जिनका बहुत मजबूत जनाधार नहीं होता था। पर अब राज्यों में दूसरी पार्टियों के जीते मुस्लिम विधायक भी भाजपा में शामिल हो रहे हैं। पूर्व विधायक, पूर्व सांसदों और मजबूत जमीनी आधार वाले नेताओं के भी शामिल होने का सिलसिला तेज हुआ है।
पिछले दिनों भाजपा के नेताओं ने पश्चिम बंगाल के तृणमूल विधायक नईमुल हक को पार्टी में शामिल कराया। बड़े धूमधड़ाके से दिल्ली में उनको भाजपा में शामिल कराया गया। लोकसभा चुनाव खत्म होने के बाद अब तक तृणमूल कांग्रेस के छह विधायक भाजपा में शामिल कराए जा चुके हैं। जिस तरह से पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस, आंध्र प्रदेश में टीडीपी और तेलंगाना में कांग्रेस विधायकों में भगदड़ मची है, उसी तरह हरियाणा में इंडियन नेशनल लोकदल के विधायकों में भगदड़ मची है। उसके कई विधायक भाजपा में शामिल हो चुके हैं, जिनमें एक नूह के विधायक जाकिर हुसैन भी हैं। केरल में भी कई मुस्लिम नेता भाजपा में शामिल हो चुके हैं और कांग्रेस से जुड़े रहे एपी अब्दुल्लाकुट्टी के भी भाजपा में शामिल होने की चर्चा है। एक तरफ भाजपा की ध्रुवीकरण की राजनीति का हल्ला है तो दूसरी ओर मुस्लिम नेताओं के भाजपा में शामिल होने की होड़ है। यह क्या किसी नए बदलाव का संकेत है?

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