गुरुवार, 28 फ़रवरी 2019

प्रधानमंत्री का ‘‘संगठन से संवाद’’ कार्यक्रम सम्पन्न



जयपुर । प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी का ‘‘संगठन से संवाद’’ कार्यक्रम आज देशभर में वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से सुना गया। इस कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने संगठनात्मक विषयों पर बात की। यह कार्यक्रम प्रदेश के 1032 मण्डलों में आयोजित हुआ।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी के इस ‘‘संवाद’’ कार्यक्रम की प्रशंसा करते हुए भारतीय जनता पार्टी के प्रदेशाध्यक्ष मदनलाल सैनी ने कहा कि इस कार्यक्रम से पार्टी के कार्यकर्ताओं में उत्साह का संचार हुआ है। सैनी ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी की यह विशेषता है कि यहाँ कार्यकर्ताओं को सर्वाधिक महत्व दिया जाता है। भाजपा कार्यकर्ता आधारित पार्टी है। इसलिए पार्टी का राष्ट्रीय नेतृत्व कार्यकर्ताओं से सतत् सम्पर्क में रहता है। इस प्रकार के संवाद से लोकतन्त्र को मजबूती मिलती है। 

भाजपा प्रदेश कार्यालय में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी का ‘‘संगठन से संवाद’’ कार्यक्रम आयोजित हुआ, जिसमें भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश मंत्री मुकेश दाधीच, पूर्व अध्यक्ष राजस्थान महिला आयोग सुमन शर्मा, प्रदेश उपाध्यक्ष एवं प्रदेश प्रवक्ता अलका गुर्जर, भाजयुमो प्रदेशाध्यक्ष अशोक सैनी, पूर्व मंत्री एवं विधायक किरण माहेश्वरी, विधायक अनिता भदेल, महिला मोर्चा की प्रदेशाध्यक्ष मधु शर्मा, भाजपा मीडिया सह-प्रभारी प्रमोद वशिष्ठ, ‘‘मन की बात’’ के प्रदेश प्रमुख चम्पालाल रामावत, पूर्व विधायक अनिता गुर्जर, महिला मोर्चा की प्रदेश महामंत्री एकता अग्रवाल, पूर्व सांसद जसकौर मीणा, पूर्व विधायक बीरू सिंह राठौड़ उपस्थित रहे।

प्रदेशभर के मण्डलों में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी का ‘‘संगठन से संवाद’’ कार्यक्रम सुना गया, जिसमें भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय सह-संगठन महामंत्री वी. सतीश हवामहल मण्डल में, प्रदेशाध्यक्ष मदनलाल सैनी सांगानेर में, पूर्व मुख्यमंत्री एवं राष्ट्रीय उपाध्यक्ष श्रीमती वसुन्धरा राजे झालावाड़, प्रदेश संगठन महामंत्री चन्द्रशेखर बस्सी (जयपुर देहात) में, पूर्व प्रदेशाध्यक्ष डाॅ. अरूण चतुर्वेदी सिविल लाइन्स, अशोक परनामी आदर्श नगर, उपनेता प्रतिपक्ष राजेन्द्र राठौड़ चूरू, पूर्व मंत्री एवं विधायक कालीचरण सराफ मालवीय नगर, विधायक नरपत सिंह राजवी विद्याधर नगर, विधायक अशोक लाहोटी सांगानेर, प्रदेश उपाध्यक्ष रामनारायण डूडी पीपाड़ (जोधपुर), निहाल चन्द मेघवाल श्रीगंगानगर, ओम बिड़ला कोटा, राजेन्द्र गहलोत जालौर, कनकमल कटारा सागवाड़ा (डूँगरपुर), श्रीमती अलका गुर्जर महिला मोर्चा कार्यक्रम जयपुर में, चुन्नीलाल गरासिया नाथद्वारा (राजसमन्द), प्रहलाद पंवार खानपुर (झालावाड़), ज्ञानदेव आहूजा दौसा में, सुनील कोठारी जयपुर में, मोहनराम चैधरी नागौर में, प्रदेश महामंत्री वीरमदेव सिंह जैसास मेड़तासिटी (नागौर), प्रदेश मंत्री मुकेश दाधीच जयपुर में, बलवान यादव कोटपूतली में, जगदीश देवासी आहौर (जालौर), के.के. विश्नोई जोधपुर, अरूण अग्रवाल किशनपोल बाजार, छगन माहुर दादाबाड़ी (कोटा), कोषाध्यक्ष रामकुमार भूतड़ा सिविल लाइन्स, प्रदेश प्रवक्ता डाॅ. सतीश पूनियां आमेर, मुकेश पारीक विद्याधर नगर, नारायण पंचारिया जोधपुर शहर, पंकज मीणा विद्याधर नगर, पिंकेश पोरवाल प्रतापगढ़, हरिकृष्ण जोशी कोटा शहर, जितेन्द्र श्रीमाली हवामहल, अमित गोयल विद्याधर नगर, लक्ष्मीकान्त भारद्वाज सिविल लाइन्स, मदन दिलावर रामगंजमण्डी (कोटा), ओम सारस्वत मालवीय नगर, पूर्व सांसद ओंकार सिंह लखावत बगरू, विस्तारक सह-प्रमुख राघव शर्मा आमेर में, सभी जिलाध्यक्ष व जिला पदाधिकारी जिले में निर्धारित स्थानों पर एवं सांसद अपने संसदीय क्षेत्रों में मौजूद रहे।

अमन का संदेश देने के लिए भारतीय पायलट को कल रिहा करेंगे: इमरान ख़ान

पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान ख़ान ने पाकिस्तानी संसद में की घोषणा
पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान ख़ान ने गुरुवार को संसद में कहा कि बुधवार को हिरासत में लिए गए पायलट अभिनंदन को शुक्रवार को रिहा कर दिया जायेगा।

इमरान खान ने कहा कि एक अमन का संदेश देने के लिए पाकिस्तान की ओर से यह कदम उठाया जाएगा।

मालूम हो कि बुधवार 27 फरवरी को पाकिस्तान ने दावा किया कि उसने अपने हवाई क्षेत्र में दो भारतीय सैन्य विमानों को मार गिराया और दो पायलटों को हिरासत में लिया गया।

हालांकि बाद में पाकिस्तान की ओर से एक बयान जारी कर कहा गया कि उसके क़ब्ज़े में सिर्फ एक ही भारतीय पायलट है। बाद में इस पायलट की पहचान विंग कमांडर अभिनंदन के रूप में हुई।

इस बीच भारतीय विदेश मंत्रालय ने मिग 21 समेत अपना एक पायलट लापता होने की बात कहीं थी।

बुधवार, 27 फ़रवरी 2019

रणनीतिक जीत है भारत की

सेना की जो रणनीति होती है, उसका इस्तेमाल हमेशा सेना अपने देश की रक्षा और आंतरिक सुरक्षा के लिए करती है। लेकिन, टैक्टिकल चीजों का इस्तेमाल हमेशा सियासी हो जाता है, जिसका मतलब सेना को मजबूत करना नहीं, बल्कि सियासत को भुनाना होता है। यह कोई नयी बात नहीं है, हर देश की सत्ता इस तरह के हथकंडे अपनाकर ही अपनी शक्तियाें का प्रदर्शन करती है। रणनीतिक जीत है भारत की
पुलवामा हमले के बाद भारतीय सेना की पाकिस्तान की सीमा में घुसकर की गयी इस कार्रवाई को सेना के ऐतबार से उत्साहजनक माना जा सकता है। लेकिन, इसका कोई दीर्घावधि के लिए कोई बड़ा फायदा होगा, इसकी संभावना कम है। किसी भी जवाबी कार्रवाई से आतंकवाद पर कोई खास असर नहीं पड़ता है, पूर्व के वर्षों में यही देखा गया है। 

यही नहीं, इससे पाकिस्तान का रवैया भी नहीं बदलनेवाला है। हम यह कतई न सोचें कि इससे पाकिस्तान सुधर जायेगा और वह आतंकी गतिविधियों को अंजाम नहीं देगा, तो यह हमारी नादानी होगी. इस कार्रवाई से भारतीय सेना की शक्ति परिलक्षित होती है, जैसा कि माना जा रहा है, यह उचित नहीं दिखता है।

अपने जहाज को किसी देश की सीमा में कुछ दूरी तक भेजकर कुछ बम आदि गिराकर उसे वापस बुला लेना साहस का काम तो है, लेकिन यह कोई बहुत बड़ी सैन्य-रणनीति का हिस्सा नहीं है और न ही इसे यह कहा जा सकता है कि हमारी सेना में मजबूती आयेगी। इन बातों को समझने के लिए थोड़ा जमीनी सच्चाई को देखना होगा। 

दरअसल, भारत-पाक सीमा पर रोज ही कुछ न कुछ घटित होता रहता है, गोली-बारी होती रहती है। अब आप बतायें कि इससे भारतीय सेना में कितनी मजबूती आयी? कुछ भी नहीं! सीमा पर रोज-रोज की छोटी-बड़ी सैन्य गतिविधियों में कुछ जवान हम खो देते हैं, कुछ पाकिस्तान खो देता है। 

क्या इससे सेना मजबूत होती है? इसलिए मुझे लगता है कि भारतीय वायुसेना की यह कार्रवाई कोई बड़ा बल प्रदर्शन नहीं है, हां पाकिस्तान की धमकियों के लिए यह ठीक है। भारत और पाकिस्तान के बीच में जो एक पुरानी आपसी समझ थी कि ऐसा हो सकता है, वैसा हो सकता है, या फिर हम अपनी-अपनी जनता की रक्षा के लिए सीमाओं पर तैनात रहेंगे, यह विचारधारा इस कार्रवाई से बिखर जाती है। 

क्योंकि, इसके पहले मुझे कोई ऐसी घटना याद नहीं आती, जिसमें हमारी सेना पाकिस्तान की सीमा में जाकर इस तरह से बम गिराकर वापस चली आयी हो। इसलिए यह लगता है कि यह कोई बड़ी रणनीति का हिस्सा नहीं है, लेकिन हां, यह एक टैक्टिकल चीज जरूर है कि हम किसी की सीमा में बम गिराकर वापस आ जायें।

दरअसल, सेना की जो रणनीति होती है, उसका इस्तेमाल हमेशा सेना अपने देश की रक्षा और आंतरिक सुरक्षा के लिए करती है। लेकिन, टैक्टिकल चीजों का इस्तेमाल हमेशा सियासी हो जाता है, जिसका मतलब सेना को मजबूत करना नहीं, बल्कि सियासत को भुनाना होता है। 

यह कोई नयी बात नहीं है, हर देश की सत्ता इस तरह के हथकंडे अपनाकर ही अपनी शक्तियाें का प्रदर्शन करती है। इस कार्रवाई का इरादा भी कुछ इसी नजरिये से किया गया लगता है। हालांकि, इसे ठोस रूप में नहीं कहा जा सकता. लेकिन, यह ठोस जरूर है कि इस कार्रवाई का असर आगामी लोकसभा चुनाव पर जरूर पड़ेगा। 

भारत जैसे मजबूत और बड़े लोकतंत्र में सैन्य-गतिविधियों का सियासी इस्तेमाल नहीं होना चाहिए। भारत की राजनीतिक पार्टियों को ऐसा करने से बचना चाहिए, क्योंकि जहां कहीं भी सेना का सियासी इस्तेमाल होता है, वहां सबसे पहले उसके लोकतंत्र पर ही बड़ा खतरा मंडराने लगता है। इसलिए, इस कार्रवाई पर सियासत कतई न हो, यही भारतीय लोकतंत्र के हित में है। 

पाकिस्तान में वहां के सियासी गलियारे से यह बात सामने आयी है कि वहां जनता के बीच यह कहा गया कि भारत के जहाज उसकी सीमा में आये तो थे जरूर, लेकिन पाक सेना ने उन पर जवाबी कार्रवाई शुरू की, तो वे वापस लौट गये और जाते-जाते घबराकर अपने जहाज से कुछ बम हमारे क्षेत्र में छोड़ गये। पाकिस्तान के नेता अपने घरेलू लोगों को संबोधित कर रहे हैं और इस तरह की बातें कर रहे हैं। 

पाकिस्तान अपनी सेना को मजबूत बता रहा है। पहले भी पाकिस्तान इस तरह से अपनी सेना का सियासी इस्तेमाल करता आया है और इसलिए इस बार भी उसने यही किया। भारत में ऐसा न हो, तो ही बेहतर है, क्योंकि इससे देश की रक्षा-सुरक्षा पर असर पड़ता है।

इसमें कोई संदेह नहीं कि भारत की सेना को हर स्तर पर मजबूत होना चाहिए और वह है भी। लेकिन, साथ ही यह भी जरूरी है कि इसके लिए सैन्य बजट को और बढ़ाया जाये। एक मजबूत सेना के पास ही बेहतरीन रणनीति होती है। 

जिस तरह से पुलवामा हमले के बाद मीडिया और सोशल मीडिया के गलियारे में ढेर सारे सवाल उठाये गये, कुछ अतिरेक को छोड़ दें, तो वह जरूरी है। हमें रणनीति पर बात करनी चाहिए। यहां यह सवाल ही गौण हो गया है कि हमारी रणनीति क्या थी, बस हम टैक्टिस पर उत्साहित होकर इस बात को नजरअंदाज कर रहे हैं कि आखिर सच क्या है। 

दरअसल, देश में इस तरह की मांग तो थी ही कि पुलवामा हमले का जवाब दिया जाये। इसलिए हमारी सरकार अपनी जनता को बता रही है कि हमने कर दिखाया है और हजार किलो के बम गिराकर आतंकी ठिकानों को ध्वस्त कर दिया है। यहां एक प्रतीकात्मक रूप हमें इस कार्रवाई में नजर आता है, जो विशुद्ध रूप से सियासी है। 

जहां तक आतंकवाद की बात है, जहां तक दोनों देशों के बीच में जो सैन्य-संतुलन बनाये रखने की बात है, इन सबको एक रणनीति के तहत देखना होगापुलवामा हमले के बाद भारतीय सेना की पाकिस्तान की सीमा में घुसकर की गयी इस कार्रवाई को सेना के ऐतबार से उत्साहजनक माना जा सकता है। लेकिन, इसका कोई दीर्घावधि के लिए कोई बड़ा फायदा होगा, इसकी संभावना कम है। किसी भी जवाबी कार्रवाई से आतंकवाद पर कोई खास असर नहीं पड़ता है, पूर्व के वर्षों में यही देखा गया है। 

यही नहीं, इससे पाकिस्तान का रवैया भी नहीं बदलनेवाला है। हम यह कतई न सोचें कि इससे पाकिस्तान सुधर जायेगा और वह आतंकी गतिविधियों को अंजाम नहीं देगा, तो यह हमारी नादानी होगी. इस कार्रवाई से भारतीय सेना की शक्ति परिलक्षित होती है, जैसा कि माना जा रहा है, यह उचित नहीं दिखता है।

अपने जहाज को किसी देश की सीमा में कुछ दूरी तक भेजकर कुछ बम आदि गिराकर उसे वापस बुला लेना साहस का काम तो है, लेकिन यह कोई बहुत बड़ी सैन्य-रणनीति का हिस्सा नहीं है और न ही इसे यह कहा जा सकता है कि हमारी सेना में मजबूती आयेगी। इन बातों को समझने के लिए थोड़ा जमीनी सच्चाई को देखना होगा। 

दरअसल, भारत-पाक सीमा पर रोज ही कुछ न कुछ घटित होता रहता है, गोली-बारी होती रहती है। अब आप बतायें कि इससे भारतीय सेना में कितनी मजबूती आयी? कुछ भी नहीं! सीमा पर रोज-रोज की छोटी-बड़ी सैन्य गतिविधियों में कुछ जवान हम खो देते हैं, कुछ पाकिस्तान खो देता है। 

क्या इससे सेना मजबूत होती है? इसलिए मुझे लगता है कि भारतीय वायुसेना की यह कार्रवाई कोई बड़ा बल प्रदर्शन नहीं है, हां पाकिस्तान की धमकियों के लिए यह ठीक है. भारत और पाकिस्तान के बीच में जो एक पुरानी आपसी समझ थी कि ऐसा हो सकता है, वैसा हो सकता है, या फिर हम अपनी-अपनी जनता की रक्षा के लिए सीमाओं पर तैनात रहेंगे, यह विचारधारा इस कार्रवाई से बिखर जाती है। 

क्योंकि, इसके पहले मुझे कोई ऐसी घटना याद नहीं आती, जिसमें हमारी सेना पाकिस्तान की सीमा में जाकर इस तरह से बम गिराकर वापस चली आयी हो। इसलिए यह लगता है कि यह कोई बड़ी रणनीति का हिस्सा नहीं है, लेकिन हां, यह एक टैक्टिकल चीज जरूर है कि हम किसी की सीमा में बम गिराकर वापस आ जायें। 

दरअसल, सेना की जो रणनीति होती है, उसका इस्तेमाल हमेशा सेना अपने देश की रक्षा और आंतरिक सुरक्षा के लिए करती है. लेकिन, टैक्टिकल चीजों का इस्तेमाल हमेशा सियासी हो जाता है, जिसका मतलब सेना को मजबूत करना नहीं, बल्कि सियासत को भुनाना होता है। 

यह कोई नयी बात नहीं है, हर देश की सत्ता इस तरह के हथकंडे अपनाकर ही अपनी शक्तियाें का प्रदर्शन करती है। इस कार्रवाई का इरादा भी कुछ इसी नजरिये से किया गया लगता है। हालांकि, इसे ठोस रूप में नहीं कहा जा सकता। लेकिन, यह ठोस जरूर है कि इस कार्रवाई का असर आगामी लोकसभा चुनाव पर जरूर पड़ेगा। 

भारत जैसे मजबूत और बड़े लोकतंत्र में सैन्य-गतिविधियों का सियासी इस्तेमाल नहीं होना चाहिए. भारत की राजनीतिक पार्टियों को ऐसा करने से बचना चाहिए, क्योंकि जहां कहीं भी सेना का सियासी इस्तेमाल होता है, वहां सबसे पहले उसके लोकतंत्र पर ही बड़ा खतरा मंडराने लगता है। इसलिए, इस कार्रवाई पर सियासत कतई न हो, यही भारतीय लोकतंत्र के हित में है। 

पाकिस्तान में वहां के सियासी गलियारे से यह बात सामने आयी है कि वहां जनता के बीच यह कहा गया कि भारत के जहाज उसकी सीमा में आये तो थे जरूर, लेकिन पाक सेना ने उन पर जवाबी कार्रवाई शुरू की, तो वे वापस लौट गये और जाते-जाते घबराकर अपने जहाज से कुछ बम हमारे क्षेत्र में छोड़ गये। पाकिस्तान के नेता अपने घरेलू लोगों को संबोधित कर रहे हैं और इस तरह की बातें कर रहे हैं। 

पाकिस्तान अपनी सेना को मजबूत बता रहा है। पहले भी पाकिस्तान इस तरह से अपनी सेना का सियासी इस्तेमाल करता आया है और इसलिए इस बार भी उसने यही किया. भारत में ऐसा न हो, तो ही बेहतर है, क्योंकि इससे देश की रक्षा-सुरक्षा पर असर पड़ता है।

इसमें कोई संदेह नहीं कि भारत की सेना को हर स्तर पर मजबूत होना चाहिए और वह है भी। लेकिन, साथ ही यह भी जरूरी है कि इसके लिए सैन्य बजट को और बढ़ाया जाये। एक मजबूत सेना के पास ही बेहतरीन रणनीति होती है। 

जिस तरह से पुलवामा हमले के बाद मीडिया और सोशल मीडिया के गलियारे में ढेर सारे सवाल उठाये गये, कुछ अतिरेक को छोड़ दें, तो वह जरूरी है। हमें रणनीति पर बात करनी चाहिए। यहां यह सवाल ही गौण हो गया है कि हमारी रणनीति क्या थी, बस हम टैक्टिस पर उत्साहित होकर इस बात को नजरअंदाज कर रहे हैं कि आखिर सच क्या है। 

दरअसल, देश में इस तरह की मांग तो थी ही कि पुलवामा हमले का जवाब दिया जाये। इसलिए हमारी सरकार अपनी जनता को बता रही है कि हमने कर दिखाया है और हजार किलो के बम गिराकर आतंकी ठिकानों को ध्वस्त कर दिया है। यहां एक प्रतीकात्मक रूप हमें इस कार्रवाई में नजर आता है, जो विशुद्ध रूप से सियासी है।

जहां तक आतंकवाद की बात है, जहां तक दोनों देशों के बीच में जो सैन्य-संतुलन बनाये रखने की बात है, इन सबको एक रणनीति के तहत देखना होगा। एक बेहतरीन सैन्य-रणनीति का होना ही हमारी सेना और देश दोनों के हित में है। 


20 दिनों में भारत के 5 प्लेन क्रेश

मिग लड़ाकू विमान क्रेश, दोनों पायलट की मौत
जम्मू कश्मीर में बुधवार को एक विमान क्रेश हो गया, जिसमें दोनों पायलट की मौत हो गई। हादसा बडगाम से सात किलोमीटर दूर गारेंद गांव में हुआ। श्रीनगर एयरबेस से उड़ान भरने वाला मिग लड़ाकू विमान एक खेत में जाकर गिरा और इसमें जबरदस्त आग लग गई। विमान पेट्रोलिंग पर था। फिलहाल हादसे का कारण पता नहीं चला है। मौके पर पुलिस और बचाव दल पहुंच गया है। 

उल्लेखनीय है कि 20 दिनों में भारत के 5 प्लेन क्रेश हुए हैं। हाल ही बेंगलुरु में एरो शो के दौरान दो सूर्य किरण विमान आपस में टकरा गए थे, जिसमें एक पायलट की जान चली गई थी। मंगलवार को एअर स्ट्राइक के बाद से देश के कई इलाकों में हाई अलर्ट है। घटनास्थल से जो तस्वीरें सामने आ रही हैं उसमें विमान के मलबे के साथ आग दिख रही है और बड़ी संख्या में स्थानीय लोग वहां मौजूद हैं। 

मंगलवार, 26 फ़रवरी 2019

एक शाम शहीदों के नाम

गूंजे भारत मां के जयकारे 
जयपुर। जगजाहिर संवाददाता। पिंकसिटी प्रेस क्लब में मंगलवार को संचार जगत की ओर से पुलवामा में शहीद हुए सैनिकों को श्रद्धांजलि देने के लिये संगीतमय कार्यक्रम शहादत को सलाम का सफल आयोजन किया। कार्यक्रम की खास बात यह रही कि इसमें शहीद आलोक माथुर, शहीद अभिमन्यु सिंह के परिजन एवं कारगिल शहीद प्रहलाद सिंह चौधरी और रामसहाय बाजिया का अभिनंदन किया गया।

स्वरांजलि कार्यक्रम में फनकार कुमार गिरिराज शरण, गोपाल सेन, मधु भाट, लियाकत अली, कुमार शिवा आदि कलाकारों ने देशभक्ति से गीतों से दर्शकों को भावविभोर कर दिया। दिल दिला है जान भी देंगे ऐ वतन तेरे लिये, ऐ मेरे वतन के लोगों जरा आंख में भर लो पानी, कर चले हम फिदा जानोतन साथियों, मेरा रंग दे बसंती चोला और संदेशे आते है जैसे गीत कार्यक्रम में अपनी मधुर आवाज में फनकारों ने सुनाये तो दर्शकों में जोश भर गया। कार्यक्रम संयोजक राहुल गौतम ने बताया कि भविष्य में भी दर्शक इस तरह के कार्यक्रम से रूबरू होते रहेेंगे। कुल मिलाकर यह एक यादगार शाम रही ।

सौगंध मुझे इस मिट्टी की, मैं देश नहीं झुकने दूंगा : मोदी

मैं विश्वास दिलाता हूं देश सुरक्षित हाथों में है। मैंने 2014 में एक बात कही थी आज मैं दोहरा रहा हूं। सौगंध मुझे है मिट्टी की मैं देश नहीं मिटने दूंगा। मैं देश नहीं रूकने दूंगा, मैं देश नहीं झूकने दूंगा।  मेरा वचन है भारत मां को तेरा शीश नहीं झुकने दूंगा। सौगंध मुझे इस मिट्टी की मैं देश नहीं झुकने दूंगा, जाग रहा है देश मेरा, हर भारतवासी जीतेगा। जाग रहा है देश मेरा हर भारतवासी जीतेगा। सौगंध मुझे इस मिट्ट की मैं देश नहीं मिटने दूंगा।  हमें फिर से दोहराना और खुद को याद दिलाना है, ना भटकेंगे ना अटकेंगे कुछ भी हो हम देश नहीं मिटने देंगे।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी  सर्जिकल स्ट्राइक के बाद पहली बार  राजस्थान के चुरू में चुनावी सभा कर रहे हैं। इस मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कहा, मुझे पता है आज आजका यह जोश क्यों है। आज वीरों को नमन करने का दिन है।  देश सुरक्षित हाथों में है। प्रधानमंत्री ने जैसे ही बोलना शुरू किया मोदी - मोदी के नारे लगे।

पीएम मोदी ने संबोधन से पहले भारत माता की जय के नारे लगाये। अपने संबोधन में पीएम मोदी ने कई योजनाओं का जिक्र किया। इस सभा में पीएम मोदी ने वन रैंक वन पेंशन, किसानों को मिलने वाली आर्थिक मदद, आवास योजना, आयुष्मान भारत योजना, उज्जवला योजना, स्वच्छ भारत योजना,  रेलवे कनेक्टिविटी, समेत कई योजना जो सरकार चला रही है उनके फायदे गिनाये।  


सौंगध मुझे इस मिट्टी की मैं देश नहीं मिटने दूंगा 


इस मौके पर पीएम मोदी ने कहा, आपका यह उत्साह आपका यह जोश मैं अच्छी तरह समझ रहा हूं। आज ऐसा वक्त है जब भारत के वीरों को नमन करें।  मैं विश्वास दिलाता हूं देश सुरक्षित हाथों में है। मैंने 2014 में एक बात कही थी आज मैं दोहरा रहा हूं।

 सौगंध मुझे है मिट्टी की मैं देश नहीं मिटने दूंगा। मैं देश नहीं रूकने दूंगा, मैं देश नहीं झूकने दूंगा।  मेरा वचन है भारत मां को तेरा शीश नहीं झुकने दूंगा। सौगंध मुझे इस मिट्टी की मैं देश नहीं झुकने दूंगा, जाग रहा है देश मेरा, हर भारतवासी जीतेगा। जाग रहा है देश मेरा हर भारतवासी जीतेगा। सौगंध मुझे इस मिट्ट की मैं देश नहीं मिटने दूंगा।  हमें फिर से दोहराना और खुद को याद दिलाना है, ना भटकेंगे ना अटकेंगे कुछ भी हो हम देश नहीं मिटने देंगे।

इस चुनावी सभा में पीएम मोदी ने कहा, देश से बढ़कर कुछ नहीं होता। देश के सभी जवानों को देश की सेवा में लगे सभी को यह प्रधानसेवक नमन करता है. पीएम मोदी ने इस चुनावी सभा से वन रैंक वन पेंशन का भी जिक्र किया।

वन रैंक वन पेंशन और किसानों की योजना का जिक्र 

पीएम मोदी ने इस चुनावी सभा से कांग्रेस को घेरा, उन्होंने राजस्थान में कई योजनाओं का लाभ ना मिलने के लिए राज्य की कांग्रेस सरकार को दोषी बताया। पीएम मोदी ने कहा,  हमारे लिए सबसे बड़ा देश है। उन्होंने इस मौके पर किसानों के लिए चलायी गयी योजना का जिक्र किया। उन्होंने कहा, एक करोड़ से अधिक किसान परिवार को सीधी मदद पहुंची है। जिन किसानों को सीधी मदद पहुंची है उसमें राजस्थान का एक भी किसान परिवार नहीं है। ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि यहां की सरकार ने अबतक केंद्र सरकार को किसानों की सूची नहीं भेजी है। मैं आपको विश्वास दिलाता हूं कि सूची लेकर रहेंगे और किसानों को लाभ पहुंचाकर रहेंगे। हर वर्ष 75 हजार करोड़ किसानों के खाते में सीधे जमा हो जायेंगे।

संसद में एक फरवरी को जब हमने योजना का ऐलान किया तो लोगों ने कहा, यह नहीं हो पायेगा 25 दिनों के अंदर किसानों के खाते में पैसे पहुंचने लगे। जब  किसानो ंसे जुड़ी योजना पर राजनीति की जाती है तो दुख होता है। आयुष्मान भारत योजना के तहत 13 लाख से अधिक गरीब मरीजों को मुफ्त में इलाज मिल चुका है। इन 13 लाख लोगों में राजस्थान का कोई नहीं है। कारण क्या है ? 

पीएम मोदी ने प्रधानमंत्री आवास योजना का जिक्र किया. उन्होंने कहा, राजस्थान में 7 लाख से अधिक घर बन चुके हैं। जिसमें से 7 हजार से अधिक चुरू जिले में ही बनें है. इन योजनाओं के जरिये मध्यम वर्ग के सपने को पूरा किया जा रहा है।

होम लोन में भी सरकार छूट दे रही है। पहले की सरकार में होम लोन की ब्याज दर 10 फीसद से अधिक थी आज 8 या 9 फीसद है। घरों पर लगने वाली जीएसटी में कटौती की गयी है। जीएसटी 12 फीसद से घटाकर 5 फीसद किया गया है। इससे मध्यम वर्ग के लोगों को मदद मिलेगी। पीएम मोदी ने इस सभा में कहा, देश के संसाधन पर सबको बराबर हक मिले यही हमारी कोशिश है. इसके पीछे आपके वोट की ताकत है।

शहीदों को नमन 

पीएम मोदी की चुरू की सभा में उन शहीदों की तस्वीर भी लगायी गयी थी।  प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पुलवामा हमले के बाद सेना को पूरी आजादी दी थी। चुनावी सभा में ही पीएम मोदी ने कहा था कि सेना को पूरी छूट है।  साथ राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे भी शामिल है। 

350 से ज्यादा आतंकी ढेर, मसूद अजहर का साला भी मारा गया 

सेना कब और कैसे जवाब देगी सेना तय करे।  भारत की तरफ से किये गये स्ट्राइक में 350 से ज्यादा आतंकी मारे गये हैं जिनमें मसूद अजहर का साला युसुफ  भी मारा गया है। सूत्रों की मानें तो एयर चीफ मार्शल ने एयर स्ट्राइक की पूरी योजना बनायी थी। पीएम मोदी की निगरानी में यह पूरा ऑपरेशन हुआ।  

शहरी सरकार की बजट सर्वसम्मति से पारित


नगर निगम जयपुर पंचम बोर्ड की साधारण सभा की 12वीं बैठक महापौर की अध्यक्षता में नगर निगम जयपुर के सभासद भवन, लालकोठी मुख्यालय पर मंगलवार को आयोजित की गई। नगर निगम जयपुर की बजट बैठक में संशो​धित बजट 2018—19 एवं प्रस्तावित बजट वर्ष 2019—20 
सर्वसम्मति से पारित कर दिया गया। 

महापौर विष्णु लाटा की अध्यक्षता में हुई बजट बैठक में बीजेपी का एकमात्र पार्षद रामनिवास जोनवाल मौजूद था, और उन्होंने कहा कि वह पार्टी हित से बढकर जयपुर की जनता का हित देखते है और इसीलिये वह पार्टी पोलिटिक्स से इतर होकर विष्णु लाटा महापौर की अध्यक्षता में हुई बजट बैठक का पूर्ण समर्थन करते है । 

बैठक में मौजूद कैबिनेट मंत्री प्रतापसिह खाचरियावास, लालचंद कटारिया,  विधानसभा मुख्य सचेतक महेश जोशी,विधायक अमीन कागजी, रफीक खान, गंगादेवी ने महापौर विष्णु लाटा को विश्वास दिलाया कि भले ही महापौर बीजेपी के हो या जो भी हो लेकिन कांग्रेस सरकार हमेशाा पार्टी हित से बढकर जनता का हित देखती है इसलिये जहां भी सरकार की मदद की जरूरत होगी, कांग्रेस सरकार द्वारा पूरी मदद की जायेगी। 

इस पर महापौर विष्णु लाटा ने भरोसा दिलाया कि 15 सालों में यह पहली बार है जब इस सदन में लात घूंसे नहीं चले, और गरिमापूर्ण ढंग से बजट सर्वसम्मति से पास हो गया। सरकार के सहयोग के बिना कुछ नहीं हो सकता और महापौर विष्णु लाटा ने कहा कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की  सरकार से जनता को बहुत आशाएं है और वह भी पार्टी हित से बढकर जनता का हित देखते है, और उन्होंने सहयोग का पूर्ण भरोसा दिलाया है ।

कांग्रेस सरकार की छवि खराब करने में लगा है डीआईपीआर

प्रतीत होता है कि डीआईपीआर गत  भाजपा सरकार की तरह इस सरकार को भी डुबोयेगा जिससे  मंत्री, मुख्यमंत्री और कांग्रेस पार्टी को बट्टा लगने का पूरा अंदेशा है।  अगर सबकुछ ऐसे ही चलता रहा और आमजन को सरकार बदलने का अहसास नहीं हुआ तो निश्चित रूप से लोकसभा चुनावों में कांग्रेस सरकार को इस का खामियाजा भुगतना पड़ सकता है।   


छोटा अखबार के खबर के अनुसार प्रदेश के लिए विधानसभा चुनावों में हुआ सत्ता परिवर्तन जनता के लिए कितना आशाओं और उम्मीदों से भरा हुआ है, ये तो आने वाला समय ही तय करेगा। लेकिन सूचना एवं जनसम्पर्क विभाग में पत्रकारों की आशाओं और उम्मीदों पर पानी फिरता नजर आ रहा है। सूचना एवं जनसम्पर्क में पदासीन अधिकारी गत सरकार की नाकामियों को  विभाग में परम्परा बनाने में आमादा है। ऐसे में सशक्त और नया राजस्थान बनाने की कवायद को कैसे पूरा किया जा सकता है।

          विभाग के अधिकारियों में कार्य की कमजोर गुणवत्ता और अहंकार से आदर्श  शिष्टाचार की  भारी कमी देखने को मिल रही है। अपनी योग्यता को छिपाने के लिये ये लोग आयुक्त और मंत्री को ज्ञान देने में लगे हुये है।  सूत्रों के अनुसार इन लोगों ने आयुक्त महाशय को ज्ञान दे दिया कि पत्रकारों को मिलने के लिये समय सीमा निर्धारित कर दिया जाय क्योंकि पूर्व सरकार में मूल आईएएस ऐसा करते थे।

 लेकिन साहब को समझना चाहिये कि अब सरकार बदल गई है। राज्य के पत्रकारो को मुख्यमंत्री और मंत्री से मिलने के लिये कोई समय सीमा निर्धारित नहीं है।  सूजस की एक मोहतरमा अधिकारी ने भी साहब को पत्रकारों की केशलेस बीमा  नवीनीकरण के मामले अपना ज्ञान दे दिया और कह दिया सभी से सम्पूर्ण दस्तावेजों की पुनः वसूली की जाये। जबकी सरकारी और गैर सरकारी बीमा प्रावधानो के अनुसार नवीनीकरण के लिये सिर्फ रूपयो की जरूरत होती है, पुनः दस्तावेजो की नहीं। साहब भी तो अपना और परिवार का बीमा करवाते ही होगें। ज्ञानी जन कहते है, ज्ञान ग्रहण करने से पहले अपने ज्ञान चक्षुओं को जरूर खोल लेना चाहिये। मोहतरमा को वाहियात शब्द से गहरी नाराजगी है। लेकिन शायद उनको ये पता नहीं कि देश के प्रधानमंत्री ने अपने भाषणों में वाहियात शब्द को बार- बार बोल कर संवैधानिक कर दिया। वैसे वाहियात शब्द का सरकारी मतलब गैर जरूरी होता है। आपको बतादूं कि गत सरकार में मोहतरमा को अपनी  हरकतों के कारण सूचना केन्द्र का रास्ता देखना पड़ा था। साहब को सरकार की मंशानुसार योजनाओं की कार्य प्रणाली को सरलीकरण करना चाहिये ताकि जनता को राहत मिल सके और सरकार द्वारा किये गये वादे पूरे हो सके। सयानों का कहना है कि सरकार की मंशा कुछ इसी तरह की है। 


     विभाग के एक  उपनिदेशक स्तर का अधिकारी जो आज कल पुलिस महकमें के साथ स्वास्थ्य विभाग का भी कार्य देख रहे है। ये महाशय सूजस मंत्री के  तथाकथित सलाहकार बने हुये है और सूजस विभाग के मामलों में मंत्री जी को ज्ञान देते है। मंत्रालय सूत्रों के अनुसार महाशय के ज्ञान से 42 पत्रकारों के अधिस्विकरण अटक गये और फिर से पत्रकारों को गत सरकार की अकर्मण्यता का अहसास करा दिया। 

        हुआ यूं कि गत भाजपा सरकार में दिसम्बर 2017 को अधिस्विकरण समिति ने 42 पत्रकारों के अधिस्विकरण की अनुशंषा की थी और फाईल को सूजस मंत्री के पास अनुमोदन के लिये भेज दिया था। लेकिन पूर्व सूजस मंत्री ने अनुमोदन नहीं किया और सरकार बदलने के बाद फाईल लौट कर पुनः विभाग में आ गइे। विभाग ने फाईल को जनवरी 2019 में नई सरकार को पुनः मंत्री के पास अनुमोदन के लिये भेजा। लेकिन तथाकथित  डीआईपीआर सलाहकार के ज्ञान के कारण फाईल बिना अनुमोदन किये पुनः अधिस्विकरण समिति की अनुशंषा के लिये विभाग को लौटा दी। शायद विभाग के  अधिकारी गत सरकार के कार्यकाल को भूल गये जिसमें शायद ही पहली बार ये लोग किसी सरकार के खिलाफ हड़ताल पर गये थे। कुछ इसी तरह के कारणों से पूर्व कांग्रेस सरकार में उपनिदेषक महोदय को जैसलमेर जिले का रूख करना पड़ा़ था। 

     वहीं दूसरी और मंत्री के पीएस महेन्द कुमार शर्मा गत भाजपा सरकार में भी एक मंत्री के पीएस थे। अब ये महाशय पूर्व सरकार में सीखी बारहखड़ी के ज्ञान को इस सरकार में आजमा रहे है। इन की पारदर्शिता ऐसी है कि महाशय मंत्री कार्यालय द्वारा विभाग को लौटाई जाने वाली फाईल के डिस्पेच नम्बर तक नहीं देते और कहते है फाईल विभाग में पहुंचा दी गई है। जबकि विभाग कहता है फाईल मंत्री जी के पास है, अभी नहीं लौटी है। मजबूरन आमजन को विभाग और मंत्री कार्यालय के चक्कर लगाना पड़ रहा है। ऐसे में प्रतीत होता है कि डीआईपीआर गत  भाजपा सरकार की तरह इस सरकार को भी डुबोयेगा जिससे  मंत्री, मुख्यमंत्री और कांग्रेस पार्टी को बट्टा लगने का पूरा अंदेशा है।  अगर सबकुछ ऐसे ही चलता रहा और आमजन को सरकार बदलने का अहसास नहीं हुआ तो निश्चित रूप से लोकसभा चुनावों में कांग्रेस सरकार को इस का खामियाजा भुगतना पड़ सकता है।   

सोमवार, 25 फ़रवरी 2019

राजस्थान शासन सचिवालय में हो सकता है बडा हादसा, कौन होगा इसका जिम्मेदार ?

राजस्थान शासन सचिवालय के गार्ड्स भी सरकारी पैसे को चूना लगा रहे है। वह अपने विद्युत संचालित वाहन टू व्हीलर को सचिवालय की पार्किंग में ही रिचार्ज करते हैं जिससे राजकोष को नुकसान तो हो ही रहा है,साथ ही कोई बहुत बडे हादसे को भी न्यौता दे रहे है।
जयपुर। जगजाहिर ब्यूरो। राजस्थान शासन सचिवालय को सुरक्षित रखने की जिम्मेदारी जिन गार्ड्स पर है, वह यह जान गये है कि जिनकी सुरक्षा में वह लगे हुए है वह किस प्रकार प्रदेश को और  भोली भाली जनता को चूना लगा रहे है।

  कहावत है कि खरबूजे को देखकर खरबूजा रंग बदलता है। जगजाहिर ने 21 फरवरी को इस शीर्षक से खबर चलाई थी असली रंगकर्मी सरकार के अनुदानों की कृपा से वंचित। चूना किस तरह लगाया जाता है यह उस खबर में जगजाहिर किया था।

शायद यही कारण है कि यथा राजा तथा प्रजा की कहावत को चरितार्थ करते हुए, राजस्थान शासन सचिवालय के गार्ड्स भी सरकारी पैसे को चूना लगा रहे है। वह अपने विद्युत संचालित वाहन टू व्हीलर को सचिवालय की पार्किंग में ही रिचार्ज करते हैं जिससे राजकोष को नुकसान तो हो ही रहा है,साथ ही कोई बहुत बडे हादसे को भी न्यौता दे रहे है। अगर इस कारण से कोई दुर्घटना होती है, तो वहां काफी दोपहिया और चार पहिया वाहन वाहन जो पेट्रोल से संचालित होते है वह आग पकड लें तो पूरा सचिवालय और तमाम मौजूद मंत्री स्वाहा हो सकते है, लेकिन लालच में यह सब दिखाई नहीं देता। राजा को ही दिखाई नहीं देता तो प्रजा को कैसे दिखाई देगा। 
रौब भी गार्ड्स में मंत्रियों वाला आ चुका है वह आम जन तक से सचिवालय पास बनवाते समय बदतमीजी से बात करते है। कई लोग बिना पास के ही अंदर प्रवेश कर जाते है, वह एक—एक व्यक्ति से पास को स्वंय चैक नहीं करते हैं। धूम्रपान सार्वजनिक स्थानों पर निषेध है लेकिन रोकना तो दूर यह स्वंय भी धूम्रपान करते पाये जाते हैं । क्या राजस्थान शासन सचिवालय के गार्ड्स द्वारा  अपने विद्युत संचालित वाहन टू व्हीलर को सचिवालय की पार्किंग में ही रिचार्ज करने की सजा सिर्फ गार्ड्स को ही मिलेगी, या संबंधित आरएएस, आईएएस, या मंत्री को भी ?

राबर्ट वाड्रा राजनीति में आएंगे

राबर्ट वाड्रा ने कहा, बेबुनियाद आरोपों से मुक्त होने के बाद राजनीति में आएंगे 
कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के बहनोई रॉबर्ट वाड्रा ने कहा है कि वह बेबुनियाद आरोपों से मुक्त होने के बाद राजनीति में शामिल होने पर काम करना शुरू करेंगे। उन्होंने कहा कि राजनीति में आने को लेकर वह किसी जल्दबाजी में नहीं हैं और समय पर फैसला लेंगे। वाड्रा ने एक फेसबुक पोस्ट के माध्यम से राजनीति में शामिल होने के संकेत देने के बाद राजनीति गरमा गई है। 

रॉबर्ट वाड्रा ने कहा कि सबसे पहले, मुझे बेबुनियाद आरोपों से बाहर निकालने की आवश्यकता है। लेकिन राजनीति में कार्य करना प्रारंभ कर दूंगा। आपको बताते जाए कि उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद जिले में पोस्टर लगाने के बाद वाड्रा की टिप्पणी के कुछ ही समय बाद ही लोकसभा चुनाव लडऩे के लिए पोस्टर लगा दिए गए हैं। रॉबर्ट वाड्रा जी, आपका मुरादाबाद लोकसभा क्षेत्र से चुनाव लडऩे के लिए स्वागत है, पोस्टर में लिखा है।

कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के बहनोई वाड्रा ने अपनी पत्नी प्रियंका गांधी को सक्रिय राजनीति में पदार्पण करने के एक महीने बाद राजनीति में शामिल होने का संकेत दिया और उन्हें पार्टी में पूर्वी उत्तर प्रदेश के पूर्व महासचिव नियुक्त किया गया। आपको बताते जाए कि पैंतालीस वर्षीय वाड्रा से हाल ही में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने मनी लॉन्ड्रिंग और भूमि हड़पने के मामलों के संबंध में पूछताछ कर रही है। 

रविवार, 24 फ़रवरी 2019

मोदी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में किया था सीआरपीएफ की वेतन बढ़ोतरी का विरोध

पूर्व-अर्धसैनिक बलों के कल्याण संघों के महासचिव रणबीर सिंह कहते हैं कि सेना के किसी निचले रैंकिंग के सैनिक का वेतन उसी रैंकिंग के सीआरपीएफ सैनिक के वेतन से 50 फीसदी अधिक होता है और इसका असर पेंशन पर भी पड़ता है।


 जम्मू कश्मीर के पुलवामा में बीते 14 फरवरी को हुए आत्मघाती हमले में केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के 40 जवान शहीद हो गए थे। इस हमले के बाद सुरक्षा में खामियों और सीआरपीएफ जवानों को मुहैया कराए जा रहे संसाधनों पर सवाल उठने लगे।

इंडिया टुडे की एक रिपोर्ट के अनुसार, सीआरपीएफ के पूर्व अधिकारियों का मानना है कि संकटग्रस्त हालात में अभियान की जिम्मेदारी संभालने के लिए सबसे पहुंचने के बावजूद उनके साथ सेना जैसा व्यवहार नहीं किया जाता है।

पूर्व-अर्धसैनिक बलों के कल्याण संघों के महासचिव रणबीर सिंह के अनुसार, सेना के किसी निचले रैंकिंग के सैनिक का वेतन उसी रैंकिंग के सीआरपीएफ सैनिक के वेतन से 50 फीसदी अधिक होता है और इसका असर पेंशन पर भी पड़ता है।

इसके बावजूद, केंद्र सरकार ने सीआरपीएफ और अन्य केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों (सीएपीएफ) के अधिकारियों की वेतन बढ़ोतरी की मांग का विरोध किया था। वेतन बढ़ोतरी की यह मांग यह सुनिश्चित करने के लिए थी कि किसी विशेष समय से सेवा देने वाले सभी अधिकारियों को रैंक की परवाह किए बिना वृद्धि दी गई। हालांकि आईएएस और आईपीएस सहित अन्य सरकारी अधिकारियों को इस तरह की वेतन बढ़ोतरी मिली थी।

सरकारी कर्मचारियों के लिए पदोन्नति के अवसरों की कमी को देखते हुए छठे वेतन आयोग ने साल 2006 में नॉन-फंक्शनल फाइनेंशियल अपग्रेडेशन ’ (एनएफएफयू) का खाका पेश किया था।

शुरुआत में यह केवल ‘संगठित ग्रुप ए सेवाओं’ के लिए आईएएस अधिकारियों पर लागू होता था जिसे बाद में बढ़ाकर आईएफएस और आईपीएस अधिकारियों के लिए भी कर दिया गया। सीएपीएफ चाहता था कि इस योजना का लाभ उन्हें भी मिले लेकिन केंद्र सरकार ने यह कहते हुए इनकार कर दिया कि उनकी सेवाएं ‘संगठित ग्रुप ए सेवाओं’ के तहत नहीं आती हैं।

सीएपीएफ के अधिकारियों ने केंद्र सरकार के फैसले को दिल्ली हाईकोर्ट में चुनौती जिसने उनकी मांगें मान लीं। केंद्र ने मामले का विरोध करते हुए कहा कि सीएपीएफ कर्मियों के लिए एनएफएफयू देने से परिचालन और कार्यक्षमता पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा।

बार एंड बेंच में सैन्य कानून विशेषज्ञ मेजर नवदीप सिंह लिखते हैं, ‘यह रुख असंगत था, क्योंकि इस तरह के अपग्रेडेशन से कठिन परिस्थितियों में काम करने वाले महिलाओं और पुरुषों को प्रेरणा मिलेगी।

दरअसल, विभिन्न जगहों पर सीएपीएफ के वरिष्ठ अधिकारियों को सीधे उनके तहत काम करने वाले ग्रुप-ए के जूनियर नागरिक अधिकारियों की तुलना में कम वेतन और कम ग्रेड वाली सुविधाएं मिल ही थीं जिसकी वजह से उनका काम प्रभावित होता था।

मेजर सिंह का कहना है कि पदोन्नति और वेतन के मामले में सबसे अधिक भेदभाव का सामना करने वाली सीआरपीएफ और अन्य बलों को अपग्रेडेशन का हिस्सा नहीं बनाए जाने से एनएफएफयू का मूल उद्देश्य पूरा नहीं हो सका।

केंद्र सरकार ने दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी जिसे 5 फरवरी, 2019 को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया।

जस्टिस एमआर शाह और रोहिंटन नरीमन की पीठ ने कहा, ‘एनएफएफयू दिए जाने का उद्देश्य ग्रुप-ए के उन अधिकारियों राहत देना था जो कई सालों से एक ही पद पर बने रहते थे क्योंकि विभिन्न कारणों से उनकी नियमित पदोन्नति नहीं हो पाती थी। रिकॉर्ड में यह देखा गया है कि सीपीएमएफ को बहुत सी परेशानियां का सामना करना पड़ता है। एक ओर जहां उन्हें पदोन्नति नहीं मिलती है तो दूसरी ओर उन्हें एनएफएफयू देने से भी इनकार कर दिया जाता है।’

 दिल्ली हाईकोर्ट में सीएपीएफ कर्मियों को एनएफएफयू देने का विरोध यूपीए सरकार ने किया था जबकि दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने का काम मौजूदा मोदी सरकार ने किया।

मेजर सिंह ने कहा, ‘हाईकोर्ट के फैसले के बाद मामले को चुनौती देने की बजाय इस काम को पूरी मानवता और सम्मान के साथ पूरा करना चाहिए था। सुप्रीम कोर्ट का फैसला कुछ हद तक तो सीएपीएफ अधिकारियों में समानता भाव लाएगा।’ 

आरटीआई के दायरे में आएं राजनीतिक दल, न्यायपालिका, मीडिया और उद्योगपति: राहुल गांधी

कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने आरोप लगाया कि मौजूदा सरकार आरटीआई कानून को ही नष्ट कर रही है। उन्होंने कहा कि भ्रष्टाचार पर हमले के कई तरीके हैं जिनमें लोकपाल भी है, लेकिन इसकी अनुमति ही नहीं दी जा रही।


 कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने  कहा कि वह राजनीतिक पार्टियों को सूचना का अधिकार (आरटीआई) के दायरे में लाने के विरोध में नहीं हैं, बशर्ते न्यायपालिका और मीडिया सहित अन्य संस्थाएं भी इस दायरे में लाई जाएं।

स्थानीय जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम में विश्वविद्यालयों के छात्रों से चर्चा के दौरान राजनीतिक फंडिंग के स्रोतों पर पूछे गए एक सवाल के जवाब में कांग्रेस अध्यक्ष ने यह बात कही।

राहुल ने कहा, ‘पारदर्शिता बढ़ाई जानी चाहिए, मैं इससे शत प्रतिशत सहमत हूं. राजनीतिक पार्टियां लोगों के लिए एक संस्था है. और फिर न्यायपालिका, प्रेस, नौकरशाही, यह भी संस्थाएं हैं।’

उन्होंने कहा, ‘ऐसे में यदि आप उन्हें (राजनीतिक पार्टियों को) आरटीआई के दायरे में लाने की बात करते हैं तो न्यायपालिका, प्रेस, नौकरशाही और व्यक्तिगत तौर पर नौकरशाहों को इसके दायरे में क्यों नहीं लाना चाहिए। मैं पूरी तरह पारदर्शिता के पक्ष में हूं, लेकिन यह सब पर लागू होना चाहिए।’

राहुल ने सवाल किया कि देश के शीर्ष 20 उद्योगपतियों को आरटीआई के दायरे में लाने का प्रावधान क्यों नहीं होना चाहिए. उन्होंने कहा, ‘मैं जानना चाहता हूं कि वे क्या कर रहे हैं।’

उन्होंने कहा, ‘लेकिन यदि आप सिर्फ इसके तहत राजनीतिक पार्टियों को लाने की बात करेंगे तो आप अन्य सभी संस्थाओं की तुलना में राजनीतिक पार्टियों को कमजोर करेंगे. यदि राजनीतिक पार्टियों को आरटीआई के दायरे में लाया जाता है तो मुझे बहुत खुशी होगी और यदि सभी इसके दायरे में लाया जाता है तो मैं कल सुबह ही यह कर दूंगा।’

राहुल ने दावा किया, ‘क्योंकि, यदि आप सिर्फ राजनीतिक पार्टियों के लिए ऐसा करेंगे तो इससे राजनीतिक पार्टियां बुनियादी तौर पर कमजोर होंगी और इससे भारत के लोग कमजोर होंगे।’

कांग्रेस अध्यक्ष ने आरोप लगाया कि मौजूदा सरकार आरटीआई कानून को ही नष्ट कर रही है। उन्होंने कहा, ‘भ्रष्टाचार पर हमले के कई तरीके हैं जिनमें लोकपाल भी है, लेकिन इसकी अनुमति ही नहीं दी जा रही।’

 चुनाव आयोग ने कहा है कि राष्ट्रीय पार्टियां सूचना का अधिकार (आरटीआई) क़ानून के तहत आने वाले सार्वजनिक प्राधिकरण हैं, जैसा कि केंद्रीय सूचना आयोग (सीआईसी) ने उनके संबंध में घोषणा की है।

छह राष्ट्रीय दलों- भाजपा, कांग्रेस, बसपा, राकांपा, भाकपा, माकपा को तीन जून 2013 को सूचना के अधिकार अधिनियम के तहत लाया गया था. सितंबर 2016 में तृणमूल कांग्रेस सातवें राष्ट्रीय दल के रूप में मान्यता मिली थी।

सीआईसी के आदेश में इस बारे में कहा गया था कि इन पार्टियों द्वारा प्राप्त किए जाने वाले चंदों के साथ ही उनके वार्षिक ऑडिटेड खातों की सूचना आयोग को कब सौंपी गई, इसकी जानकारी सार्वजनिक की जाएगी।

मन की बात कार्यक्रम का अन्तिम प्रसारण

केन्द्र सरकार के इस कार्यकाल में ‘‘मन की बात’’ कार्यक्रम के अन्तिम प्रसारण का आयोजन आज पूरे प्रदेश में हुआ। ‘प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना’ की प्रशंसा करते हुए कहा कि इससे लाखों परिवारों को नया जीवन मिला है।


जयपुर । भारतीय जनता पार्टी प्रदेश कार्यालय के साथ-साथ पूरे प्रदेशभर में आज मन की बात कार्यक्रम सुना गया। ‘‘मन की बात’’ कार्यक्रम में भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश उपाध्यक्ष सुनील कोठारी, प्रदेश कोषाध्यक्ष रामकुमार भूतड़ा, मन की बात कार्यक्रम के प्रदेश सह-प्रमुख कपिल सिसोदिया, पूर्व अध्यक्ष राजस्थान महिला आयोग सुमन शर्मा, सहित सैकड़ों कार्यकर्ता उपस्थित रहे।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इलाज में होने वाले भारी खर्च से गरीबों को राहत देने के लक्ष्य से शुरू की गई ‘प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना’ की रविवार को प्रशंसा करते हुए कहा कि इससे लाखों परिवारों को नया जीवन मिला है। अपने मासिक रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’ में प्रधानमंत्री मोदी ने बताया कि वह अपनी यात्राओं के दौरान प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना के लाभार्थियों से लगातार मिल रहे हैं।

इन मुलाकातों में उन्हें पता चलता है कि कैसे इस योजना ने लाखों गरीबों के जीवन को वापस पटरी पर लाने में मदद की है। अपने अनुभव साझा करते हुए उन्होंने कहा कि लाभार्थियों से बातचीत में पता चला कि एक अकेली मां ने कैसे योजना का लाभ उठाकर अपने छोटे बच्चे का इलाज कराया।

वहीं एक दुर्घटना के शिकार हुए व्यक्ति को योजना का लाभ मिला और वह स्वस्थ होकर फिर से अपना कामकाज करने लगा। प्रधानमंत्री मोदी ने बताया कि पिछले पाँच महीनों में लगभग बारह लाख ग़रीब परिवार इस योजना का लाभ उठा चुके हैं। उन्होंने लोगों से अपील की ‘‘आप यदि किसी भी ऐसे ग़रीब व्यक्ति को जानते है जो पैसों के अभाव में इलाज नहीं करा पा रहा हो, तो उसे इस योजना के बारे में अवश्य बताइये।
यह योजना हर ऐसे ग़रीब व्यक्ति के लिए ही है। अपने संबोधन में उन्होंने सोमवार, चार मार्च को आ रहे महाशिवरात्रि पर्व का जिक्र करते हुए सभी को भगवान शिव के इस महापर्व की शुभकामनाएं दीं। उन्होंने अपनी काशी यात्रा के दौरान मिले एक मिमिक्री कलाकर की भी तारीफ की।





इस अवसर पर जयपुर के मालवीय नगर स्थित जवाहर नगर मण्डल में ‘‘मन की बात’’ कार्यक्रम सुना गया, जिसमें भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय सह-संगठन महामंत्री वी. सतीश, विद्याधर नगर स्थित भवानी निकेतन मण्डल में भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश संगठन महामंत्री चन्द्रशेखर, प्रदेश मंत्री मुकेश दाधीच, विधायक नरपत सिंह राजवी, जयपुर शहर अध्यक्ष मोहनलाल गुप्ता, मन की बात के प्रदेश सह-प्रमुख नरेश योगी, जिला संयोजक सोहन शर्मा, जोधपुर में मन की बात के प्रदेश प्रभारी जगदीश देवासी सहित अनेक कार्यकर्ता उपस्थित रहे। 

केन्द्र सरकार के इस कार्यकाल में ‘‘मन की बात’’ कार्यक्रम के अन्तिम प्रसारण का आयोजन आज पूरे प्रदेश में हुआ।

‘‘मन की बात’’ कार्यक्रम आज प्रदेश के 7 लोकसभा क्षेत्रों एवं 4 विधानसभा क्षेत्रों में सुना गया। जिनमें से सवाईमाधोपुर, उदयपुर, सिवाना एवं चूरू विधानसभा क्षेत्रों में एवं बीकानेर, चितौड़गढ़, जालौर, सिरोही, जोधपुर, कोटा, चूरू व भीलवाड़ा में ‘‘मन की बात’’ कार्यक्रम को सुना गया। इस कार्यक्रम में विधानसभा क्षेत्रों में 2000 कार्यकर्ता एवं लोकसभा क्षेत्रा में 5000 कार्यकर्ता उपस्थित रहे। साथ ही प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी के इस कार्यकाल के अन्तिम ‘‘मन की बात’’ कार्यक्रम को प्रदेशभर के 1032 मण्डलों एवं 51 हजार बूथों पर सुना गया।

‘‘मन की बात’’ के 53वें प्रसारण को सम्बोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पुलवामा में आतंकी हमले में शहीद जवानों को श्रद्धांजलि देते हुए देश को भरोसा दिलाया कि आतंकवाद को जड़ से नष्ट करने के लिए वह और उनकी सरकार कृत संकल्पित है। मोदी जी ने शहीदों के गौरव का वर्णन करते हुए ‘‘नेशनल वार मेमोरियल स्मारक’’ को शहीदों के नाम सच्ची श्रद्धांजलि बताया। 


शनिवार, 23 फ़रवरी 2019

वोट करें, देश गढ़ें

इसमें कोई शक नहीं कि यह लोकतंत्र का महापर्व है और इस लोकसभा चुनाव पर तो पूरे देश और दुनिया की निगाहें लगी हुईं हैं। आइए, हम सब शपथ लें कि इस अवसर पर अपने मताधिकार का प्रयोग अवश्य करेंगे। यह जान लीजिए कि हरेक मत लोकतंत्र को मजबूती प्रदान करता है।लोकतंत्र के महाकुंभ में भागीदार बनें
चुनाव किसी भी लोकतंत्र का आधारस्तंभ होता है। विसंगतियों के बावजूद हर आम चुनाव हमारे लोकतंत्र को समृद्ध कर जाता है। यह सही है कि हरेक आम चुनाव राजनीति का एक नया संदेश देकर भी जाता है और पार्टियों के लिए तो आम चुनाव प्रतिष्ठा का प्रश्न होते हैं। हर दल पूरी ताकत झोंक कर उसे जीतने की कोशिश करता है।

यही वजह है कि सभी राजनीतिक दल अपने चुनावी अस्त्रागार से किसी अस्त्र को दागने से नहीं चूकते हैं। जो दल जनाकांक्षाओं पर खरे नहीं उतरते हैं, वे सत्ता से बाहर हो जाते हैं, लेकिन यह भी सच है कि अब चुनाव जमीनी मुद्दों पर नहीं लड़े जाते। चुनावों में किसानों की समस्याएं, रोजगार, स्वास्थ्य सेवाओं और शिक्षा की स्थिति जैसे विषय प्रमुख मुद्दे नहीं बनते। इस बार के चुनाव पर नजर डालें, तो शुरुआत में ही विकास जैसा अहम मुद्दा पीछे छूटता नजर आ रहा है। इन चुनावों में युवाओं को बढ़ चढ़ कर हिस्सा लेना चाहिए।

साथ ही राजनीतिक दलों को भी टिकट देने में युवाओं को तरजीह देनी चाहिए। भारत आज विश्व में सबसे अधिक युवा आबादी वाला देश है। इतनी युवा आबादी अन्य देश के पास नहीं है। अगर राजनीति समेत जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में युवा आगे नहीं आये, तो हम यह ऐतिहासिक अवसर गंवा देंगे। 1991 की जनगणना के अनुसार देश में लगभग 34 करोड़ युवा थे, जिनके 2016 तक 51 करोड़ हो जाने का अनुमान था।

माना जा रहा है कि 2020 तक भारत दुनिया का सबसे युवा देश हो जायेगा। इसमें कोई शक नहीं कि यह लोकतंत्र का महापर्व है और इस लोकसभा चुनाव पर तो पूरे देश और दुनिया की निगाहें लगी हुईं हैं। आइए, हम सब शपथ लें कि इस अवसर पर अपने मताधिकार का प्रयोग अवश्य करेंगे। यह जान लीजिए कि हरेक मत लोकतंत्र को मजबूती प्रदान करता है।

1952 आजाद भारत का पहला चुनाव।  कांग्रेस 364 सीटों के साथ सत्ता में आयी। कुल 53 पार्टियां मैदान में थीं। 31 को एक भी सीट नहीं मिली। 44.87% वोट पड़े। कांग्रेस का वोट शेयर 44.199% था। जवाहरलाल नेहरू प्रधानमंत्री व सीपीआइ के श्रीपाद अमृत डांगे विपक्ष के नेता बने थे। उनकी पार्टी को 16 सीटें मिली थीं। तीसरे नंबर पर सोशलिस्ट पार्टी थी, जिसे 12 सीटें मिली थीं।


1957 दूसरे चुनाव में 498 में से 490 सीटों पर कांग्रेस ने उम्मीदवार उतारे। सात सीटोें की बढ़त के साथ 371 सीटें जीतीं। वोट शेयर शेयर बढ़ कर 47.78%  हुआ। नेहरू फिर पीएम और सीपीआइ के श्रीपाद अमृत डांगे विपक्ष के नेता बने। डांगे की पार्टी को इस बार 27 सीटें (5.63% की सीट बढ़त) मिली थीं। पहली बार फिरोज गांधी रायबरेली से जीते। सबसे दिलचस्प यह था कि इसमें एक भी महिला उम्मीदवार मैदान में नहीं थी। निर्दलीयों को 41 सीटें (19% वोट) मिलीं।


1962 तीसरे चुनाव में देश में नये मुद्दे उभरे। विकास की नयी अवधारणाएं शामिल हुईं। पंचवर्षीय योजना, विज्ञान और प्रौद्योगिकी, उद्योग व संचार जैसे मुद्दों पर चुनाव लड़ा गया। कांग्रेस तीसरी बार सत्ता में आयी। नेहरू पीएम बने। हालांकि कांग्रेस को 10 सीटों का नुकसान हुआ। सीपीआइ के श्रीपाद अमृत डांगे तीसरी बार विपक्ष के नेता बने। उनकी पार्टी को दो सीटों की बढ़त के साथ 29 सीटें मिलीं। 21 में से 20 पार्टियां जीतीं। निर्दलीय सांसदों की संख्या 41 से घट कर 20 हो गयी।


1967 चौथा चुनाव 520 सीटों के लिए हुआ। कांग्रेस इंदिरा गांधी के नेतृत्व में चौथी बार सत्ता में  आयी। इंदिरा गांधी रायबरेली से चुनाव जीतीं व पीएम बनीं, पर आंतरिक संघर्ष में पार्टी को 78 सीटों का नुकसान हुआ। उसे 283 सीटें मिलीं। सीपीआइ को भी 10 सीटों का नुकसान हुआ। उसे 19 सीटें मिलीं। स्वतंत्र पार्टी को 44 सीटें (26 का लाभ) मिलीं और सी राजगोपालाचारी विपक्ष के नेता बने।


1971 पांचवें चुनाव का सबसे बड़ा मुद्दा गरीबी हटाओ था। यह नारा इंदिरा गांधी ने दिया। उनके नेतृत्व वाली कांग्रेस ने 352 सीटों के साथ भारी बहुमत हासिल की। चुनाव 545 सीटों के लिए हुआ। मोरारजी देसाई के गठबंधन को 51 सीटें आयी थीं। वह विपक्ष के नेता बने। इस चुनाव में 29 पार्टियां मैदान में उतरी थीं। पहली बार 24 पार्टियां लोस में नुमाइंदगी करने पहुंचीं, पर इलाहाबाद हाइकोर्ट ने उनके निर्वाचन को अवैध ठहरा दिया था, जिसके बाद इंदिरा गांधी ने आपातकाल की घोषणा की।


1977 छठा चुनाव आपातकाल के बाद का था। पहली बार चुनाव पूर्व विपक्षी ध्रुवीकरण के तहत लड़े गये इस चुनाव ने कांग्रेस को सत्ता से बेदखल किया। नौ दलों के गठबंधन वाली जनता पार्टी को 345 सीटें (51.83% वोट) मिलीं। कांग्रेस गठबंधन को 189 सीटें आयीं। मोरारजी देसाई प्रथम गैरकांग्रेसी पीएम बने। यह सरकार स्थायी साबित नहीं हुई। पांच माह के लिए चौधरी चरण सिंह पीएम बने।


1980 सातवें चुनाव में कांग्रेस 200 सीटों के लाभ के साथ 353 सीटें जीत कर सत्ता में लौटी। इंदिरा गांधी पीएम बनीं। यह चुनाव वक्त से पहले हुआ था। कांग्रेस ने राजनीतिक अस्थिरता के मुद्दे पर चुनाव लड़ा। चरण सिंह के नेतृत्ववाली जनता पार्टी सेक्यूलर को 41 सीटें मिलीं, जबकि चंद्रशेखर की अगुआई वाली जनता पार्टी 264 सीटें खो कर केवल 31 सीटें जीत सकी। इस चुनाव में 36 पार्टियां मैदान में थीं, जिनमें से 12 पहली बार चुनाव लड़ रही थीं। 


1984-85 आठवां चुनाव इंदिरा गांधी की हत्या के बाद लोस भंग किये जाने के कारण समय से पूर्व हुआ। सहानुभूति की लहर में कांग्रेस ने 414 सीटें जीतीं।  यह कांग्रेस का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन था। दूसरी सबसे बड़ी पार्टी तेलुगुदेशम थी, जिसने 30 सीटें जीती थीं। यह भारत के संसदीय इतिहास का दुर्लभ रिकॉर्ड है, जिसमें एक क्षेत्रीय पार्टी मुख्य विपक्षी दल के रूप में उभरी थी। एनटी रामाराव विपक्ष के नेता बने थे।


1989 नौवां चुनाव ऐतिहासिक रहा। भ्रष्टाचार बड़ा मुद्दा बना। राजीव मंत्रिमंडल के मंत्री वीपी सिंह ने बोफोर्स को मुद्दा बनाया व 143 सीटें जीत कर 85 सीटों वाली भाजपा के बाहरी समर्थन से एनएफ की सरकार बनायी। आडवाणी की रथयात्रा को रोके जाने पर भाजपा ने सरकार गिरा दी। तब कांग्रेस के सहयोग से चंद्रशेखर पीएम बने। राजीव गांधी की जासूसी मामले में कांग्रेस ने सरकार गिरा दी।


1991 10वां चुनाव समय पूर्व कराया गया। चुनाव प्रचार के दौरान 21 मई 1991 को तमिलनाडु में राजीव गांधी की हत्या हो गयी। इस चुनाव में सहानुभूति का लाभ मिला और 244 सीटें जीत कर वह छोटे दलाें के सहयोग से सत्ता में आयी। सोनिया गांधी के नाम की संभावनाओं के बीच इंदिरा गांधी के करीबी रहे पीवी नरसिम्हा राव प्रधानमंत्री बने। भाजपा के एलके आडवाणी विपक्ष के नेता बने।


1996 11वें चुनाव के नतीजों ने फिर त्रिशंकु संसद बनायी। दो साल तक राजनीतिक अस्थिरता रही। इस दौरान तीन प्रधानमंत्री बने। भाजपा नेता अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार 13 दिन में गिर गयी। तब जद नेता एचडी देवेगौड़ा गठबंधन सरकार के पीएम बने, पर 18 माह में यह सरकार भी गिर गयी। तब इंद्रकुमार गुजराल ने पीएम की कुर्सी संभाली,  मगर यह सरकार भी 28 नवंबर, 1997 को गिर गयी।


1998 12वें चुनाव में भी किसी दल को स्पष्ट बहुमत नहीं मिला। 413 दिनों बाद अगला चुनाव कराने की नौबत आ गयी। हालांकि भाजपा को 182 सीटें मिलीं। अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व वाले गठबंधन को पीएम पद की शपथ दिलायी गयी, पर 24 पार्टियों और 254 सांसदों वाले राजग में सामंजस्य की कमी और जयललिता की पार्टी अन्नाद्रमुक के पीछे हटने के कारण 13 महीने बाद यह सरकार भी एक वोट से गिर गयी। कांग्रेस के खाते में 141 सीटें गयी थीं।


1999 13वें चुनाव में छह राष्ट्रीय पार्टी सहित 45 दलों ने चुनाव लड़ा, मगर स्पष्ट बहुमत किसी को नहीं मिला। भाजपा को 180 और कांग्रेस को 114 (27 सीटों के नुकसान के साथ) सीटें मिलीं। अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में एनडीए की सरकार बनी, जिसमें एनडीए के 270 सांसद थे और उसेे टीडीपी के 29 सांसदों का समर्थन था। इस सरकार ने पांच साल का कार्यकाल पूरा किया। सोनिया गांधी के नेत‍ृत्व वाले यूपीए के खाते में 136 सीटें आयीं। 40 महीने में यह तीसरा चुनाव था।
  

2004 14वें चुनाव में फील गुड फैक्टर और 'भारत उदय' भी भाजपा की मदद नहीं कर सके। सत्ता विरोधी लहर में कांग्रेस के नेतृत्व में यूपीए की सरकार बनी।  कांग्रेस को 145 और भाजपा को 138 सीटें मिलीं। यूपीए को 275 सीटें आयीं।  बसपा, सपा, एमडीएमके व वाम मोर्चा का बाहर से समर्थन था। सोनिया गांधी की प्रबल संभावना के बीच डॉ मनमोहन सिंह पीएम बने।


2009 15वें चुनाव में कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूपीए ने सत्ता में वापसी की। मनमोहन सिंह दोबारा पीएम बने। अकेले कांग्रेस को 206 सीटें मिलीं। यूपीए ने 262 सीटें जीतीं और सपा, बसपा, राजद, जेडीएस आदि के कुल 322 सांसदों के बाहर से समर्थन से उसकी सरकार बनी। भाजपा को 116 सीटें मिलीं, जबकि एनडीए के पक्ष में 159 सीटें आयीं। इस चुनाव में थर्ड व फोर्थ फ्रंट को क्रमश: 79 व 27 सीटें मिलीं। सबसे ज्यादा 27 सीटों का नुकसान सीपीएम को हुआ। उसे 16 सीटें मिलीं।


2014 16वां चुनाव ऐतिहासिक रहा। इस चुनाव ने भारतीय राजनीति में भाजपा को केंद्रबिंदु बना दिया और कांग्रेस एक झटके से हाशिये  पर चली गयी। वह महज 44 सीटों पर सिमट गयी। राजस्थान, छत्तीसगढ़, झारखंड और उत्तराखंड सहित कई राज्यों में उसका सफाया हो गया। वहीं, नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भाजपा ने अकेले 282 सीटें हासिल कीं। एनडीए को 336 सीटें मिलीं। नरेंद्र मोदी पीएम बने। 

अब वक्त आ गया है कि इमरान खान अपने शब्दों पर खरे उतरें - मोदी

हमारी लड़ाई आतंकवाद और उन लोगों के खिलाफ है जो मानवतावाद के खिलाफ हैं। आज प्रत्येक हिंदुस्तानी देश की सेना के साथ है, देश की भावनाओं के साथ है। लेकिन मुझे मुट्ठी भर उन लोगों पर अफसोस होता है, जो भारत में रहते हुए पाकिस्तान की भाषा बोल रहे हैं। ऐसे लोग न देश के जवान के हैं और न ही देश के किसान के। प्रधानमंत्री ने कहा कि ये वही लोग हैं जो पाकिस्तान जाकर कहते हैं, कुछ भी करो लेकिन मोदी को हटाओ
जयपुर । प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शनिवार को राजस्थान के दौरे पर पहुंचे थे। उन्होंने यहां टोंक में एक रैली को संबोधित किया। उन्होंने यहां उन्होंने पुलवामा हमले पर पाकिस्तान पर सख्ती की बात दोहराई। साथ ही उन्होंने देश भर में कश्मीरी छात्रों से ज्यादती की खबरों पर बात की।

पुलवामा हमले पर पीएम मोदी ने पाकिस्तान पर हमला बोलते हुए कहा कि ये बदला हुआ हिंदुस्तान है। इस बार सबका हिसाब पूरा होगा। प्रधानमंत्री ने राजस्थान के टोंक में जनसभा को संबोधित करते हुए कहा कि ये बदला हुआ हिंदुस्तान है, ये दर्द सरकार चुपचाप नहीं सहेगी, ये दर्द सहकर हम चुपचाप नहीं बैठेंगे, हम आतंक को कुचलना भी जानते हैं।

पीएम मोदी ने कहा कि ‘हम कश्मीर के लिए लड़ रहे हैं, कश्मीरियों के खिलाफ नहीं।’ उन्होंने कहा, ‘घाटी में पिछले दो साल में एक भी स्कूल को आग के हवाले नहीं किया गया, कश्मीरी लोग भी आतंकवाद को खत्म करना चाहते हैं। पिछले साल अमरनाथ यात्रा में घायल हुए लोगों को रक्त देने के लिए कश्मीरी लोग लाइन बनाकर खड़े थे। हमारी लड़ाई आतंकवाद और उन लोगों के खिलाफ है जो मानवतावाद के खिलाफ हैं।’

मोदी ने कहा कि आज प्रत्येक हिंदुस्तानी देश की सेना के साथ है, देश की भावनाओं के साथ है। लेकिन मुझे मुट्ठी भर उन लोगों पर अफसोस होता है, जो भारत में रहते हुए पाकिस्तान की भाषा बोल रहे हैं। ऐसे लोग न देश के जवान के हैं और न ही देश के किसान के। प्रधानमंत्री ने कहा कि ये वही लोग हैं जो पाकिस्तान जाकर कहते हैं, कुछ भी करो लेकिन मोदी को हटाओ, ये वही लोग हैं जो मुंबई हमले के बाद आतंक के सपरस्तों को जवाब देने की हिम्मत नहीं दिखा पाए।

उन्होंने कहा कि कुछ दिनों में कश्मीरी छात्रों के साथ जो हुआ वो नहीं होना चाहिए था।
पीएम मोदी ने कहा कि ‘कुछ लोग भारत में पाकिस्तानी भाषा का इस्तेमाल करते हैं। अलगाववादियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की गई है। 

यह नया भारत है।’ पीएम ने आतंकवाद की आलोचना करते हुए कहा कि यदि आतंक की फैक्टरी इसी तरह चलती रही तो दुनिया में शांति संभव नहीं है। उन्होंने कहा कि इमरान खान जब पाकिस्तान के प्रधानमंत्री बने थे, तो उन्होंने उन्हें बधाई दी थी और कहा था कि दोनों देशों को अब साथ मिलकर गरीबी और अशिक्षा से लडऩा चाहिए। 

इसपर इमरान खान ने कहा था कि वो पठान के बेटे हैं और अपने शब्दों पर कायम रहेंगे। पीएम मोदी ने कहा कि अब वक्त आ गया है कि इमरान खान अपने शब्दों पर खरे उतरें। पीएम ने यहां सरकार के कामों का उल्लेख भी किया। 

उन्होंने प्रधानमंत्री आवासीय योजना पर कहा कि ‘अब हमारी सरकार 2022 तक देश के हर गरीब को पक्का घर देने की ओर बढ़ रही है।’ उन्होंने कहा कि ‘साढ़े सात लाख करोड़ रुपए किसानों के खाते में जमा होने वाले हैं और राजस्थान के ऐसे 50 लाख किसानों को फायदा होने वाला है। 

शुक्रवार, 22 फ़रवरी 2019

सपना चौधरी के गाने की वजह से हुई पाकिस्तानी कैदी की हत्या

अपने डांस को लेकर पूछे गए सवाल पर जवाब देते हुए सपना चौधरी ने कहा कि उसके डांस की कोई सहेली नहीं है, वह बिंदास डांस करती है और लोगों को भी ऐसे डांस सिखाएंगी। सपना चौधरी के गाने की वजह से हुई पाकिस्तानी कैदी की हत्या को लेकर पूछे गए सवाल पर जवाब देते हुए सपना चौधरी ने कहा कि मुझे इस घटना के बारे में जानकारी नहीं है। व महिला शोषण पर बोली ताली दोनों हाथ से बजती है।

जयपुर।प्रेस क्लब में पत्रकारों से चाय पर चर्चा करते हुए सवालों के जवाब दिए और अपने संघर्ष को याद किया। सपना चौधरी ने भारत सरकार द्वारा उठाये जा रहे कदमों का समर्थन करते हुए कहा कि शायद लड़ाई के बजाए शांति से नदियों से पानी बन्द करना ज्यादा अच्छा है।

सपना चौधरी ने कहा कि वह भविष्य में कभी भी राजनीति में नहीं आएंगी। शहीदों को लिए सपना ने कहा है कि वह फंड दे चुकी हैं, और आगे भी फंड जुटाती रहेंगी। हर माह ऐसे शो करती रहेंगी।अपने डांस को लेकर पूछे गए सवाल पर जवाब देते हुए सपना चौधरी ने कहा कि उसके डांस की कोई सहेली नहीं है, वह बिंदास डांस करती है और लोगों को भी ऐसे डांस सिखाएंगी। सपना चौधरी के गाने की वजह से हुई पाकिस्तानी कैदी की हत्या को लेकर पूछे गए सवाल पर जवाब देते हुए सपना चौधरी ने कहा कि मुझे इस घटना के बारे में जानकारी नहीं है। व महिला शोषण पर बोली ताली दोनों हाथ से बजती है।

 अक्सर देखा जाता है कि हरियाणवी सिंगर सपना चौधरी के शो में बेकाबू हो जाती है। भीड़ कदर बेकाबू हो जाती है कि काबू करने में पुलिसकर्मियों के भी हाथ पांव फूल जाते हैं। बताया जा रहा है कि जयपुर सेंट्रल जेल में भी पाकिस्तानी कैदी के साथ अन्य कैदियों का विवाद भी सपना चौधरी के गाने को लेकर शुरू हुआ था।

सूत्रों की मानें तो जयपुर सेंट्रल जेल में बैरक नंबर 10 के टीवी हॉल में कुछ कैदी सपना चौधरी का गाना देख रहे थे। इस दौरान पाकिस्तानी कैदी शकर उल्ला ने अन्य कैदियों को गाने की आवाज कम करने को कहा। यह देख सपना चौधरी का गाना देख रहे कैदियों ने आवाज कम करने के बजाय टीवी की आवाज और भी बढ़ा दी और यहीं से विवाद शुरू हो गया। 

कैदियों द्वारा टीवी की आवाज कम करने की बजाय बढ़ाने पर पाकिस्तानी कैदी शकर उल्ला को गुस्सा आया और उसने एक कैदी के हाथ से टीवी का रिमोट छीन लिया। हाथ से रिमोट छीनने की बात दूसरे कैदियों को नागवारा गुजरी और उन्होंने टीवी के नीचे रखा पत्थर उठाकर शकर उल्ला के सिर पर दे मारा। इसके चलते शकर उल्ला की मौके पर ही मौत हो गई। 

लश्कर-ए-तैयबा का आतंकी था पाकिस्तानी कैदी शकर उल्ला 
पाकिस्तानी कैदी शकर उल्ला उर्फ मोहम्मद हनीफ उर्फ अमर सिंह लश्कर-ए-तैयबा का आतंकी था, जिसे राजस्थान एटीएस द्वारा 2011 में 8 आतंकियों के साथ गिरफ्तार किया गया था। गिरफ्तार करने के बाद साल 2017 में कोर्ट ने आतंकी को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। मौत के वक्त उसकी उम्र करीब 45 साल थी। 

पोस्टमॉर्टम के बाद कड़ी सुरक्षा के बीच रखा गया शकर उल्ला का शव
जयपुर सेंट्रल जेल में मौत के घाट उतारे गए पाकिस्तानी कैदी शकर उल्ला के शव का गुरुवार को एसएमएस अस्पताल के मुर्दाघर में पोस्टमॉर्टम किया गया। इस दौरान महानगर मजिस्ट्रेट सीमा कुमारी के पंचनामा भरने के बाद मेडिकल बोर्ड का गठन किया। मेडिकल बोर्ड का गठन होने के बाद  पोस्टमॉर्टम की प्रक्रिया शुरू की गई पोस्टमॉर्टम की पूरी प्रक्रिया की वीडियोग्राफी भी न्यायिक जांच के चलते करवाई गई। इस दौरान मुर्दाघर के बाहर पुलिस का भारी जाब्ता तैनात रहा। पाकिस्तानी कैदी शकर उल्ला के शव का पोस्टमार्टम करने के बाद शव को एसएमएस अस्पताल के मुर्दाघर में ही डीप फ्रीजर में रखा गया है। वहीं सुरक्षा के भी पुख्ता बंदोबस्त किए गए हैं और पुलिस के हथियारों से लैस जवानों को मुर्दाघर के बाहर तैनात किया गया है। गौरतलब है कि पाकिस्तानी कैदी शकर उल्ला के शव को बुधवार देर रात ही एसएमएस अस्पताल के मुर्दाघर में रखवा दिया गया था और इसकी सूचना भी पाकिस्तान दूतावास को दे दी गई थी। जयपुर पुलिस ने दोपहर तक पाकिस्तान दूतावास के अधिकारियों का इंतजार किया। लेकिन जब पाकिस्तान दूतावास से कोई भी अधिकारी जयपुर नहीं पहुंचा तो फिर दोपहर बाद शव का पोस्टमार्टम किया गया।

जयपुर सेंट्रल जेल में पाकिस्तानी कैदी शकर उल्ला की हत्या के मामले में जेल प्रशासन पर कार्रवाई की गई है। जेल अधीक्षक और डिप्टी जेलर को एपीओ किया किया गया है। साथ ही वार्डन और हेड वार्डन को निलंबित कर दिया गया है।  राकेश मोहन शर्मा को जयपुर सेंट्रल जेल का नया अधीक्षक बना दिया गया है। इस मामले में कैदियों अजीत, मनोज, कुलविंद्र और भजन मीणा को डिटेन कर लिया गया है। आरोपियों के खिलाफ धारा 302 के तहत मुकदमा किया गया है। इस पूरे प्रकरण की न्यायिक जांच चल रही है।


4 करोड़ 84 लाख से ज्यादा मतदाता कर सकेंगे मताधिकार का प्रयोग

जयपुर। आगामी लोकसभा चुनाव-2019 से पूर्व मतदाता सूचियों के संक्षिप्त पुनरीक्षण (अर्हता 1.1.2019) के तहत मतदाता सूचियों का अंतिम प्रकाशन शुक्रवार को कर दिया गया। अंतिम प्रकाशन के अनुसार राज्य में कुल 4 करोड़ 84 लाख, 79 हजार 229 मतदाता अपने मताधिकार का इस्तेमाल कर सकेंगे। इसमें 2 करोड़, 52 लाख, 64 हजार, 998 पुरुष और 2 करोड़ 32 लाख 14 हजार 231 महिला मतदाता हैं। कुल मतदाताओं में 12 लाख 82 हजार 118 मतदाता 18-19 आयु वर्ग के हैं। साथ ही 1 लाख 22 हजार 944 सर्विस मतदाता भी हैं। 

अतिरिक्त मुख्य निर्वाचन अधिकारी डाॅ. रेखा गुप्ता ने सचिवालय स्थित समिति कक्ष में राजनैतिक दलों के प्रतिनिधियों के साथ आयोजित बैठक के दौरान कहा कि संक्षिप्त पुनरीक्षण के दौरान प्रदेशभर से कुल 12 लाख 89 हजार 598 आवेदन स्वीकार किए गए। इनमें 6 लाख 53 हजार 764 पुरूष और 6 लाख 35 हजार 834 महिलाओं ने नाम जुड़वाने के लिए आवेदन किया। इसी तरह 4 लाख 75 हजार 163 आवेदन नाम हटवाने के आए, जिसमें 2 लाख 32 हजार 356 पुरूष और 2 लाख 42 हजार 807 महिलाओं ने नाम हटवाने के लिए आवेदन किया। इनमें अनुपस्थित, मृत, स्थानांतरित आदि शामिल हैं। आवेदनों की पड़ताल और भौतिक सत्यापन के बाद के बाद मतदाता सूची के अंतिम प्रकाशन में कुल 8 लाख 6 हजार 364 नए मतदाताओं का नाम जोड़ा गया। 

अतिरिक्त मुख्य निर्वाचन अधिकारी ने बताया कि प्रदेश में 4 करोड़ 84 लाख, 68 हजार, 263 (99.98 प्रतिशत) फोटोयुक्त मतदाता पहचान पत्र धारक हैं। उन्होंने कहा कि मतदाता सूची में जोड़े गए नए नामों के आधार पर मतदाता पहचान पत्र आगामी दिनों में बना दिए जाएंगे। गौरतलब है कि प्रदेश में कुल 51 हजार 965 मतदान केंद्र हैं।

इन प्लेटफाॅर्मस पर खोजें अपना नाम

जिन मतदाताओं के नाम पूर्व में मतदाता सूचियों में है वे भी अपना नाम मतदाता सूची में एक बार जांच लें। भारत निर्वाचन आयोग द्वारा ‘मतदाता सत्यापन एवं सूचना कार्यक्रम’ कार्यक्रम के अंतर्गत मतदाता सूची में नाम खोजने एवं नाम जुड़वाने के लिए कई तरह की सुविधाएं दी गई हैं। कोई भी व्यक्ति मुख्य निर्वाचन अधिकारी, राजस्थान की वेबसाइट www.ceorajasthan.nic.in से या www.nvsp.in के माध्यम से मतदाता सूची में अपनी प्रविष्टि की जानकारी प्राप्त कर सकता है। इसके अलावा निर्वाचन विभाग के मोबाइल एप राज-इलेक्शन के माध्यम से भी अपनी प्रविष्टि की जानकारी प्राप्त की जा सकती है। इसके अलावा जिला निर्वाचन अधिकारी कार्यालय के काॅल सेंटर 1950 के माध्यम से भी नाम की जानकारी प्राप्त की जा सकती है।

2 और 3 मार्च को होगा विशेष अभियान, जोड़े जाएंगे नाममतदाता सत्यापन और सूचना कार्यक्रम (वीवीआईपी) के अंतर्गत आगामी 2 और 3 मार्च को प्रदेश के सभी मतदान केंद्रों पर विशेष अभियान के तहत पात्र मतदाताओं के नाम जोड़े जाएंगे। दोनों दिन प्रातः 9 से सायं 6 बजे तक बीएलओ राज्य के सभी 51 हजार 965 मतदान केंद्रों पर उपस्थित रहकर आवेदन लेंगे। जिन मतदाताओं की उम्र 1 जनवरी, 2019 को 18 वर्ष पूरी हो चुकी है, वह मतदाता अपना नाम मतदाता सूची में नाम जुड़वाने के लिए आवेदन कर सकते हैं। डाॅ. गुप्ता ने बताया कि मतदाता सूचियों में नाम जोड़ने का कार्य इन तिथियों के आगे भी चलता रहेगा। उन्होंने बताया कि नामांकन दाखिल करने की अंतिम तिथि से 10 दिन पहले तक पात्र मतदाता अपना नाम मतदाता सूची में दर्ज करवा सकता है। उन्होंने राजनैतिक दलों के प्रतिनिधियों से बूथ स्तर के अभिकर्ताओं को भी इन दोनों दिन उपस्थित रहते हुए प्रविष्टियों का सत्यापन कर बीएलओ को सहयोग प्रदान करने का आग्रह किया है।

बैठक में कांग्रेस पार्टी के सुशील शर्मा, भारतीय जनता पार्टी के नाहर सिंह माहेश्वरी और कम्यूनिस्ट पार्टी आफ इंडिया के नरेन्द्र आचार्य उपस्थित रहे। इस दौरान अतिरिक्त मुख्य निर्वाचन अधिकारी डाॅ. जोगाराम, संयुक्त मुख्य निर्वाचन अधिकारी (आईटी) एमएम तिवारी, उप मुख्य निर्वाचन अधिकारी विनोद पारीक, सहायक मुख्य निर्वाचन अधिकारी भगवत सिंह सहित विभागीय अधिकारी उपस्थित रहे। 

गुरुवार, 21 फ़रवरी 2019

असली रंगकर्मी सरकार के अनुदानों की कृपा से वंचित

करीब 50 व्यक्तिगत अनुदान आवेदन में वितरित की जाने वाली राशि को मात्र 3 व्यक्तिगत व 5 संस्था में रेवडियों की तरह बांट दिया गया, 43 रंगकर्मियों के नाम जिन्हें मीटिंग्स में स्वीकृत किया हुआ था, उनका लिस्ट से नामोनिशान मिटा दिया गया। कहावत चरितार्थ होती है अंधा बांटे रेवडी फेर फेर अपनो को देवे ।
जयपुर,  विशेष संवाददाता। कला एवं संस्कृति विभाग के आला अधिकारी से लेकर कर्मचारी तक कला संस्कृति विभाग को कलंकित करने में लगे हुए है। यहीं तक यह सीमित नहीं रहे, विभागीय मंत्री को भी बरगलाने का कार्य ये लोग कर रहे हैं । असली रंगकर्मी सरकार के अनुदानों की कृपा से वंचित होते जा रहे हैं, वहीं गैररंगकर्मी सरकार के अनुदानों पर मौजमस्ती कर रहे हैं और अपने इशारे पर असली रंगकर्मियों को नचा रहे हैं, इससे स्पष्ट हो रहा है कि राजस्थान में रंगकर्मियों का भविष्य घोर अंधकार में जा रहा है, इसका दोषी कौन ?

कला एवं संस्कृति विभाग राजस्थान सरकार से रंगकर्मियों ने अनुदान प्राप्त करने के लिये सरकार के समक्ष आवेदन किया था, जिसमें सूत्रों के मुताबिक लगभग 50 व्यक्तिगत अनुदान आवेदन सरकार द्वारा स्वीकृत करना शेष रहा था। जिस पर करीब 50 व्यक्तिगत अनुदान आवेदन में वितरित की जाने वाली राशि को मात्र 3 व्यक्तिगत व 5 संस्था में रेवडियों की तरह बांट दिया गया, 43 रंगकर्मियों के नाम जिन्हें मीटिंग्स में स्वीकृत किया हुआ था, उनका लिस्ट से नामोनिशान मिटा दिया गया। कहावत चरितार्थ होती है अंधा बांटे रेवडी फेर फेर अपनो को देवे । 

 कला एवं संस्कृति विभाग राजस्थान से रंगकर्मियों को आशा बंघी थी कि अच्छे दिन आयेंगे। लेकिन अब तो लगता है कि रंगक​र्मियों के और भी बुरे दिन आने वाले है। क्योंकि ऐसा पहले कभी नहीं हुआ कि नामों को ही उडा दिया जाये।

 सभी को कुछ न कुछ सरकार से अनुदान मिलता रहा है। लेकिन इस बार तो जैसे अनहोनी होने जा रही है, भविष्य रंगकर्मियों का और कला जगत के लोगों का अंधकार में प्रतीत होता है। अगर आपकी पहुंच मंत्री जी तक नहीं है तो आपको कभी सरकारी अनुदान का लाभ मिलने वाला नहीं है । जब यह शुरूआत है तो आने वाले चार सालों में असली रंगकर्मियों व कला जगत का क्या होने वाला है, भगवान ही मालिक है। मंत्री जी को समझना होगा कि चाटुकार ही कलाकार नहीं होते, उन्हें दरबारियों के दल से बाहर आकर देखना होगा । तभी राजस्थान के रंगकर्मियों के दिन फिरेंगे ।

अपनी विभिन्न मांगों को लेकर वकीलों ने निकाली वाहन रैली

जयपुर । एडीजे भर्ती परीक्षा में वकीलों का कोटा समाप्त करने के विरोध के साथ अन्य विभिन्न मांगों को लेकर प्रदेश की विभिन्न बार एसोसिएशन ने वाहन रैली निकाल कर विरोध-प्रदर्शन किया। जयपुर में जिला कलेक्ट्रेट से वकीलों ने वाहन रैली हाईकोर्ट तक निकाली। 

आपको बता दे कि वकीलों ने अपनी मांगों को लेकर न्यायिक कार्य का बहिष्कार कर रखा है। वकीलों की मुख्य मांगों में राजस्थान उच्च न्यायालय द्वारा नवसृजित क्रिमिनल्स सिविल रूल्स में कोर्ट फीस में की गई वृद्धि को वापस लेने, वकील के वेलफेयर के लिए समुचित व्यवस्था का चैंबरो की व्यवस्था करना है।

आनंद कुमार मोल्डोवा संसदीय चुनाव में होंगे अंतरराष्ट्रीय पर्यवेक्षक



जयपुर । राजस्थान में हाल ही सम्पन्न हुए विधानसभा चुनाव के प्रबंधन की प्रशंसा अब देश भर के अलावा सात समंदर पार भी हो रही है। यही वजह है कि मोल्डोवा गणराज्य में होने वाले संसदीय चुनाव के लिए अंतरराष्ट्रीय पर्यवेक्षक के रूप में भारत निर्वाचन आयोग ने राजस्थान के मुख्य निर्वाचन अधिकारी  आनंद कुमार का चयन किया है। 

मोल्डोवा गणराज्य में 24 फरवरी को होने वाले संसदीय चुनाव के लिए भारत निर्वाचन आयोग से बतौर अंतरराष्ट्रीय पर्यवेक्षक की भूमिका निभाने का आग्रह किया था। आयोग ने इसे स्वीकार करते हुए राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारी  आनंद कुमार के साथ मध्यप्रदेश के मुख्य निर्वाचन अधिकारी  वीएलके राव को यह जिम्मेदारी दी है। 

गौरतलब है कि मोल्डोवा गणराज्य पूर्वी यूरोप में स्थित एक लैंडलाक देश है, जिसके पश्चिम में रोमानिया और उत्तर, पूर्व और दक्षिण में यूक्रेन स्थित है। इसकी राजधानी चिसीनाउ है। पुराने समय में आज का मोल्डोवा रशिया का हिस्सा हुआ करता था, जिसके बाद यह रोमन साम्राज्य के अधीन आ गया तथा मार्च 1992 में मोल्डोवा संयुक्त राष्ट्र में शामिल किया गया। मोल्डोवा में संसदीय गणतंत्र है, जहां राष्ट्रपति राष्ट्राध्यक्ष जबकि प्रधानमंत्री शासनाध्यक्ष है। मोल्डोवा संयुक्त राष्ट्र के अलावा, यूरोपीय समिति, डब्ल्यूटीओ, ओएससीई, गुआम, सीआईएस, बीएसईसी और अन्य अंतरराष्ट्रीय संगठनों का सदस्य भी है।

बुधवार, 20 फ़रवरी 2019

पैसे लेकर राजनीतिक दलों का ऑनलाइन प्रचार करने को तैयार थीं फिल्मी हस्तियां

खोेजी पत्रकारिता करने वाली वेबसाइट कोबरापोस्ट के स्टिंग ऑपरेशन में खुलासा हुआ है कि अभिजीत भट्टाचार्य, कैलाश खेर, जैकी श्रॉफ, विवेक ओबेरॉय, सोनू सूद, राखी सावंत, सनी लियोन जैसे 30 से अधिक फिल्मी सितारे प्रति सोशल मीडिया पोस्ट के लिए दो लाख से दो करोड़ रुपये तक लेने को तैयार थे।

 2019 के लोकसभा चुनावों से ठीक पहले बॉलीवुड के कुछ बड़े और नामचीन चेहरों का नाम एक स्टिंग ऑपरेशन सामने आया है. इस स्टिंग में वे पैसे लेकर राजनीतिक दलों का प्रचार करने को तैयार हो गए थे। यह स्टिंग ऑपरेशन खोजी पत्रकारिता करने वाली वेबसाइट कोबरापोस्ट ने की है।

पैसे के लिए सोशल मीडिया पर किसी भी पार्टी का प्रचार करने के लिए तैयार इन सितारों में प्लेबैक सिंगर अभिजीत भट्टाचार्य, कैलाश खेर, मीका सिंह, बाबा सहगल, अभिनेता जैकी श्रॉफ, शक्ति कपूर, विवेक ओबेरॉय, सोनू सूद, अमीषा पटेल, महिमा चौधरी, श्रेयस तलपड़े, राखी सावंत, अमन वर्मा, सनी लियोन, कॉमेडियन राजू श्रीवास्तव, सुनील पाल, राजपाल यादव जैसे नाम शामिल हैं।

इसके अलावा इसमें पुनीत इस्सर, सुरेंद्र पाल, पंकज धीर और उनके पुत्र निकितिन धीर, टिस्का चोपड़ा, दीपशिखा नागपाल, अखिलेन्द्र मिश्रा, रोहित रॉय, राहुल भट, सलीम ज़ैदी, हितेन तेजवानी और उनकी पत्नी गौरी प्रधान, एवलीन शर्मा, मिनिषा लाम्बा, कोइना मित्रा, पूनम पांडेय, उपासना सिंह, कृष्णा अभिषेक, विजय ईश्वरलाल पवार यानि वीआईपी, कोरियोग्राफर गणेश आचार्य और डांसर-एक्टर संभावना सेठ भी हैं।

कोबरापोस्ट के रिपोर्टरों ने एक छद्म पीआर एजेंसी के प्रतिनिधि बनकर इन सितारों से मुलाक़ात की थी। उन्हें बताया गया कि आपको अपने फेसबुक, ट्विटर और इन्स्टाग्राम अकाउंट के जरिये एक राजनीतिक पार्टी को प्रोमोट करना है ताकि आने वाले 2019 के चुनावों से पहले पार्टी के लिए माकूल माहौल तैयार हो सके।

उनसे कहा गया, ‘हम आपको हर महीने अलग-अलग मुद्दों पर कंटैंट देंगे, जिसे आप अपने शब्दों और शैली में लिखकर अपने फेसबुक, ट्विटर और इन्स्टाग्राम अकाउंट से पोस्ट करेंगे. आपके और हमारे बीच आठ-नौ महीने का एक दिखावटी करार होगा। यही नहीं जब पार्टी किसी मुद्दे पर घिर जाए तो आपको ऐसे मौकों पर पार्टी का बचाव भी करना होगा।’

इन मशहूर सितारों ने सभी शर्तें मानते हुए मनमाफ़िक पैसा मिलने पर किसी भी पार्टी के लिए सोशल मीडिया पर छद्म-प्रचार करने को तैयार थे। उनसे जिन पार्टियों के लिए संपर्क किया गया था उनमें भारतीय जनता पार्टी, कांग्रेस या आम आदमी पार्टी शामिल थी।

एक मैसेज के लिए सितारों ने दो लाख से लेकर दो करोड़ रुपये तक की मांग की। वहीं, एक-दो कलाकारों को छोड़ सभी सितारों को अपनी फीस का एक बड़ा हिस्सा कैश यानी कालाधन के रूप में लेने से कोई आपत्ति नहीं थी। जबकि इनमें से कुछ कलाकारों ने नोटबन्दी की जमकर तारीफ की थी. कुछ कलाकरों को अपने सोशल मीडिया अकाउंट से कंग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की खिल्ली उड़ाने से भी कोई ऐतराज नहीं था।

स्टिंग के दौरान अभिनेत्री महिमा चौधरी कहती हैं, ‘भाजपा? भाजपा तो कुछ भी दे सकती है? वे तो एक करोड़ भी दे सकते हैं।’

वहीं अभिनेता सोनू सूद हर महीने 15 मैसेज के लिए 1.5 करोड़ की फीस पर तैयार नहीं थे. सूद एक दिन में पांच से सात मैसेज करने को तैयार थे लेकिन प्रति मैसेज वे 2.5 करोड़ रुपये की मांग कर रहे थे।

न्यूज चैनलों और ट्विटर के माध्यम से लोगों को राष्ट्रवाद का पाठ पढ़ाने वाले प्लेबैक सिंगर अभिजीत भट्टाचार्य कहते हैं कि नैचुरल लगने के लिए वे ट्रैफिक में गाड़ी  के अंदर बैठ के बोल देंगे, चाय या कॉफी शॉप पर बैठ कर बोले देंगे। वहीं कोरियोग्राफर गणेश आचार्य कहते हैं कि वे अपनी डांस के माध्यम से डालेंगे इससे बात लाखों-करोड़ों लोगों तक पहुंचती है।

अभिनेता जैकी श्रॉफ कहते हैं कि अच्छी बातें फैलाने के लिए पैसा मिले तो ऊपर वाले से और क्या चाहिए। मॉडल एवं बॉलीवुड अभिनेत्री सनी लियोन कहती हैं कि अगर उनके पति डैनियल को मोदी जी भारतीय नागरिकता दे दें तो वह जरूरत इसका समर्थन करेंगी।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बायोपिक में मुख्य किरदार निभा रहे अभिनेता विवेक ओबेरॉय यह सौदा करने के लिए बहुत जल्दीबाजी में रहते हैं। वे कहते हैं कि जल्दी से सौदा कर लीजिए ताकि हम जल्दी शुरू कर सकते हैं. मॉडल एवं बॉलीवुड अभिनेत्री अमीषा पटेल एडवांस पेमेंट चाहती थीं।

वहीं अभिनेत्री राखी सावंत कहती हैं कि आप मुझे जैसा देंगे मैं वैसा बवाल करवा दूंगी. वह कहती हैं, ‘डरती मैं किसी के बाप से भी नहीं. जब मोदी है तो डरना क्यों है।’

मगर इन सबके बीच विद्या बालन, अरशद वारसी, रज़ा मुराद और सौम्या टंडन जैसे सितारों ने यह काम करने से इनकार कर दिया।

जयपुर जेल में पाकिस्तानी कैदी की हत्या

बैरक में अन्य कैदियों से हुआ था झगड़ा
जयपुर। राजस्थान की राजधानी जयपुर की जेल में एक पाकिस्तानी कैदी की संदिग्ध हालत में मौत से होने से जेल प्रशासन में खलबली मच गई। कैदी की मौत पर सूचना के बाद जेल प्रशासन और पुलिस के आलाधिकारी मौके पर पहुंचे हैं। वहीं सूत्रों के अनुसार मिली जानकारी के मुताबिक बैरक में बंद अन्य कैदियों ने पाकिस्तानी कैदी की हत्या की हैं। मृतक कैदी का नाम शाकिर उल्लाह उर्फ मोहम्मद हनीफ बताया जा रहा है। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक जयपुर की सेंट्रल जेल में आतंकी संगठन सिमी के पांच आतंकी बंद हैं। इन्ही में से एक शाकिर उल्लाह था. बुधवार को बैरक में ही मौजूद अन्य कैदियों द्वारा शाकिर की हत्या कर दी गई। आपको बता दें, शाकिर यहां जासूसी मामले में सजा काट रहा था। वह साल 2011 से जयपुर जेल में बंद था। 

सूत्रों के अनुसार, जेल में बंद कैदियों ने शहीदों की शहादत का बदला लेने की बात कहते हुए जेल में बंद पाकिस्तानी कैदी की जमकर पिटाई की। हालांकि इस हंगामे के दौरान वहां जेल प्रशासन ने कैदी को काफी बचाने की कोशिश की लेकिन कैदियों ने इस पाकिस्तानी कैदी को इतना पीटा कि बाद में उसकी मौत हो गई है। 

गौरतलब है कि जम्मू और कश्मीर के पुलवामा हमले में भारत के सीआरपीएफ के 40 जवानों के शहीद होने के बाद देशभर में आक्रोश की ज्वाला फूट रही हैं। हर कोई इस हमले के बाद खून का बदला खून से लेने के बात कर रहा हैं। ऐसे में इस बात से कतई इनकार नहीं किया जा सकता कि यह मामला पुलवामा हमले को लेकर फूटा आक्रोश नहीं हो सकता। 

हालांकि अभी तक इस बारे में पूरी जानकारी नहीं मिल पाई है। डीजी जेल एनआरके रेड्डी ने प्रकरण की पड़ताल शुरू कर दी है, साथ ही फिलहाल किसी भी प्रकार का बयान देने से मना किया है। डीजी जेल ने प्रकरण की पूरी जानकारी मिलने के बाद बयान देने की बात कहीं है।