रविवार, 30 जून 2019

अनुकम्पा नियुक्तियों में बंदरबांट


जयपुर। अनुकम्पा नियुक्ति कर्मचारी संघ के प्रदेश अध्यक्ष मनोज कुमार शर्मा ने बताया कि राजस्थान में अनुकम्पा नियुक्तियों में अपने रिश्तेदार एवं चहेतों को नियम विरूद्ध नायब तहसीलदार व सीटीओ बनाने में शासन सचिव स्तर के अधिकारियों की मिलीभगत उजागर हुई है। 

पूर्व आईएएस एस एन थानवी तथा भरत मीणा के पुत्रों ओमप्रकाश थानवी तथा कार्तिकेय मीणा के नियुक्ति के फर्जीवाडे के सबूत पेश कर मनोज कुमार शर्मा ने बताया कि राजनैतिक दलों की मदद करने वाले अफसरों को उपकृत करने की नियत से अनैतिक रूप से सिर्फ चुनिंदा मृतक आश्रितों को तो नायब तहसीलदार तथा सीटीओ बना दिया जबकि उनके समकक्ष या उनसे अधिक योग्यता वाले लोगों को चपरासी बनाकर नौकरी करने के लिये मजबूर किया गया।

मनोज कुमार शर्मा ने बताया कि कार्मिक विभाग द्वारा संविधान के अनुच्छेद 309 के तहत बनाये गये कार्मिक विभाग के नियमों की ही अवहेलना कर लगभग दस हजार कर्मचारियों को योग्यता होने के बावजूद छोटे पदों पर नौकरी करवाकर तथा इन्हीं कर्मचारियों के समान योग्यता वाले कर्मचारियों को नियम विरूद्ध बडे पदों का अनैतिक लाभ देकर दस हजार कर्मचारियों के साथ अन्याय किया जा रहा है।

अनुकम्पा नियुक्ति कर्मचारी संघ के अन्य पदाधिकारियों पवन, योगेश, दुर्गासिंह आदि ने भी पत्रकार वार्ता में पत्रकारों को अपनी पीडा सुनाई।

विश्व जागृति मिशन जयपुर मंडल गुरू पूर्णिमा तक लगाएगा ग्यारह सौ पौधे


जयपुर। विश्व जागृति मिशन, जयपुर मंडल द्वारा मानसून के सीजन में गुलाबी नगरी में 1100 पौधे लगाकर सैकड़ों भक्तों के माध्यम से उनकी सतत देखभाल करने के अभियान का श्री गणेश रविवार को किया गया। मंडल के श्रद्धालुओं ने विश्व जागृति मिशन के संस्थापक श्री सुधांशु जी महाराज के प्रेरणा से यह महत्वाकांक्षी अभियान हाथ में लिया है। मिशन द्वारा गुरु पूर्णिमा महोत्सव तक 1100 पौधे वितरित करने एवं लगाने का लक्ष्य रखा गया है। 

रविवार को मिशन के जयपुर मंडल कार्यालय सोमेश्वर महादेव मंदिर, 634 आदर्श नगर पर पेड़ लगाओ अभियान के तहत मिशन के संरक्षक  श्याम सुन्दर शर्मा, प्रधान  मदनलाल अग्रवाल, महासचिव  रमेश चंद्र सेन, वरिष्ठ उप प्रधान नारायण दास गंगवानी, मंत्री द्वारका प्रसाद मुटरेजा एवं श्रीमती कांता भल्ला आदि श्रद्धालुओं ने पेड़ लगाकर इस अभियान की शुरूआत की। इस दौरान डाक्टर श्रीमती मधु शर्मा को उनके जन्मदिन एवं  द्वारका प्रसाद मुटरेजा की विवाह वर्ष गांठ सहित उपस्थित श्रद्धालुओं को अपने घर के बाहर या समीपवर्ती पार्क या मन्दिर परिसर आदि में पौधे लगाने के लिए वितरित भी किए गए। सभी ने अपने हाथों से लगाए जाने वाले पौधों को अपने हाथों से नियमित पानी देकर उसकी देखभाल स्वयं करने का संकल्प भी लिया।  

 मिशन के महा सचिव  रमेश चंद्र सेन ने बताया  कि गुरु पूर्णिमा महोत्सव रविवार दिनांक 14 जुलाई को मनाया जाएगा उस दिन हवन, भजन एवं गुरु चरण पादुका पूजन के बाद भंडारा प्रसादी का कार्यक्रम है जिसमें जयपुर शहर के गणमान्य नागरिकों को भी आमंत्रित किया गया है। 

लोकसभा चुनाव : ज्यादा खर्च कर के भी हार गये मीसा व शत्रु, मीसा का खर्च साढ़े 41 लाख

लोकसभा चुनाव में खर्च की फाइनल रिपोर्ट जारी, किसी ने 70 लाख नहीं किये खर्च 
पटना : लोकसभा चुनाव 2019 में प्रत्याशियों के खर्च का फाइनल विवरण जारी किया जा चुका है. चुनाव परिणाम आने के एक माह बाद निर्वाचन कार्यालय की ओर से सभी उम्मीदवारों के चुनावी खर्च को सार्वजनिक किया गया है। 

फाइनल रिपोर्ट में सबसे दिलचस्प बात निकल कर आयी है कि चुनाव में अधिक खर्च करने वाले प्रत्याशी ही हार गये हैं।  पटना साहिब लोकसभा क्षेत्र में कांग्रेस उम्मीदवार शत्रुघ्न सिन्हा और पाटलिपुत्र लोकसभा में महागठबंधन उम्मीदवार मीसा भारती ने प्रतिद्वंद्वी भाजपा उम्मीदवारों से अधिक खर्च किया।  जबकि, भाजपा के रामकृपाल व रविशंकर प्रसाद कम खर्च कर के भी चुनाव जीत गये हैं।    

अमित शाह व राहुल गांधी की रैली में एक लाख से अधिक का खर्च 

उम्मीदवारों से अपने चुनावी कार्यक्रम में सबसे अधिक खर्च जनसभा, रैली व व्यक्तिगत प्रचार में किया है।  इसमें रविशंकर प्रसाद ने जनसभा व रैली में 13 लाख 17 हजार 365 रुपये के करीब खर्च किया है, जबकि स्टार प्रचारक मसलन अमित शाह की रैली में एक लाख 37 के लगभग खर्च हुआ है।  रविशंकर ने प्रिंट, इलेक्ट्रानिक के अलावा सोशल मीडिया से प्रचार के लिए दो लाख के करीब व वाहन पर नौ लाख 46 हजार के करीब खर्च किया है।  

रविशंकर प्रसाद का कुल चुनावी खर्च 37 लाख 89 हजार 559 रुपये है।  वहीं, शत्रुघ्न सिन्हा चुनावी खर्च करने में सबसे अधिक हैं. उन्होंने राहुल गांधी की रैली पर एक लाख 64 हजार के करीब खर्च किया है।  वहीं चाय, नाश्ता पर एक लाख 49 हजार दो सौ 56 रुपये का खर्च किया है।  शत्रुघ्न प्रसाद का कुल चुनावी खर्च 49 लाख चार हजार नौ सौ 60 रुपये दिया गया है।  

मीसा का खर्च साढ़े 41 लाख 

वहीं पाटलिपुत्र लोकसभा में मीसा भारती ने रामकृपाल से अधिक खर्च किया है।  हालांकि, दोनों के खर्च के आंकड़ों में अधिक अंतर नहीं हैं।  रिपोर्ट के अनुसार मीसा भारती का कुल चुनावी खर्च 41 लाख 55 हजार 497 रुपये है।  इसमें पब्लिक मीटिंग, प्रचार, सभा में एक लाख 60 हजार 786 रुपये का खर्च है।  मीसा भारती ने तेजस्वी यादव, राबड़ी देवी व महागठबंधन के नेताओं की 20 सभाओं पर आठ लाख 54 हजार आठ सौ 95 रुपये खर्च किया है।  वाहन खर्च 1705077 रुपये के करीब खर्च किया है।  इनका चाय नाश्ता पर 25925 रुपये का खर्च है। 

रामकृपाल का वाहन पर अधिक खर्च 

रामकृपाल यादव  से सबसे अधिक चुनाव प्रचार में वाहन प्रयोग पर सबसे अधिक 20 लाख 75 हजार आठ सौ के करीब खर्च किया है।  इसके अलावा स्टार प्रचार में 13 लाख 24 हजार नौ सौ 73 रुपये के करीब खर्च किया है।  इसके अलावा पब्लिक मीटिंग, रैली व व्यक्तिगत प्रचार में दस लाख के करीब 31 हजार के करीब खर्च का विवरण है।  रामकृपाल का कुल चुनावी खर्च 41 लाख सात हजार एक सौ 29 रुपये का है। 

जीएसटी के दो साल : कई नये सुधारों को पेश करेगी मोदी सरकार

 माल एवं सेवा कर (जीएसटी) के क्रियान्वयन की दूसरी वर्षगांठ पर सोमवार को सरकार इस अप्रत्यक्ष कर प्रणाली में कुछ और सुधार पेश करेगी. इन सुधारों में नयी रिटर्न प्रणाली, नकद खाता प्रणाली को तर्कसंगत बनाना और एकल रिफंड वितरण प्रणाली शामिल है।


वित्त मंत्रालय ने रविवार को बयान में कहा कि वित्त एवं कॉरपोरेट मामलों के राज्यमंत्री अनुराग ठाकुर इस मौके पर विभिन्न विभागों के सचिवों और अन्य अधिकारियों के साथ आयोजित कार्यक्रम की अध्यक्षता करेंगे। बयान में कहा गया है कि जीएसटी भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए पासा पलटने वाला है और इसने बहुस्तरीय और जटिल कर ढांचे को एक सरल, पारदर्शी और प्रौद्योगिकी आधारित कर व्यवस्था में बदला है।


मंत्रालय ने कहा कि वह एक जुलाई 2019 से परीक्षण के आधार पर एक नयी रिटर्न प्रणाली शुरू करेगा। एक अक्टूबर से इसे अनिवार्य रूप से लागू किया जाएगा। मंत्रालय ने कहा, छोटे करदाताओं के लिए सहज और सुगम रिटर्न का प्रस्ताव किया गया है। 

एक नकद खाते के संदर्भ में सरकार इसे तर्कसंगत बनाते हुए 20 मदों को पांच प्रमुख मदों में शामिल करेगी। कर, ब्याज, जुर्माने, शुल्क और अन्य के लिए केवल एक नकद बही खाता होगा।

मंत्रालय ने कहा कि एक एकल रिफंड वितरण प्रणाली बनाई जाएगी जिसमें सरकार सभी प्रमुख रिफंडों सीजीएसटी, एसजीएसटी, आईजीएसटी और उपकर के रिफंड को मंजूरी देगी। जीएसटी को संसद के केंद्रीय हॉल में आयोजित एक भव्य समारोह में 30 जून, 2017 की मध्यरात्रि को लागू किया गया था जिसके बाद यह एक जुलाई, 2017 से प्रभाव में आया।

छबड़ा पावर प्लान्ट में दो इकाइयों का लोकार्पण विद्युत प्रदेश के विकास की धुरी - मुख्यमंत्री


जयपुर । मुख्यमंत्री  अशोक गहलोत ने कहा कि बारां जिले के थर्मल पावर प्लान्ट छबड़ा में इकाई 5 और 6 के प्रारम्भ होने विद्युत ऊर्जा के क्षेत्र में प्रदेश में आत्मनिर्भरता आएगी और आमजन को इसका लाभ मिलेगा। उन्होंने कहा कि विद्युत विकास की धुरी है और हमें प्रदेश को विद्युत ऊर्जा के क्षेत्र में सरप्लस स्थिति में लाना है, ताकि इसका लाभ किसान, उद्योग एवं गांव, ढाणी के जन-जन को मिले।

 गहलोत रविवार को बारां जिले के उपखंड छबड़ा में स्थित थर्मल पावर प्लान्ट की दो इकाइयों 5 और 6 के लोकार्पण समारोह को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि जापान की आधुनिक सुपर क्रिटिकल तकनीक पर आधारित छबड़ा थर्मल पावर प्लान्ट में दो नई इकाइयों के प्रारंभ होने से इस प्लान्ट की विद्युत उत्पादन क्षमता बढ़कर 2320 मेगावाट हो गई है। इससे प्रदेश के 78 लाख नये उपभोक्ताओं को लाभान्वित किया जा सकेगा। उन्होंने कहा कि आजादी के समय प्रदेश में 13 मेगावाट बिजली का उत्पादन होता था, जो बढ़कर करीब 22 हजार मेगावाट हो गया है। इसमें राज्य विद्युत उत्पादन निगम का हिस्सा 7277.35 मेगावाट है। उन्होंने कहा कि आज ही 1320 मेगावाट विद्युत उत्पादन प्रदेश की जनता को समर्पित किया गया है। 

मुख्यमंत्री  गहलोत ने बताया कि प्रदेश में सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा के क्षेत्र में अपार संभावनाएं मौजूद है और प्रदेश सरकार इन संसाधनों का समुचित उपयोग कर वर्ष 2021-22 तक प्रदेश को विद्युत उत्पादन के क्षेत्र में सरप्लस स्थिति में लाने के लिए प्रयासरत है। उन्होंने कहा कि सरकारी और निजी क्षेत्र में विद्युत उत्पादन बढ़ाने के लिए विद्युत विभाग के अधिकारियों को योजना बनाने के निर्देश दिए है। विद्युत वितरण व्यवस्था को सुदृढ करने तथा इसे पारदर्शी बनाया जाएगा, जिससे नागरिकों को गुणवत्तापूर्ण विद्युत की आपूर्ति हो सके। 

समारोह की अध्यक्षता करते हुए ऊर्जा मंत्री डॉ. बी.डी. कल्ला ने कहा कि उद्योग लगाने के लिए भूमि, पूंजी, साहस के साथ-साथ विद्युत की भी आवश्यकता रहती है। राज्य सरकार ने अपने 6 माह के अल्पकाल में विद्युत उत्पादन में 1793 मेगावाट की अभिवृद्धि की है और हम इस क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की ओर बढे़ हैं। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री श्री गहलोत ने कृषि विद्युत कनेक्शन की दरों में बढ़ोतरी नहीं करने तथा 1 लाख नये विद्युत कृषि कनेक्शन देने का निर्णय लिया है। इससे प्रदेश के किसान निश्चित तौर पर लाभान्वित होंगे। 

डॉ. कल्ला ने कहा कि प्रदेश सरकार ने छबड़ा एवं कालीसिन्ध तापीय परियोजनाओं के विनिवेश के फैसले को रद्द करते हुए इन परियोजनाओं को राज्य सरकार के उपक्रम के तौर पर चलाने का निर्णय भी लिया है। उन्होंने कहा कि हमारी सरकार नागरिकों को 24 घण्टे गुणवत्तापूर्ण बिजली देने के लिए संकल्पबद्ध है।

समारोह को नगरीय विकास एवं स्वायत्त शासन मंत्री श्री शांति धारीवाल तथा खान एवं गोपालन मंत्री श्री प्रमोद जैन भाया ने भी संबोधित किया। 

नियंत्रण कक्ष एवं फोटो गैलेरी का अवलोकन

मुख्यमंत्री श्री अशोक गहलोत ने थर्मल पावर प्लान्ट छबड़ा में इकाई 5 और 6 के नियंत्रण कक्ष का अवलोकन किया और विद्युत उत्पादन की प्रक्रिया की जानकारी ली। उन्होंने प्लान्ट की विकास यात्रा से संबंधित फोटो गैलरी का अवलोकन किया और इसकी प्रगति की सराहना भी की। मुख्यमंत्री के समक्ष नियंत्रण कक्ष में प्लांट की इकाई 5 व 6 के संबंध में लघु फिल्म भी प्रदर्शित की गई। 

लोकार्पण समारोह में विधायक  पानाचन्द मेघवाल और श्रीमती निर्मला सहरिया, पूर्व विधायक करणसिंह, ऊर्जा विभाग के प्रमुख शासन सचिव  नरेश पाल गंगवार एवं राजथान राज्य विद्युत उत्पादन निगम के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक  पी. रमेश, जनप्रतिनिधि तथा बड़ी संख्या में आमजन मौजूद थे। 

प्रदेश की प्रथम सुपर क्रिटिकल परियोजना

राज्य सरकार प्रदेश को विद्युत उत्पादन के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने के लिए सर्वाेच्च प्राथमिकता प्रदान कर रही है। थर्मल पावर प्लान्ट छबड़ा की इकाई 5 और 6 सुपर क्रिटिकल तकनीक पर आधारित है और यह प्रदेश की सुपर क्रिटिकल तकनीक पर आधारित प्रथम परियोजना है। सुपर क्रिटिकल तकनीक में कोयले की खपत कम होती है और यह उच्च दक्षता के साथ उच्च दाब तथा तापमान पर संचालित होती है। यह परियोजना कुल 2,361 बीघा भूमि पर बनी है और इसकी अनुमानित लागत 9,550.27 करोड़ रूपए है। 

थर्मल पावर प्लान्ट छबड़ा की इकाई 5 और 6 प्रारंभ होने से परियोजना की विद्युत उत्पादन क्षमता में 1,320 मेगावाट की वृद्धि हुई है। अब इस विद्युत गृह की कुल उत्पादन क्षमता 2,320 मेगावाट हो गई है। परियोजना की पांचवीं इकाई में 9 अगस्त, 2018 एवं छठी इकाई में 2 अप्रेल, 2019 से वाणिज्यिक उत्पादन शुरू किया जा चुका है। इन दोनों इकाइयों से राज्य को लगभग 316.80 लाख यूनिट प्रतिदिन प्राप्त हो रही है। इस परियोजना द्वारा विद्युत उत्पादन प्रारम्भ करने से राज्य को प्रतिदिन 3 करोड़ यूनिट अतिरिक्त बिजली उपलब्ध होगी, जिससे प्रदेश के करीब 78 लाख नये उपभोक्ताओं को लाभान्वित किया जा सकेगा।

भूपेन्द्र यादव राजस्थान के नए पुलिस महानिदेशक

जयपुर। राजस्थान सरकार ने एटीएस और एसओजी के महानिदेशक डा भूपेन्द्र यादव को प्रदेश का नया पुलिस महानिदेशक नियुक्त किया है। कार्मिक विभाग ने इस संबंध में रविवार को आदेश जारी किये और यह आदेश सोमवार से प्रभावी होगा। भारतीय पुलिस सेवा के 1986 बैच के अधिकारी यादव को उनकी उल्लेखनीय सेवाओं के लिये 2016 में राष्ट्रपति पुलिस मैडल और 2002 में पुलिस मैडल से सम्मानित किया गया था।

एमबीबीएस और अंग्रेजी साहित्य में स्नातकोत्तर की डिग्री प्राप्त यादव ने जोधपुर के सरदार पटेल पुलिस विश्वविद्यालय के प्रो वाइस चांसलर,पुलिस अकादमी के निदेशक के रूप में कार्य किया है। यादव चूरू, बांरा, सवाईमाधोपुर के पुलिस अधीक्षक के अलावा नई दिल्ली में सीबीआई में पुलिस अधीक्षक के पद पर भी रहे है। उन्होंने भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरों में उपमहानिरीक्षक, भरतपुर के महानिरीक्षक, मुख्यालय में अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक और जैल के महानिदेशक के पद पर भी कार्य किया है। 3 जनवरी 2019 को उन्हे एटीएस और एसओजी का महानिदेशक बनाया गया था। वे हरियाणा से संबंध रखते है। यादव कपिल गर्ग का स्थान लेंगे, जो रविवार को अपना कार्यकाल पूरा कर रहे है।

लोकतंत्र देश का संस्कार और विरासत : मोदी

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने लोकतंत्र को देश के संस्कार, संस्कृति और विरासत का हिस्सा बताया और आपातकाल का जिक्र करते हुए लोकतंत्र की रक्षा के लिए अपनी प्रतिबद्धता जतायी। मोदी ने अपनी सरकार के दूसरे कार्यकाल में आकाशवाणी पर प्रसारित पहले ‘मन की बात’ कार्यक्रम में अपने संबोधन में जल संरक्षण के महत्व और अंतरराष्ट्रीय योग दिवस को भी रेखांकित किया।

उन्होंने कहा कि जब देश में आपातकाल लगाया गया, तब उसका विरोध सिर्फ राजनीतिक दायरे तक सीमित नहीं था। दिन-रात जब समय पर खाना खाते हैं तब भूख क्या होती है, इसका पता नहीं होता है, वैसे ही सामान्य जीवन में लोकतंत्र के अधिकार का मजा क्या है वो तब पता चलता है जब कोई लोकतांत्रिक अधिकारों को छीन ले।

प्रधानमंत्री ने कहा कि जब देश में आपातकाल लगाया गया तब उसका विरोध सिर्फ राजनीतिक दायरे तक सीमित नहीं रहा था, राजनेताओं तक सीमित नहीं रहा था, जेल के सलाखों तक, आन्दोलन सिमट नहीं गया था। जन-जन के दिल में एक आक्रोश था। लोकसभा चुनाव का जिक्र करते हुए मोदी ने कहा कि भारत गर्व के साथ कह सकता है कि हमारे लिए, कानून नियमों से परे, लोकतंत्र हमारे संस्कार हैं,

लोकतंत्र हमारी संस्कृति है, लोकतंत्र हमारी विरासत है। और आपातकाल में हमने अनुभव किया था और इसीलिए देश, अपने लिए नहीं, लोकतंत्र की रक्षा के लिए आहूत कर चुका था। उन्होंने कहा कि 2019 का लोकसभा का चुनाव अब तक के इतिहास में दुनिया का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक चुनाव था।

मोदी ने कहा कि भारत में 2019 के लोकसभा चुनाव में 61 करोड़ से ज्यादा लोगों ने वोट दिया। यह संख्या हमें बहुत ही सामान्य लग सकती है, लेकिन अगर दुनिया के हिसाब से देखें और चीन को छोड़ दिया जाए तो भारत में विश्व के किसी भी देश की आबादी से ज्यादा लोगों ने मतदान किया है।

लोकसभा चुनाव के संदर्भ में मोदी ने कहा कि आप कल्पना कर सकते हैं कि इस प्रकार के चुनाव संपन्न कराने में कितने बड़े स्तर पर संसाधनों की और मानवशक्ति की आवश्यकता हुई होगी। लाखों कर्मियों की दिन-रात की मेहनत से चुनाव संपन्न हो सका। सैन्य कर्मियों ने भी परिश्रम की पराकाष्ठा की।

उन्होंने कहा कि अरुणाचल प्रदेश के एक रिमोट इलाके में, महज एक महिला मतदाता के लिए मतदान केंद्र बनाया गया। आपको यह जानकार आश्चर्य होगा कि चुनाव आयोग के अधिकारियों को वहाँ पहुँचने के लिए दो-दो दिन तक यात्रा करनी पड़ी-यही तो लोकतंत्र का सच्चा सम्मान है। मोदी ने कहा कि दुनिया में सबसे ज्यादा ऊंचाई पर स्थित मतदान केंद्र भी भारत में ही है और यह मतदान केंद्र हिमाचल प्रदेश के लाहौल-स्फिति क्षेत्र में 15000 फीट की ऊंचाई पर स्थित है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि मैं चुनाव आयोग को, और चुनाव प्रक्रिया से जुड़े प्रत्येक व्यक्ति को, बहुत-बहुत बधाई देता हूँ और भारत के जागरूक मतदाताओं को नमन करता हूँ। उन्होंने कहा कि मुझे इस बात की ख़ुशी है कि हमारे देश के लोग उन मुद्दों के बारे में सोच रहे हैं, जो न केवल वर्तमान बल्कि भविष्य के लिए भी बड़ी चुनौती है। मोदी ने जल संरक्षण के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा कि मेरा पहला अनुरोध है–जैसे देशवासियों ने स्वच्छता को एक जन आंदोलन का रूप दे दिया।

आइए, वैसे ही जल संरक्षण के लिए एक जन आंदोलन की शुरुआत करें। उन्होंने कहा कि देशवासियों से मेरा दूसरा अनुरोध है। हमारे देश में पानी के संरक्षण के लिए कई पारंपरिक तौर-तरीके सदियों से उपयोग में लाए जा रहे हैं। मैं आप सभी से, जल संरक्षण के उन पारंपरिक तरीकों को साझा करने का आग्रह करता हूँ।

प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में 21 जून को देश दुनिया में उल्लास के साथ योग दिवस मनाये जाने का भी जिक्र किया। प्रधानमंत्री ने कहा कि मन की बात देश और समाज के लिए आईने की तरह है। ये हमें बताता हाँ कि देशवासियों के भीतर अंदरूनी मज़बूती, ताक़त और टैलेंट की कोई कमी नहीं है।

उन्होंने कहा कि एक लंबे अंतराल के बाद आपके बीच ‘मन की बात’ जन-जन की बात, जन-मन की बात इसका हम सिलसिला जारी कर रहे हैं। चुनाव की आपाधापी में व्यस्तता तो ज्यादा थी लेकिन मन की बात का मजा ही गायब था, एक कमी महसूस कर रहा था। हम 130 करोड़ देशवासियों के स्वजन के रूप में बातें करते थे।

जल संरक्षण के लिए जन आंदोलन का आह्वान - मोदी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश में पानी की कमी को देखते हुए आज देशवासियों से जल संरक्षण के लिए जन आंदोलन शुरू करने का आह्वान करते हुए कहा कि इसके लिए पारंपरिक तौर तरीकों पर जोर दिया जना चाहिए।

मोदी ने आकाशवाणी पर अपने मासिक रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’ में राष्ट्र को संबोधित करते हुए कहा कि जैसे स्वच्छता अभियान को एक जन आंदोलन का रुप दिया गया है वैसे ही जल संरक्षण के लिए भी जन आंदोलन शुरु किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा, हम सब साथ मिलकर पानी की हर बूंद को बचाने का संकल्प करें और मेरा तो विश्वास है कि पानी परमेश्वर का दिया हुआ प्रसाद है,

पानी पारस का रूप है। पहले कहते थे कि पारस के स्पर्श से लोहा सोना बन जाता है। मैं कहता हूँ, पानी पारस है और पारस से, पानी के स्पर्श से, नवजीवन निर्मित हो जाता है। पानी की एक-एक बूंद को बचाने के लिए एक जागरूकता अभियान की शुरुआत करें। श्री मोदी के दूसरी बार केंद्र में सत्ता संभालने के बाद यह पहला ‘मन की बात’ कार्यक्रम था।

प्रधानमंत्री ने कहा कि जन आंदोलन में पानी से जुड़ी समस्याओं के बारे में बताया जाना चाहिए और पानी बचाने के तरीकों का प्रचार-प्रसार किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा, मैं विशेष रूप से अलग-अलग क्षेत्र की हस्तियों से, जल संरक्षण के लिए, नव अभियानों का नेतृत्व करने का आग्रह करता हूँ।

फिल्म जगत हो, खेल जगत हो, मीडिया के हमारे साथी हों, सामाजिक संगठनों से जुड़ें हुए लोग हों, सांस्कृतिक संगठनों से जुड़ें हुए लोग हों, कथा-कीर्तन करने वाले लोग हों, हर कोई अपने-अपने तरीके से इस आंदोलन का नेतृत्व करें। समाज को जगायें, समाज को जोड़ें, समाज के साथ जुटें। आप देखिये, अपनी आंखों के सामने हम परिवर्तन देख पायेंगें।

 मोदी ने कहा कि जल संरक्षण के लिए पारंपरिक तौर तरीकों का इस्तेमाल किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा, हमारे देश में पानी के संरक्षण के लिए कई पारंपरिक तौर-तरीके सदियों से उपयोग में लाए जा रहे हैं। मैं आप सभी से, जल संरक्षण के उन पारंपरिक तरीकों को साझा करने का आग्रह करता हूँ।

आपमें से किसी को अगर पोरबंदर में पूज्य बापू के जन्म स्थान पर जाने का मौका मिला होगा तो पूज्य बापू के घर के पीछे ही एक दूसरा घर है, वहाँ पर, 200 साल पुराना पानी का टांका है और आज भी उसमें पानी है और बरसात के पानी को रोकने की व्यवस्था है, तो मैं, हमेशा कहता था कि जो भी कीर्ति मंदिर जायें वो उस पानी के टांके को जरुर देखें। ऐसे कई प्रकार के प्रयोग हर जगह पर होंगे।

प्रधानमंत्री ने कहा कि जल संरक्षण की दिशा में महत्वपूर्ण योगदान देने वाले व्यक्तियों का, स्वयं सेवी संस्थाओं का, और इस क्षेत्र में काम करने वाले हर किसी का, उनकी जो जानकारी हो तो उसे साझा किया जाना चाहिए जिससे पानी के लिए समर्पित, पानी के लिए सक्रिय संगठनों का, व्यक्तियों का, एक ज्ञान कोष (डाटाबेस) बनाया जा सके।

उन्होंने कहा, हम जल संरक्षण से जुड़ें ज्यादा से ज्यादा तरीकों की एक सूची बनाकर लोगों को जल संरक्षण के लिए प्रेरित करें और अंग्रेजी में हैशटैग ‘जलशक्ति 4 जलशक्ति’ पर जानकारी सोशल मीडिया पर डालें।

 मोदी ने प्रसन्नता जताई कि पानी की समस्या पर लोग विचार विमर्श कर रहें और इसे भविष्य की बड़ी चुनौती मान रहे हैं। उन्होंने बेलगावी के पवन गौराई और भुवनेश्वर के सितांशू मोहन परीदा के अलावा यश शर्मा, शाहाब अल्ताफ और भी कई लोगों का जिक्र किया। प्रधानमंत्री ने भारतीय संस्कृति में पानी के महत्व का उल्लेख करते हुए ऋग्वेद के ‘आपः सुक्तम्’ का यह स्त्रोत पढ़ा:

आपो हिष्ठा मयो भुवः, स्था न ऊर्जे दधातन, महे रणाय चक्षसे, यो वः शिवतमो रसः, तस्य भाजयतेह नः, उषतीरिव मातरः। अर्थात, जल ही जीवन दायिनी शक्ति, ऊर्जा का स्त्रोत है। आप माँ के समान यानि मातृवत अपना आशीर्वाद दें। अपनी कृपा हम पर बरसाते रहें।

श्री मोदी ने कहा कि पानी की कमी से देश के कई हिस्से हर साल प्रभावित होते हैं। लेकिन साल भर में वर्षा से जो पानी प्राप्त होता है, उसका केवल आठ प्रतिशत बचाया जाता है। वर्षा जल का संरक्षण करने से पानी की समस्या का समाधान निकाला जा सकता है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि दूसरी और समस्याओं की तरह ही जनभागीदारी से, जनशक्ति से, एक सौ तीस करोड़ देशवासियों के सामर्थ्य, सहयोग और संकल्प से इस संकट का भी समाधान किया जा सकता है। सरकार ने जल की महत्ता को सर्वोपरि रखते हुए देश में नया जल शक्ति मंत्रालय बनाया गया है।

इससे पानी से संबंधित सभी विषयों पर तेज़ी से फैसले लिए जा सकेंगे। उन्होंने कहा, मैंने देश भर के सरपंचों को पत्र लिखा ग्राम प्रधान को। मैंने ग्राम प्रधानों को लिखा कि पानी बचाने के लिए, पानी का संचय करने के लिए, वर्षा के बूंद-बूंद पानी बचाने के लिए, वे ग्राम सभा की बैठक बुलाकर, गाँव वालों के साथ बैठकर के विचार-विमर्श करें।

उन्होंने इस कार्य में पूरा उत्साह दिखाया है और इस महीने की 22 तारीख को हजारों पंचायतों में करोड़ों लोगों ने श्रमदान किया। गाँव-गाँव में लोगों ने जल की एक-एक बूंद का संचय करने का संकल्प लिया। प्रधानमंत्री ने झारखंड के हजारीबाग जिले के कटकमसांडी ब्लॉक की लुपुंग पंचायत के सरपंच का एक सन्देश भी सुनाया।

 मोदी ने बिरसा मुंडा का उल्लेख करते हुए कहा कि झारखंड में प्रकृति के साथ तालमेल बिठाकर रहना संस्कृति का हिस्सा है। वहाँ के लोग जल संरक्षण के लिए सक्रिय भूमिका निभाने के लिए तैयार हैं।

उन्होंने कहा कि पूरे देश में जल संकट से निपटने का कोई एक फ़ॉर्मूला नहीं हो सकता है। इसके लिए देश के अलग-अलग हिस्सों में, अलग-अलग तरीके से, प्रयास किये जा रहे हैं। लेकिन सबका लक्ष्य जल संरक्षण है। प्रधान मंत्री ने कहा कि पंजाब में नालों को ठीक किया जा रहा है। इस प्रयास से जल भराव की समस्या से छुटकारा मिल रहा है।

तेलंगाना के थिमाईपल्ली में टैंक के निर्माण से गाँवों के लोगों की जिंदगी बदल रही है। राजस्थान के कबीरधाम में, खेतों में बनाए गए छोटे तालाबों से एक बड़ा बदलाव आया है। मैं तमिलनाडु के वेल्लोर में एक सामूहिक से नागनदी को पुनर्जीवित करने के लिए 20 हजार महिलाएँ एक साथ आई है। इसके अलावा गढ़वाल की महिलायें आपस में मिलकर वर्षा संरक्षण पर बहुत अच्छा काम कर रही हैं।

शुक्रवार, 28 जून 2019

‘एक राष्ट्र, एक राशन कार्ड’ की दिशा में काम कर रही है सरकार: राम विलास पासवान

 अभी 'एक देश, एक चुनाव' की बात चल ही रही है कि इस बीच केंद्र सरकार ने 'एक देश, एक राशन कार्ड' लाने की तैयारी शुरू कर दी हैl उपभोक्ता मामले और खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण विभाग के केंद्रीय मंत्री राम विलास पासवान ने बताया है कि सरकार इस दिशा में आगे बढ़ रही हैl इससे उपभोक्ता किसी दूसरे राज्य की किसी भी राशन दुकान से रियायती दरों पर अनाज उठा सकते हैंl

इस सुविधा से रोजी रोटी और नौकरियों के लिए शहरों की ओर पलायन करने वाले उपभोक्ताओं को सबसे ज्यादा फायदा मिल सकेगाl केंद्रीय मंत्री पासवान ने गुरुवार को राज्यों के खाद्य सचिवों और सरकारी अधिकारियों की एक बैठक को संबोधित करते हुए यह बात कहीl उन्होंने कहा कि पीडीएस के इंटीग्रेटेड मैनेजमेंट के तहत राशन कार्डों की एक सेंट्रल रिपॉजिटरी (केंद्रीय संग्रह केंद्र) बनाई जाएगी, ताकि राष्ट्रीय स्तर पर दोहरीकरण से बचा जा सकेl

इसी कार्यक्रम को संबोधित करते हुए उपभोक्ता मामले और खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण विभाग के राज्य मंत्री दानवे रावसाहब दादाराव ने राज्यों से आग्रह किया कि वे राशन कार्डों के डिजिटाजेशन पर काम करें. इस नयी व्यवस्था के बूते आप देशभर में एक ही राशन कार्ड का इस्तेमाल कर सकेंगेl यही नहीं, इसके बूते फर्जी राशनकार्ड बनाने वालों पर भी नकेल कसी जाएगीl


दरअसल, सरकार की तैयारी है कि आधार कार्ड की तर्ज पर हर एक राशन कार्ड को एक विशिष्ट (यूनिक) पहचान नंबर दिया जाएगा. इससे फर्जी राशन कार्ड बनाना काफी मुश्किल हो जाएगा. इसके साथ ही सरकार ऐसी व्यवस्था करेगी, जिसमें एक ऑनलाइन एकीकृत (इंटेग्रेटेड) सिस्टम बनाया जाएगाl इस सिस्टम में राशन कार्ड का डेटा स्टोर होगाl

रास सांसदों के जुगाड़ में भाजपा

एक तरफ तो भाजपा के नेता किसी तरह विपक्षी पार्टियों को पटाने में लगे हैं ताकि सरकार कुछ जरूरी विधेयक पास करा सके तो दूसरी ओर भाजपा के संसदीय प्रबंधक और पार्टी के दूसरे नेता जैसे जैसे कामचलाऊ बहुमत के जुगाड़ में भी लगे हैं। ऐसा लग रहा है कि इस रणनीति के तहत ही भाजपा की नजर कई छोटी पार्टियों के राज्यसभा सांसदों के ऊपर है। पार्टी किसी तरह से अपने राज्यसभा सांसदों की संख्या बढ़ाने का प्रयास कर रही है। 

इसी प्रयास के तहत भाजपा ने ओड़िशा के मुख्य़मंत्री नवीन पटनायक से बात की और
उनसे एक सीट अपने लिए मांग ली। चुनाव में भाजपा हालांकि खुल कर उनके विरोध में लड़ी थी और बीजू जनता दल के लिए चुनौती बन कर उभरी है। इसके बावजूद उसने भाजपा के लिए एक राज्यसभा सीट छोड़ी। अपने कोटे से बीजद ने भाजपा के उम्मीदवार और पूर्व आईएएस अधिकारी अश्विन वैष्णब को राज्यसभा भेजने का फैसला किया। बदले में बीजद को लोकसभा में डिप्टी स्पीकर का पद मिल सकता है।

इस बीच हरियाणा में इंडियन नेशनल लोकदल के इकलौते राज्यसभा सांसद रामकुमार कश्यप भाजपा में शामिल हो गए हैं। उनका कार्यकाल हालांकि अगले ही साल तक है लेकिन फिलहाल उनके आने से भाजपा को फायदा हुआ है। इससे कुछ ही दिन पहले आंध्र प्रदेश की तेलुगू देशम पार्टी के छह में से चार राज्यसभा सांसद भाजपा में शामिल हुए थे। इस तरह लोकसभा का चुनाव खत्म होने के बाद पिछले एक महीने में भाजपा ने राज्यसभा के छह सांसदों का जुगाड़ किया है। उसने चार टीडीपी से तोड़े, एक इनेलो से तोड़ा और एक बीजद के सद्भाव से हासिल किया। इस तरह राज्यसभा में अब भाजपा के सदस्यों की संख्या 76 हो गई है। अगले साल होने वाले दोवार्षिक चुनाव के बाद भाजपा की संख्या 90 से ज्यादा हो जाएगी। 

शिक्षकों की हालत पर रास में जताई गई चिंता

शिक्षकों की हालत पर चिंता जताते हुए राज्यसभा में शुक्रवार को मांग की गई कि शिक्षकों की गणना की जानी चाहिए, उन्हें वेतन सहित तमाम आवश्यक सुविधाएं दी जानी चाहिए और रिक्त पदों पर तत्काल नियुक्तियां की जानी चाहिए।

उच्च सदन में शून्यकाल के दौरान राजद के प्रो मनोज कुमार झा ने देश के शिक्षण संस्थानों में कार्यरत तदर्थ शिक्षकों एवं अतिथि शिक्षकों का मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा कि कई जगहों पर तदर्थ शिक्षक एवं अतिथि शिक्षक 20-25 साल से इन्हीं पदों पर काम कर रहे हैं और उनकी स्थिति अच्छी नहीं है। झा ने कहा कि देश के विकास में अहम भूमिका निभाने वाले शिक्षक अनिश्चितता और असुरक्षा की स्थिति में काम कर रहे हैं, यह बेहद चिंताजनक स्थिति है।

राजद सदस्य ने कहा कि निजी शिक्षण संस्थानों में भी शिक्षकों की हालत शोचनीय है। निजी संस्थानों में वेतन के नाम पर उनसे बड़ी रकम पर हस्ताक्षर कराए जाते हैं लेकिन उससे कम राशि उन्हें दी जाती है।  झा ने मांग की कि शिक्षकों की गणना की जानी चाहिए, उन्हें वेतन सहित तमाम आवश्यक सुविधाएं दी जानी चाहिए और रिक्त पदों पर तत्काल नियुक्तियां की जानी चाहिए। विभिन्न दलों के सदस्यों ने उनके इस मुद्दे से स्वयं को संबद्ध किया।



गुरुवार, 27 जून 2019

हवाई किरायों में बढ़ोतरी पर लोकसभा में हंगामा

 प्राकृतिक आपदाओं और सड़क एवं रेलमार्ग बाधित होने के समय निजी विमानन कंपनियों द्वारा किरायों में बेतहाशा बढ़ोतरी किए जाने को लेकर कांग्रेस एवं कुछ अन्य विपक्षी दलों के सदस्यों ने बृहस्पतिवार को लोकसभा में हंगामा किया। दरअसल, प्रश्नकाल के दौरान बीजू जनता दल (बीजद) के पिनाकी मिश्रा ने सवाल किया कि हरियाणा में जाट आंदोलन के समय दिल्ली-चंडीगढ़ हवाई मार्ग का किराया 90 हजार रुपए तक कर दिया गया था।

हाल ही में फोनी चक्रवात के समय ओडिशा जाने वाली उड़ानों का किराया 60 हजार रुपए तक वसूला गया। क्या ऐसी परिस्थितियों में किरायों में बेतहाशा बढ़ोतरी पर नियंत्रण के लिए सरकार कोई कदम उठा रही है? इसके जवाब में नागर विमानन मंत्री हरदीप पुरी ने कहा कि न्यूनतम और अधिकतम हवाई किरायों की सीमा होती है। सदस्य ने जिन परिस्थितियों की बात की है उनमें विमानन कंपनियां अधिकतम दर कर देती हैं और लोग टिकट लेते हैं।

अभी मंत्री का जवाब पूरा नहीं हुआ था कि कांग्रेस के मनीष तिवारी खड़े हो गए और पूछा कि क्या मंत्री हवाई किरायों में बढ़ोतरी को सही ठहरा रहे हैं? इसके बाद कांग्रेस और द्रमुक के कई सदस्यों ने हंगामा शुरू कर दिया। उन्होंने आरोप लगाया कि मंत्री के पास कोई जवाब नहीं है।

पुरी ने कहा कि विपक्षी सदस्य उनकी पूरी बात सुनकर संतुष्ट हो जाएंगे। बहरहाल, शोर-शराबा नहीं थमा। इसी बीच, लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा कि प्रश्नकाल पूरा हो गया है।

इससे पहले भाजपा सांसद हेमा मालिनी और कुछ अन्य सदस्यों के जवाब में पुरी ने कहा कि ‘उड़ान’ योजना का बहुत सकारात्मक असर रहा है और सरकार आम लोगों तक हवाई सेवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है।

बुधवार, 26 जून 2019

अधिक दाम वसूलने पर ई-मित्र कियोस्क हाेंगे ब्लैक लिस्ट

जिला क्लकटर, उपखण्ड अधिकारी एवं एसीपी को किया अधिकृत
जयपुर। प्रमुख शासन सचिव, सूचना एवं प्रौद्योगिकी विभाग, अभय कुमार ने बताया कि ई-मित्र कियोस्क द्वारा आमजन को दी जा रही सेवाओं के बदले निर्धारित शुल्क से अधिक शुल्क वसूलने की शिकायत प्राप्त होने पर कियोस्क को ब्लैक लिस्ट किया जायेगा। उन्होेंने बताया कि मुख्यमंत्री कार्यालय में 24 जून को विभाग की समीक्षा बैठक के दौरान मुख्यमंत्री अशोक गहलोत द्वारा इस संबंध में अधिक दाम वसूलने की शिकायतों पर ई-मित्र कियोस्क के खिलाफ कार्यवाही के सख्त निर्देश दिये थे। 

उन्होंने बताया कि समस्त जिला कलेक्टर को निर्देशित किया गया है कि जिला स्तर पर किसी भी ई-मित्र कियोस्क के विरूद्ध सेवाओं के बदले उपभोक्ताओ से तय राशि से अधिक राशि लेने की शिकायत प्राप्त होती है तो उसके खिलाफ कार्यवाही के लिए जिला कलेक्टर, उपखण्ड अधिकारी एवं जिले में पदस्थापित एसीपी कार्यवाही के लिये अधिकृत है।

कुमार ने बताया कि किसी भी ई-मित्र कियोस्क के विरूद्ध प्रथम बार इस प्रकार की शिकायत प्राप्त होने पर उक्त अधिकारी अपने एसएसओ आई.डी. से ई-साईन कर कियोस्क को 15 दिन के लिये निलंबित कर सकता है। उन्होंने बताया कि उसी ई-मित्र के खिलाफ द्वितीय बार शिकायत प्राप्त होने पर कियोस्क को 30 दिन के लिये निलंबित कर दिया जायेगा तथा तीसरी बार शिकायत प्राप्त होने पर ई-मित्र को 1 वर्ष के लिये ब्लैक लिस्ट किया जायेगा।

राजस्थान विधानसभा में सर्वदलीय बैठक आयोजित, बजट सत्र कल से

जयपुर । राजस्थान विधानसभा का बजट सत्र 27 जून से शुरू हो रहा है। विधानसभा सत्र की कार्यवाही नियमों के साथ शांतिपूर्णत तरीके के साथ चले,इस मुद्दे को लेकर विधानसभा अध्यक्ष डॉ.सी.पी.जोशी की अध्यक्षता में सुबह 11 बजे विधानसभा में सर्वदलीय बैठक आयोजित की गई । 


इस बैठक में सीएम अशोक गहलोत, संसदीय कार्यमंत्री शांति धारीवाल, उपनेता राजेंद्र राठौड़, मुख्य सचेतक महेश जोशी समेत अन्य दलों के विधायक मौजूद रहे। इस बैठक के बाद मुख्य सचेतक महेश जोशी ने बताया कि बैठक में विधानसभा सत्र को लेकर चर्चा की गई। 


साथ ही सत्र में जनता से जुड़े मुद्दे अधिक उठे और जनता से जुड़े मुद्दों पर ज्यादा से ज्यादा बहस हो इस बात को लेकर चर्चा की गई। उन्होंने कहा कि विपक्ष दल भाजपा भी भले ही जनता से जुड़े मुद्दे सदन में उठाये, राज्य सरकार उसका जवाब देने के लिए तैयार है। जोशी ने कहा कि राज्य सरकार जनता से जुड़े मुद्दों पर काम कर रही है। 

आज भी बच्चों का बुखार से मरना देश की 70 साल की विफलताओं में से एक है

 लोकसभा चुनाव में मिली करारी शिकस्त के लिए ईवीएम पर ‘‘ठीकरा' फोड़ने को लेकर कांग्रेस पर बरसते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को विपक्ष को ‘‘नकारात्मकता' त्यागने और देश की विकास यात्रा में सकारात्मक योगदान देने की नसीहत दी। उन्होंने झारखंड में भीड़ द्वारा एक युवक की हत्या किए जाने पर दुख व्यक्त करते हुए कहा कि इसे लेकर पूरे एक राज्य को बुरा बताना अनुचित है और इस पर राजनीति नहीं की जानी चाहिए। 

बिहार में ‘चमकी' बुखार के कारण बच्चों की लगातार मौत पर दुख व्यक्त करते हुए उन्होंने कहा कि यह स्थिति हमारी 70 साल की विफलताओं में से एक है और हम सभी को मिलकर इन विफलताओं से निबटने के समाधान खोजने होंगे। राष्ट्रपति के अभिभाषण पर राज्यसभा में धन्यवाद प्रस्ताव पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने यह बात कही। उन्होंने हाल में संपन्न लोकसभा चुनाव का उल्लेख करते हुए कहा, ‘‘ऐसे अवसर बहुत कम आते हैं जब चुनाव स्वयं जनता लड़ती है। 2019 का चुनाव दलों से परे देश की जनता लड़ रही थी । ' 

भाजपा नीत राजग को लोकसभा चुनाव में मिले बहुमत को ‘‘देश की हार' बताने के लिए कांग्रेस पर बरसते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को कहा कि ऐसा कहना देश के करोड़ों मतदाताओं, किसानों एवं मीडिया का अपमान है। उन्होंने कहा कि ये चुनाव विशेष थे, कई दशकों के बाद पूर्ण बहुमत की सरकारें बनना मतदाताओं की सोच की स्थिरता जाहिर करता है ।

 ‘‘ भाजपा की जीत को लोकतंत्र तथा देश की हार बताना लोकतंत्र का अपमान है ।' विपक्षी कांग्रेस पर तंज करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा ‘‘ कांग्रेस हारी तो देश हार गया । देश यानी कांग्रेस, कांग्रेस यानी देश । अहंकार की एक सीमा होती है । ' उन्होंने कहा कि कांग्रेस के हारने से देश नहीं हार जाता क्योंकि कांग्रेस देश नहीं है । झारखंड में भीड़ द्वारा एक युवक की हत्या किए जाने को ‘‘दुखद एवं शर्मनाक' बताते हुए मोदी ने कहा कि दोषियों को कड़ी सजा मिले, यह हम मानते हैं। किंतु इसे लेकर पूरे राज्य को गलत बताना अनुचित है। 

उन्होंने कहा कि राज्य के सभी नागरिकों को कठघरे में खड़ा करके हम अपनी राजनीति तो कर सकते हैं लेकिन इससे समस्या का समाधान नहीं हो सकता। उन्होंने कहा कि यह कहना बिल्कुल गलत है कि ‘‘झारखंड मॉब लिन्चिंग का अड्डा हो गया है। दोषियों को कड़ी सजा मिलनी चाहिए। किंतु इसे लेकर झारखंड राज्य को दोषी ठहराना उचित नहीं है। हमसे से किसी को भी पूरे झारखंड को बदनाम करने का अधिकार नहीं है।' प्रधानमंत्री ने कहा कि यह किसी भी राज्य में हो सकता है। उन्होंने यह भी कहा कि कानून का ढांचा स्थिति से निपटने में सक्षम है। बिहार में बच्चों की इंफेसेलाइटिस के कारण मौत की घटनाओं का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि यह हम सभी के लिए ‘दुख और शर्म' की बात है। उन्होंने कहा कि आज भी बच्चों का बुखार से मरना देश की 70 साल की विफलताओं में से एक है और हम सभी को मिलकर इन विफलताओं से निबटने के समाधान खोजने होंगे । प्रधानमंत्री ने कहा कि इस बारे में वह राज्य सरकार के साथ लगातार संपर्क बनाए हुए हैं। 

कभी हम दो हुआ करते थे

राज्यसभा में पीएम मोदी ने कहा कि अक्सर चुनावों में देखा जाता रहा था कि पुरुष मतदाताओं का अनुपात करीब 9 फीसदी तक ज्यादा होता था। इस बार यह अंतराल शून्य पर पहुंच गया है। चुनाव में महिलाओं ने बढ-चढ़कर हिस्सा लिया। महिलाएं में ज्यादा संख्या में चुनकर संसद पहुंचीं हैं। उन्होंने कहा कि कभी हमारी संख्या 2 थी. हमारा मजाक उड़ाया जाता था। निराशाजनक वातावरण में विश्वास के बलबूते हमने पार्टी को खड़ा किया। हम हार पर कभी दुखी नहीं हुए।जब स्वयं पर भरोसा नहीं होता, सामर्थ्य का अभाव होता है. तब बहाने खोजे जाते हैं। ठीकरा ईवीएम पर फोड़ा जाता है।

अखबारों की हेडलाइन और इवीएम का वार

राज्यसभा में पीएम मोदी ने कहा कि सुधार की एक निरंतर प्रक्रिया है। पहले का जमाना देख लीजिए क्या था ? चुनाव के बाद अखबारों की हेडलाइन में क्या नजर आता था?  इतनी हिंसा हुई, इतने लोग मारे गये और इतने बूथ कैप्चर किये गये। आज हेडलाइन होती है कि पहले की तुलना में मतदान कितना बढ़ा है। 1977 में ईवीएम की चर्चा हुई। 1982 में पहली बार इसका प्रयोग किया गया। 1988 में इसी सदन के महानुभावों ने कानूनन इस बात की स्वीकृति प्रदान की। कांग्रेस के नेतृत्व में ईवीएम को लेकर नियम बनाए गये। आप हर गए इसलिए रो रहे हो। ये क्या तरीका है ?  इस ईवीएम से अबतक विधानसभा के चुनाव हुए हैं अबतक 113, और यहां उपस्थित सभी दलों को उसी ईवीएम से जीतकर सत्ता में आने का मौका मिला। चार लोकसभा के आम चुनाव हुए हैं। उसमें भी दल बदले हैं और आज हम पराजय के लिए कैसी बात कर रहे हैं। सारे परीक्षण के बाद ईवीएम पर सारी देश की न्यायपालिकाओं ने सही फैसला दिया है। चुनाव आयोग ने चुनौती दी थी। आज जो ईवीएम का यहां हल्ला कर रहे हैं। वह कोई गया नहीं। केवल दो दल गया एनसीपी और सीपीआई। बाकी लोग चुनाव आयोग के निमंत्रण के बाद भी नहीं गये।

पीएम मोदी ने किया बड़ा वार-जीत भी नहीं पचा पाती है कांग्रेस

राज्यसभा में पीएम मोदी ने ईवीएम में गड़बड़ी को लेकर कहा कि उस हवा में हमारे लोग भी फंस गये थे। हम भी मानने लगे थे कि ईवीएम में गड़बड़ी है। हमने सारी चीजों को समझा...हमारी पार्टी में भी उस विचार को मानने वाले को समझाया गया कि वे गलत रास्ते पर चल रहे हैं। 2014 से मैं लगातार देख रहा हूं कि कांग्रेस पराजय को स्वीकार नहीं कर पा रही हैं। मध्य प्रदेश में क्या हुआ ? अभी तो विजय हुई है। मोदी ने कांग्रेस पर बड़ा वार करते हुए कहा कि जीत भी नहीं पचा पाती है कांग्रेस, हार भी स्वीकार करने का सामर्थ्य नहीं है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस एक देश, एक चुनाव के पक्ष में नहीं हैं। अरे चर्चा में तो भाग लीजिए।

हम आधार से भ्रष्टाचार खत्म करना चाहते हैं तो

प्रधानमंत्री ने कहा कि कुछ लोग कहते हैं कि अगर साथ चुनाव होंगे तो रीजनल पार्टियां खत्म हो जाएंगी। जहां-जहां लोकसभा और विधानसभा चुनाव साथ हुए वहां प्रादेशिक पार्टियों ने जीत दर्ज की है। देश के मतदाताओं को समझ है, इसलिए उनकी समझ पर शक करने का काम उचित नहीं। हर प्रयास का स्वागत किया जाना चाहिए। लेकिन हम पहले ही दरवाजे बंद करें तो कभी बदलाव नहीं आता है। उन्होंने कहा कि इसी सदन में विद्वान लोग बैठे थे, उन्होंने कहा था कि हमारे देश में डिजिटल ट्रांजैक्शन असंभव है। जब हम आधार से भ्रष्टाचार खत्म करना चाहते हैं तो वह गलत हो जाता है। हम महान भारत बनाना चाहते हैं तो तकनीक से कितना दूर रह सकते हैं। हम चीजों से भागते रहेंगे। जीएसटी, ईवीएम, वीमैप हर चीज में उसका विरोध किया जा रहा है। इस सदन में जिन दलों का व्यवहार पिछले पांच साल में रुकावट डालने का रहा है, अड़ंगे डालने का रहा है, उन सबको देशवासियों ने सजा देने का काम किया है।

ओल्ड इंडिया या न्यू इंडिया

राज्यसभा में पीएम मोदी ने कहा कि मैं हैरान हूं कि अब न्यू इंडिया का विरोध किया जा रहा है। मैं यह समझ सकता हूं, कि इसमें 5 बातें सही और 5 बातें गलत है। औरों ने क्या किया, उसे छोड़ दीजिए...देश के लोगों को निराशा की ओर धकेलने का पाप न करें। हम आइडिया में सुधार करेंगे...लेकिन एकदम विरोध...ओल्ड इंडिया चाहिए क्या... जहां कैबिनेट के निर्णय को पत्रकारों के बीच फाड़ दिया जाए, वैसा ओल्ड इंडिया चाहिए, हमें वो ओल्ड इंडिया चाहिए जो जल, थल, नभ में घोटाले से परेशान रहे?, हमें वो ओल्ड इंडिया चाहिए जो टुकड़े गैंग को समर्थन करने पहुंच जाए ? पासपोर्ट के लिए महीनों तक इंतजार करना चाहिए, क्या हमें वो ओल्ड इंडिया चाहिए? इंटरव्यू के नाम पर करप्शन वाला इंडिया चाहिए ? उन्होंने कहा कि देश छोटी-छोटी चीजों से बदलता है। देश को छोटी चीजें चाहिए। हम बड़े नहीं छोटों के बीच से यहां पहुंचे हैं। हमें उसी के लिए काम करने की जरूरत है। हमने पांच साल आम लोगों के काम को पूरा करने का प्रयास किया है। अब ये पांच साल आवश्यकताओं से ज्यादा इच्छाओं की पूर्ति का है। हम भाग्यवान हैं, जब देश का सामान्य लोग इच्छाओं के साथ है। इससे काम की गति बढ़ती है। इसलिए हम सबका दायित्व बढ़ता है।



स्वास्थ्य के लिहाज़ से बिहार, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड में हालात और बिगड़े: नीति आयोग

नीति आयोग द्वारा राज्यों का स्वास्थ्य सूचकांक जारी किया गया. इसमें बड़े राज्यों में बिहार सबसे निचले पायदान पर रहा जबकि केरल शीर्ष पर है।
 नीति आयोग द्वारा  देशभर के राज्यों का स्वास्थ्य सूचकांक जारी किया गया। इसमें बड़े राज्यों में बिहार सबसे निचले पायदान पर रहा जबकि केरल शीर्ष पर रहा।

स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय तथा विश्वबैंक के तकनीकी सहयोग से तैयार नीति आयोग की ‘स्वस्थ्य राज्य प्रगतिशील भारत’ शीर्षक से जारी रिपोर्ट में राज्यों की रैंकिंग से यह बात सामने आई है।

इस रिपोर्ट में इन्क्रीमेन्टल रैंकिंग यानी पिछली बार के मुकाबले सुधार के स्तर के मामले में 21 बड़े राज्यों की सूची में बिहार 21वें स्थान के साथ सबसे नीचे है। इसमें उत्तर प्रदेश 20वें, उत्तराखंड 19वें और ओडिशा 18वें स्थान पर हैं।

रिपोर्ट के अनुसार संदर्भ वर्ष 2015-16 की तुलना में 2017-18 में स्वास्थ्य क्षेत्र में बिहार का संपूर्ण प्रदर्शन सूचकांक 6.35 अंक गिरा है. इसी दौरान उत्तर प्रदेश के प्रदर्शन सूचकांक में 5.08 अंक, उत्तराखंड 5.02 अंक तथा ओडिशा के सूचकांक में 3.46 अंक की गिरावट आयी है।

यह रैंकिंग 23 संकेतकों के आधार पर तैयार की गई है। इन संकेतकों को स्वास्थ्य परिणाम (नवजात मृत्यु दर, प्रजनन दर, जन्म के समय स्त्री-पुरूष अनुपात आदि), संचालन व्यवस्था और सूचना (अधिकारियों की नियुक्ति अवधि आदि) तथा प्रमुख इनपुट / प्रक्रियाओं (नर्सों के खाली पड़े पद, जन्म पंजीकरण का स्तर आदि) में बांटा गया है।

यह दूसरा मौका है जब आयोग ने स्वास्थ्य सूचकांक के आधार पर राज्यों की रैंकिंग की गई है। इस तरह की पिछली रैंकिंग फरवरी 2018 में जारी की गई थी. उसमें 2014-15 के आधार पर 2015-16 के आंकड़ों की तुलना की गई थी।

इस रिपोर्ट में पिछले बार के मुकाबले सुधार और कुल मिलाकर बेहतर प्रदर्शन के आधार पर राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों की रैंकिंग तीन श्रेणी में की गई है। पहली श्रेणी में 21 बड़े राज्यों, दूसरी श्रेणी में आठ छोटे राज्यों एवं तीसरी श्रेणी में केंद्र शासित प्रदेशों को रखा गया है।

सूचकांक में सुधार के पैमाने पर हरियाणा का प्रदर्शन सबसे अच्छा रहा है। उसके 2017-18 के संपूर्ण सूचकांक में 6.55 अंक का सुधार आया है. उसके बाद क्रमश: राजस्थान (दूसरा), झारखंड (तीसरा) और आंध्र प्रदेश (चौथे) का स्थान रहा।

वहीं, छोटे राज्यों में त्रिपुरा पहले पायदान पर रहा। उसके बाद क्रमश: मणिपुर, मिजोरम और नगालैंड का स्थान रहा। इसमें सबसे फिसड्डी अरूणाचल प्रदेश (आठवें), सिक्किम (सातवें) तथा गोवा (छठे) का स्थान रहा।

रिपोर्ट के अनुसार केंद्रशासित प्रदेशों में दादर एंड नागर हवेली तथा चंडीगढ़ में स्थिति पहले से बेहतर हुई है। सूची में लक्षद्वीप सबसे नीचे तथा दिल्ली पांचवें स्थान पर है।

संदर्भ वर्ष की संपूर्ण रैंकिंग में उत्तर प्रदेश सबसे निचले 21वें स्थान पर है। उसके बाद क्रमश: बिहार, ओडिशा, मध्य प्रदेश और उत्तराखंड का स्थान है. वहीं शीर्ष पर केरल है. उसके बाद क्रमश: आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र और गुजरात का स्थान हैं।

रिपोर्ट जारी किए जाने के मौके पर नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार ने कहा, ‘यह एक बड़ा प्रयास है…जिसका मकसद राज्यों को महत्वपूर्ण संकेतकों के आधार पर स्वास्थ्य सेवाओं के क्षेत्र में सुधार के लिए आपस में प्रतिस्पर्धा के लिये प्रेरित करना है।’

उन्होंने कहा, ‘हम ऐसे राज्यों के साथ काम कर रहे हैं और जो सूचकांक में पीछे हैं, उनमें सुधार के लिये वहां ज्यादा काम करेंगे। जो आकांक्षावादी (पिछड़े जिले) हैं, उनकी भूमिका काफी महत्वपूर्ण होगी।

आयोग के सदस्य डा. वीके पॉल ने कहा, ‘स्वास्थ्य क्षेत्र में अभी काफी काम करने की जरूरत है…इसमें सुधार के लिये स्थिर प्रशासन, महत्वपूर्ण पदों को भरा जाना तथा स्वास्थ्य बजट बढ़ाने की जरूरत है।’

नीति आयोग के मुख्य कार्यकारी अधिकारी अमिताभ कांत ने कहा कि आयोग सालाना प्रणालीगत व्यवस्था के रूप में स्वास्थ्य सूचकांक स्थापित करने को प्रतिबद्ध है ताकि राज्यों का बेहतर स्वास्थ्य परिणाम हासिल करने की ओर ध्यान जाए।

बिहार: नहीं मिली सरकारी एम्बुलेंस, अस्पताल से बच्चे का शव कंधे पर लेकर गए पिता

मामला बिहार के नालंदा जिला का है। आठ वर्षीय बच्चे के पिता का आरोप है कि वह अपने मृत बच्चे को ले जाने के लिए एम्बुलेंस के लिए अस्पताल में चक्कर लगाते रहे लेकिन अस्पताल प्रशासन द्वारा एम्बुलेंस उपलब्ध नहीं कराए जाने पर उन्हें मजबूरन अपने बेटे का शव कंधे पर लादकर घर ले जाना पड़ा।
बिहार के नालंदा जिला सदर अस्पताल में मृत बच्चे का शव ले जाने के लिए सरकारी एम्बुलेंस नहीं मिलने पर उसके पिता द्वारा उसे कंधे पर घर ले जाने को विवश होने का मामला प्रकाश में आया है।

जिलाधिकारी योगेंद्र सिंह ने मामले की जांच का आदेश देते हुए मंगलवार को बताया कि जांच के बाद दोषी पाए जाने वाले अस्पतालकर्मियों के खिलाफ कड़ी करवाई की जाएगी ताकि बाकी अन्य स्वास्थ्यकर्मी उससे सबक लें।


जानकारी के मुताबिक परवलपुर थाना अंतर्गत सीतापुर गांव निवासी वीरेंद्र यादव अपने आठ वर्षीय पुत्र सागर कुमार को अचानक बुखार और पेट में दर्द की शिकायत होने पर इलाज के लिए मंगलवार सुबह नालंदा जिला मुख्यालय बिहारशरीफ स्थित सदर अस्पताल लेकर आए थे। यद्यपि डॉक्टरों ने बच्चे को मृत घोषित कर दिया।

बच्चे के पिता का आरोप है कि वह अपने मृत बच्चे को ले जाने के लिए एम्बुलेंस के लिए अस्पताल में चक्कर लगाते रहे लेकिन अस्पताल प्रशासन द्वारा एम्बुलेंस उपलब्ध नहीं कराए जाने वह अपने पुत्र के शव को कंधे पर लादकर घर ले जाने को मजबूर हुए।

 ऐसी घटना पहले भी सामने आ चुकी है।

बता दें कि यह घटना ऐसे समय में सामने आई है जब बिहार के ही मुज़फ़्फ़रपुर जिले में एक्यूट इंसेफलाइटिस सिंड्रोम (एईएस) या चमकी बुखार से 131 बच्चों की मौत हो चुकी है।

बिहार सरकार के श्री कृष्ण मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल (एसकेएमसीएच) में जहां 111 बच्चों की मौत हुई वहीं, 20 अन्य बच्चों की मौत केजरीवाल अस्पताल में हुई।

मुस्लिम नेताओं का भाजपा प्रेम

भारतीय जनता पार्टी की बहती गंगा में डूबकी लगाने और पवित्र होने की ऐसी होड़ मची है कि अब मुस्लिम नेता भी बड़ी संख्या में भाजपा ज्वाइन कर रहे हैं। पहले इक्का दुक्का मुस्लिम नेताओं के भाजपा में जाने की खबरें आती थीं वह भी ऐसे नेता के, जिनका बहुत मजबूत जनाधार नहीं होता था। पर अब राज्यों में दूसरी पार्टियों के जीते मुस्लिम विधायक भी भाजपा में शामिल हो रहे हैं। पूर्व विधायक, पूर्व सांसदों और मजबूत जमीनी आधार वाले नेताओं के भी शामिल होने का सिलसिला तेज हुआ है। 

पिछले दिनों भाजपा के नेताओं ने पश्चिम बंगाल के तृणमूल विधायक नईमुल हक को पार्टी में शामिल कराया। बड़े धूमधड़ाके से दिल्ली में उनको भाजपा में शामिल कराया गया। लोकसभा चुनाव खत्म होने के बाद अब तक तृणमूल कांग्रेस के छह विधायक भाजपा में शामिल कराए जा चुके हैं। जिस तरह से पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस, आंध्र प्रदेश में टीडीपी और तेलंगाना में कांग्रेस विधायकों में भगदड़ मची है, उसी तरह हरियाणा में इंडियन नेशनल लोकदल के विधायकों में भगदड़ मची है। उसके कई विधायक भाजपा में शामिल हो चुके हैं, जिनमें एक नूह के विधायक जाकिर हुसैन भी हैं।  केरल में भी कई मुस्लिम नेता भाजपा में शामिल हो चुके हैं और कांग्रेस से जुड़े रहे एपी अब्दुल्लाकुट्टी के भी भाजपा में शामिल होने की चर्चा है। एक तरफ भाजपा की ध्रुवीकरण की राजनीति का हल्ला है तो दूसरी ओर मुस्लिम नेताओं के भाजपा में शामिल होने की होड़ है। यह क्या किसी नए बदलाव का संकेत है?

मंगलवार, 25 जून 2019

लोकसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव का जवाब देते प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी

मोदी का कांग्रेस पर तंज, कहा - 70 साल की बीमारियों को 5 साल में ठीक करना कठिन
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोकसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव का जवाब देते हुए कहा, जो पहली बार आये हैं उन्होंने काफी अच्छे तरीके से चर्चा को आगे बढ़ाया, पुराने सांसदों ने भी अच्छे से चर्चा में हिस्सा लिया। चर्चा को सार्थक तरीके से आगे बढ़ाने के लिए सभी सांसदों का हृदय से धन्यवाद। पीएम मोदी ने कहा, राष्ट्रपति जी का अभिभाषण, देश के नागरिकों ने जिस आशा-आकांक्षाओं के साथ हमें इस सदन में भेजा है, उसकी एक तरह से प्रतिध्वनि है। 2014 ने हमें जनता ने पिछली सरकार से बचने के लिए जनादेश दिए, लेकिन इस बार का जनमत हमारे 5 साल के काम को जांच-परखकर दिया गया है। पीएम मोदी ने कहा, सशक्त, समृद्ध, समावेशी राष्ट्र के सपने को पूरा करने के लिए मिलजुलकर आगे बढ़ने का अवसर भारत को खोना नहीं चाहिए।

* कांग्रेस पर तंज

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विपक्ष पर तंज कसते हुए कहा, कहा गया कि हमारी ऊंचाई को छू नहीं सकता है। हम किसी की लकीर छोटी करने में समय बर्बाद नहीं करते हैं, जबकि अपनी लकीर बड़ी करने में जिंदगी खपा देते हैं। आप इतनी ऊंचाई पर चले गए हैं कि आपको जमीन दिखाई नहीं देती है, आप जड़ से उखड़ चुके हैं। आपका और ऊंचा उठना मेरे लिए अच्‍छी बात है। आप की ऊंचाई आपको मुबारक।


पीएम मोदी ने कांग्रेस पर तंज कसते हुए कहा, परिवार के बाहर के लोगों की कोई इज्‍जत नहीं दी गयी। अटल बिहारी वाजपेयी को छोड़िए, आपने तो पी वी नरसिंह राव की भूमिका को भी स्वीकार नहीं किया। राव, मनमोहन को भारत रत्‍न नहीं दिया। प्रणव दा को भी कुछ नहीं दिया। 2004 से 2014 तक एकबार भी अटलजी के कामों की तारीफ नहीं की गई। नरसिंहा राव तक के कामों का जिक्र नहीं हुआ। परिवार से बाहर किसी को कुछ नहीं मिलता। वो हम थे जिन्होंने प्रणब दा को भारत रत्न दिया, हमने यह नहीं देखा कि किस पार्टी से आते थे।
पीएम मोदी ने कहा, जनता जनार्दन के लिए जीना, जनता के लिए जूझना, जनता के लिए खपना। जब 5 साल की अखंड तपस्या का फल मिलता है तो इसका संतोष आध्यात्मिक अनुभूति कराता है। कई दशकों के बाद देश ने एक मजबूत जनादेश दिया है। एक सरकार को फिर से लाये हैं और पहले से ज्यादा शक्ति देकर लाये हैं।

पिछले 5 साल के कार्यकाल में हमारे मन में भाव रहा कि जिसका कोई नहीं है, उसकी केवल सरकारें होती हैं। हमने यह संस्कृति बना ली थी कि सामान्य मानवी को व्यवस्थाओं के साथ जूझना पड़ता था, लड़ना पड़ता था। हमने मान लिया था कि सब ऐसे ही चलता है। 70 साल की बीमारियों को 5 साल में ठीक करना कठिन होता है।

* भ्रष्टाचार के खिलाफ हमारी लड़ाई जारी रहेगी 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोकसभा में कहा, भ्रष्टाचार के खिलाफ हमारी लड़ाई जारी रहेगी। उन्‍होंने कहा, जो भी करेंगे पूरी इमानदारी के साथ करेंगे। प्रधानमंत्री मोदी ने गांधी परिवार पर तंज कसते हुए कहा, कुछ लोग हमें जेल नहीं भेजने के लिए ताना मारते हैं। यह लोकतंत्र है, इमर्जेंसी नहीं है। जेल भेजना न्यायपालिका का काम है। अगर किसी को जमानत मिलती है तो उसे एन्जॉय करना चाहिए।

* आपातकाल पर पीएम मोदी ने कांग्रेस को घेरा

आपातकाल को लेकर पीएम मोदी ने कांग्रेस पर निशाना साधा। उन्‍होंने कहा, 25 जून की रात देश के लिए काली रात थी। इमरजेंसी का दाग कभी मिट नहीं सकता है, इसे बार-बार याद करने की जरूरत है। इमरजेंसी ने देश की मीडिया को दबोच लिया था। देशभर में महापुरुषों को जेल के अंदर डाल दिया गया था। पीएम मोदी ने कविता के माध्‍यम से कहा, 'जब हौसला बना लिया ऊंची उड़ान का, तब देखा फिजूल है कद आसमान का


* हमारी सरकार ने महज 3 सप्‍ताह में कई बड़े फैसले लिये 

मैं सभी जनप्रतिनिधियों से आग्रह करता हूं कि राष्ट्रपतिजी ने हमें जो आदेश दिया है, उन अपेक्षाओं को पूरा करने के लिए हम आगे आएं। उन्हें पूरा करने के लिए प्रयास करें।
हमारी सरकार को केवल 3 सप्ताह हुए हैं, लेकिन कई बड़े फैसले लिए गए हैं। दुकानदारों को पेंशन, किसान सम्मान निधि, सेना के जवानों के बच्चों के साथ पुलिस के जवानों के बच्चों को स्कॉलरशिप देने का फैसला लिया।

* सरकारी दायरे से बाहर जाकर पानी को बचाना चाहिए 


प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जल संकट पर चर्चा करते हुए कहा, सरकार को दायरे से बाहर आकर पानी को बचाने की दिशा में काम करना चाहिए। पानी के लिए बाबा साहब ने जो चिंता व्यक्त की थी, उसपर सोचना पड़ेगा। इस बार हमने जलशक्ति मंत्रालय अलग से बनाया है। जलसंकट को हमें गंभीरता से लेना होगा। उन्‍होंने कहा, सरदार सरोवर बांध के लिए मुझे अनशन करना पड़ा।

* विपक्षी ने सरकार पर देश को ‘फासीवाद' की तरफ ले जाने का लगाया आरोप

सोमवार को विपक्षी दलों ने सरकार पर देश को ‘फासीवाद' की तरफ ले जाने और ‘राष्ट्रवाद के नाम पर देश को बांटने का' आरोप लगाया तथा नरेन्द्र मोदी सरकार को नसीहत दी कि उसे सभी को साथ लेकर चलना चाहिए।

भाजपा ने विपक्ष के आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले पांच वर्षों में देश की राजनीति बदली और सियासत के ‘फैमिली बिजनेस' होने की आम धारणा को खत्म कर दिया। इस वजह से अब आम परिवारों के युवा भी राजनीति में आने के सपने देख सकते हैं।

राष्ट्रपति के अभिभाषण पर लाए गए धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा में भाग लेते हुए तृणमूल कांग्रेस की नवनिर्वाचित सदस्य महुआ मोइत्रा ने नरेंद्र मोदी सरकार पर देश को फासीवाद की तरफ ले जाने का आरोप लगाया और दावा किया कि राष्ट्रवाद के नाम पर देश को बांटा जा रहा है तथा वैज्ञानिक सोच को पीछे धकेला जा रहा है।

महुआ ने दावा किया कि देश बहुत मुश्किल दौर से गुजर रहा है। नये तरह के राष्ट्रवाद के नाम पर लोगों को बांटा जा रहा है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय नागरिकता पंजी (एनआरसी) और नागरिकता संशोधन विधेयक के माध्यम से एक समुदाय विशेष को निशाना बनाया जा रहा है।

तृणमूल सांसद ने कहा कि आज भीड़ द्वारा हत्या का सिलसिला चल रहा है। कर्नाटक से भाजपा सांसद तेजस्वी सूर्या ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले पांच वर्षों में देश की राजनीति बदली और सियासत के ‘फैमिली बिजनेस' होने की आम धारणा को खत्म कर दिया.इस वजह से अब आम परिवारों के युवा भी राजनीति में आने के सपने देख सकते हैं। सूर्या ने कहा, मोदी सरकार (के कार्यकाल) में नये भारत की बुनियाद रखी गई है तथा अर्थव्यवस्था साफ-सुथरी और पारदर्शी हो गई है।

उन्होंने कहा कि मोदी सरकार के कार्यकाल में आजादी के बाद पहली बार देश के लोगों को हिंदू संस्कृति पर ‘गौरव' का अहसास हुआ। भाजपा सांसद ने कहा कि मोदी के कारण ही उनके जैसा मध्यम वर्ग का युवा लोकतंत्र के मंदिर में पहुंच सका है। मोदी ने राजनीति बदल दी और उस पूरी धारणा को खत्म कर दिया कि राजनीति ‘फैमिली बिजनेस' है।

उन्होंने कहा कि मोदी सरकार में जीएसटी को सफलतापूर्वक लागू किया गया और अर्थव्यवस्था को पारदर्शी बनाया गया। सूर्या ने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि अगर विपक्ष ने अपने आचरण में बदलाव नहीं किया तो अगली बार सदन में सभी 543 सदस्य भाजपा के होंगे। 

द्रमुक के दयानिधि मारन ने तमिलनाडु में अन्नाद्रमुक सरकार के शासन काल में भ्रष्टाचार बढ़ने का आरोप लगाते हुए कावेरी नदी जल संबंधित मुद्दा उठाया. साथ ही उन्होंने केन्द्र की नरेन्द्र मोदी सरकार को नसीहत दी कि जिन राज्यों के लोगों ने वोट दिया और जिन राज्यों के लोगों ने वोट नहीं दिया।

उसे सभी को साथ लेकर चलना चाहिए.द्रमुक सदस्य की कुछ टिप्पणियों को लेकर भाजपा और द्रमुक सदस्यों के बीच तीखी नोकझोंक की स्थिति उत्पन्न हो गई। राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा में भाग लेते हुए द्रमुक के दयानिधि मारन ने कहा कि भाजपा की ताकत का कारण वह नहीं विपक्ष का कमजोर होना है।

उन्होंने कहा कि सत्तारूढ़ पार्टी को विजय के उल्लास के बजाय इसे विनम्रता से स्वीकार करना चाहिए। साथ ही उन्होंने कहा कि तमिलनाडु के लोगों ने भाजपा एवं उनके सहयोगियों को वोट नहीं दिया।सत्तारूढ़ पार्टी को सोचना चाहिए कि वहां के लोगों ने केंद्र में सत्तारूढ़ पार्टी को वोट क्यों नहीं दिया। मारन ने कहा कि मोदी सरकार को जिन राज्यों के लोगों ने वोट दिया और जिन राज्यों के लोगों ने वोट नहीं दिया। सभी को साथ लेकर चलना चाहिए।

कानून-व्यवस्था को लेकर मुख्यमंत्री नीतीश ने बुलायी समीक्षा बैठक, अधिकारियों को लगायी फटकार

बिहार विधानमंडल के मॉनसून सत्र के पहले बिहार में बिगड़ती जा रही कानून-व्यवस्था को लेकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पटना में संवाद कक्ष में बड़ी बैठक की। कानून व्यवस्था की स्थिति को लेकर मात्र 20 दिनों के अंदर दूसरी बार समीक्षा बैठक कर रहे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की समीक्षा बैठक में मुख्य सचिव, अपर मुख्य सचिव और डीजीपी डीजीपी समेत कई बड़े अधिकारी शामिल हुए।

कानून-व्यवस्था को लेकर बुलायी गयी समीक्षा बैठक में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अधिकारियों को फटकार लगायी। साथ ही मुख्यमंत्री ने बिहार में बढ़ती अपराध की घटनाओं पर नाराजगी जतायी। बैठक के दौरान बिहार में हाल में हुए अपराधों की समीक्षा करते हुए उन्होंने हर हाल में लॉ एंड ऑर्डर दुरुस्त करने और हर हाल में अपराध पर काबू पाने का निर्देश अधिकारियों को दिया। उन्होंने गश्त और स्पीडी ट्रायल पर ध्यान देने के साथ कई अहम दिशा-निर्देश दिये।

इससे पहले मुख्यमंत्री ने सात जून को आला अधिकारियों के साथ समीक्षा बैठक की थी। इसमें उन्होंने कहा था कि बिहार के सभी आइजी और डीआइजी अब महीने में 10 दिन फील्ड में रहेंगे। अनुमंडलों में स्वयं जांच करने के साथ रात्रि विश्राम भी करेंगे।

आपातकाल के 44 साल : जनमुद्दों पर उपजे गुस्से को दबाने के लिए लगा था आपातकाल

देश के संघीय ढांचा में महत्वपूर्ण बदलाव आया। अब तो देश के अधिकांश राज्यों में भी जेपी आंदोलन से निकले नेताओं का शासन है। 
आज से 44 साल पहले 26 जून, 1975 को हिंदुस्तान के लोकतांत्रिक इतिहास का एक काला अध्याय रचा गया। 25 जून की आधी रात में तत्कालीन प्रधानमंत्री स्व इंदिरा गांधी की अनुशंसा पर तत्कालीन राष्ट्रपति फखरुद्दीन अली अहमद ने आपातकाल के आध्यादेश पर हस्ताक्षर किया। इसके दो प्रमुख कारण थे। 

एक, भ्रष्टाचार, मंहगाई, बेरोजगारी और शिक्षा के सवाल पर पूरा देश लोकनायक जयप्रकाश नारायण के नेतृत्व में आंदोलित था, जिसे लोकतांत्रिक तरीके से संवाद और विमर्श के रास्ते हल करने के बजाय सरकार दमनकारी नीति अपना रही थी, जिससे आंदोलन और भी उग्र होता जा रहा था और दूसरा, इलाहाबाद उच्च न्यायालय के दो निर्णय जिसके अनुसार दो भ्रष्टाचार के आरोप सिद्ध होने से इंदिरा जी की लोकसभा की सदस्यता समाप्त हो गयी थी। 

पहला आरोप चुनाव के समय सरकारी सेवक की सेवाओं का उपयोग व दूसरा सरकारी पैसे से चुनावी सभा का प्रबंध करना था। इन निर्णयों के खिलाफ इंदिरा जी का अपील सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन था, भ्रष्टाचार से कलंकित व्यक्ति को पीएम के पद से इस्तीफा की मांग जोर पकड़ रही थी। इंदिराजी को यह स्वीकार नहीं था। उच्च सदन को निलंबित कर आंतरिक असुरक्षा का नाम लेकर आपातकाल लागू कर दिया गया। संपूर्ण देश और दुनिया में इस अलोकतांत्रिक कृत्य की बड़ी आलोचना हुई। 

तानाशाही के खिलाफ व लोकतंत्र की बहाली के लिए भ्रष्टाचार, महंगाई, बेरोजगारी और शिक्षा के सवाल के अलावा प्रतिनिधि वापसी का अधिकार व गैर कांग्रेसवाद का आंदोलन बुलंद हुआ और 1977 में कांग्रेस की करारी हार हुई। जनता पार्टी की सरकार बनी। देश के संघीय ढांचा में महत्वपूर्ण बदलाव आया। अब तो देश के अधिकांश राज्यों में भी जेपी आंदोलन से निकले नेताओं का शासन है। 

भाजपा प्रदेशाध्यक्ष मदनलाल सैनी की अंतिम यात्रा में उमड़ा जन सैलाब

भाजपा प्रदेशाध्यक्ष को मुख्यमंत्री गहलोत  ने दी श्रद्धांजलि
जयपुर। भारतीय जनता पार्टी के प्रदेशाध्यक्ष और राज्यसभा सांसद मदनलाल सैनी की पार्थिव देह को मंगलवार सुबह जयपुर स्थिति पार्टी मुख्यालय पर अंतिम दर्शन के लिए रखी गई । भाजपा कार्यालय में सुबह 7:30 बजे से अंतिम दर्शनों के लिए कार्यकर्ताओं का तांता लग गया। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट, पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे, केन्द्रीय मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत, भाजपा के पूर्व प्रदेशाध्यक्ष अशोक परनामी, भंवरलाल शर्मा, ओम माथुर, भाजपा नेता सतीश पुनिया, पूर्व मंत्री कालीचरण सर्राफ, परिवहन मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास सहित अनेक नेताओं ने श्रद्धासुमन अर्पित किए। पार्थिव शरीर को अंतिम संस्कार के लिए सीकर रवाना कर दिया गया है। जगह-जगह प्रदेशाध्यक्ष सैनी को श्रद्धासुमन अर्पित किये जा रहे है।


दोपहर बाद करीब 4 बजे सीकर में उनके पैतृक गांव में अंतिम संस्कार किया जाएगा। भाजपा के तीन बार प्रदेश महामंत्री रहे सैनी वर्तमान में राज्यसभा सांसद थे। उनका सोमवार को नई दिल्ली स्थित एम्स अस्पताल में निधन हो गया था।
इस अवसर पर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि बहुत सरल स्वभाव के व्यक्ति थे मदन लाल सैनी, बीमार थे तब मदन जी से हुई थी बात, अचानक उनके निधन की खबर आई।

पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने मदनलाल सैनी के पार्थिव शरीर के दर्शन कर श्रद्धांजलि अर्पित की। उन्होंने कहा कि पार्टी और परिवार को गहरा आघात, बहुत बड़ी क्षति हुई है।

बीएसएनएल के पास वेतन देने के लिए पैसे नहीं, कर्मचारियों ने मोदी को लिखा पत्र

देश की सबसे बड़ी सरकारी दूरसंचार कंपनी बीएसएनएल ने सरकार से कहा कि कंपनी नकदी के संकट से जूझ रही है और कामकाज जारी रखने के लिए उसके पास पैसे नहीं हैं।




इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, बीएसएनएल के कर्मचारियों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर कंपनी को इस संकट से उबारने के लिए कदम उठाने का अनुरोध किया है।

बीएसएनएल ने सरकार को एक एसओएस भेजा है, जिसमें कंपनी ने ऑपरेशंस जारी रखने में लगभग अक्षमता जताई है। कंपनी ने कहा है कि नकदी की कमी के चलते कर्मचारियों को जून महीने का लगभग 850 करोड़ रुपये का वेतन दे पाना मुश्किल है।

कंपनी पर अभी करीब 13,000  करोड़ रुपये की आउटस्टैंडिंग लायबिलिटी है, जिसके चलते बीएसएनएल का कारोबार बुरी स्थिति में चला गया है।

बीएसएनएल के कॉर्पोरेट बजट एंड बैंकिंग डिविजन के सीनियर जनरल मैनेजर पूरन चंद्र ने दूरसंचार मंत्रालय के संयुक्त सचिव को लिखे एक पत्र में कहा, ‘हर महीने की कमाई और खर्चों में गैप के चलते अब कंपनी का संचालन जारी रखना चिंता का विषय बन गया है क्योंकि अब यह एक ऐसे स्तर पर पहुंच चुका है, जहां बिना किसी पर्याप्त इक्विटी को शामिल किए बीएसएनएल के कामकाज को जारी रखना लगभग नामुमकिन होगा।’

पिछले हफ्ते भी बीएसएनएल ने सरकार से कंपनी के भाग्य का फैसला करने के लिए अगली कार्यवाही से संबंधित सलाह मांगने के लिए एक चिट्ठी लिखी थी।

कोटक इंस्टीट्यूशनल इक्विटीज की रिपोर्ट के मुताबिक, बीएसएनएल को दिसंबर, 2018 के आखिर तक 90,000 करोड़ रुपये से ज्यादा का परिचालन नुकसान झेलना पड़ा था।

मालूम हो कि इससे पहले रविवार को बीएसएनएल के इंजीनियरों और लेखा पेशेवरों के एक संघ ने प्रधानमंत्री मोदी से कंपनी के पुनरुद्धार के लिए हस्तक्षेप करने का आग्रह किया था।

उन्होंने कहा कि कंपनी पर कोई कर्ज नहीं है और इसकी बाजार हिस्सेदारी में लगातार इजाफा हो रहा है। ऐसे में कंपनी को फिर से खड़ा किया जाना चाहिए। कंपनी में उन कर्मचारियों की जवाबदेही तय की जानी चाहिए जो अपना काम ठीक से नहीं कर रहे हैं।

बता दें कि 1.7 लाख कर्मचारियों वाली बीएसएनएल सबसे ज्यादा घाटा सहने वाली टॉप सरकारी कंपनी (पीएसयू) है।

सोमवार, 24 जून 2019

नहीं रहे राजस्थान के भाजपा प्रदेश अध्यक्ष मदनलाल सैनी

जयपुर। भारतीय जनता पार्टी की राजस्थान के प्रदेश अध्यक्ष मदन लाल सैनी का निधन हो गया है। उन्होंने दिल्ली स्थित एम्स में अंतिम सांस ली।

मदन लाल सैनी को फेफड़ों में इंफेक्शन होने के कारण पिछले दिनों एम्स में भर्ती करवाया गया था। सैनी को पिछले 2018 में ही भारतीय जनता पार्टी राजस्थान का प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया था।
शुक्रवार को ही पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने एम्स में पहुंचकर मदन लाल सैनी के हालचाल जाने थे। फेफड़ों में इन्फेक्शन होने के कारण उनको बीते दिनों दिल्ली एम्स में भर्ती करवाया गया था।

जानकारी देते हुए पूर्व मंत्री कालीचरण सराफ ने बताया कि आज कई 6:00 बजे बीजेपी अध्यक्ष ने अंतिम सांस ली। नरेंद्र मोदी, अमित शाह समेत सभी भाजपा नेताओं ने सैनी के निधन पर शोक व्यक्त किया है।

बता दें कि मदन लाल सैनी को भाजपा द्वारा 2017 में राज्यसभा सांसद बनाया गया था, जबकि 2018 में उनको अशोक परनामी की जगह बीजेपी की कमान सौंपी गई थी।

निर्विवाद रहे मदन लाल सैनी लंबे समय से संघ के सदस्य रहे हैं। उन्होंने भारतीय किसान संघ के अलावा भारतीय मजदूर संघ में रहकर लंबे समय तक भारतीय जनता पार्टी का प्रतिनिधित्व किया।

निर्विवाद होने के कारण ही मदन लाल सैनी को तब साल 2018 में प्रदेश अध्यक्ष की कमान सौंपी गई थी, जब राज्य में वसुंधरा राजे में और आलाकमान के बीच टकराव के चलते प्रदेश अध्यक्ष का पद खाली रहा था।


इससे पहले मदन लाल सैनी झुंझुनू के उदयपुरवाटी से एक बार विधायक रह चुके हैं। 1991 में वह भाजपा के जिलाध्यक्ष से सीकर जिले की मालियों की ढाणी के रहने वाले मदनलाल सैनी राजनीति में आने से पहले भारतीय मजदूर संघ से लंबे समय तक जुड़े रहे।

1990 में उदयपुरवाटी से उन्होंने चुनाव लड़ा और विधायक बने। उसके 1 साल बाद ही उनको बीजेपी ने झुंझुनू का जिला अध्यक्ष बनाया था।

बाद में संगठन में पदोन्नत होते हुए प्रदेश मंत्री और जिला अध्यक्ष बने। ओम प्रकाश माथुर के कार्यकाल में प्रदेश महामंत्री रहे साधारण जीवन शैली अपनाने वाले सैनिक बस में ही सफर किया करते थे।

एक आम कार्यकर्ता की तरह रहते हुए मदन लाल सैनी ने दो बार लोकसभा चुनाव लड़ा, लेकिन दोनों बार उन्हें हार का सामना करना पड़ा।

सैनी को भारतीय जनता पार्टी ने झुंझुनू से 1993 और 1999 में लोकसभा का चुनाव लड़ाया, लेकिन दोनों ही बार उनको शीशराम ओला के सामने हार का सामना करना पड़ा।

सेना में 45 हजार पद खाली

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने संसद में दी जानकारी
 सरकार ने सोमवार को बताया कि सेना में 45 हजार से अधिक पद रिक्त हैं। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने राज्यसभा को बताया कि एक जनवरी, 2019 की स्थिति के अनुसार सेना में कुल 45,634 पद रिक्त हैं। इनमें सेकंड लेफ्टिनेंट से ऊपर के रैंक के 7,399 पद शामिल हैं। 


गृहमंत्री सिंह ने बताया कि इन रिक्तियों का कारण समय समय पर पदों में वृद्धि, कठिन चयन प्रक्रिया, सर्विस करियर में शामिल उच्च जोखिम स्थितियों के साथ-साथ कठिन सेवा परिस्थितियां और प्रशिक्षण की गुणवत्ता से समझौता किये बिना, सीमित प्रशिक्षण आदि हैं। उन्होंने एक प्रश्न के लिखित उत्तर में बताया कि सेना में भर्ती एक निरंतर प्रक्रिया है तथा प्रशिक्षण पूरा करने वाले रंगरूटों के माध्यम से इन रिक्तियों को भरा जाता है।


सिंह ने बताया कि पिछले तीन साल के दौरान सेना में भर्ती की अधिसूचनाओं सहित प्रचार आदि पर 794.53 लाख रूपये खर्च किये गये। इसमें से साल 2016-17 में 378.87 लाख रुपये, 2017-18 में 199.47 लाख रुपये और 2018-19 में 216.19 लाख रुपये खर्च किये गये। 

देश के 91 बड़े जलाशयों में से 80 फीसदी में पानी सामान्य से कम, 11 जलाशय सूखे

देश में बारिश का मौसम एक जून से शुरु होकर 30 सितंबर तक चलता है, लेकिन 22 जून तक मानसून में औसतन 39 फीसदी की कमी दर्ज की गई है।
मानसून कछुए की गति से आगे बढ़ रहा है। मौसम विभाग के आंकड़ों के अनुसार इस साल मौसम विभाग के 84 प्रतिशत उप संभागों (सबडिविजन) में बेहद कम बारिश दर्ज की गई है।

वहीं, केंद्रीय जल आयोग से प्राप्त आंकड़ों के अनुसार देश के 91 बड़े जलाशयों में से 80 प्रतिशत में पानी सामान्य से कम है। यहां तक कि 11 जलाशयों में पानी का भंडारण शून्य प्रतिशत है जो देश में पानी की भीषण कमी को दिखाता है।

देश में बारिश का मौसम एक जून से शुरु होकर 30 सितंबर तक चलता है, लेकिन 22 जून तक मानसून में औसतन 39 प्रतिशत कमी दर्ज की गई है। देश में मौसम विभाग के 36 उपसंभागों में से 25 प्रतिशत ने ‘कम’ वर्षा दर्ज की है, जबकि छह उपसंभागों में ’‘बेहद कम बारिश’ दर्ज की गई है।

ओडिशा और लक्षद्वीप डिविजन में ‘सामान्य’ वर्षा दर्ज की गई है. जम्मू-कश्मीर और पूर्वी राजस्थान में ‘ज्यादा’ बारिश दर्ज की गई है जबकि अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में ‘बहुत ज्यादा बारिश’ दर्ज की गई है।

भारतीय मौसम विज्ञान विभाग के चार डिविजन हैं- पूर्व एवं उत्तर पूर्व, दक्षिणी प्रायद्वीप, मध्य भारत और उत्तर पश्चिम भारत।

पूर्व एवं उत्तर पूर्व डिविजन में पूर्वोत्तर के राज्य, बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल आते हैं. इन सभी क्षेत्रों में कम बारिश हुई है। मध्य भारत के 10 उपसंभागों में से सिर्फ ओडिशा में सामान्य बारिश हुई है।

महाराष्ट्र के विदर्भ, मराठवाड़ा और मध्य महाराष्ट्र सहित चार उपसंभागों में ‘बेहद कम’ बारिश हुई है। इन क्षेत्रों के जलाशयों में भंडारण बिलकुल निचले स्तर पर पहुंचने के कारण यहां सूखे जैसी स्थिति है। पूर्वी मध्य प्रदेश उपसंभाग में भी ‘बेहद कम’ वर्षा दर्ज हुई है।

मध्य भारत के गुजरात, सौराष्ट्र और कच्छ उपसंभागों में भी ‘कम’ वर्षा दर्ज की गई है। हालांकि चक्रवात ‘वायु’ ने जरूर बारिश की कमी से कुछ राहत दिलायी है. इन दो उपसंभागों में नौ जून तक बारिश की कमी 100 प्रतिशत तक थी।

दक्षिणी प्रायद्वीप डिविजन के 10 में से 8 डिविजन में बेहद कम बारिश दर्ज की गई। इन दो डिविजन्स में से अंडमान और निकोबार द्वीप डिविजन में अतिरिक्त बारिश जबकि लक्षद्वीप में सामान्य बारिश दर्ज की गई।

भीषण जल संकट से जूझ रहे चेन्नई, तमिलनाडु, पुडुचेरी और कराईकल उप संभाग में करीब 38 फीसदी कम बारिश दर्ज हुई।

हालांकि स्थिति में थोड़ा सुधार दिख रहा है। मौसम विभाग ने  कहा कि पूर्वी उत्तर प्रदेश, मध्य महाराष्ट्र के कुछ हिस्सों, मराठवाड़ा और विदर्भ के अधिकतर हिस्सों में मानसून आगे बढ़ा है।




बजट 2019 : 'बेवफा मौसम' के साथ वादों को पूरा करना बड़ी चुनौती, मंदी भी बनी खलनायक

सरकार के समक्ष आगामी बजट में आंकड़ों को वास्तविक धरातल पर रखते हुये बजट तैयार करने की चुनौती है।   ‘‘सरकार के लिये वित्तीय स्थिति कठिन बनी हुई है। 
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमन को सामने हैं बड़ी चुनौतियां
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में गठित नई सरकार के लिये मौजूदा कठिन आर्थिक परिस्थितियों में राजकोषीय घाटे के लक्ष्य को हासिल करने योग्य दायरे में रखकर बजट तैयार करने की बड़ी चुनौती होगी।  आर्थिक क्षेत्र के विशेषज्ञ प्रोफेसर एन.आर. भानुमूर्ति का यह मानना है।  उल्लेखनीय है कि 2018- 19 के बजट में अनुमानित 3.4 प्रतिशत के राजकोषीय घाटे को पूरा करने के लिये सरकार को कड़ी मशक्कत करनी पड़ी है।  वर्ष के संशोधित अनुमानों में भारी वृद्धि के चलते सरकार को तय लक्ष्यों को हासिल करना मुश्किल हो गया था।  वर्ष 2018- 19 में निगम कर के 6,21,000 करोड़ रुपये के बजट अनुमान को संशोधित अनुमानों में बढ़ाकर 6,71,000 करोड़ रुपये कर दिया गया।  वर्ष की चौथी तिमाही में सकल घरेल उत्पाद (जीडीपी) वृद्धि दर पांच साल के निम्नस्तर 5.8 प्रतिशत पर आ गई है।  वार्षिक जीडीपी वृद्धि का आंकड़ा भी 6.8 प्रतिशत रह गया, जो कि पिछले पांच साल में सबसे कम रहा है। 

परंपरागत हलवा रस्म के साथ 2019- 20 के बजट दस्तावेजों की छपाई का काम शुरू

राष्ट्रीय लोक वित्त एवं नीति संस्थान (एनआईपीएफपी) में प्रोफेसर एन आर भानुमूर्ति ने कहा कि सरकार के समक्ष आगामी बजट में आंकड़ों को वास्तविक धरातल पर रखते हुये बजट तैयार करने की चुनौती है।  उन्होंने कहा, ‘‘सरकार के लिये वित्तीय स्थिति कठिन बनी हुई है।  वास्तविक अनुमान लगाने होंगे।  पिछले वित्त वर्ष की चौथी तिमाही और पूरे साल के जीडीपी वृद्धि आंकड़े कम रहने के बाद सभी बजट अनुमानों पर इसका असर हुआ होगा।  इसे ध्यान में रखते हुये आगामी पूर्ण बजट में अगले साल के लिये विभिन्न वृद्धि अनुमानों को वास्तविकता के धरातल पर आंकना होगा। '' 

पीएम मोदी ने बजट से पहले अर्थशास्त्रियों संग की बैठक, इन मुद्दों पर हुई चर्चा

भानुमूर्ति ने कहा, ‘‘अंतरराष्ट्रीय अर्थव्यवस्था में सुस्ती गहरा रही है. विश्व बाजार मंदी की तरफ बढ़ रहा है।  अमेरिका के केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व ने भी इस ओर संकेत दिया है।  अंतरराष्ट्रीय बाजार में यदि मांग घटती है तो भारतीय निर्यात कारोबार पर भी उसका असर होगा. कच्चे तेल के दाम में उतार- चढ़ाव का मुद्दा भी हमारे सामने है।  मानसून को लेकर भी चिंता बढ़ी है।  इसका हमारी अर्थव्यवस्था पर गंभीर असर होगा. ऐसे में सरकार के समक्ष बड़ी चुनौती खड़ी हो सकती है। '' 

आम बजट 2019: अर्थव्यवस्था को उछाल देने के लिए बढ़ाई जा सकती है इनकम टैक्स में छूट की सीमा

भानुमूर्ति ने कहा कि पिछली तीन- चार तिमाहियों से आर्थिक वृद्धि दर में गिरावट का रुख रहा है।  ऐसे में अर्थव्यवस्था को फिर से तीव्र वृद्धि के रास्ते पर लाना बड़ी चुनौती है।  एक तरफ आर्थिक सुस्ती और दूसरी तरफ सरकार द्वारा जनता से किये गये वादों को पूरा करना मुश्किल काम होगा।  भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने अपने घोषणापत्र में देश के सभी किसानों को हर साल 6,000 रुपये की सम्मान निधि देने का वादा किया है।  ढांचागत सुविधाओं और कृषि क्षेत्र में अगले कुछ सालों के दौरान भारी निवेश की घोषणा की गई है।  भानुमूर्ति मौजूदा कठिन आर्थिक परिस्थितियों से बाहर निकलने के बारे में सलाह देते हुये कहते हैं कि सरकार को तेज गति के साथ बैंकों का पुनर्पूंजीकरण करना होगा. वित्त वर्ष की समाप्ति तक इसकी प्रतीक्षा नहीं की जानी चाहिये।  

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उन्होंने कहा, ‘‘मेरे विचार से बचत को बढ़ावा देने के लिये सरकार को एक लाख रुपये तक की अतिरिक्त कर बचत वाली नई योजनाओं की घोषणा करनी चाहिये।  ब्याज दरों में कटौती का फायदा अर्थव्यवस्था में नहीं दिखाई दे रहा है इसलिये सरकार को बचत को बढ़ावा देना चाहिये। '' उन्होंने कहा कि गैर- बैंकिंग वित्तीय कंपनियों और बैंक क्षेत्र का संकट समाप्त होता नहीं दिख रहा है।  हालांकि, सरकार ने एनपीए कम करने के लिये कई कदम उठाये हैं लेकिन इसका त्वरित समाधान नहीं दिखाई देता है।  निजी क्षेत्र की धारणा सुस्त बनी हुई है।  इसमें सुधार के लिये कदम उठाने होंगे।