रविवार, 1 अप्रैल 2018

कांग्रेस के नेता को कंफ्यूजन में डाला प्रादेशिक क्षत्रपों ने

कांग्रेस के नेता पहले भाजपा से परेशान थे और अब प्रादेशिक क्षत्रपों ने नाक में दम किया है। भाजपा विरोधी मोर्चा बनाने का प्रयास इतने क्षत्रप कर रहे हैं कि कांग्रेस को कुछ सूझ नहीं रहा है। एक तरफ ममता बनर्जी भाजपा विरोधी मोर्चा बनाने में लगी हैं तो दूसरी ओर के चंद्रशेखर राव प्रयास कर रहे हैं और इस बीच दो और तीन अप्रैल को चंद्रबाबू नायडू दिल्ली में बैठ कर तीसरे मोर्चे की राजनीति करने वाले हैं। सीपीएम के पूर्व महासचिव प्रकाश करात हमेशा की तरह एक मोर्चा बनाने के प्रयास में हैं। एनसीपी प्रमुख शरद पवार अभी तो कांग्रेस के साथ दिख रहे हैं पर उन्होंने भी ममता बनर्जी के साथ मोर्चा बनाने के बारे में बात की है।

सो, कम से कम पांच बड़े नेताओं के प्रयास ने कांग्रेस को कंफ्यूजन में डाला है। तभी कांग्रेस नेताओं को खुद आगे बढ़ कर अपनी और राहुल गांधी की पैरवी करनी पड़ी कि विपक्ष को उनके साथ चलना चाहिए। इस बीच कांग्रेस को और राहुल गांधी को राजद प्रमुख लालू प्रसाद का समर्थन मिला है। लालू हमेशा कांग्रेस और खास कर सोनिया गांधी के प्रति नरम रहे हैं और उन्होंने बिल्कुल शुरुआती दिनों में सोनिया गांधी की बड़ी मदद की थी। एक तरह से सोनिया की स्वीकार्यता बनवाने में उनका बड़ा योगदान था। उन्होंने संसद के भीतर और बाहर हर बार विपक्षी हमले से सोनिया का बचाव किया।

हालांकि कांग्रेस ने हर बार उनके साथ अच्छा नहीं किया। दागी सांसदों वाला बिल फाड़ कर राहुल गांधी ने लालू प्रसाद को सबसे बड़ा नुकसान पहुंचाया और 2015 के विधानसभा चुनाव से पहले नीतीश कुमार को नेता घोषित करने का दबाव डाल कर भी राहुल ने लालू प्रसाद को बैकफुट पर रखा। फिर भी लालू कांग्रेस के समर्थन में उतरे हैं और उन्होंने कहा है कि कोई भी मोर्चा कांग्रेस के बिना नहीं बनेगा। वे समाजवादी पार्टी के संपर्क में भी हैं और उनकी इस दो टूक राय से कांग्रेस को कई राज्यों में फायदा हो सकता है।

सीपीआई ने भी हर बार की तरह कांग्रेस का समर्थन किया है। भले सीपीएम के नेता बिना कांग्रेस के कोई मोर्चा बनाने के बारे में विचार कर रहे हैं पर सीपीआई ने ममता बनर्जी की राय से सहमति जताई है और कहा है कि भाजपा विरोधी मोर्चे में कांग्रेस को रहना चाहिए। लालू प्रसाद और सीपीआई के जरिए कांग्रेस दूसरे प्रादेशिक क्षत्रपों के प्रयासों को पंक्चर कर सकती है। पर यह कांग्रेस पर निर्भर करता है कि वह इस समर्थन का कैसे इस्तेमाल करती है।

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