सियासी गतिविधियां बता रही हैं कि 2019 चुनाव के पूर्व बिहार में गठबंधनों का चेहरा और स्वरूप बदलने वाला है। अभी दोनों ओर सियासी संतुलन बनाने की कोशिश है। पहले महागठबंधन को जदयू और कांग्रेस के एक गुट ने झटका दिया फिर हम प्रमुख जीतनराम मांझी की पलटी ने राजग को मंझधार में ले जाने की कोशिश की।
रालोसपा की राजनीति तो पहले से ही दो किनारों पर खड़ी है। अब केंद्रीय मंत्री उपेंद्र कुशवाहा को लेकर भी कई तरह की चर्चाएं हैं। एम्स में इलाजरत राजद प्रमुख लालू प्रसाद से कुशवाहा की मुलाकात के बाद माना जाने लगा है कि राजग में भी सबकुछ सहज नहीं चल रहा है। दोनों नेताओं की मुलाकात को शिष्टाचार बताकर उठा-पटक के आसार को खारिज नहीं किया जा सकता, क्योंकि सियासत में शिष्टाचार के भी मकसद और मायने होते हैं।
ऐसे ही एक शिष्टाचार मुलाकात के बाद मांझी राजद प्रमुख के नजदीक होते चले गए। चारा घोटाले में रांची जेल में बंद लालू से हम के प्रमुख नेता वृशिण पटेल की मुलाकात के बाद ही जीतनराम मांझी के राजग छोड़कर महागठबंधन के करीब जाने का रास्ता साफ हुआ था।
कांग्रेस के कुनबे से अशोक चौधरी गुट के अलग होने और राजग के रास्ते से मांझी के हटने के बाद माना जा रहा था कि दोनों खेमे की ताकत संतुलित हो गई है, किंतु इसी बीच हम के एक दूसरे प्रमुख नेता नरेंद्र सिंह ने फिर पलटी मारकर नीतीश कुमार में आस्था व्यक्त कर दी।
अब राजग के एक अन्य प्रमुख घटक रालोसपा प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा भी नियमित अंतराल पर जता दे रहे हैं कि वह अभी जिस खेमे में हैं, वहां सहज महसूस नहीं कर रहे हैं। इसी तरह जदयू के प्रमुख नेता एवं पूर्व स्पीकर उदय नारायण चौधरी का मन भी अकुला रहा है। विधानसभा चुनाव हारने के बाद पिछले कुछ महीने से चौधरी का बयान भी पार्टी लाइन के खिलाफ आ रहा है।
कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष कौकब कादरी, राजद के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रघुवंश प्रसाद सिंह एवं विधान पार्षद संजय प्रसाद की मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से महागठबंधन में लौट आने की अपील को अगर शिगूफा भी मान लिया जाए तो भी इस बयान ने सियासत में एक चर्चा तो शुरू कर ही दी है।
राजद ने भी दिया नीतीश को न्योता
कांग्रेस के बाद राजद ने भी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को लौटने का न्योता दिया है। महागठबंधन सरकार के दौरान नीतीश की निष्ठा पर अक्सर सवाल उठाने वाले राजद के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रघुवंश प्रसाद सिंह ने नीतीश को धर्मनिरपेक्ष दलों का बड़ा चेहरा करार दिया है और गठबंधन में वापसी की गुजारिश की है। रघुवंश ने कहा कि राजनीति में कुछ भी असंभव नहीं होता। गैर भाजपा दल एकजुट हो रहे हैं। ऐसे में नीतीश को भी पुरानी बातें भुलाकर लौट जाना चाहिए। रघुवंश ने कहा कि बड़े-छोटे भाइयों में विवाद होता रहता है। अब फिर मिल जाने पर उनका स्वागत करेंगे।
रालोसपा की राजनीति तो पहले से ही दो किनारों पर खड़ी है। अब केंद्रीय मंत्री उपेंद्र कुशवाहा को लेकर भी कई तरह की चर्चाएं हैं। एम्स में इलाजरत राजद प्रमुख लालू प्रसाद से कुशवाहा की मुलाकात के बाद माना जाने लगा है कि राजग में भी सबकुछ सहज नहीं चल रहा है। दोनों नेताओं की मुलाकात को शिष्टाचार बताकर उठा-पटक के आसार को खारिज नहीं किया जा सकता, क्योंकि सियासत में शिष्टाचार के भी मकसद और मायने होते हैं।
ऐसे ही एक शिष्टाचार मुलाकात के बाद मांझी राजद प्रमुख के नजदीक होते चले गए। चारा घोटाले में रांची जेल में बंद लालू से हम के प्रमुख नेता वृशिण पटेल की मुलाकात के बाद ही जीतनराम मांझी के राजग छोड़कर महागठबंधन के करीब जाने का रास्ता साफ हुआ था।
कांग्रेस के कुनबे से अशोक चौधरी गुट के अलग होने और राजग के रास्ते से मांझी के हटने के बाद माना जा रहा था कि दोनों खेमे की ताकत संतुलित हो गई है, किंतु इसी बीच हम के एक दूसरे प्रमुख नेता नरेंद्र सिंह ने फिर पलटी मारकर नीतीश कुमार में आस्था व्यक्त कर दी।
अब राजग के एक अन्य प्रमुख घटक रालोसपा प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा भी नियमित अंतराल पर जता दे रहे हैं कि वह अभी जिस खेमे में हैं, वहां सहज महसूस नहीं कर रहे हैं। इसी तरह जदयू के प्रमुख नेता एवं पूर्व स्पीकर उदय नारायण चौधरी का मन भी अकुला रहा है। विधानसभा चुनाव हारने के बाद पिछले कुछ महीने से चौधरी का बयान भी पार्टी लाइन के खिलाफ आ रहा है।
कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष कौकब कादरी, राजद के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रघुवंश प्रसाद सिंह एवं विधान पार्षद संजय प्रसाद की मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से महागठबंधन में लौट आने की अपील को अगर शिगूफा भी मान लिया जाए तो भी इस बयान ने सियासत में एक चर्चा तो शुरू कर ही दी है।
राजद ने भी दिया नीतीश को न्योता
कांग्रेस के बाद राजद ने भी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को लौटने का न्योता दिया है। महागठबंधन सरकार के दौरान नीतीश की निष्ठा पर अक्सर सवाल उठाने वाले राजद के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रघुवंश प्रसाद सिंह ने नीतीश को धर्मनिरपेक्ष दलों का बड़ा चेहरा करार दिया है और गठबंधन में वापसी की गुजारिश की है। रघुवंश ने कहा कि राजनीति में कुछ भी असंभव नहीं होता। गैर भाजपा दल एकजुट हो रहे हैं। ऐसे में नीतीश को भी पुरानी बातें भुलाकर लौट जाना चाहिए। रघुवंश ने कहा कि बड़े-छोटे भाइयों में विवाद होता रहता है। अब फिर मिल जाने पर उनका स्वागत करेंगे।

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