जयपुर। प्रदेष में हुए गत उपचुनाव में कांग्रेस के 2 लोकसभा व एक विधानसभा में जीत हासिल करने के बाद प्रदेष के मुखिया ने पार्टी के कार्यकर्ताओं से मुह मोडा, जिसका परिणाम है कि प्रदेष कांग्रेस मुख्यालय में कार्यकर्ताओं का अभाव है।
प्रदेष कार्यालय में मुखिया के आने पर एक ही समुदाय के लोग नजर आते हैं जबकि कांग्रेस में सभी समुदाय के कार्यकर्ता हैं लेकिन मुखिया की कार्यप्रणाली के चलते अन्य समुदाय के कार्यकर्ताओं ने कांग्रेस कार्यालय में आने से मुहं मोड लिया है। यही कारण है कि चुनावी वर्ष में भी कार्यकर्ता दूरी बनाए हुए हैं। ऐसे में कांग्रेस कैसे सत्ता हासिल करेगी यह एक चिंतनीय विषय है।
गौरतलब है कि प्रदेष कांग्रेस में मुखिया की नियुक्ति सभी समुदाय को साथ लेकर चलने को की गई थी लेकिन मुखिया के चाटूकार सलाहकारों के चलते जमीन से जुडे मूल कांग्रेस कार्यकर्ता विगत दो वर्षों से दूरी बनाए हुए हैं। यही नहीं चाटूकारों ने मुखिया को मुख्यमंत्री का सपना दिखाकर अपनी रोटियां सेंकने में लगे हुए हैं। इससे मूल कांग्रेस का कार्यकर्ता आहत है।
सूत्रों के मुताबिक कांग्रेस में संघ पृष्ठभूमि के कार्यकर्ताओं पदाधिकारी बनने एवं अखिल भारतीय कांग्रेस में उनकों मुखिया की वजह से मिल रही तरजीह को भी कांग्रेस के लिए काम करने वाला कार्यकर्ता अपने को ठगा सा महसूस कर रहा है।
बताया जाता है कि मुखिया का निजी सचिव भी धनबल के आधार पर प्रदेष कांग्रेस में सदस्य बनने में सफल हुआ। निजी सचिव ने कांग्रेस के दो सचिवों के माध्यम से धन अर्जित कर सदस्यों का समावेष कराने में सफलता हासिल की इससे कांग्रेस के कार्यकर्ताओं मे काफी आक्रोष है लेकिन उनकी पीडा सुनने वाला कोई नहीं और आलाकमान की अनदेखी के चलते प्रदेष में कार्यकर्ताओं की नाराजगी की वजह से सरकार बनना तो दूर बल्कि विपक्ष में भी सही भूमिका निभाने के लिए संख्या कम होगी। प्रदेष की जनता आलाकमान की ओर से टकटकी लगाए देख रही है कि प्रदेष में नेतृत्व सही हाथों में हो तो जनता का झुकाव बने लेकिन आंख मूंदकर बैठे आलाकमान को शायद दिल्ली के भाग से छींका टूटने की उम्मीद है।
प्रदेष में ऐसे ही हालात रहे तो आम चुनाव में राहुल गांधी के हाथों में देष की बागडोर सौंपने का सपना केवल एक सपना बनकर ही रह जाएगा। कांग्रेस नेता कांग्रेस का हाथ सबके साथ के बजाए कांग्रेस का हाथ बाहुबल के साथ होता दिखाइ्र दे रहा है। इससे आम कार्यकर्ता आलाकमान की ओर टकटकी लगाए देख रहा है।
प्रदेष कार्यालय में मुखिया के आने पर एक ही समुदाय के लोग नजर आते हैं जबकि कांग्रेस में सभी समुदाय के कार्यकर्ता हैं लेकिन मुखिया की कार्यप्रणाली के चलते अन्य समुदाय के कार्यकर्ताओं ने कांग्रेस कार्यालय में आने से मुहं मोड लिया है। यही कारण है कि चुनावी वर्ष में भी कार्यकर्ता दूरी बनाए हुए हैं। ऐसे में कांग्रेस कैसे सत्ता हासिल करेगी यह एक चिंतनीय विषय है।
गौरतलब है कि प्रदेष कांग्रेस में मुखिया की नियुक्ति सभी समुदाय को साथ लेकर चलने को की गई थी लेकिन मुखिया के चाटूकार सलाहकारों के चलते जमीन से जुडे मूल कांग्रेस कार्यकर्ता विगत दो वर्षों से दूरी बनाए हुए हैं। यही नहीं चाटूकारों ने मुखिया को मुख्यमंत्री का सपना दिखाकर अपनी रोटियां सेंकने में लगे हुए हैं। इससे मूल कांग्रेस का कार्यकर्ता आहत है।
सूत्रों के मुताबिक कांग्रेस में संघ पृष्ठभूमि के कार्यकर्ताओं पदाधिकारी बनने एवं अखिल भारतीय कांग्रेस में उनकों मुखिया की वजह से मिल रही तरजीह को भी कांग्रेस के लिए काम करने वाला कार्यकर्ता अपने को ठगा सा महसूस कर रहा है।
बताया जाता है कि मुखिया का निजी सचिव भी धनबल के आधार पर प्रदेष कांग्रेस में सदस्य बनने में सफल हुआ। निजी सचिव ने कांग्रेस के दो सचिवों के माध्यम से धन अर्जित कर सदस्यों का समावेष कराने में सफलता हासिल की इससे कांग्रेस के कार्यकर्ताओं मे काफी आक्रोष है लेकिन उनकी पीडा सुनने वाला कोई नहीं और आलाकमान की अनदेखी के चलते प्रदेष में कार्यकर्ताओं की नाराजगी की वजह से सरकार बनना तो दूर बल्कि विपक्ष में भी सही भूमिका निभाने के लिए संख्या कम होगी। प्रदेष की जनता आलाकमान की ओर से टकटकी लगाए देख रही है कि प्रदेष में नेतृत्व सही हाथों में हो तो जनता का झुकाव बने लेकिन आंख मूंदकर बैठे आलाकमान को शायद दिल्ली के भाग से छींका टूटने की उम्मीद है।
प्रदेष में ऐसे ही हालात रहे तो आम चुनाव में राहुल गांधी के हाथों में देष की बागडोर सौंपने का सपना केवल एक सपना बनकर ही रह जाएगा। कांग्रेस नेता कांग्रेस का हाथ सबके साथ के बजाए कांग्रेस का हाथ बाहुबल के साथ होता दिखाइ्र दे रहा है। इससे आम कार्यकर्ता आलाकमान की ओर टकटकी लगाए देख रहा है।

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