रविवार, 29 अप्रैल 2018

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने मोदी को पत्र लिख कर नेता डाॅ राममनोहर लोहिया को भारतरत्न देने की मांग की है

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिख कर स्वतंत्रता सेनानी और समाजवादी नेता डाॅ राममनोहर लोहिया  को भारतरत्न देने की मांग की है.

इस पत्र में मुख्यमंत्री ने गोवा हवाई अड्डे का नामकरण भी डाॅ लोहिया के नाम पर करने का आग्रह किया है. उन्होंने कहा है  कि लोहिया की पुण्यतिथि 12 अक्तूबर को है. उस तिथि को केंद्र सरकार डाॅ लोहिया को भारतरत्न से सम्मानित करे.

प्रधानमंत्री को लिखे पत्र  में नीतीश कुमार ने भारतीय राजनीति में डॉ लोहिया के योगदानों का सिलसिलेवार उल्लेख  किया है. मुख्यमंत्री ने लिखा है, जब भारत को आजादी मिलनेवाली थी और यह  बड़ा प्रश्न विचारणीय था कि विपक्ष की भूमिका निभाने वाला नेता और  कार्यकर्ता कहां से आयेंगे, जो भारतीय राजनीति को जनोन्नमुख बना सके. 

कांग्रेस की नयी पीढ़ी के युवा नेताओं द्वारा गहन विचार मंथन कर यह निर्णय  लिया गया कि जीवंत विपक्ष की भूमिका निबाहने के लिए एक नये दल का गठन  आवश्यक है. इसी के अनुसार 1948 में डाॅ लोहिया और जयप्रकाश नारायण समेत  अधिकतर समाजवादी नेताओं ने कांग्रेस से संबंध तोड़ लिया.

इसके पहले पटना  में ही 1934 में सभी समाजवादी नेताओं ने कांग्रेस सोशलिस्ट पार्टी का गठन  किया था. गांधीजी से भी इनके अच्छे संबंध बने रहे. इन नेताओं ने सड़क से  संसद तक संघर्ष का रास्ता अख्तियार किया. नेपाल में लोकतंत्र स्थापित   करने के लिए लोहिया और जयप्रकाश नारायण की अगुआई में सफल आंदोलन चला.

डॉ  लोहिया को अंग्रेज पुलिस ने विद्रोही आजाद रेडियो चलाने के जुर्म में  गिरफ्तार किया. उनको लाहौर फोर्ट जेल में यातनाएं दी गयीं. रिहाई के तुरंत  बाद स्वास्थ्य लाभ की दृष्टि से डाॅ लोहिया गोवा में अपने मित्र  डाॅ  मेंडिस के घर गये.

वहां पहुंचते ही तमाम भारतीय प्रतिनिधिमंडलों ने आकर  पुर्तगाली पुलिस द्वारा लागू किये जा रहे अमानवीय कायदे-कानूनों और व्यवहार  की जानकारी देकर डाॅ लोहिया को विचलित कर दिया. शीघ्र ही गोवा में जनजागरण,  विरोध प्रदर्शन व कानून भंग के कारण उन्हें गोवा में कैद कर लिया गया.

इस  संघर्ष से गोवा का मुक्ति संग्राम आरंभ हुआ. बड़े पैमाने पर बार-बार विरोध  प्रदर्शनों का सिलसिला बढ़ता गया. साथ ही लोहिया की जेल यात्राएं भी बढ़ती  गयीं.  आजादी के बाद डाॅ लोहिया ने सरकार में शामिल होने के सभी प्रस्तावों  को इन्कार कर दिया.  तत्कालीन केंद्र व राज्य सरकारों की जनविरोधी नीतियों  के विरुद्ध लगातार संघर्षरत रहने के कारण डाॅ लोहिया को आजाद भारत में 11  बार अत्यंत तकलीफदेह स्थितियों में लंबी-लंबी जेल यात्राएं करनी पड़ीं. 

संसद में जवाहरलाल नेहरू की सरकार के विरुद्ध पहले अविश्वास प्रस्ताव और  सिद्धांत नीति पर प्रखर आलोचना  करते हुए डाॅ लोहिया ने समूचे विपक्ष को  गैर कांग्रेसवाद की धुरी पर इकट्ठा किया. अपनी मृत्यु के पहले 1967 में कई  राज्यों में गैर कांग्रेस की सरकारें बनवायीं. यह सिलसिला 1977 में कई  राज्यों में परवान चढ़ा, जब केंद्र में गैर कांग्रेसी सरकार बनी.

गोवा एयरपोर्ट का नामकरण लोहिया के नाम पर करने का किया अनुरोध

महिलाओं के लिए की थी दरवाजा बंद शौचालयों के निर्माण की मांग

सीएम ने लिखा है िक डाॅ लोहिया  गांवों में स्त्रियों के लिए दरवाजा बंद शौचालयोंके निर्माण की मांग  तत्कालीन सरकार से लगातार करते रहे. खुले में शौच देहात की औरतों के लिए न  सिर्फ शर्मनाक व लज्जाजनक थी, बल्कि यह उनके  स्वास्थ्य पर भी विपरीत  प्रभाव डाल रहा था.

आक्रामक रूप से नेहरू विरोधी होते हुए भी डाॅ लोहिया ने  कहा कि नेहरू सभी गांवों में महिलाओं के लिए शौचालय बनवा दें तो मैं उनका  विरोध करना बंद कर दूंगा. लोहिया गांव की महिलाओं के लिए चिमनीयुक्त और  धुआंमुक्त चूल्हों की तकनीक को प्रत्येक घर की रसोई में पहुंचाने की आवाज  संसद में और सड़कों पर लगातार गूंजती रही. यह उनकी दूरदर्शिता का परिचायक  थी.

सप्तक्रांति का नारा दिया था

सीएम ने पत्र में लिखा है कि लोहिया ने समाजवाद की देशज अवधारणा को भी संपूर्ण रूप से परिभाषित किया. मार्क्स के  बाद अर्थशास्त्र और इतिहास चक्र से डाॅ लोहिया ने मार्क्स के अर्थशास्त्र व  इतिहास का विश्लेषण की समग्र समालोचना की.

 20वीं सदी के पांचवें दशक में ही  नदियों की सफाई, हिमालय बचाओ, जाति व योनि के दो कटघरों, छोटी मशीन की  टेक्नोलॉजी, विश्व सरकार की अवधारणा और शोषण व विषमता के सात कारणों को  दूर करने के लिए डाॅ लोहिया ने सप्तक्रांति का नारा दिया.
पूरे देश में अंग्रेजी हटाओ आंदोलन चलाया था

पत्र में लिखा है िक अमेरिका में रंगभेद नीति का विरोध करने पर डाॅ लोहिया गिरफ्तार हुए. वह  खुद अंग्रेजी और जर्मन भाषा के विद्वान थे. 
मातृभाषाओं को लोक कार्यों व  शिक्षा में प्रोत्साहन व प्राथमिकता देने और अंग्रेजी को सिर्फ ऐच्छिक भाषा  का दर्जा देने के हिमायती थे. उन्होंने अंग्रेजी हटाओ आंदोलन को पूरे भारत  में चलाया. एक साधारण सरकारी अस्पताल में मामूली आपरेशन के बाद इन्फेक्शन  की जटिलताओं और विशेष डाॅक्टरी सुविधा लेने से इन्कार करने के बाद उनकी  मृत्यु हुई.

उनकी इच्छा के अनुसार उनकी अंत्येष्टि दिल्ली के उसी विद्युत  शवदाहगृह में की गयी, जहां लावारिस लोगों का शवदाह किया जाता था. उनका जीवन  सुविधाहीन था. स्वलिखित पुस्तकों के ढेर के अलावा उनके पास कुछ नहीं था.   मुख्यमंत्री ने लिखा है कि डाॅ लोहिया के राष्ट्रीय व 

अंतरराष्ट्रीय योगदान  के उस परिप्रेक्ष्य में केंद्र सरकार की ओर से इस वर्ष उनकी पुण्यतिथि 12  अक्तूबर को भारतरत्न से सम्मानित किया जाये और गोवा हवाई अड्डे का नाम डा  राम मनोहर लोहिया हवाई अड्डा किया जाये.

पिछले वर्ष उनकी मृत्यु के पांच  दशक पूरे हुए हैं. मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री से व्यक्तिगत अनुरोध किया  है कि इस प्रस्ताव पर विचार करने के लिए संबंधित मंत्रालय को आवश्यक कदम  उठाने का निर्देश दें.       

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