शुक्रवार, 6 अप्रैल 2018

भारतीय जनता पार्टी ने फर्श से अर्श तक सफर कैसे तय किया...

38 साल पहले किसी ने सोचा नहीं था कि जिस भारतीय जनता पार्टी की नींव रखी जा रही है, वह एक दिन वटवृक्ष का आकार धारण कर लेगा। आज 21 राज्यों में भाजपा की सरकार है। इंदिरा गांधी के समय में भी कांग्रेस पार्टी का इतना विस्तार नहीं हुआ था, जितना विकास भाजपा का हुआ है। आज यह दुनिया की सबसे बड़ी पार्टी बन चुकी है।

भाजपा के पहले राष्ट्रीय अध्यक्ष बने थे अटल बिहारी वाजपेयी। नई पार्टी के गठन के समय वाजपेयी ने कहा, 'मैं भारत के पश्चिमी घाट को मंडित करने वाले महासागर के किनारे खड़े होकर यह भविष्यवाणी करने का साहस करता हूं कि अंधेरा छटेगा, सूरज निकलेगा, कमल खिलेगा।'


भाजपा ने 38 साल की अपनी यात्रा में मुख्य रूप से चार युग देखे हैं। ये चार युग हैं- अटल युग, आडवाणी युग, अटल-आडवाणी युग और मोदी-शाह युग। आज बीजेपी का स्थापना दिवस है। आइए बताते हैं कि इस दौरान बीजेपी ने फर्श से अर्श तक सफर कैसे तय किया...


देश की सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी भारतीय जनता पार्टी का गठन 6 अप्रैल 1980 को हुआ था। उसके पहले इसे जनसंघ के नाम से जाना जाता था।

पार्टी को पहले जनसंघ के नाम से जाना जाता था
जनसंघ की स्थापना 1951 को हुई थी। इसके नेता डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी बने। पार्टी का चुनाव चिन्ह दीपक था। पहले आम चुनाव में जनसंघ को राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा भी प्राप्त हो गया था।

शुरुआती दौर में जनसंघ ने कश्मीर, कच्छ और बेरुबारी को भारत का अभिन्न अंग घोषित करने का मुद्दा जोरशोर से उठाया। जमींदारी और जागीरदारी प्रथा का भी जमकर विरोध किया। पार्टी की लोकप्रियता कई राज्यों में थी।

जनसंघ और वामपंथियों का भी बना था गठबंधन
शायद यही कारण था कि साल 1967 के चुनावों में जनसंघ और वामपंथियों ने कई राज्यों में साझा सरकारें भी बनाई थीं। पर, यह सहयोग ज्यादा दिनों तक नहीं चल सका। 

दीनदयाल उपाध्याय की मृत्यु के बाद अटल को मिली कमान
पार्टी के नेता पं. दीनदयाल उपाध्याय की मृत्यु के बाद कमान अटल बिहारी वाजपेयी को सौंपी गई। लेकिन साल 1971 के चुनाव में पार्टी को खास सफलता नहीं मिली।

तब तक तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के खिलाफ भ्रष्टाचार और तानाशाही के आरोप लगने लगे थे। उनकी सरकार के खिलाफ जयप्रकाश नारायण ने जोरदार आंदोलन किए। उनके साथ जनसंघ भी शामिल हो गया।

 
गैर कांग्रेसी सरकार में अटल-आडवाणी मंत्री बने
आंदोलन के बावजूद वर्ष 1975 में इंदिरा सरकार ने आपातकाल लागू कर दिया। बड़े नेताओं को जेल भेज दिया गया। उनके इस कदम से कांग्रेस सरकार की लोकप्रियता घट गई थी। इसलिए आपातकाल के बाद हुए 1977 के चुनाव में कांग्रेस की करारी हार हुई। केन्द्र में जनता पार्टी के नेतृत्व में गठबंधन सरकार बनी। इसमें जनसंघ भी शामिल था। अटल बिहारी बाजपेयी विदेशमंत्री बने, लाल कृष्ण आडवाणी सूचना एवं प्रसार मंत्री बनाए गए।
पर भारतीय राजनीति का यह प्रयोग विफ़ल हो गया और दोहरी सदस्यता के मुद्दे पर गठबंधन खत्म हो गया।

दोहरी सदस्यता क्या थी 
राज नारायण और मधु लिमये जैसे समाजवादी नेताओं ने जनसंघ के नेताओं के द्वारा जनता पार्टी और आरएसएस दोनों की सदस्यता रखने का विरोध किया था। इस कारण जनता पार्टी में बिखराव हो गया।

1980 में जनसंघ का नाम बदलकर भाजपा रखा गया
इस बिखराव के बाद साल 1980 में जनसंघ ने अपने को पुनर्गठित कर नया नाम भारतीय जनता पार्टी रखा। इसका चुनाव चिन्ह कमल रखा गया।

1984 में पार्टी को मात्र दो सीटें मिली थीं 

साल 1984 के लोकसभा चुनाव में पार्टी को केवल दो सीटें मिली थीं। पार्टी ने 1989 के लोकसभा चुनाव में जनता-दल के साथ गठबंधन किया था। भाजपा को 89 सीटें मिलीं।

मंडल आयोग की आंधी में 'कमंडल' राजनीति को मिली हवा
मंडल आयोग की रिपोर्ट को लेकर सरकार के साथ मतभेद हो गए। तब तक भाजपा अयोध्या मामले को भी राजनीतिक तूल दे चुकी थी। पार्टी के वरिष्ठ नेता लाल कृष्ण आडवाणी ने अपनी रथयात्रा शुरू की। आडवाणी की यात्रा को बिहार में रोक दिया गया। इसके बाद भाजपा ने वीपी सिंह सरकार से अपना समर्थन वापस ले लिया।

1992 में बाबरी मस्जिद गिरा
साल 1991 में हुए लोकसभा चुनाव में भाजपा को 120 सीटों पर सफलता मिली। साल 1992 में आडवाणी ने एक और यात्रा निकाली। पर, छह दिसंबर 1992 को अयोध्या में हुई एकत्रित भीड़ द्वारा बाबरी मस्जिद गिरा दिए जाने से भाजपा पर कई तरह के आरोप लगने लगे। पार्टी पर सांप्रदायिकता को बढ़ावा देने का आरोप लगा। तब पार्टी की चार राज्यों में सरकार थी। केन्द्र सरकार (प्रधानमंत्री पीवी नरसिंह राव) ने भाजपा की चारों सरकार बर्खास्त कर दिए।

पहली बार केन्द्र में भाजपा की सरकार बनी 
इसके बाद वर्ष 1996 में 13 दिनों के लिए अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार बनी थी। पार्टी के पास 161 सांसद थे। साल 1998 में हुए लोकसभा के चुनाव में भाजपा को 182 सीटें मिली। पार्टी ने अन्य दलों के साथ मिलकर राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) का गठन किया। फिर भी वाजपेई की सरकार 13 महीने में ही गिर गई।

एआईडीएमडीके ने समर्थन वापस ले लिया था। लेकिन उसके बाद हुए चुनाव में पार्टी फिर से सत्ता में आ गई। वाजपेई की सरकार साल 2004 तक चली।

जनसंघ  
जनसंघ की स्थापना 1951 को हुई थी। जनसंघ का प्रेरणा स्रोत राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ (आरएसएस) रहा है। डॉ केबी हेडगेवार ने आरएसएस का गठन 1925 को किया था। तब इसे एक स्वंयसेवी संगठन के रूप में देखा जाता था। लेकिन बदलते वक्त के साथ इसकी छवि बदलती चली गई।

मोदी-शाह की जोड़ी ने रचा इतिहास
साल 2014 के आम चुनावों में भाजपा अध्यक्ष अमित शाह और नरेंद्र मोदी की जोड़ी ने भाजपा को शिखर तक पहुंचा दिया। मोदी-शाह 2014 के चुनाव में स्टार प्रचारक रहे। इस जोड़ी का देश में ऐसा जादू चला कि भाजपा को अकेले दम पर 282 सीटों पर जीत मिली। यह जीत भाजपा के इतिहास की सबसे बड़ी जीत है। 1984 के बाद पहली बार किसी एक पार्टी को पूर्ण बहुमत मिली।
इसके बाद मोदी ने करिश्माई नेतृत्व का जादू दिखाते हुए भाजपा को देश के 21 राज्यों में सत्ता में काबिज करा दिया।

ऐसे बढ़ी भाजपा की ताकत
    1984 चुनाव - 2 सीटें
    1989 चुनाव - 85 सीटें
    1991 चुनाव - 120 सीटें
    1996 चुनाव - 161 सीटें
    1998 चुनाव - 182 सीटें
    1999 चुनाव - 182 सीटें
    2004 चुनाव - 138 सीटें
    2009 चुनाव - 116 सीटें
    2014 चुनाव - 282 सीटें

आडवाणी रह गए पीएम-इन-वेटिंग
लाल कृष्ण आडवाणी ने 1990-91 में रथ यात्रा निकाली थी। नवंबर 1990 में लालू यादव (तब बिहार के सीएम) ने ऐलान किया कि आडवाणी रथयात्रा लेकर बिहार में आए, तो उन्हें गिरफ्तार किया जाएगा। और आडवाणी को समस्तीपुर में गिरफ्तार कर लिया गया। बीजेपी ने इस पर वीपी सिंह की सरकार गिरा दी। 

उसके बाद केन्द्र में चंद्रशेखर की सरकार बनी। कांग्रेस पार्टी ने उसे भी गिरा दिया। 1991 आम चुनावों में आडवाणी की रथयात्रा का असर हुआ और बीजेपी ने 120 सीटें जीत लीं। 2 सांसदों वाली पार्टी अब देश की दूसरी सबसे बड़ी पार्टी बन चुकी थी। 2004 और 2014 के लोकसभा चुनावों में आडवाणी को पीएम इन वेटिंग माना जाता था, मगर वो पीएम नहीं बन सके।

पूर्ण बहुमत से भाजपा सरकार
1. अरुणाचल प्रदेश
2. असम
3. छत्तीसगढ़
4. गोवा
5. गुजरात
6. हरियाणा
7. झारखंड
8. मध्य प्रदेश
9. महाराष्ट्र
10. मणिपुर
11. राजस्थान
12. उत्तर प्रदेश
13. उत्तराखंड
14. हिमाचल प्रदेश
15 त्रिपुरा

सहयोगी दलों के साथ
16. जम्मू-कश्मीर
17. नागालैंड
18. आंध्र प्रदेश
19. सिक्किम
20. बिहार
21. मेघालय

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें