“कृषि क्षेत्र में पूंजी निर्माण में सुधार, डेयरी प्रसंस्करण सुविधाएं एवं आधारभूत संरचना का निर्माण, प्राथमिक कृषि सहकारी सामितियों का कंप्यूटिरीकरण, ग्रामीण क्षेत्रों में बैंकिंग तकनीक का विस्तार, सूक्ष्म सिंचित कृषि क्षेत्र में वृद्धि और ग्रामीण आवास, को वित्त वर्ष 2018-19 को हमारे विकासपरक एजेंडे में सर्वोच्च प्राथमिकता”
भारत के शीर्ष विकास बैंक राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) ने वित्त वर्ष 2017-18 के दौरान राजस्थान राज्य में कृषि एवं ग्रामीण अर्थव्यवस्था के विकास के लिए वित्तीय सहायता के रूप में राज्य सरकार, बैंक एवं राज्य की पीएसयू /निगमों को कुल रु.14690 करोड़ की वित्तीय सहायता उपलब्ध करवाई ।
ए के सिंह, मुख्य महाप्रबंधक, नाबार्ड के कहा की “विभिन्न विकासपरक निधियों के माध्यम से नाबार्ड ग्रामीण भारत में आधारभूत संरचना के वित्तपोषण के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर रहा है। भारत में ग्रामीण विकास के उद्देश्य से विभिन्न प्रकार की ग्रामीण बुनियादी संरचनाओं के वित्तपोषण को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जा रही है। पिछले कुछ वर्षों में राजस्थान राज्य बड़े पैमाने पर आरआईडीएफ़ से लाभान्वित हुआ है,इसके अंतर्गत महत्वपूर्ण ग्रामीण बुनियादी ढांचे से संबन्धित परियोजनाओं यथा सिंचाई, ग्रामीण पेयजल, सड़कें, पुल, शिक्षा आदि के लिए राज्य सरकार को ऋण उपलब्ध जा रहा है।वित्तीय वर्ष 2017-18 के दौरान नाबार्ड में आरआईडीएफ़ के अंतर्गत रु.1851.29 करोड़ के ऋण रियायती दरों पर उपलब्ध करवाए। नाबार्ड ने राज्य की प्रमुख आधारभूत परियोजनाओं में-10 सिचाई परियोजनाओं को पूरा करने रु.437.95 करोड़,1614 ग्रामीण सड़कों के निर्माण हेतु रु. 599.84 करोड़, दो ग्रामीण पेयजल आपूर्ति परियोजनाओं के लिए रु.469.54 करोड़,कोटा, बांरा और बूंदी में नहर व्यवस्था के पुनर्निर्माण हेतु रु.112.46 करोड़ तथा 825 विद्यालयों के निर्माण एवं मरम्मत के लिए रु. 209.72 करोड़ की राशि मंजूर की। राजस्थान राज्य में नाबार्ड ने कुल रु. 12226 करोड़ की वित्तीय सहायता आरआईडीएफ़ के अंतर्गत मंजूर की जिसके परिणामस्वरूप लगभग 02 लाख हेक्टेयर भूमि सिंचाई के दायरे में आई तथा 86000 किलोमीटर सड़कों/पुलों का निर्माण हुआ।“
साथ ही इस अवसर पर उन्होने कहा की “वित्तीय वर्ष 2017-18 के दौरान नाबार्ड ने नर्मदा नहर परियोजना को पूरा करने के लिए विशेषतया इस प्रयोजन हेतु गठित निधि एलटीआईएफ़ के तहत स्टेट शेयर के रूप में राजस्थान सरकार को रु.196.32 करोड़ मंजूर किए तथा रु. 101.45 करोड़ किए गए तथा वेयर हाउसिंग इनफ्रास्ट्रक्चर फ़ंड के तहत वेयरहाउस के निर्माण द्वारा आधुनिक भंडारण सुविधाओं के सृजन के लिए राज्य सरकार को रु.104.06 करोड़ की राशि भी मंजूर की है, जिसमें उदयपुर के बलीचा में‘ई-नैम’ अनुपालित एएमपीसी (मार्केटिंग यार्ड) के निर्माण के लिए रु.63.75 करोड़ शामिल है,जो राज्य का अत्याधुनिक बुनियादी ढांचा साबित होगा तथा इसमें किसानों को अपने उत्पादो के व्यापार करने के लिए सर्वोत्तम सुविधाएं उपलब्ध होंगी। इनमें छोटे वन्य उत्पादों के व्यापार की सुविधा भी होगी,जो उदयपुर क्षेत्र के आदिवासी आबादी को विशेष रूप से लाभ पहुंचाएगी ।
पत्रकार सम्मेलन के दोरान सिंह, मुख्य महाप्रबंधक के बताया की “राजस्थान में बैंकों के वित्तीय संसाधनों की कमी को पूरा करने के लिएनाबार्ड नेवित्तीय वर्ष 2017-18 के दौरान रु.12240 करोड़ की पुनर्वित्त सहायता उपलब्ध करवाई । नाबार्ड द्वारा राजस्थान राज्य में वाणिज्य बैंक, क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक, सहकारी बैंक तथा लघु वित्त बैंक द्वारा दीर्घावधि पुनर्वित्त के माध्यम से कृषि क्षेत्र में पूंजी निर्माण पर विशेष बल दिया गया, जिसके परिणामस्वरूप वित्त वर्ष 2017-18 के दौरान इन संस्थानों कोदीर्घावधि पुनर्वित्त सहायता बढ़कर रु.3502.06 करोड़ हुई। इसमें से रु.449 करोड़ दीर्घावधि ग्रामीण ऋण निधि (एलटीआरसीएफ़) के तहत रियायती दरों पर क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों तथा सहकारी बैंकों को जारी किए गए। साथी ही, अल्पावधि पुनर्वित्त के माध्यम से रियायती दरों पर किसानों की मौसमी कृषि परिचालन की ऋण आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए सहकारी बैंकों तथा क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों को वित्तीय सहायता प्रदान कर रहा है। 2017-18 के दौरान अल्पावधि ऋण के लिए सहकारी बैंकों तथा क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों को पुनर्वित्त के रूप में कुल रु.8737.67 करोड़ का संवितरीत किए गए ।“
बैंक के माध्यम से निवेश ऋण मे वृद्धि के लिए नाबार्ड ने वित्त वर्ष 2017-18 के दौरान राज्य के 33 जिलों के लिए कुल 66 क्षेत्रीय विकास योजनाएँ बनाई गयी हैं,जिसमें डेयरी विकास, भेड़ व बकरीपालन विकास,बागान तथा बागवानी, सौर ऊर्जा जल पंपिंग स्टेशन तथा मुर्गीपालन के लिए बैंकों द्वारा रु.468 करोड़ के ऋण प्रवाह का आकलन किया गया, जो 30000 से अधिक व्यक्तियों/ इकाइयों को लाभ पहुंचाएगा।
2017-18 के दौरान रुपे किसान कार्ड प्लैटफ़ार्म पर लाने के लिए दिनांक 31 मार्च 2018 तक नाबार्ड द्वारा सहायता प्राप्त सभी 29 केंद्रीय सहकारी बैंक तथा राजस्थान राज्य सहकारी को बैंको को डिजिटल बैंकिंग में परिवर्तित करने की दिशा में महत्वपूर्ण प्रगति हुई । उक्त अवधि में इन बैंकों ने रु.19.57 लाख रुपे किसान कार्ड जारी कर चुके हैं।क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक 5 लाख से अधिक रुपे किसान कार्ड जारी किए । राजस्थान में विभिन्न एजेंसियों को कुल मिलाकर रु.183 करोड़ की अनुदान सहायता मंजूर की गई है, जिसमें से 31 मार्च 2018 तक रु.74.28 करोड़ का अनुदान जारी किया जा चुका है।
एसएचजी के डिजिटाईजेशन के लिए ई-शक्ति प्रोजेक्ट राज्य के कुल 9 जिलों अजमेर, अलवर,बांसवाड़ा, बीकानेर,झालावाड़ जोधपुर, झुंझनू, कोटा तथा उदयपुर में कार्यान्वित किया जा रहा है जिसके तहत लगभग 43000 स्वयं सहायता समूह का डिजीटाइज किए जा रहे हैं । राज्य की कुल आबादी का 13.50% हिस्सा आदिवासी क्षेत्रों का है। इसे ध्यान में रखते हुए आदिवासी परिवारों को लाभ पहुँचाने की दृष्टि से इस परियोजना की शुरुआत की गई । मार्च 2018 तक राज्य में रु.183 करोड़ की वित्तीय सहायता के साथ कुल 57 वाडी परियोजनाएं मंजूर की जा चुकी हैं जिसमें वृक्षारोपण, मृदा एवं आर्द्रता संरक्षण कार्य, सिंचाई विकास तथा जीविकोपार्जन सहायता के द्वारा 49000 से अधिक आदिवासी परिवारों को लाभ प्राप्त होगा। कुल मिलाकर मार्च 2018 तक राज्य में रु.49 करोड़ की वित्तीय सहायता के साथ कुल 73 वॉटरशेड परियोजनाएं मंजूर की जा चुकी हैं जिससे 76000 हेक्टेयर क्षेत्र को लाभ प्राप्त होगा।
“ग्रीन पहल के साझेदार होने के नाते एनएएफ़सीसी (नेशनल एडाप्टेशन फ़ंड फॉर क्लाइमेट चेंज) के तहत राजस्थान राज्य में बांसवाड़ा ज़िले के आनंदपुरी, अरथुना, सज्जनगढ़ ब्लॉक के लिए रु.24.997 करोड़ की वित्तीय सहायता मंजूर की गई है जिसके द्वारा उक्त परियोजना को लागू किया जाएगा” मुख्य महाप्रबंधक नाबार्ड के इस अव्स्दर पर कहा ।
इस वर्ष के दौरान नाबार्ड ने कई कृषक उत्पादक संघों की स्थापना की दिशा मे अनुवर्ती कार्रवाई की है।भारत सरकार के PRODUCE फ़ंड के तहत राजस्थान में कुल 143 एफ़पीओ मंजूर किए गए जिनमें से 143 एफ़पीओ 31 मार्च 2018 तक पंजीकृत हो चुके हैं। साथ ही नाबार्ड ने अपने फ़ंड से 129 एफ़पीओ बनाए हैं। राजस्थान के 27 अतिसंवेदनशील जिलों के 6550 गांवों में जल अभियान (जल जीवन है) का आयोजन नाबार्ड द्वारा कई दिनों तक किया गया, जो भारत में उच्चतम था। इस कार्यक्रम ने बड़े स्तर पर कई हितधारकों को एक साथ एक प्लैटफ़ार्म पर लाने का कार्य किया तथा ग्रास रूट स्तर पर जल चेतना जगाने का कार्य किया।
बैंक द्वारा प्रभावी ऋण योजना को सुविधा देने के उद्देश्य से नाबार्ड ने राज्य के सभी 33 जिलों की संभाव्यता ऋण योजनाएँ (पीएलपी) बनाई। नाबार्ड द्वारा तैयार की गई ऋण संभाव्यता योजनाओं के अनुसार 2018-19 के दौरान प्राथमिकता प्राप्त क्षेत्र को रु.1.84 लाख करोड़ का निवेश प्राप्त होगा।
वार्षिक पत्रकार सम्मेलन के दोरान ए के सिंह, मुख्य महाप्रबंधक, नाबार्ड के आशा जताई की आगामी वित्तीय वर्ष 2018-19 मे नाबार्ड द्वारा राजस्थान राज्य को दी जाने वाली वित्तीय सहायता मे कम से कम 15% की वृद्धि होने की उम्मीद हैं क्योंकि अगले वर्ष 2018-19 मे नाबार्ड द्वारा कई नए निधियों यथा सूक्ष्म सिंचाई निधि, डेयरी प्रसंकरण एवं आधारभूत संरचना निधि, सिंचाई अंतर को कम करने के लिए प्रोत्साहन योजना (ISBIG), पशु पालन आधारभूत संरचना निधि, मतस्य पालन आधारभूत संरचना निधि, इत्यादि का कार्यान्वनन किया जाएगा ।
भारत के शीर्ष विकास बैंक राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) ने वित्त वर्ष 2017-18 के दौरान राजस्थान राज्य में कृषि एवं ग्रामीण अर्थव्यवस्था के विकास के लिए वित्तीय सहायता के रूप में राज्य सरकार, बैंक एवं राज्य की पीएसयू /निगमों को कुल रु.14690 करोड़ की वित्तीय सहायता उपलब्ध करवाई ।
ए के सिंह, मुख्य महाप्रबंधक, नाबार्ड के कहा की “विभिन्न विकासपरक निधियों के माध्यम से नाबार्ड ग्रामीण भारत में आधारभूत संरचना के वित्तपोषण के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर रहा है। भारत में ग्रामीण विकास के उद्देश्य से विभिन्न प्रकार की ग्रामीण बुनियादी संरचनाओं के वित्तपोषण को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जा रही है। पिछले कुछ वर्षों में राजस्थान राज्य बड़े पैमाने पर आरआईडीएफ़ से लाभान्वित हुआ है,इसके अंतर्गत महत्वपूर्ण ग्रामीण बुनियादी ढांचे से संबन्धित परियोजनाओं यथा सिंचाई, ग्रामीण पेयजल, सड़कें, पुल, शिक्षा आदि के लिए राज्य सरकार को ऋण उपलब्ध जा रहा है।वित्तीय वर्ष 2017-18 के दौरान नाबार्ड में आरआईडीएफ़ के अंतर्गत रु.1851.29 करोड़ के ऋण रियायती दरों पर उपलब्ध करवाए। नाबार्ड ने राज्य की प्रमुख आधारभूत परियोजनाओं में-10 सिचाई परियोजनाओं को पूरा करने रु.437.95 करोड़,1614 ग्रामीण सड़कों के निर्माण हेतु रु. 599.84 करोड़, दो ग्रामीण पेयजल आपूर्ति परियोजनाओं के लिए रु.469.54 करोड़,कोटा, बांरा और बूंदी में नहर व्यवस्था के पुनर्निर्माण हेतु रु.112.46 करोड़ तथा 825 विद्यालयों के निर्माण एवं मरम्मत के लिए रु. 209.72 करोड़ की राशि मंजूर की। राजस्थान राज्य में नाबार्ड ने कुल रु. 12226 करोड़ की वित्तीय सहायता आरआईडीएफ़ के अंतर्गत मंजूर की जिसके परिणामस्वरूप लगभग 02 लाख हेक्टेयर भूमि सिंचाई के दायरे में आई तथा 86000 किलोमीटर सड़कों/पुलों का निर्माण हुआ।“
साथ ही इस अवसर पर उन्होने कहा की “वित्तीय वर्ष 2017-18 के दौरान नाबार्ड ने नर्मदा नहर परियोजना को पूरा करने के लिए विशेषतया इस प्रयोजन हेतु गठित निधि एलटीआईएफ़ के तहत स्टेट शेयर के रूप में राजस्थान सरकार को रु.196.32 करोड़ मंजूर किए तथा रु. 101.45 करोड़ किए गए तथा वेयर हाउसिंग इनफ्रास्ट्रक्चर फ़ंड के तहत वेयरहाउस के निर्माण द्वारा आधुनिक भंडारण सुविधाओं के सृजन के लिए राज्य सरकार को रु.104.06 करोड़ की राशि भी मंजूर की है, जिसमें उदयपुर के बलीचा में‘ई-नैम’ अनुपालित एएमपीसी (मार्केटिंग यार्ड) के निर्माण के लिए रु.63.75 करोड़ शामिल है,जो राज्य का अत्याधुनिक बुनियादी ढांचा साबित होगा तथा इसमें किसानों को अपने उत्पादो के व्यापार करने के लिए सर्वोत्तम सुविधाएं उपलब्ध होंगी। इनमें छोटे वन्य उत्पादों के व्यापार की सुविधा भी होगी,जो उदयपुर क्षेत्र के आदिवासी आबादी को विशेष रूप से लाभ पहुंचाएगी ।
पत्रकार सम्मेलन के दोरान सिंह, मुख्य महाप्रबंधक के बताया की “राजस्थान में बैंकों के वित्तीय संसाधनों की कमी को पूरा करने के लिएनाबार्ड नेवित्तीय वर्ष 2017-18 के दौरान रु.12240 करोड़ की पुनर्वित्त सहायता उपलब्ध करवाई । नाबार्ड द्वारा राजस्थान राज्य में वाणिज्य बैंक, क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक, सहकारी बैंक तथा लघु वित्त बैंक द्वारा दीर्घावधि पुनर्वित्त के माध्यम से कृषि क्षेत्र में पूंजी निर्माण पर विशेष बल दिया गया, जिसके परिणामस्वरूप वित्त वर्ष 2017-18 के दौरान इन संस्थानों कोदीर्घावधि पुनर्वित्त सहायता बढ़कर रु.3502.06 करोड़ हुई। इसमें से रु.449 करोड़ दीर्घावधि ग्रामीण ऋण निधि (एलटीआरसीएफ़) के तहत रियायती दरों पर क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों तथा सहकारी बैंकों को जारी किए गए। साथी ही, अल्पावधि पुनर्वित्त के माध्यम से रियायती दरों पर किसानों की मौसमी कृषि परिचालन की ऋण आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए सहकारी बैंकों तथा क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों को वित्तीय सहायता प्रदान कर रहा है। 2017-18 के दौरान अल्पावधि ऋण के लिए सहकारी बैंकों तथा क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों को पुनर्वित्त के रूप में कुल रु.8737.67 करोड़ का संवितरीत किए गए ।“
बैंक के माध्यम से निवेश ऋण मे वृद्धि के लिए नाबार्ड ने वित्त वर्ष 2017-18 के दौरान राज्य के 33 जिलों के लिए कुल 66 क्षेत्रीय विकास योजनाएँ बनाई गयी हैं,जिसमें डेयरी विकास, भेड़ व बकरीपालन विकास,बागान तथा बागवानी, सौर ऊर्जा जल पंपिंग स्टेशन तथा मुर्गीपालन के लिए बैंकों द्वारा रु.468 करोड़ के ऋण प्रवाह का आकलन किया गया, जो 30000 से अधिक व्यक्तियों/ इकाइयों को लाभ पहुंचाएगा।
2017-18 के दौरान रुपे किसान कार्ड प्लैटफ़ार्म पर लाने के लिए दिनांक 31 मार्च 2018 तक नाबार्ड द्वारा सहायता प्राप्त सभी 29 केंद्रीय सहकारी बैंक तथा राजस्थान राज्य सहकारी को बैंको को डिजिटल बैंकिंग में परिवर्तित करने की दिशा में महत्वपूर्ण प्रगति हुई । उक्त अवधि में इन बैंकों ने रु.19.57 लाख रुपे किसान कार्ड जारी कर चुके हैं।क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक 5 लाख से अधिक रुपे किसान कार्ड जारी किए । राजस्थान में विभिन्न एजेंसियों को कुल मिलाकर रु.183 करोड़ की अनुदान सहायता मंजूर की गई है, जिसमें से 31 मार्च 2018 तक रु.74.28 करोड़ का अनुदान जारी किया जा चुका है।
एसएचजी के डिजिटाईजेशन के लिए ई-शक्ति प्रोजेक्ट राज्य के कुल 9 जिलों अजमेर, अलवर,बांसवाड़ा, बीकानेर,झालावाड़ जोधपुर, झुंझनू, कोटा तथा उदयपुर में कार्यान्वित किया जा रहा है जिसके तहत लगभग 43000 स्वयं सहायता समूह का डिजीटाइज किए जा रहे हैं । राज्य की कुल आबादी का 13.50% हिस्सा आदिवासी क्षेत्रों का है। इसे ध्यान में रखते हुए आदिवासी परिवारों को लाभ पहुँचाने की दृष्टि से इस परियोजना की शुरुआत की गई । मार्च 2018 तक राज्य में रु.183 करोड़ की वित्तीय सहायता के साथ कुल 57 वाडी परियोजनाएं मंजूर की जा चुकी हैं जिसमें वृक्षारोपण, मृदा एवं आर्द्रता संरक्षण कार्य, सिंचाई विकास तथा जीविकोपार्जन सहायता के द्वारा 49000 से अधिक आदिवासी परिवारों को लाभ प्राप्त होगा। कुल मिलाकर मार्च 2018 तक राज्य में रु.49 करोड़ की वित्तीय सहायता के साथ कुल 73 वॉटरशेड परियोजनाएं मंजूर की जा चुकी हैं जिससे 76000 हेक्टेयर क्षेत्र को लाभ प्राप्त होगा।
“ग्रीन पहल के साझेदार होने के नाते एनएएफ़सीसी (नेशनल एडाप्टेशन फ़ंड फॉर क्लाइमेट चेंज) के तहत राजस्थान राज्य में बांसवाड़ा ज़िले के आनंदपुरी, अरथुना, सज्जनगढ़ ब्लॉक के लिए रु.24.997 करोड़ की वित्तीय सहायता मंजूर की गई है जिसके द्वारा उक्त परियोजना को लागू किया जाएगा” मुख्य महाप्रबंधक नाबार्ड के इस अव्स्दर पर कहा ।
इस वर्ष के दौरान नाबार्ड ने कई कृषक उत्पादक संघों की स्थापना की दिशा मे अनुवर्ती कार्रवाई की है।भारत सरकार के PRODUCE फ़ंड के तहत राजस्थान में कुल 143 एफ़पीओ मंजूर किए गए जिनमें से 143 एफ़पीओ 31 मार्च 2018 तक पंजीकृत हो चुके हैं। साथ ही नाबार्ड ने अपने फ़ंड से 129 एफ़पीओ बनाए हैं। राजस्थान के 27 अतिसंवेदनशील जिलों के 6550 गांवों में जल अभियान (जल जीवन है) का आयोजन नाबार्ड द्वारा कई दिनों तक किया गया, जो भारत में उच्चतम था। इस कार्यक्रम ने बड़े स्तर पर कई हितधारकों को एक साथ एक प्लैटफ़ार्म पर लाने का कार्य किया तथा ग्रास रूट स्तर पर जल चेतना जगाने का कार्य किया।
बैंक द्वारा प्रभावी ऋण योजना को सुविधा देने के उद्देश्य से नाबार्ड ने राज्य के सभी 33 जिलों की संभाव्यता ऋण योजनाएँ (पीएलपी) बनाई। नाबार्ड द्वारा तैयार की गई ऋण संभाव्यता योजनाओं के अनुसार 2018-19 के दौरान प्राथमिकता प्राप्त क्षेत्र को रु.1.84 लाख करोड़ का निवेश प्राप्त होगा।
वार्षिक पत्रकार सम्मेलन के दोरान ए के सिंह, मुख्य महाप्रबंधक, नाबार्ड के आशा जताई की आगामी वित्तीय वर्ष 2018-19 मे नाबार्ड द्वारा राजस्थान राज्य को दी जाने वाली वित्तीय सहायता मे कम से कम 15% की वृद्धि होने की उम्मीद हैं क्योंकि अगले वर्ष 2018-19 मे नाबार्ड द्वारा कई नए निधियों यथा सूक्ष्म सिंचाई निधि, डेयरी प्रसंकरण एवं आधारभूत संरचना निधि, सिंचाई अंतर को कम करने के लिए प्रोत्साहन योजना (ISBIG), पशु पालन आधारभूत संरचना निधि, मतस्य पालन आधारभूत संरचना निधि, इत्यादि का कार्यान्वनन किया जाएगा ।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें