रविवार, 1 अप्रैल 2018

बिहार में नए सिरे से पार्टियों और नेताओं का ध्रुवीकरण हो सकता है

केंद्रीय मंत्री और राष्ट्रीय लोक समता पार्टी के नेता उपेंद्र कुशवाहा के दिल्ली में लालू प्रसाद से मिलने के बाद बिहार की राजनीति में सरगर्मी बढ़ गई है। रांची की जेल में बंद लालू प्रसाद इलाज के लिए दिल्ली पहुंचे तो पहले ही दिन कुशवाहा ने उनसे मुलाकात की। आधिकारिक रूप से उनकी ओर से बताया गया कि यह शिष्टाचार मुलाकात थी और लालू प्रसाद की सेहत का हालचाल जानने के लिए उनसे मिलने गए थे। पर बात सिर्फ इतनी नहीं है।

पिछले दिनों कुशवाहा की पार्टी ने बिहार में शिक्षा को लेकर मानव शृंखला बनाई थी, जिसमें सभी पार्टियों को आमंत्रित किया गया था। पर जिस एनडीए का वे हिस्सा हैं उसकी कोई भी पार्टी इस मानव शृंखला में नहीं शामिल हुई पर लालू प्रसाद की पार्टी के तमाम बड़े नेता इसमें शामिल हुए। उसके बाद भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने कुशवाहा को बुला कर बात की थी। कुशवाहा की ओर से बार बार कहा गया है कि वे एनडीए में हैं और इसी में रहेंगे। लोक जनशक्ति पार्टी के नेता रामविलास पासवान ने भी उनकी गारंटी लेते हुए कहा कि वे कहीं नहीं जा रहे हैं।

पर बिहार में बदलते हालात को देख कर ऐसा लग रहा है कि वहां नए राजनीतिक समीकरण बनेंगे। एक तरफ रामनवमी के बाद भड़के दंगे और उसमें भाजपा नेताओं की सक्रियता ने नीतीश कुमार को मुश्किल में डाला है तो दूसरी ओर अपने नेताओं और सहयोगियों के बरताव से भाजपा अलग परेशान है। उसके सांसद शत्रुघ्न सिन्हा, कीर्ति आजाद, भोला सिंह आदि पार्टी की परेशानी का कारण बने हैं। जीतन राम मांझी की पार्टी एनडीए से अलग हो गई है और कुशवाहा की पार्टी का बरताव भाजपा नेताओं को समझ में नहीं आ रहा है। इस बीच कांग्रेस टूटने की अटकलें गलत साबित हुई हैं और विधान परिषद के चार सदस्यों के अलावा कोई भी विधायक पार्टी से अलग नहीं हुआ। सो, बिहार में नए सिरे से पार्टियों और नेताओं का ध्रुवीकरण हो सकता है।

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