बिहार की सियासत के केंद्र बिंदू में एक बार फिर प्रदेश कांग्रेस पार्टी की कलह सामने आ गयी है. चारों ओर विभिन्न तरह की चर्चाओं ने जन्म ले लिया है. वहीं पार्टी के वरिष्ठ विधायक रामदेव राम ने विद्रोह का बिगुल फूंकते हुए कहा कि उन्होंने विधायकों से कहा है कि विरोध में अपनी आवाज बुलंद करें. रामदेव राय ने कहा कि बिहार में जिसके हाथों में पार्टी की कमान दी गयी है. वह कभी भी सीनियर नेताओं से राय मशविरा नहीं करते हैं. रामदेव राय ने बिहार प्रभारी के सामने विधायकों से विरोध दर्ज कराने की बात कही. उन्होंने कहा कि उनलोगों ने पूरा जीवन कांग्रेस को दे दिया. अब विधायकों का अपमान हो रहा है. यह ठीक नहीं. विधायक रामदेव राय ने एक क्षेत्रीय चैनल को दिये इंटरव्यू में वर्तमान नेतृत्व पर कई सवाल खड़े किये हैं.
इससे पूर्व रविवार को भी पार्टी कार्यालय सदाकत आश्रम में नजारा देखते बन रहा था. वह तो बाद में राज्यसभा सांसद अखिलेश सिंह की पहल पर मामला सुलझा. हालांकि शक्ति सिंह गोहिल ने यह कह दिया कि बिहार के नेता कुर्सी पर नहीं बल्कि काम पर ध्यान दें. पटना पहुंचे गोहिल का स्वागत, हुआ लेकिन उसके बाद गोहिल को कुर्सी के लिए विधायकों का विरोध प्रदर्शन और कार्यकर्ताओं की अनुशसनहीनता झेलनी पड़ी. वहीं अध्यक्ष और परिषद के दावेदारों ने अपना शक्ति प्रदर्शन कर गोहिल की नाक में दम कर दिया.
बिहार प्रभारी के स्वागत में ही सारे अनुशासन हवा में चले गये और बाकी कसर विधायकों ने जमीन पर बैठकर पूरी कर दी. कांग्रेस की परंपरा के उलट विधायक जमीन पर बैठ गए. हालांकि विधायकों ने मीडिया से कहा कि वह जमीन से जुड़े लोग हैं, इसलिए जमीन पर बैठे हैं. पार्टी में गुटबाजी पूरी तरह सतह पर आ गयी, जिसे देखने के बाद बिहार प्रभारी ने माफी मांगी. उन्होंने कहा कि जिन जिन साथियों को कष्ट पहुंचा है उसके लिए मैं उनसे माफी मांगता हूं. उन्होंने गुजारिश करते हुए कहा कि कभी अच्छा लगे या कभी अच्छा न लगे, लेकिन बात अकेले में ही करें. पार्टी की बुराई पब्लिकली न करें. इससे पार्टी का ही नुकसान होता है.
इससे पूर्व रविवार को भी पार्टी कार्यालय सदाकत आश्रम में नजारा देखते बन रहा था. वह तो बाद में राज्यसभा सांसद अखिलेश सिंह की पहल पर मामला सुलझा. हालांकि शक्ति सिंह गोहिल ने यह कह दिया कि बिहार के नेता कुर्सी पर नहीं बल्कि काम पर ध्यान दें. पटना पहुंचे गोहिल का स्वागत, हुआ लेकिन उसके बाद गोहिल को कुर्सी के लिए विधायकों का विरोध प्रदर्शन और कार्यकर्ताओं की अनुशसनहीनता झेलनी पड़ी. वहीं अध्यक्ष और परिषद के दावेदारों ने अपना शक्ति प्रदर्शन कर गोहिल की नाक में दम कर दिया.
बिहार प्रभारी के स्वागत में ही सारे अनुशासन हवा में चले गये और बाकी कसर विधायकों ने जमीन पर बैठकर पूरी कर दी. कांग्रेस की परंपरा के उलट विधायक जमीन पर बैठ गए. हालांकि विधायकों ने मीडिया से कहा कि वह जमीन से जुड़े लोग हैं, इसलिए जमीन पर बैठे हैं. पार्टी में गुटबाजी पूरी तरह सतह पर आ गयी, जिसे देखने के बाद बिहार प्रभारी ने माफी मांगी. उन्होंने कहा कि जिन जिन साथियों को कष्ट पहुंचा है उसके लिए मैं उनसे माफी मांगता हूं. उन्होंने गुजारिश करते हुए कहा कि कभी अच्छा लगे या कभी अच्छा न लगे, लेकिन बात अकेले में ही करें. पार्टी की बुराई पब्लिकली न करें. इससे पार्टी का ही नुकसान होता है.
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें