जयपुर। अकेले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लोकसभा चुनाव मैदान में विपक्षियों से जूझ रहे हैं। बाकी तो सभी भाजपाई मोदी के दम्भ में विधानसभा चुनावों की तरह फिर लुटिया डुबोने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे। राजस्थान भाजपा का प्रबंधन तो कुछ ऐसा ही नजर आ रहा है। चाहे प्रदेश भाजपा के प्रभारी केन्द्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर हों या मीडिया प्रभारी विमल कटियार हो। भाजपा और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की नीति अंत्योदय की रही हो, लेकिन राजस्थान में तो अंतिम व्यक्ति के अंत की ही नीति दिखाई दे रही है।
मीडिया के कुप्रबंधन की वजह से राजस्थान में भाजपा विधानसभा चुनाव हार चुकी है। खुद भाजपा आलाकमान का कहना रहा कि राजस्थान की भाजपा सरकार ने काम तो अच्छे किये थे, लेकिन इन कामों का जनता में ठीक से प्रचार नहीं हो पाया, जिस वजह से पार्टी को हार का सामना करना पड़ा है।
इसके बाद भी भाजपा का मीडिया प्रबंधन संभला नहीं है। वही लघु उद्योग विरोधी सिर्फ चहेतों व चंद बड़े अखबारों को ही लाभ पहुंचाने की नीतियों के चलते एक बार फिर पार्टी को मुश्किल में डाल रहे हैं।
जानकारी के अनुसार भाजपा ने दिल्ली व उत्तर प्रदेश में तो हर छोटे बड़े समाचार पत्र को अपने प्रचार का हिस्सा बनाया है, लेकिन राजस्थान भाजपा के कर्ताधर्ता छोटे अखबारों को दरकिनार करते हुए अपनी जेबों में धन बचाने में लगे हैं।
अनेक चक्कर लगाने के बाद भी छोटे अखबार प्रकाशकों को अपमानजनक तरीके से निराश ही लौटाया है। उधर कांग्रेस द्वारा सभी लघु समाचार पत्रों को प्रचार अभियान में हिस्सेदारी दी है। इससे प्रदेश में भाजपा को दोहरी मार पड़ने वाली है।
भाजपा के प्रचार अभियान से निराश लघु समाचार पत्र प्रकाशकों की गुरुवार को यहां पिंकसिटी प्रेस क्लब के पास एक स्थान पर बैठक हुई, जिसमें दो दर्जन से अधिक समाचार पत्र प्रकाशक एकत्र हुए। सभी ने भाजपा की लघु समाचार पत्र विरोधी नीति की आलोचना करते हुए भाजपा के समाचारों का बहिष्कार करने और लोकसभा चुनाव में अपने परिवार, मित्रों और परिचितों से भाजपा की लघु उद्योग विरोधी नीति की चर्चा करने का निर्णय किया है। ये लघु समाचार पत्र प्रकाशक अब जनता व अपने परिवार में जाकर भाजपा से सावधान रहने की अपील करेंगे। भाजपा मीडिया प्रबंधन की नीतियों से पीड़ित लघु समाचार पत्र प्रकाशकों की शुक्रवार को फिर मीटिंग होगी, जिसमें प्रदेश भाजपा कार्यालय में विज्ञापन के प्रस्ताव देने और अनेक चक्कर लगाकर थक चुके सभी लघु समाचार पत्र प्रकाशकों को बुलाया गया है।

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