क्या सरकार डिजिटल पेमेन्ट को बढावा देने के लिये नोटों की छपाई बंद करने जा रही है ?
सवाल यह है कि क्या सरकार अब नोटों की छपाई बंद करके सबकुछ कैशलेस करने जा रही है, तब तो यह स्वागत योग्य कदम होगा, क्योंकि रिश्वत का ट्रांजेक्शन भी नजर आयेगा। चुनाव के समय किसने कितना किस पार्टी को चंदा दिया वह भी नजर आयेगा। पांच साल पहले नेताजी की आय क्या थी और यह किसने ट्रांजेक्शन किया कि आय कई गुना बढ गई, यह भी नजर आयेगा। लेकिन अगर यह सब करने की औकात नहीं है तो क्या कैशलेस पेमेंट सिर्फ आम आदमी के लिये ही है, क्या सिर्फ आम आदमी के कैश को सरकार ब्लैक मनी मान रही है, यानि जिस भी आम आदमी के पास कैश मिला सरकार की नजर में वह ब्लैक मनी ? सरकार यह कहकर बच नहीं सकती कि हम डिजिटल पेमेन्ट को बढावा दे रहे है, अगर डिजिटल पेमेन्ट को बढावा देना है तो नोट छापना बंद करो अपने आप डिजिटल पेमेन्ट के जरिये ट्रांजेक्शन होगा।
जयपुर।जगजाहिर विशेष संवाददाता । आर्कियोलोजिकल सर्वे आफ इंडिया ने जयपुर सर्किल के भानगढ फोर्ट और आभानेरी चांदबावडी में पर्यटकों के लिये गुरूवार से टिकिट से एंट्री शुरू कर दी, आश्चर्य तब हुआ जब कैशलेस पेमेंट पर टिकिट दर 20 रूपये, और कैश पेमेंट पर टिकिट दर 25 रूपये, यानि कैश पेमेंट पर 5 रूपये जुर्माना।
सवाल यह उठता है कि क्या यह सरकारी मुद्रा का अपमान नहीं है ? क्या कोई सरकारी मुद्रा को लेने से मना कर सकता है ? अगर मना करता है तो उसको किस दंड से दंडित किया जायेगा ? अगर सरकार के आदेशों के तहत सरकारी विभाग ही जब सरकारी मुद्रा लेने से मना कर दे तब दंड का भागी कौन होगा ?आर्कियोलोजिकल सर्वे आफ इंडिया के अधीक्षण पुरातत्वविद पीएल मीणा या जिसने पीएल मीणा को सरकारी मुद्रा का अपमान करने का आदेश दिया वह शख्स ?
सवाल यह भी उठता है कि क्या यह रूपये का अवमूल्यन किया जा रहा है ? क्या कैश पेमेन्ट पर 5 रूपये सरकारी जुर्माना लगाया जा रहा है ? क्या सरकार की नियत यह है कि आप अपने घर में नोट रख ही नहीं सकते ? क्या सरकार कैशलेस पेमेन्ट के जरिये हर एक व्यक्ति के लेनदेन पर नजर रखकर जासूसी करना चाहती है ?
सवाल यह भी है कि क्या सरकार अब नोटों की छपाई बंद करके सबकुछ कैशलेस करने जा रही है, तब तो यह स्वागत योग्य कदम होगा, क्योंकि रिश्वत का ट्रांजेक्शन भी नजर आयेगा। चुनाव के समय किसने कितना किस पार्टी को चंदा दिया वह भी नजर आयेगा। पांच साल पहले नेताजी की आय क्या थी और यह किसने ट्रांजेक्शन किया कि आय कई गुना बढ गई, यह भी नजर आयेगा। लेकिन अगर यह सब करने की औकात नहीं है तो क्या कैशलेस पेमेंट सिर्फ आम आदमी के लिये ही है, क्या सिर्फ आम आदमी के कैश को सरकार ब्लैक मनी मान रही है, यानि जिस भी आम आदमी के पास कैश मिला सरकार की नजर में वह ब्लैक मनी ? सरकार यह कहकर बच नहीं सकती कि हम डिजिटर पेमेन्ट के बढावा दे रहे है, अगर डिजिटल पेमेन्ट को बढावा देना है तो नोट छापना बंद करो अपने आप डिजिटल पेमेन्ट के जरिये ट्रांजेक्शन होगा।
लेकिन सरकार का उदृेश्य डिजिटल पेमेन्ट को बढावा देना नहीं, आम जनता के हर ट्रांजेक्शन पर नजर रखकर जासूसी करना है, ऐसा करके सरकार द्वारा आम जनता की निजता के अधिकार पर हमला तो किया ही जा रहा है, साथ ही सरकारी मुद्रा का अपमान भी किया जा रहा है, क्योंकि हर नोट पर लिखा होता है कि मैं धारक को रूपये अदा करने का वचन देता हॅूं, और बीस रूपये के टिकिट के ब्लेक में पच्चीस रूपये वसूले जा रहे है, क्या माननीय उच्च न्यायालय सरकार के खिलाफ व जिम्मेदारों के खिलाफ स्वप्रेरित प्रसंज्ञान लेगा ?

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