शनिवार, 18 मई 2019

असम से राज्यसभा के लिए माधव और पासवान!

असम में राज्यसभा की दो सीटों के लिए चुनाव की घोषणा हो गई है। और इसके साथ ही पार्टियों और नेताओं में खींचतान भी शुरू हो गई है। असम के भाजपा नेताओं और उसकी दो सहयोगियों पार्टियों ने पहले ही किसी बाहरी नेता को राज्यसभा में भेजने के खिलाफ माहौल बनाना शुरू कर दिया है। इसके अलावा असम गण परिषद ने एक सीट अपने लिए मांगी है। उसका कहना है कि नागरिकता कानून के मुद्दे पर पार्टी जब एनडीए से अलग हुई थी तो उसे गठबंधन में लाने के लिए भाजपा ने राज्यसभा देने का वादा किया था। 

सो, असम को दोनों राज्यसभा सीटों का चुनाव दिलचस्प हो गया है। कहा जा रहा है कि भाजपा ने एक सीट पर लोक जनशक्ति पार्टी के नेता रामविलास पासवान को उच्च सदन में भेजने का वादा किया है। इसी वादे की वजह से उन्होंने बिहार में अपने कोटे की एक सीट छोड़ी और खुद लोकसभा का चुनाव भी नहीं लड़ रहे हैं। इसके साथ ही यह भी चर्चा है कि भाजपा महासचिव राम माधव को राज्यसभा में भेजा जा सकता है। ध्यान रहे वे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सबसे खास नेता हैं फिर भी अभी तक सांसद नहीं बने हैं। कश्मीर से लेकर पूर्वोत्तर तक वे पार्टी और मोदी दोनों के लिए काम करते हैं और प्रधानमंत्री के विदेश दौरों से पहले उनके शेरपा के तौर पर वहां जाते हैं और सारी तैयारियां करते हैं। 

पर मुश्किल यह है कि असम विधानसभा में वोटों की संख्या देखते हुए लगता नहीं है कि भाजपा इन दोनों को राज्यसभा में भेज पाएगी। 126 सदस्यों की असम विधानसभा में भाजपा के अपने 61 विधायक हैं। उसकी दो सहयोगी पार्टियों असम गण परिषद और बोडोलैंड पीपुल्स फ्रंट को क्रमशः 14 और 12 विधायक हैं। दूसरी ओर विपक्ष में कांग्रेस के 25 और अजमल की पार्टी एआईयूडीएफ के 13 विधायक हैं। राज्यसभा में एक सीट जीतने के लिए 42 वोट की जरूरत होगी। विपक्ष के पास एक सीट के लिए चार वोट कम हैं और सत्तापक्ष के पास दोनों सीटें जीतने के लिए जरूरी 82 की संख्या से पांच ज्यादा हैं। 

पर असम गण परिषद का वोट भाजपा को तभी मिलेगा, जब एक सीट उसको मिले या कम से कम एक सीट पर स्थानीय उम्मीदवार हो। अगर दोनों उम्मीदवार बाहरी होते हैं तो दूसरे नंबर के उम्मीदवार के लिए मुश्किल होगी। तब विपक्ष का साझा उम्मीदवार भी मैदान में होगा और असम गण परिषद के वोट टूटेंगे। जाहिर ऐसी स्थिति में राम माधव और रामविलास पासवान में से कोई भी व्यक्ति दूसरा उम्मीदवार नहीं बनना चाहेगा। तभी माना जा रहा है कि दूसरा उम्मीदवार स्थानीय होगा। फिर देखना दिलचस्प होगा कि पहली सीट पर भाजपा माधव और पासवान में से किसे उतारती है। पूर्वोत्तर की राजनीति में भाजपा का चेहरा बने हिमंता बिस्वा सरमा से माधव की करीबी के कारण कई लोग उनका नाम पक्का बता रहे हैं। एक संभावना यह है कि अगर रविशंकर प्रसाद पटना साहिब सीट से जीत जाते हैं तो उनकी सीट रामविलास पासवान को मिल जाए। उसका कार्यकाल भी 2024 तक है। 

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