लोक जनशक्ति पार्टी के नेता रामविलास पासवान को असम से राज्यसभा की सीट नहीं मिली। लोकसभा चुनाव के लिए बिहार में जब सीटों का बंटवारा हुआ तो पासवान की पार्टी को पिछली बार की सात के मुकाबले इस बार छह सीटें मिलीं और कहा गया कि वे पार्टी उनको एक राज्यसभा की सीट देगी। तब बताया गया था कि उनको असम से राज्यसभा में भेजा जाएगा। ध्यान रहे असम में राज्यसभा की दो सीटें खाली हुई हैं। पर अब भाजपा और उसकी सहयोगी असम गण परिषद ने इन सीटों पर उम्मीदवारों की घोषणा कर दी। लोकसभा चुनाव से पहले भाजपा ने अगप को एक राज्यसभा सीट देने का वादा किया था, जो कि उसने निभा दिया है।
सो, अब पासवान की नजर पटना साहिब से लोकसभा का चुनाव जीते रविशंकर प्रसाद की खाली होने वाली राज्यसभा सीट पर है। इसका कार्यकाल 2024 तक है। अगर भाजपा ने सद्भाव दिखाया तो यह सीट पासवान को मिल सकती है। हालांकि इस सीट पर प्रदेश भाजपा के कई नेताओं की नजर है। ध्यान रहे पासवान इस बार चुनाव नहीं लड़े हैं और उनकी पारंपरिक सीट से उनके भाई पशुपति कुमार पारस चुनाव लड़े हैं। पारस बिहार विधान परिषद के सदस्य भी हैं और राज्य सरकार में मंत्री भी हैं। बहरहाल, पासवान की पार्टी के नेता मान रहे हैं कि उनके लिए सांसद बनना जरूरी है क्योंकि हो सकता है कि भाजपा उनके बेटे चिराग पासवान को कैबिनेट मंत्री नहीं बनाए। उनको ज्यादा से ज्यादा स्वतंत्र प्रभारी के राज्यमंत्री का दर्जा मिल सकता है।

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