बुधवार, 4 सितंबर 2019

राज्य स्तरीय शिक्षक सम्मान समारोह के अंतर्गत शिक्षक दिवस की पूर्व संध्या पर आयोजित हुई रंगारंग सांस्कृतिक संध्या

जयपुर । राज्य स्तरीय शिक्षक सम्मान समारोह के अंतर्गत शिक्षक दिवस की पूर्व संध्या पर बुधवार को बिड़ला सभागार में शिक्षक कलाकारों ने मंत्रमुग्ध करने वाली सांस्कृतियां प्रस्तुतियां दी। शास्त्रीय, लोक संगीत और नृत्य से सजी सांस्कृतिक प्रस्तुतियों में कलाकारों ने राजस्थान की उत्सवधर्मी संस्कृति को जैसे मंच पर साकार कर दिया।

शिक्षा राज्य मंत्री  गोविन्द सिंह डोटासरा ने शिक्षकों की सृजनात्मक प्रतिभा की सराहना करते हुए कहा है कि पढ़ाने के साथ ही शिक्षक विद्यार्थियों के सर्वांगीण विकास के संवाहक हैं। उन्होंने शिक्षकों द्वारा प्रस्तुत रंगारंग सांस्कृतिक संध्या को अभूतपूर्व बताते हुए कहा कि संस्कृति के सरोकारों से ही जीवन सरस और संपन्न होता है। शिक्षक दिवस पर की पूर्व संध्या पर शिक्षकों द्वारा शिक्षकों के लिए प्रस्तुत यह कार्यक्रम प्रेरणा देने वाला है। समारोह की अध्यक्षता करते हुए तकनीकी एवं संस्कृत शिक्षा राज्य मंत्री श्री सुभाष गर्ग ने शिक्षकों द्वारा प्रस्तुत कार्यक्रम की प्रशंसा करते हुए कहा कि शिक्षक समाज के आदर्श हैं। उनसे ही समाज संस्कारित और संस्कृतिमय होता है।

शिक्षक दिवस की पूर्व संध्या पर बिड़ला संभागार में आयोजित सांस्कृतिक कार्यक्रम का आग़ाज जयपुर मंडल के कलाकारों के स्वागत गान से हुआ। इसके बाद भगवान श्री कृष्ण की वंदना आधारित कथक की जयपुर संभाग के शिक्षक कलाकार ने मन भावन प्रस्तुति की। कथक की इस प्रस्तुति में ठाठ, सलामी और आमद के साथ ही भावाभिनय मन मोहने वाला था। सामूहिक राजस्थानी  नृत्य ‘घूड़लो घूमेला’ के अंतर्गत जयपुर संभाग के ही शिक्षक कलाकारों ने राजस्थान के लोक का आलोक बिखेरते राजस्थान की सांस्कृतिक छटाओं से जैसे साक्षात् कराया। उपशास्त्रीय संगीत संग जयपुर संभाग के कलाकार का एकल नृत्य, राजस्थान की वीर धरा का बखान करती चूरू संभाग के कलाकारों की सामुहिक नृत्य प्रस्तुति ‘धरती वीर धोरां री’ और  पंजाब की संस्कृति को मंच पर साकार करता जयपुर संभाग के शिक्षक कलाकारों का सामुहिक भंगड़ा नृत्य ‘ढोल जगीरों का’ भी मंत्रमुग्ध करने वाला था।

सांस्कृतिक संध्या का मुख्य आकर्षण ‘केसरिया बालम’ पर किया गया वह सामूहिक नृत्य था जिसमें कलाकारों ने राजस्थान की ‘पधारो म्हारे देस’ की संस्कृति को जैसे अपने भावों से जीवंत किया। इस सामूहिक नृत्य में अजमेर के कलाकारों ने भावों के माधुर्य में राजस्थान की उत्सवधर्मी संस्कृति का जैसे एक तरह से बखान किया। जयपुर संभाग के कलाकारों द्वारा पर्यावरण संरक्षण को केन्द्र में रखकर तैयार की गयी नृत्य नाटिका भी सराहनीय थी तो बीकानेर संभाग के कलाकारों द्वारा सामुहिक पंजाबी नृत्य ‘यार बोलदा’ की प्रस्तुति भी मन को उल्लसित करने वाली थी। चूरू संभाग के कलाकारों की रींगस के भैंरूजी की आराधना से संबंधित सामूहिक नृत्य प्रस्तुति इस कदर जीवंत थी कि देखने वाले जैसे कलाकारों के भावों में ही एकाकार हो गए। सांस्कृतिक संध्या में जयपुर संभाग के कलाकारों ने देशभक्ति पर आधारित जोश जगाने वाला ‘ऎ वतन’ नृत्य किया।

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