शनिवार, 21 सितंबर 2019

आईएएस एसोसिएशन की तरफ से कैलाश मानसरोवर यात्रा पर एक्सपीरियंस शेयरिंग सैशन

जयपुर। कैलाशवासी देवाधिदेव महादेव के दर्शन से जुड़ी कैलाश मानसरोवर यात्रा से जुड़ी दिव्य अनूभूतियां शनिवार को गुलाबी नगरी में साकार हुई। कैलाश मानसरोवर यात्रा से जुड़े अपने संस्मरणों को जब भारतीय प्रशासनिक सेवा, भारतीय वन सेवा, राजस्थान प्रशासनिक सेवा और राजस्थान सूचना एवं जनसम्पर्क सेवा के अधिकारियों ने मन की गहराईयों से साझा कर ऑडियो-विजुअल प्रजेंटेषन दिया तो वहां उपस्थित हर व्यक्ति ने शिव भक्ति और आध्यात्मिक आनंद की गंगा में डुबकी लगाई। अवसर था ‘आईएएस एसोसिएशन‘ द्वारा जयपुर में झालाना डूंगरी स्थित ‘टेक्नो हब‘ में आयोजित कैलाश मानसरोवर यात्रा के अनुभवों पर आधारित ‘एक्सीपीरियंस शेयरिंग सैशन‘ का।


इसमें आईएएस भास्कर ए. सावंत, आईएफएस एन. सी. जैन, आईएएस मुग्धा सिन्हा, आरएएस गौरव बजाड़ तथा राजस्थान सूचना एवं जनसम्पर्क सेवा के अधिकारी ओटाराम चौधरी ने अलग-अलग अंदाज में यात्रा के दृश्यों, आध्यात्मिक आनंद, प्राकृतिक सौंदर्य से भरे दृश्यों, चमत्कारिक तजुर्बों, यात्रा की चुनौतियों एवं इसमें शरीक होने की इच्छा रखने वाले लोगों के नजरिए से चुनौतियों व सावधानियों के साथ ही शारीरिक और मानसिक स्तर पर की जाने वाली तैयारियों पर भी विस्तार से प्रकाश डाल सभी के साथ ‘शिव-कृपा‘ को साझा किया। इस विशेष कार्यक्रम में कई वरिष्ठ आईएएस, आईपीएस, आरएएस के अलावा राज्य सेवाओं के अन्य अधिकारी और गणमान्य नागरिक शरीक हुए। कैलाश मानसरोवर की यात्रा कर चुके शहर के कई अन्य लोग भी इस कार्यक्रम में भाग लेने पहुंचे और उन्होंने भी अपने अनुभव और उद्गगार प्रकट किए।

कार्यक्रम में कैलाशी बन चुके इन अधिकारियों द्वारा ‘शेयर‘ की गई प्रमुख बातें इस प्रकार रहीं।

भास्कर ए. सावंत

‘‘कैलाश मानसरोवर के लिए ‘फिजिकल फिटनेस‘ से ज्यादा जरूरी है, मानसिक फिटनेस। इसके साथ अगर आपके पास ‘कूलनैस ऑफ एटीट्यूड है तो यह यात्रा को सफलतापूर्वक पूरा करने में आपका सबसे बड़ा मददगार साबित होगा। यात्रा के दौरान आपका हर प्रकार के व्यक्तियों से वास्ता पड़ता है, जो हर ‘फ्रीक्वेंसी‘ पर अपने तरीके से व्यवहार करते हैं। प्राकृतिक सौंदर्य के अद्भुत क्षणों के बीच ऐसी ही कुछ विषम चुनौतियों को को झेलने और उन पर धैर्य के साथ विजय पाने की की ताकत जिसमें होती है, वह यात्रा को अधिक सुगमता और सरलता से पूरा कर सकता है।‘‘



एनसी जैन
कैलाश मानसरोवर की यात्रा एक अंतर्यात्रा है। इसका बड़ा आध्यात्मिक महत्व है। कई बार आपका कॉंफिडेंस लेवल ऊपर-नीचे होता है, पर एक ‘स्प्रिचुअल पावर‘ है जो आपको वहां तक उस लेवल तक लेकर जाती है। यात्रा जीवन का एक दुर्लभ अनुभव है। यात्रा जब आपको ‘स्प्रिचुअलटी‘ के उच्चतम स्तर पर ले जाती है तो फिजिकल और मैंटल रिक्वायरमेंट्स कम हो जाती है। इससे आपकी ऑक्सीजन की जरूरत भी कम हो जाती है। मानसिक ताकत से आध्यात्मिक पक्ष मजबूत होता है। मानसरोवर झील पर दो दिन रूकने का अवसर प्राप्त होता है, 15 हजार फीट की ऊंचाई पर आप अपने आपको बड़ा रिलेक्स पाते है, जहां जीवन के दुर्लभ अनुभवों से आप गुजरते है। यदि ‘मेडिटेशन‘ में आप गम्भीरता से जुटे है तो यह बहुत मदद करता है।‘‘

मुग्धा सिन्हा
यह यात्रा भगवान शिव की कृपा से ही पूरी होती है। यह मैंटल फिटनेस, डिटरमिनेशन और ईश्वर में विश्वास की यात्रा है। ईश्वर ग्रेटेस्ट डिजाईनर और प्लानर है। मैंटल फिटनेस की कोई विशेष तैयारी भी नहीं की, ईश्वर की कृपा से यात्रा बिना किसी विघ्न के पूरी हुई। यात्रा और जीवन में होने वाले इवेंट्स में कोई फर्क नहीं है। ऐसा लगता है कि जीवन को हमें वैसे ही जीना चाहिए जैसे कैलाश यात्रा के दौरान खुद को पाते है। अष्टावक्र गीता में पढ़ा था-‘जब शिष्य तैयार होता है तो गुरू उसके सामने उपस्थित हो जाता है। ऐसा ही कैलाश मानसरोवर यात्रा के ध्येय को पूरा करने पर लागू होता है। जब आप संकल्प कर लेते है तो ईश्वर उसको पूरा करने में मदद देता है। हां, महिलाओं की कुछ विषेष आवष्यकताएं होती है, उनके लिए उनको यात्रा में अलग प्रकार से तैयारी करनी होती है।

(श्रीमती सिन्हा ने प्रस्तुतीकरण के माध्यम से यात्रा के महत्वपूर्ण पड़ावों, अलग-अलग रूट्स, दर्शनीय एवं आध्यात्मिक महत्व के स्थलों, फार्म की उपलब्धता, वेबसाईट आदि के बारे में जानकरी देते हुए चित्रों के माध्यम से ऊं पर्वत, वेद व्यास की गुफा, ज्योतिर्लिंग जागेश्वर, भीम तल, राक्षस तल, मानस तल, यम द्वार, जोरावर सिंह की समाधि, राम सीता टैम्पल, गोल्डन कैलाश आदि के बारे में जानकारी दीं)

गौरव बजाड़
कैलाश मानसरोवर यात्रा शारीरिक नहीं, मानसिक रूप से भावों की यात्रा है। व्यक्ति मन, शरीर और आत्मा का संगम है। मन इधर-उधर भटकता है, पर आत्मा ‘अल्टिमेट पावर‘ है, उसकी शक्ति का अनुभव इस यात्रा के दौरान होता है। यात्रा में ऊपर की ओर बढ़ते है तो आडम्बर छूटते जाते हैं। दिमाग से बोझ उतर जाता है। 'कॉसमोस' से एनर्जी का फ्लो महसूस होता है। यात्रा सिखाती है कि हमें वस्तुस्थिति में सहज रहना चाहिए, सहजता यात्रा के लिए बड़ी सहायक रहती है। जो व्यक्ति जिस भाव से यात्रा करता है, उसी भाव से यह यात्रा सम्पन्न हो जाती है।


ओटाराम चौधरी

यात्रा की प्रेरणा ईश्वर से मिलती है। बुलावा वहीं से आता है। मूल रूप से यह मन के भावों की यात्रा है। पग-पग पर दिव्य अनुभूतियां होती हैं। परीक्षा की कई घड़ियों से गुजरना होता है। तीन बार यात्रा करने का सौभाग्य मिला है, ऐसा महसूस हुआ कि यात्रा के बगैर जीवन अधूरा है। कई चमत्कारिक अनुभव हुए। वर्ष 2015 की यात्रा में न तो छाता खोलने और न हीं रेनकोट की जरूरत पड़ी। यात्रा में काम आने वाली छड़ी से बहुत लगाव हो गया था, लेकिन इसको कहीं भूल गया। सभी से पूछा बहुत ढूंढा, पर पता नहीं चला। मन को बहुत कष्ट हो रहा था, बाद में चमत्कारिक रूप से वह एक सोफे पर पड़ी हुई मिल गई। रामचरित मानस शिवजी को बहुत प्रिय है, 2017 में इसको लेकर जाने की इच्छा थी, वह पूरी हुई। तीन यात्राओं में कैलाश के चरणों को छूकर आने, मानसरोवर झील से ‘ऊं‘ के कंकर, नये रास्ते से कैलाश तक पहुंचने और परिक्रमा में चारों दिशाओं से दर्शन करने जैसे कई विशिष्ट अनुभव हुए, जो जीवन की अमूल्य निधि है।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें