मंगलवार, 24 सितंबर 2019

सोशल मीडिया के दुरुपयोग ने ख़तरनाक रूप ले लिया है, सरकार हस्तक्षेप करे: सुप्रीम कोर्ट

सोशल मीडिया अकाउंट को आधार से लिंक करने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि केंद्र सरकार से कहा कि हम सिर्फ़ यह कहकर नहीं बच सकते हैं कि ऑनलाइन अपराध कहां से शुरू हुआ उसका पता लगाने की हमारे पास तकनीक नहीं है।
सोशल मीडिया के दुरुपयोग पर सख्त रवैया अपनाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सोशल मीडिया का दुरुपयोग खतरनाक हो गया है। समय आ गया है कि केंद्र सरकार इसमें दखल दे। कोर्ट ने केंद्र सरकार से ऐसे मामलों से निपटने के लिए सख्त दिशानिर्देश बनाने की बात कही है।

सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को तीन हफ्ते के भीतर वह समयसीमा बताने के लिए कहा है जिसमें सोशल मीडिया का दुरुपयोग रोकने के दिशानिर्देश तैयार किए जा सकें।

 सोशल मीडिया अकाउंट को आधार से लिंक करने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि व्यक्ति की निजता का संरक्षण करना सरकार की ही जिम्मेदारी है। कोई किसी को ट्रोल क्यों करे और झूठी जानकारी क्यों फैलाए। आखिर ऐसे लोगों की जानकारी जुटाने का हक क्यों नहीं है।

इस मामले पर जस्टिस दीपक गुप्ता और जस्टिस अनिरुद्ध बोस की बेंच सुनवाई कर रही है।

सुनवाई के दौरान जस्टिस दीपक गुप्ता ने कहा कि इस मामले पर फैसला न तो सुप्रीम कोर्ट दे सकता है और न ही हाईकोर्ट। यह सरकार का काम है कि वह इस मुद्दे से निपटने के लिए उचित दिशानिर्देश के साथ आए।

पिछली सुनवाई में कोर्ट ने केंद्र सरकार से यह बताने के लिए कहा था कि क्या वह सोशल मीडिया को विनियमित करने के लिए कुछ नीति तैयार करने और आधार के साथ सोशल मीडिया खातों को जोड़ने के लिए कोई भी कदम उठाने पर विचार कर रही है।

मामले की सुनवाई के दौरान जस्टिस गुप्ता ने कहा, ‘आखिर किसी उपयोगकर्ता को सेवा प्रदाता से ये पूछने का हक क्यों नहीं है कि मैसेज कहां से शुरू हुआ है। हमें इंटरनेट की चिंता आखिर क्यों नहीं करनी चाहिए। मुझे लगता है कि हमें देश की चिंता करनी चाहिए और अगर ऐसा है तो आज के दौर में हमारे पास सोशल मीडिया को लेकर सख्त दिशानिर्देश होने चाहिए। मुझे लगता है कि हर किसी की निजता का संरक्षण करना चाहिए।’

जस्टिस गुप्ता ने सुनवाई के दौरान सवाल किया कि कोई मुझे ऑनलाइन ट्रोल करने और मेरे चरित्र के बारे में झूठ फैलाने में सक्षम क्यों हो?

पीठ ने कहा, ‘हम सिर्फ यह कहकर नहीं बच सकते हैं कि ऑनलाइन अपराध कहां से शुरू हुआ उसका पता लगाने की हमारे पास तकनीक नहीं है। अगर ऐसा करने की कोई तकनीक है तो उसे रोकने की भी कोई तकनीक होनी चाहिए।’

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें