शनिवार, 14 सितंबर 2019

देश के 25 उच्च न्यायालयों में जजों के 414 पद ख़ाली

उच्च न्यायालयों में कुल 1,079 न्यायाधीश होने चाहिए। क़ानून मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक एक सितंबर को हाईकोर्ट में जजों के 414 पद खाली थे, जो इस साल की अब तक की सर्वाधिक रिक्तियां हैं।
देश के 25 उच्च न्यायालयों में न्यायाधीशों के 414 पद रिक्त हैं। यह इस साल की अब तक सर्वाधिक रिक्तियां हैं। कानून मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार एक सितंबर को उच्च न्यायालयों में न्यायाधीशों के 414 पद खाली थे। उच्च न्यायालयों में कुल 1079 न्यायाधीश होने चाहिए।

आंकड़े के मुताबिक उच्च न्यायालयों में अगस्त में 409 और जुलाई में 403 पद खाली थे।

उच्चतम न्यायालय का तीन सदस्यीय कॉलेजियम उच्च न्यायालयों में न्यायाधीशों की नियुक्तियों के लिए उम्मीदवारों के नामों की सिफारिश करता है। उच्चतम न्यायालय में नियुक्ति के संदर्भ में कॉलेजियम में शीर्ष अदालत के पांच न्यायाधीश होते हैं।

उच्च न्यायालय का कॉलेजियम अपने-अपने उच्च न्यायालय के लिए उम्मीदवार छांटता है और इन नामों को कानून मंत्रालय के पास भेजता है। कानून मंत्रालय उन पर अंतिम फैसले के लिए खुफिया ब्यूरो की बैकग्राउंड रिपोर्ट के साथ उसे उच्चतम न्यायालय के कॉलेजियम के पास भेजता है।

सरकार ने कहा है कि उच्च न्यायालयों में न्यायाधीशों की नियुक्ति कार्यपालिका और न्यायापालिका के बीच चलने वाली एक निरंतर सहयोगपरक प्रक्रिया है क्योंकि उसके लिए कई संवैधानिक अधिकारियों के बीच संवाद एवं उनकी मंजूरी जरूरी होती है।

न्यायाधीशों की सेवानिवृति, इस्तीफे या प्रोन्नति तथा उनकी संख्या बढ़ाए जाने के कारण रिक्तियां बढ़ती रहती हैं। इस साल जून में रिक्तियां 399 और मई में 396 थीं।

गौरतलब है कि पिछले साल सुप्रीम कोर्ट में जजों के रिक्त पदों को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आर्थिक सलाहकार परिषद के अध्यक्ष बिबेक देबरॉय ने सवाल उठाया था।

उन्होंने कहा था कि न्यायपालिका में करीब 25 प्रतिशत सीटें खाली हैं और सरकारी तंत्र में 25 प्रतिशत रिक्तियां बहुत अधिक नहीं होती हैं। तब सुप्रीम कोर्ट में कुल स्वीकृत 31 जजों में से सिर्फ 22 जज ही थे, बाकी के 9 पद खाली पड़े थे।

वहीं, कलकत्ता उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस ज्योतिर्मय भट्टाचार्य ने कहा था कि न्यायाधीशों की कमी के चलते न्यायपालिका एक मुश्किल दौर से गुजर रही है। तब कलकत्ता हाईकोर्ट में न्यायाधीशों की स्वीकृत संख्या 72 में से मात्र 33 न्यायाधीश थे।

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