डिजिटल तकनीक हिंदी भाषा को बड़े जन-समुदाय तक पहुंचाने में अहम भूमिका निभा रहा है। किताबें, फिल्में, गीत-संगीत, सूचनाओं आदि का प्रवाह सरल और सुगम हुआ है। इस सांस्कृतिक विकास से नये रचनात्मक और व्यावसायिक आयाम खुल रहे हैं। शिक्षा और साक्षरता में बढ़त तथा सूचनाओं और मनोरंजन का बढ़ता आग्रह भी इस विस्तार के पहलू हैं। तकनीक ने लेखक, पाठक, प्रकाशक और वितरक के बीच संवाद का द्वार भी खोला है, जिससे पूरी प्रक्रिया को आगे ले जाने और बेहतर करने में भी मदद मिल रही है। इन विभिन्न पहलुओं पर दृष्टिपात करते हुए हिंदी दिवस के अवसर पर विशेष प्रस्तुति।
इंटरनेट पर हिंदी शब्दतंत्र
मुंबई स्थित भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आइआइटी) के भारतीय भाषा प्रौद्योगिकी केंद्र ने अंग्रेजी वर्डनेट की तर्ज पर हिंदी भाषा के लिए शब्दतंत्र की रचना की है और इसका निरंतर विस्तार हो रहा है। यह संगणिक शाब्दिक तंत्र शब्दों के विभिन्न प्रकार के परस्पर संबंधों को दर्शाता है। इसके डेस्कटॉप और एप के माध्यम से इंटरफेस तक पहुंचा जा सकता है।
इसमें शब्दतंत्र के अलावा शब्दकोश की भी सुविधा है। यह मशीन अनुवाद की दृष्टि से बनायी जा रही है। उल्लेखनीय है कि यह तंत्र पारंपरिक शब्दकोशों से अलग है और वैज्ञानिक आधार पर शब्दों का पर्याय-समूह तैयार किया गया है। अब तक शब्दतंत्र में 1.05 लाख से अधिक अलग-अलग शब्द तथा 40 हजार से अधिक पर्याय-समूह डाले गये हैं। अंग्रेजी-हिंदी सार्वभौम शब्दकोश में शब्दों की वर्तमान संख्या 1.36 लाख से अधिक है। शिक्षण-प्रशिक्षण में डिजिटल सहायता के लिए हिंदी शब्द-मित्र की पहल भी जा रही है।
इंटरनेट सर्च में अधिकांश भारतीयों की पसंद हिंदी
वर्ष 2011 के आंकड़ों के मुताबिक, हिंदी भाषियों की संख्या भारत की कुल जनसंख्या का 44 प्रतिशत है, जो स्मार्टफोन के प्रसार के साथ मुख्य धारा में आ रही है। गूगल का मानना है कि ज्यादातर भारतीय इंटरनेट सर्च के लिए हिंदी भाषा का इस्तेमाल कर रहे हैं।
‘ईयर इन सर्च : गूगल इनसाइट्स फॉर ब्रैंड्स रिपोर्ट’ शीर्षक से इस वर्ष मई में जारी गूगल की नयी रिपोर्ट कहती है, भारत में स्मार्टफोन के माध्यम से जो कुछ भी सर्च किया जाता है, उसका 70 प्रतिशत हिंदी भाषा में होता है।
लैपटॉप और पीसी से हिंदी में पूछे जानेवाले प्रश्नों की संख्या पूर्व के मुकाबले दोगुनी हो गयी है, जबकि स्मार्टफोन और मोबाइल फोन से पूछे जानेवाले प्रश्नों की संख्या दोगुनी से ज्यादा (2.3 गुना) हो गयी है।
पहनावा, सुंदरता और व्यक्तिगत देखभाल जैसी ई-कॉमर्स श्रेणी से संबंधित सर्च अंग्रेजी के मुकाबले क्षेत्रीय भाषाओं में बढ़ रही है।
गूगल रिपोर्ट के मुताबिक, भारतीय भाषा के इंटरनेट यूजर्स के वर्ष 2021 तक भारत के इंटरनेट यूजर बेस का करीब 75 प्रतिशत होने की उम्मीद है।
हिंदी अखबारों के पाठकों की बढ़ती संख्या
मीडिया रिसर्च यूजर्स काउंसिल की रिपोर्ट के मुताबिक, 2017 की आखिरी तीन तिमाहियों के औसत और 2019 की पहली तिमाही के आंकड़े इंगित करते हैं कि इस अवधि में हिंदी अखबारों के पाठकों की संख्या 3.9 फीसदी की दर से बढ़ी है। हालांकि अन्य क्षेत्रीय भाषाओं और अंग्रेजी के पाठक क्रमशः 5.7 और 10.7 फीसदी बढ़े हैं, पर संख्या के हिसाब से हिंदी के पाठकों 18.60 करोड़ हैं, जबकि क्षेत्रीय भाषाओं के 21.10 करोड़ और अंग्रेजी के 3.10 करोड़।
मजबूत वृद्धि दर्ज कर रही है हिंदी
टीयर-2 और टीयर-3 शहरों के इंटरनेट यूजर्स के लिए गूगल अब ‘मैप्स’ और ‘सर्च’ जैसे अपने उत्पादों के उपयोग को बढ़ाने के लिए स्थानीय भाषा, खास कर हिंदी को तवज्जो दे रहा है। अमेरिका स्थित एक फर्म का मानना है कि इंटरनेट पर हिंदी भाषा के इस्तेमाल में मजबूत वृद्धि दर्ज हो रही है।
किताबों की बढ़ती ऑनलाइन बिक्री
इ-कॉमर्स की अग्रणी कंपनी आमेजन ने अक्तूबर, 2015 में जानकारी दी थी कि उसके प्लेटफॉर्म से छह माह के भीतर हिंदी किताबों की बिक्री में 60 फीसदी की बढ़ोतरी हुई।
इसी अवधि में प्रकाशकों की ओर से हिंदी किताबों की आपूर्ति भी 40 फीसदी बढ़ी थी। इस प्लेटफॉर्म पर हिंदी किताबों की बिक्री अप्रैल, 2014 में शुरू हुई थी। उस समय इसके ऑनलाइन बुक स्टोर पर 23 हजार हिंदी किताबें थीं। आज दुनिया के इस सबसे बड़े बुक स्टोर पर हिंदी भाषा में 50 हजार से अधिक किताबें हैं। निल्सन बुक मार्केट रिपोर्ट के आकलन के मुताबिक भारत में किताबों का कुल बाजार 739 अरब रुपये का हो जायेगा, जो 2015 में 261 अरब रुपये का था। इस बढ़त की औसत सालाना दर 19.3 फीसदी है।
यह भी उल्लेखनीय है कि किताबों की ऑनलाइन बिक्री इ-कॉमर्स व्यवसाय की वृद्धि में अहम भूमिका निभा रही है। इस व्यवसाय में किताबों की हिस्सेदारी 15 फीसदी से अधिक है। भारत अंग्रेजी किताबों की दुनिया में दूसरा सबसे बड़ा व्यापार है। ऐसे में इस बाजार की बढ़त में हिंदी किताबों- इ-बुक और ऑडियो बुक के साथ- की पहुंच हिंदी के चहुंमुखी बढ़ोतरी को इंगित करती है।
फ्लिपकार्ट ने हिंदी इंटरफेस की घोषणा की
200 मिलियन नये ग्राहकों तक ई-कॉमर्स को आसानी से अपनी पहुंच बनाने के लिए फ्लिपकार्ट ने इसी महीने हिंदी इंटरफेस की घोषणा की है।
90 प्रतिशत नये इंटरनेट यूजर अपने व्यवहार में अपनी स्थानीय भाषा बोलते हैं भारत में, और हिंदी इसमें संपर्क सूत्र है।
पांच में से एक व्यक्ति की पसंद हिंदी
94 प्रतिशत बढ़ी है इंटरनेट पर हिंदी कंटेंट की खपत साल-दर-साल, गूगल के मुताबिक, जबकि अंग्रेजी कंटेंट की खपत वृद्धि मात्र 19 प्रतिशत है।
21 प्रतिशत (पांच में से एक) लोग हिंदी में इंटरनेट उपयोग करना पसंद करते हैं भारत में।
500 मिलियन (50 करोड़) के करीब हिंदीभाषी हैं भारत में, जबकि विकिपीडिया पर मात्र एक लाख हिंदी में लेख हैं।
54 करोड़ हो जायेगी स्थानीय भाषा के इंटरनेट यूजर्स की संख्या
40 करोड़ (वर्ष 2018 के अनुसार) इंटरनेट यूजर्स के साथ भारत के पास दूसरा सबसे बड़ा इंटरनेट यूजर बेस है।
भारत विश्व का सबसे तेजी से विकसित होता इंटरनेट बाजार भी है, जो हर महीने 80 लाख से एक करोड़ यूजर जोड़ रहा है।
स्थानीय भाषा में इंटरनेट इस्तेमाल करेनवालों की संख्या वर्ष 2021 तक 18 प्रतिशत सीएजीआर से बढ़कर लगभग 54 करोड़ (536 मिलियन), जबकि अंग्रेजी यूजर्स की संख्या केवल 3 प्रतिशत की दर से बढ़ कर तकरीबन 20 करोड़ (199 मिलियन) तक पहुंचने की उम्मीद जतायी गयी है।
गूगल के मुताबिक, देश के 4.4 बिलियन डॉलर डिजिटल विज्ञापन खर्च में इन इंटरनेट यूजर्स का योगदान 35 प्रतिशत हो जायेगा. जबकि वर्तमान में (2018 में), दो बिलियन डॉलर के डिजिटल विज्ञापन खर्च में स्थानीय भाषाओं की हिस्सेदारी केवल पांच प्रतिशत है।
गूगल अधिकारियों का मानना है कि इंटरनेट इस्तेमाल करनेवाले गैर-अंग्रेजी भाषियों की संख्या अंग्रेजी से आगे निकल गयी है। स्थानीय भाषाओं (गैर-अंग्रेजी भाषा) में इंटरनेट उपयोग करनेवालाें की संख्या भारत में अभी तकरीबन 24 करोड़ है, जबकि अंग्रेजी भाषी यूजर्स की संख्या 18 करोड़ के करीब है।
आनेवाले समय में गैर-अंग्रेजी भाषी यूजर्स का 30 प्रतिशत केवल चार भाषाओं- तेलुगू, मराठी, तमिल और बांग्ला के होंगे।
हालिया रिसर्च बताती है कि 2021 तक हिंदी इंटरनेट यूजर्स, अंग्रेजी यूजर्स से आगे निकल जायेंगे।
छोटे शहर के लोग ज्यादा सर्च करते हैं इंटरनेट पर
आज भारत के लगभग अधिकांश घरों में इंटरनेट का इस्तेमाल हो रहा है. यहां प्रतिवर्ष औंसतन चार करोड़ इंटरनेट यूजर्स जुड़ रहे हैं। यही वजह है कि ऑनलाइन सर्च में अब छोटे शहर (नॉन-मेट्रो सिटी), महानगरों को पछाड़ रहे हैं। बीमा, सुंदरता और पर्यटन से जुड़ी सूचनाओं की खोज में छोटे शहर के लोग महानगरों से आगे हैं।
हमारे देश के 10 में से नौ नये इंटरनेट यूजर द्वारा भारतीय भाषा के इस्तेमाल की संभावना गूगल रिपोर्ट में जतायी गयी है।
बैंकिंग, वित्तीय सेवा व बीमा (बीएफएसआई) से संबंधित कुल सर्च का 61 प्रतिशत छोटे शहर के उपभोक्ताओं द्वारा की जा रही है।
हिंदी में भोजन से संबंधित खोजों में 237 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज हुई है। हिंदी भाषा में शीर्ष चार खोजों में यू-ट्यूब, वीडियो।
ये है विदेशी विद्वान, जिन्होंने हिंदी को दी समृद्धि
डॉ जॉर्ज ग्रियर्सन : आयरलैंड
डॉ जॉर्ज अब्राहम ग्रियर्सन का खड़ी बोली हिंदी सहित समस्त भारतीय भाषाओं और उपभाषाओं को पहचान दिलाने में बड़ा योगदान है। उन्होंने हिंदी सीखी और उस सीख को हिंदी की पाठ्य-पुस्तकें तैयार कर हिंदी को ही लौटा दिया। हिंदी साहित्य के काल विभाजन को उन्होंने वैज्ञानिक दृष्टि दी। लिंग्विस्टिक सर्वे ऑफ इंडिया, द मॉडर्न वर्नाक्यूलर लिटरेचर ऑफ हिंदुस्तान व तुलसी साहित्य का वैज्ञानिक अध्ययन जैसी कृतियों से उन्होंने हिंदी में अहम योगदान किया।
गार्सा द तासी : फ्रांस
हिंदी साहित्य का प्रथम इतिहास तासी ने ही लिखा। ‘इस्त्वार द ला लितरेत्यूर ऐंदुई ऐंदुस्तानी’ 1839 में फ्रेंच भाषा में लिखा उनका वह ग्रंथ है, जिसके आधार पर हिंदी साहित्य के काल विभाजन का क्रम आगे बढ़ा। जब अंग्रेजी का वैश्विक प्रभाव चरम पर था, गासी ने हिंदी भाषा का महत्व दुनिया को बताया।
रोनाल्ड मेक्ग्रेगॉर : न्यूजीलैंड
रोनाल्ड स्टुअर्ट मेक्ग्रेगॉर ने पश्चिमी दुनिया में हिंदी का अलख जगाया। कैंब्रिज यूनिवर्सिटी में शिक्षक रहे मेक्ग्रेगॉर भाषा विज्ञानी, व्याकरण के विद्वान, अनुवादक और हिंदी साहित्य के इतिहासकार थे। उन्होंने ‘एन आउटलाइन ऑफ हिंदी ग्रामर’ नामक अहम पुस्तक लिखी व हिंदी शब्दकोश की रचना की।
डॉ ओदोलेन : चेकोस्लोवाकिया
डॉ ओदोलेन स्मेकल सुप्रसिद्ध हिंदी विद्वान और राजनयिक थे। हिंदी में पीएचडी की और चेकोस्लोवाकिया के प्राहा विश्वविद्यालय में हिंदी के प्राध्यापक और भारत-विद्या विभाग के अध्यक्ष रहे। उन्होंने गोदान, भारतीय लोक कथा सहित हिंदी की अनेक रचनाओं का चेक भाषा में अनुवाद किया।
फादर बुल्के : बेल्जियम
फादर कामिल बुल्के हिंदी के ऐसे समर्पित सेवक रहे, जिनकी मिसाल दी जाती है। युवावस्था में भारत आये। यहां की बोली-बानी में ऐसे रमे कि न सिर्फ हिंदी, बल्कि ब्रज, अवधी और संस्कृत भी सीखी। रामकथा की उत्पत्ति पर सबसे प्रामाणिक शोध किया। हिंदी-अंग्रेजी शब्दकोश बनाया, जिसमें 40 हजार से ज्यादा शब्द आये। बाइबल का हिंदी में अनुवाद किया। जीवन के 73 सालों में से 37 साल भारत में बिताये। यहीं के नागरिक बने। उन्हें पद्मभूषण से सम्मानित किया गया।

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